Saturday, January 11, 2020

सीबीडीटी ने निर्धारण वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म-1 (सहज) और फॉर्म-4 (सुगम) भरने के लिए पात्रता शर्तों में ढील दी

 यह सुनिश्चित करने के लिए कि निर्धारण वर्ष 2020-21 के लिए रिटर्न भरने से जुड़ी ई-फाइलिंग व्‍यवस्‍था 1 अप्रैल, 2020 से उपलब्‍ध हो जाए, आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म यथा ‘आईटीआर-1 (सहज)’ और ‘आईटीआर-4 (सुगम)’ को अधिसूचित कर दिया गया था। इसके लिए 3 जनवरी, 2020 को जारी अधिसूचना देखें। अधिसूचित रिटर्नों में ‘आईटीआर-1’ और ‘आईटीआर-4’ फॉर्म भरने के लिए पात्रता शर्तों में ढील दी गई थी, जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य इन फॉर्मों को संक्षिप्‍त और सरल रखना था तथा इसके लिए न्‍यूनतम संख्‍या में अनुसूचियों की जरूरत रखी गई। अत: किसी प्रॉपर्टी का संयुक्‍त स्‍वामित्‍व रखने वाले व्‍यक्ति को ‘आईटीआर-1’ अथवा ‘आईटीआर-4’ फॉर्मों को भरने का पात्र नहीं बनाया गया था। इसी कारण से एक ऐसे व्‍यक्ति को भी आईटीआर-1 फॉर्म भरने का पात्र नहीं माना गया था, जिसके लिए वैसे तो रिटर्न भरना आवश्‍यक नहीं है, लेकिन आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139 (1) के 7वें प्रावधान में उल्लिखित शर्तों को पूरा करने के कारण उसके लिए रिटर्न भरना आवश्‍यक है।


      उपर्युक्‍त अधिसूचना के बाद इस आशय की चिंताएं जताई गई हैं कि इन परिवर्तनों से व्‍यक्तिगत करदाताओं को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। किसी प्रॉपर्टी के संयुक्‍त स्‍वामित्‍व वाले करदाताओं ने यह चिंता जताई है कि उन्‍हें सरल आईटीआर-1 और आईटीआर-4 के बजाय अब विस्‍तृत आईटीआर फॉर्म भरना होगा। इसी तरह जिन लोगों के लिए आयकर अधिनियम की धारा 139 (1) के सातवें प्रावधान के अनुसार रिटर्न भरना आवश्‍यक है और जो वैसे तो आईटीआर-1 फॉर्म भरने के पात्र हैं, उन्‍होंने भी यह चिंता जताई है कि वे सरल आईटीआर-1 फॉर्म भरने का विकल्‍प नहीं चुन पाएंगे।


      इन चिंताओं को ध्‍यान में रखते हुए वैसे व्‍यक्ति को आईटीआर-1 अथवा आईटीआर-4 फॉर्म, जो भी मान्‍य हो, में अपना आयकर रिटर्न भरने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है जो किसी एकल मकान वाली प्रॉपर्टी का संयुक्‍त मालिक है, बशर्ते कि वह अन्‍य शर्तों को पूरा करता/करती हो। इसी तरह ऐसे व्‍यक्ति को भी आईटीआर-1 फॉर्म में अपना आयकर रिटर्न भरने की अनुम‍ति देने का निर्णय लिया गया है जिसके लिए आयकर अधिनियम की धारा 139 (1) के सातवें प्रावधान में निर्दिष्‍ट एक या उससे अधिक शर्तों को पूरा करने के कारण रिटर्न भरना आवश्‍यक है।    



Friday, January 10, 2020

आईएनएस सुमेधा ने सोमाली समुद्रतट के निकट फंसे जहाज का बचाव किया

आईएनएस सुमेधा फिलहाल अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती की रोकथाम के लिए तैनात है। इसने 6 जनवरी, 2020 को धाव अल-हमीद नामक जहाज के चालक दल का बचाव किया। आईएनएस सुमेधा के डेक से उड़ान भरने वाले आईएन हेलिकॉप्टर द्वारा ‘धाव’, अल-हमीद नामक लकड़ी से निर्मित पारम्परिक जहाज का पता चला, जिसके बारे में यह आश्वस्त किया गया कि यह जहाज मुसीबत में है। यह सोमालिया के समुद्रतट के पास था।



नौसेना की तकनीकी टीम के साथ एक बोर्डिंग टीम ने अल-हमीद की नियमित जांच की और उसकी सहायता की। अल-हमीद के चालक दल में 13 भारतीय नागरिक शामिल थे। तकनीकी दल के मूल्यांकन से पता चला कि धाव का मुख्य ईंजन का साफ्ट टूट गया है, जिसकी मरम्मत समुद्र में संभव नहीं है। इसके बाद धाव को सोमाली समुद्रतट से सुरक्षित ले जाया गया।


