गुवाहाटी में 10 जनवरी से 22 जनवरी, 2020 तक होने वाले खेलो इंडिया युवा खेलों के तीसरे संस्करण की शुरुआत के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। उद्घाटन समारोह 10 जनवरी को इंदिरा गांधी स्टेडियम में होगा। रंगारंग कार्यक्रम में असम का गौरव हीमा दास सहित अनेक प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल और युवा कार्य और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री किरेन रीजीजू शामिल होंगे। खेलो इंडिया युवा खेलों के तीसरे संस्करण के बारे में असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि खेलो इंडिया युवा खेलो के तीसरे संस्करण की मेजबानी करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है। प्रतियोगिताओं ने भारत में खेल क्रांति शुरू कर दी है और हमें इस सच्चाई पर गौरव होना चाहिए कि टूर्नामेंट असम में हो रहे हैं। मैं सभी खिलाड़ियों को शुभकानाएं देता हूं। श्री किरेन रीजीजू ने कहा कि खेलो इंडिया युवा खेलों ने देश के युवा को निश्चित रूप से खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता के तीसरे संस्करण का पूर्वोत्तर के युवाओं पर काफी प्रभाव पड़ेगा, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं देख सकेंगे। प्रतियोगिता के दौरान गुवाहाटी में 8 स्थानों पर नए संस्करणों – लॉन बॉल और साइक्लिंग सहित 37 (राज्यों और संघ शासित प्रदेशों) टीमों के करीब 6,800 खिलाड़ी 20 खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे। खेलों में भाग लेने वालों की कुल संख्या 10,000 है, जिसमें खिलाड़ी, अधिकारी, स्वयंसेवी और सहयोगी कर्मचारी शामिल हैं। उद्घाटन समारोह 10 जनवरी को होगा, जो एक विश्व स्तर का कार्यक्रम होगा। इसमें 400 से अधिक कास्ट मेंबर, 400 से अधिक तकनीकी और सहायक कर्मचारी पूरा माहौल जीवंत कर देंगे। नए प्रकार की रोशनी और प्रौद्योगिकी की मदद से आधुनिक शो होगा, जो उद्घाटन समारोह का मुख्य आकर्षण होगा। असम के प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार किया गया है। इस रंगारंग कार्यक्रम में असम की विशिष्ट संस्कृति देखने को मिलेगी। इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू सभी भारतीयों को अपनी दिनचर्या में फिटनेस को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करने संबंधी फिट इंडिया मूवमेंट भी है। खेलो इंडिया युवा खेलों के तीसरे संस्करण में सरकार द्वारा पहली बार की गई अनेक पहलें देखने को मिलेंगी, जिनमें कोलकाता और दिल्ली से खिलाड़ियों को गुवाहाटी ले जाने के लिए समर्पित विमान और गो-ग्रीन कार्यक्रम शामिल है, जिसमें खेल स्थलों पर इलेक्ट्रिक कारें देखने को मिलेंगी। खेलो इंडिया छात्रवृत्ति के अलावा टूर्नामेंट के विजेताओं को असम सरकार ने नकद पुरस्कार भी देने की घोषणा की है। मेजबान राज्य ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है और विश्वस्तर का बुनियादी ढांचा तैयार किया है। विभिन्न राज्यों के खिलाड़ियों और अधिकारियों का सर्वश्रेष्ठ खेल अनुभव सुनिश्चित करने के लिए समर्पित आतिथ्य दल तैयार किए गए हैं, शहर में 100 से अधिक होटल बुक किए गए हैं और रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और हवाई अड्डों पर समर्पित स्वागत डेस्क स्थापित किए गए हैं।
Friday, January 10, 2020
गृह मंत्रालय ने आपराधिक मामलों में परस्पर वैधानिक सहायता के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए
अपराध के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ की भारत सरकार की नीति को आगे बढ़ाते हुए तथा शीघ्र न्याय दिलाने के प्रयास के तहत, गृह मंत्रालय ने आपराधिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय परस्पर वैधानिक सहायता की प्रक्रिया में तेजी लाने तथा सुसंगत बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। गृह मंत्रालय ने दिसंबर, 2019 में आपराधिक मामलों में परस्पर वैधानिक सहायता के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। संशोधित दिशानिर्देश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें –
साक्ष्य हेतु प्रार्थना पत्र/परस्पर वैधानिक सहायता हेतु प्रार्थना पत्र तथा सूचना की सेवा, सूचना एवं अन्य न्यायिक कागजात का मसौदा तैयार करने तथा उसकी प्रक्रिया आगे बढ़ाने हेतु जांच एजेंसियों के लिए क्रमबद्ध मार्गनिर्देश इन संशोधित दिशानिर्देशों में शामिल हैं। इसमें हाल के वर्षों में विभिन्न वैधानिक एवं प्रौद्योगिकीय बदलावों को लागू किया गया है और दस्तावेजों को संक्षिप्त एवं केन्द्रित रखने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुकूल बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