इस बीच, धाव अल-हमीद के मालिक ने धाव की मरम्मत हेतु उसे बंदरगाह तक ले जाने के लिए एक अन्य जहाज भेजा। प्रस्थान से पूर्व, भारतीय नौसेना जहाज सुमेधा ने धाव के चालक दल को शुद्ध पेयजल और चिकित्सा सामग्री उपलब्ध कराई।


पूर्वोत्तर के 8 राज्य गुजरात में अप्रैल में होने वाले माधवपुर मेले में हिस्सा लेंगे


इस वर्ष अप्रैल के पहले सप्ताह में गुजरात में आयोजित होने वाले माधवपुर मेले में पूर्वोत्तर के 8 राज्य भाग लेंगे। पोरबंदर जिले के माधवपुर घेड में यह वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है और इस वर्ष यह रामनवमी उत्सव के एक दिन बाद 2 अप्रैल से शुरू होगा।


प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन,  परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, राज्‍य मंत्री  डॉ जितेंद्र सिंह ने आज यहां गुजरात सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक में भाग लिया और मेले की तैयारियों की समीक्षा की। इस बैठक में उत्तर पूर्वी परिषद (एनईसी) के सचिव, श्री मोसेस चालई और एनईसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर के रेजिडेंट आयुक्तों / प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।


 



इस मौके पर डा. सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की कला,संस्‍कृति, हस्‍तशिल्‍प , व्‍यंजनों और अन्‍य उत्‍पादों को माधवपुर के अलावा अहमदाबाद सहित गुजरात के अन्‍य हिस्‍सों में भी प्रदर्शित करने के उपाय करें। उन्‍होंने सुझाव दिया कि पूर्वोत्‍तर तथा गुजरात के बीच सांस्‍कृतिक निकटता प्रदर्शित करने के लिए विशेष रूप से एक प्रतीक चिन्‍ह बनाया जाना चाहिए और भारतीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद् ,क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों के साथ ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय का संगीत और नाटक प्रभार को राज्‍य के ऐसे ही केन्‍द्रों के साथ मिलकर सांस्‍कृतिक आयोजनों में बढ़ चढं कर भाग लेना चाहिए।  


 उन्‍होंने कहा कि माधवपुर मेले के प्रचार के लिए 1 मार्च 2020 से मल्‍टीमीडिया अभियान चलाया जाएगा। यह आयोजन प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा शुरु किए गए एक भारत श्रेष्‍ठ भारत अभियान के तहत गुजरात और पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के बीच सांस्‍कृतिक एकता का प्रतीक बनेगा।


माधवपुर मेले का संबंध अरुणाचल प्रदेश के मिशमी जनजाति से है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्‍ण का विवाह मिशमी जनजाति के राजा भिष्‍मक की पुत्री रूक्‍मणि के साथ हुआ था। यह मेला भगवान श्रीकृष्‍ण और रूक्‍मणि के विवाह के प्रतीके के रूप में मनाया जाता है। इसका वर्णन कलिका पुराण में पाया जाता है। सप्‍ताह भर चलने वाले इस आयोजन में पूर्वोत्‍तर और गुजरात की कला, संगीत,‍कविता और लोकनृत्‍यों की अनुपम छटा देखने को मिलेगी।


मेले के दौरान गुजरात के साथ ही पूर्वौत्‍तर के सभी आठ राज्‍यों के कला, हस्‍तशिल्‍प उत्‍पाद और हथकरघा उत्‍पाद प्रदर्शित किए जाएंगे।


केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को 49 से 58 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से आयातित प्याज देने की पेशकश की; केन्द्रीय उपभोक्ता कार्य मंत्री श्री रामविलास पासवान ने उपभोक्ताओं को खुदरा दर पर प्याज उपलब्ध कराने की राज्य सरकारों की आरंभिक मांग के अनुसार उन्हें आयातित प्याज खरीदने के लिए प्रेरित किया

केन्द्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान ने देश भर में प्याज की संपूर्ण उपलब्धता और उसकी कीमतों तथा अब तक आयातित मात्रा के बारे में आज मीडिया को एक प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी दी। श्री पासवान ने कहा कि केन्द्र सरकार ने मुंबई में उतरने वाले प्याज को 49 रुपये से लेकर 58 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से राज्य सरकारों को देने का फैसला किया है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आयात दिसम्बर के मध्य में शुरु हुआ और राज्यों से कहा गया है कि आयातित स्टॉक से आपूर्ति के लिए वे अपनी मांग का ऑर्डर दें। राज्यों ने आरंभ में 33,139 मीट्रिक टन प्याज की मांग रखी थी, जिसे घरेलू मूल्यों में कटौती और बेहतर उपलब्धता सहित विभिन्न कारणों से बाद में संशोधित कर 14,309 मीट्रिक टन कर दिया गया।


केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एक लाख मीट्रिक टन प्याज का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन चूंकि प्याज उगाने का मौसम दुनिया भर में समाप्त हो चुका है और अंतर्राष्ट्रीय मूल्य अधिक हैं, छोटी मात्रा में एक समय के लिए ऑर्डर सोच-समझ कर दिया जा रहा है ताकि अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों में तेजी से वृद्धि न हो। केन्द्र सरकार ने आरंभिक मांग के आधार पर आयात की योजना बनाई है और वह करीब 40,000 मीट्रिक टन प्याज का ठेका कर चुकी है, जो जनवरी के अंत से पहले भारत पहुंच जाएगा। अब तक देश में 12,000 मीट्रिक टन प्याज पहुंच चुका है और राज्य सरकारों के बीच वितरण के लिए तैयार है।


श्री पासवान ने कहा कि मुख्य चिंता उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना है और इसे सुनिश्चित करने के लिए आयात के साथ घरेलू आपूर्ति बढ़ाई गई है ताकि मूल्य कम रहे और कुल मिलाकर उपलब्धता बढ़े। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों तथा उपभोक्ताओं के बीच समन्वित प्रयास होने चाहिए ताकि उद्देश्य को हासिल करना सुनिश्चित किया जा सके। केन्द्रीय मंत्री ने सभी राज्यों से कहा कि वे उनके द्वारा आरंभ में रखी गई मांग का सम्मान करें और संबद्ध राज्यों में आयातित प्याज का वितरण करें ताकि प्याज की कीमतें कम रहें।


उपभोक्ता कार्य सचिव श्री अविनाश श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि कैबिनेट सचिव ने आज सुबह वीडियो कांफ्रेंस की ताकि उपलब्धता बढ़ाने और कीमतें कम करने के लिए राज्य में सीधे रिटेलिंग/वितरण के उद्देश्य से राज्य सरकारों को आयातित स्टॉक से अधिक प्याज खरीदने के लिए राजी कराया जा सके। उन्होंने कहा कि दिसम्बर से प्याज के मूल्यों में गिरावट आनी शुरु हो गई है, जिसके कारण राज्य सरकारों ने अपनी मांग कम की है। कैबिनेट सचिव ने असम, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित 12 राज्यों से कहा कि वे अपनी आरंभिक मांग का सम्मान करें और जरूरत पड़ने पर आयातित स्टॉक से प्याज उठाएं ताकि कीमतों पर अंकुश लगा रहे।


कैबिनेट ने भारत तथा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के बीच स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में सहयोग के समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय तथा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बीच समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दे दी है। इस समझौता ज्ञापन पर बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के न्‍यासी और सह अध्‍यक्ष श्री बिल गेट्स की भारत यात्रा के दौरान नवंबर 2019 में हस्‍ताक्षर किए गए थे।


समझौता ज्ञापन के तहत निम्‍नलिखित क्षेत्रों में सहयोग की व्‍यवस्‍था की गई है:- 


1.  माताओं, नवजात शिशुओं तथा बच्‍चों की मृत्‍यु दर में कमी लाने और पोषण सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए टीकाकरण तथा गुणवत्‍ता युक्‍त प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की सभी तक पहुंच को आसान और सुगम बनाना।


2.  परिवार नियोजन के तौर तरीकों और गुणवत्‍ता वाले विकल्‍प बढ़ाना । विशेष रूप से युवा महिलाओं तक ऐसे विकल्‍प उपलब्‍ध कराना जिन्‍हें आसानी से बदला जा सके।


3.  टीबी और वीएल और एलएफ जैसे संक्रामक रोगों के मामलों में कमी लाना।


4.  आबंटित बजट के इस्‍तेमाल के साथ  स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में कार्यरत मानव संसाधन के कौशल और प्रबंधन, मजबूत आपूर्ति श्रृंखला और निगरानी तंत्र के माध्‍यम से स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली को सशक्‍त बनाना।


समझौता ज्ञापन की व्‍यवस्‍थाओं को लागू करने और सहयोग के क्षेत्रों का विस्‍तृत ब्‍यौरा तय करने के लिए एक कार्यक्रम क्रियान्‍वयन समिति का गठन किया जाएगा।