दिशानिर्देशों में विदेश में रहने वाले लोगों के बारे में कागजात संबंधी सेवा में शीघ्रता एवं समयानुसार प्रत्युत्तर हेतु विभिन्न न्यायालयों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को भी ध्यान में रखा गया है। एक पहल के रूप में, इस संशोधित मार्गनिर्देश में महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध आपराधिक मामलों के संदर्भ में अनुरोध की प्राप्ति के बाद 10 दिनों के भीतर विदेश के अधिकारियों पर कागजात संबंधी सेवा के लिए प्रावधान शामिल हैं।
जांचकर्ताओं, अभियोजन पक्षों तथा न्यायिक अधिकारियों के लिए आपराधिक मामलों में परस्पर वैधानिक सहायता के क्षेत्र में प्रशिक्षण को भी शामिल किया गया है।
एक देश से दूसरे देश में होने वाले अपराधों और डिजिटल प्रसार के कारण आपराधिक गतिविधियों के लिए भौगोलिक सीमाएं मिट गई हैं। देशों के सार्वभौमिक क्षेत्राधिकार के बाहर साक्ष्य एवं अपराधियों की मौजूदगी के कारण पारम्परिक जांच की संभावना एवं प्रकृति में बदलाव की अनिवार्यता हो गई है।
भारत ने 42 देशों के साथ परस्पर वैधानिक सहायता संधि/समझौते किए हैं तथा यूएनसीएसी, यूएनटीओसी आदि जैसे अनेक अंतर्राष्ट्रीय संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत के लिए गृह मंत्रालय एक निर्धारित ‘केन्द्रीय प्राधिकरण’ है। सामान्य तौर पर, विदेश में रहने वाले लोगों के बारे में परस्पर वैधानिक सहायता अनुरोध/साक्ष्य हेतु प्रार्थना पत्र और सूचना सेवा/सूचनाओं/न्यायिक दस्तावेजों के रूप में सहायता मांगी जाती है तथा प्राप्त की जाती है।
इस प्रकार की सहायता देने अथवा पाने की प्रक्रिया को सुसंगत बनाने के क्रम में, गृह मंत्रालय ने 2007 में विदेश में जांच करने तथा साक्ष्य हेतु अनुरोध पत्र जारी करने तथा 2009 में विदेश में रहने वाले लोगों के बारे में सूचना सेवा/सूचना/न्यायिक प्रक्रिया के बारे में दिशानिर्देश जारी किए थे।
इस दशक के दौरान, भारत सहित पूरे विश्व में नये विधानों, नियमनों एवं संधियों तथा प्रक्रियात्मक कानूनों में संशोधन के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में काफी बदलाव हुए हैं। इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए मौजूदा दिशानिर्देशों की व्यापक समीक्षा करना अनिवार्य हो गया था।
सतर्कता की लम्बित शिकायतों में अत्यएधिक कमी हुई
सतर्कता आयुक्तम श्री शरद कुमार ने कल नई दिल्लीा में डॉ. जितेन्द्रल सिंह से मुलाकात की और आयोग में सतर्कता मामलों के लंबित होन तथा निपटारे की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया। श्री कुमार फिलहाल केन्द्रीौय सतर्कता आयुक्तन (सीवीसी) के रूप में भी दायित्वस संभाल रहे हैं।
डॉ. जितेन्द्रर सिंह को बताया गया कि सतर्कता के लंबित मामले में अत्यदधिक कमी हुई है और यह लगातार पिछले तीन वर्षों में औसत 3000 से घटकर 2019 में 876 हो गया है, जिसमें से 683 मामले दिसंबर 2019 से संबंधित हैं। पिछले 5 से 10 वर्षों से अधिक अवधि के बहुत से पुराने लंबित मामलों की समीक्षा की गई थी और अधिकांश मामलों का निपटारा कर दिया गया था। इसके परिणामस्वकरूप पिछले 3 वर्षों में लंबित मामलों की संख्याा 1500 थी, जिसमें अत्येधिक कमी हुई और दिसंबर 2019 के अंत में इनकी संख्यां लगभग 950 रह गई।
श्री शरद कुमार ने बताया कि बैंक संबंधी धोखाधड़ी पर सलाहकार बोर्ड के क्रिया कलापों के बारे में भी अद्यतन जानकारी दी, जिसे अगस्त 2019 में गठित किया गया था। बैंक के अधिकारियों के भय का समाधान करना तथा जांच एजेंसियों द्वारा जांच से निष्पबक्ष निर्णय प्राप्तय करना इस बोर्ड का महत्व पूर्ण उद्देश्यस है।
सतर्कता आयोग की कार्यप्रणाली की नवीनतम उपलपब्धियों में आयोग के तहत विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के लिए एक व्या9पक ऑनलाइन रिपोर्टिंग प्रणाली की शुरुआत करना शामिल है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह को ई-ऑफिस की कार्यप्रणाली के बारे में भी अवगत कराया गया, जिसे 01 नवम्ब र, 2019 से शुरू किया गया था।
किसान विज्ञान कांग्रेस में किसानों के नवाचार के महत्व को रेखांकित किया गया