कैबिनेट ने ओडिशा सरकार के दो पीएसयू के साथ गठित संयुक्‍त उद्यम कंपनी नीलांचल इस्‍पात निगम लिमिटेड में एमएमटीसी, एनएमडीसी, मेकॉन और भेल की इक्विटी हिस्‍सेदारी के रणनीतिक विनिवेश को ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने नीलांचल इस्‍पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) में खनिज एवं धातु व्यापार निगम लिमिटेड (एमएमटीसी) (49.78 प्रतिशत), राष्‍ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) (10.10 प्रतिशत), मेकॉन (0.68 प्रतिशत) तथा भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्‍स लिमिटेड (भेल) (0.68 प्रतिशत) और ओडिशा सरकार के दो सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (पीएसयू) यथा ओडिशा औद्योगिक संवर्धन व निवेश निगम लिमिटेड (आईपीआईसीओएल) (12.00 प्रतिशत) एवं ओडिशा खनन निगम (ओएमसी) (20.47 प्रतिशत) की इक्विटी हिस्‍सेदारी का रणनीतिक विनिवेश एक ऐसे रणनीतिक खरीदार को करने को ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दे दी है, जिसकी पहचान दो चरणों वाली नीलामी प्रक्रिया के जरिए की गई है। एनआईएनएल एक संयुक्‍त उद्यम कंपनी है, जिसमें चार सीपीएसई (केन्‍द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) यथा एमएमटीसी, एनएमडीसी, भेल तथा मेकॉन और ओडिशा सरकार के दो एसपीएसयू (राज्‍य सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम) यथा आईपीआईसीओएल तथा ओएमसी शेयरधारक हैं।


      एनआईएनएल के प्रस्‍तावित रणनीतिक विनिवेश से इसमें निहित संसाधन मुक्‍त होंगे, जिसका इस्‍तेमाल सरकार के सामाजिक क्षेत्र/विकास कार्यक्रमों का वित्‍त पोषण करने में होगा। इससे आम जनता लाभान्वित होगी। यह भी उम्‍मीद की जा रही है कि सफल रणनीतिक खरीदार इस कंपनी के विकास के लिए नया प्रबंधन/प्रौद्योगिकी/निवेश ला सकता है और इसके साथ ही यह खरीदार इस कंपनी के व्‍यावसायिक परिचालनों के विकास के लिए अभिनव तरीकों का इस्‍तेमाल कर सकता है, जिससे और भी अधिक रोजगार अवसर सृजित हो सकते हैं।  


गणतंत्र दिवस परेड के लिए तैयार भारतीय नौसेना की झांकी का अनावरण किया गया

नयी दिल्‍ली में 26 जनवरी को राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में हिस्‍सा लेने वाली भारतीय नौसनो की झांकी का आज यहां  अनावरण किया गया । इस बार इस झांकी का विषय नौसेना की मूल भावना के अनुरूप ‘ इंडियन नेवी- साइलेंट, स्‍ट्रांग और स्विफ्ट’’  रखा गया है।


झांकी के अग्रिम भाग में भारतीय नौसेना की जमीन,हवा तथा पानी तीनों दिशाओं में प्रहार क्षमता को दर्शाया गया है। इसे हार्पून मिसाइलों, समुद्र में दूर तक गश्‍त लगाने वाले विमान बोइंग पी आठ, स्‍टील्‍थ डेस्‍ट्रायर , ब्रह्मोस मिसाइल , एक्‍सोसेट मिसाइल और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी की प्रतिकृति के माध्‍यम से दर्शाया गया है।  झांकी के पिछले हिस्‍से में स्‍वदेश  निर्मित विमान वाहक पोत विक्रांत के मॉडल को कोच्चि शिपयार्ड में निर्माणाधीन अवस्‍था में दिखाया गया है। इसके साथ ही झांकी में मिग 29 लड़ाकू विमानों के मॉडल भी प्रदर्शित किए गए हैं। ये जहाज,पोत तथा हथियार नौसेना की ताकत को ही नहीं द‍र्शा रहे बल्कि मेक इन इंडिया अभियान के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित कर रहे हैं।


 झांकी में अपतटीय आर्थिक संपत्तियों के संरक्षण के साथ-साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रदान करने के मामले में नौसेना की भूमिका को  भित्ति चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इसमें जुलाई 2014 में महालक्ष्मी एक्सप्रेस द्वारा महाराष्ट्र में चलाए गए  बाढ़ राहत अभियान, फारस की खाड़ी (ओपी संकल्प) में किए गए एस्कॉर्ट ऑपरेशन तथा समुद्र में देश के तेल रिगों का फास्ट अटैक क्राफ्ट के माध्‍यम से सुरक्षा प्रदान किया जाना दिखाया गया है।


कुल मिलाकर, झांकी का उद्देश्य नौसेना को एक विश्वसनीय और किसी भी समय देश की रक्षा के लिए तैयार  सैन्य बल के रूप में प्रदर्शित करना है, जो राष्ट्र की सेवा करने के साथ ही देश की आर्थिक संपत्ति की रक्षा करता है और संकट और प्राकृतिक आपदाओं के समय में अपने लोगों को बचाने के लिए तत्‍पर रहता है।


गणतंत्र दिवस परेड में नौसेना की इस झांकी का नेतृत्‍व करने वाले अधिकारियों से भी आज प्रेस वार्ता के दौरान सबका परिचय कराया गया।