किसान विज्ञान कांग्रेस का आज नई दिल्ली में उद्घाटन करते हुए कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि भारतीय विज्ञान कांग्रेस के इतिहास में पहली बार किसान केन्द्रित कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिससे किसान समुदाय को बहुत प्रोत्साहन मिलेगा। डॉ. महापात्रा ने कहा कि उत्पादन और पोषण सुरक्षा सहित 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया है, जो प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस ऐसा मंच है, जहां किसानों के नवाचारों को बल मिलेगा। उन्होंने स्कूली छात्रों का आह्वान किया कि वे किसान विज्ञान कांग्रेस में शिरकत करें, ताकि कृषि के प्रति दिलचस्पी स्कूल स्तर से ही पैदा की जा सके। उन्होंने कहा, ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने एकीकृत कृषि के लिए 56 मॉडल विकसित किए हैं, जिन्हें ग्रामीण विकास कार्यक्रमों से जोड़कर नाबार्ड प्रोत्साहित करेगा।’
डॉ. महापात्रा ने कहा कि प्रगतिशील किसानों के नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए किसान नवाचार निधि और नवाचार केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जैविक खेती को विकसित करने के लिए 45 प्रकार के जैविक खेती प्रणालियां तैयार की गई हैं।
कर्नाटक कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष श्री हनुमानगौड़ा बेलागुर्की ने कृषि क्षेत्र की चुनौतियों के हवाले से कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों में कृषि विज्ञान अंग के रूप में अर्थव्यवस्था और सामाजिक विज्ञान की पढ़ाई शुरू की जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 107वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अंग के रूप में किसान विज्ञान कांग्रेस का आयोजन बेंगलुरू के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय में किया जा रहा है। इस कांग्रेस में देश के लगभग 120 नवाचारी किसान हिस्सा ले रहे हैं और अपने उत्पादों को पेश कर रहे हैं। इसके अलावा इस आयोजन में विभिन्न कृषि विशेषज्ञ भी हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान किसानों की आय दोगुना करने, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, किसान सशक्तिकरण, कृषि पर दबाव, ग्रामीण जैव-उद्यमिता जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
न्याय विभाग ने ‘संविधान और मौलिक कर्तव्य’ विषय पर क्विज एंड टॉक प्रतियोगिता का आयोजन किया
न्याय विभाग ने आज विश्व पुस्तक मेला 2020, प्रगति मैदान, नई दिल्ली के थीम पवेलियन-गांधी हॉल (हॉल संख्या 7ई) में ‘संविधान और मौलिक कर्तव्य’ विषय पर क्विज एंड टॉक प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस कार्यक्रम को दिल्ली राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के सहयोग से आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम में तीन स्कूलों- डीपीएस-आर.के. पुरम, एलबीएस-आर.के.पुरम और शहीद मेजर अशोक सेहरावत गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, महिपालपुर के कुल 62 छात्रों ने भाग लिया। स्कूली छात्रों और दर्शकों को न्याय विभाग द्वारा तैयार किया गया मौलिक कर्तव्य बैज और किताबें पुरस्कार के रूप में दी गईं। प्रत्येक स्कूल और दिल्ली राज्य कानूनी विधि सेवा प्राधिकरण को मौलिक कर्तव्य के पोस्टर दिए गए।
दर्शक दीर्घा में छात्रों के साथ आम लोग भी शामिल थे, जिन्होंने प्रतियोगिता के विषय ‘संविधान और मौलिक कर्तव्य’ में गहरी रूचि दिखाई।
दुष्कर्म और पॉस्को अधिनियम के मुकदमों के शीघ्र निपटारे के लिए 1023 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों का गठन
12 वर्ष से कम आयु की नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म तथा महिलाओं के खिलाफ इसी तरह के जघन्य अपराधों की घटनाओं ने पूरे देश को हिलाकर रखा दिया है। इसलिए महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए यौन अपराधों से संबंधित मुकदमों की जल्द सुनवाई पूरी कर लेने की पहल की गई है। ऐसे मुकदमों को निपटाने के संबंध में अधिक सख्त प्रावधानों और तेज सुनवाई के लिए भारत सरकार ने आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 को लागू किया है।
यह पहल राष्ट्रीय महिला सुरक्षा मिशन के अंग के रूप में फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों के गठन के साथ की गई है। इस प्रकार केन्द्र सरकार ने देश भर में 1023 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों के गठन की योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित मुकदमों (31.03.2018 तक कुल लंबित मुकदमों की संख्या 1,66,882) के मद्देनजर दुष्कर्म और पॉस्को अधिनियम के लंबित मुकदमों की जल्द सुनवाई और उनका निपटारा किया जाएगा। इसके अलावा स्वमेव रिट याचिका (आपराधिक) संख्या 01/2019, दिनांक 25.07.2019 के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार 1023 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों में से 389 अदालतों का खासतौर से पॉस्को अधिनियम से संबंधित उन जिलों में गठन किए जाने का प्रस्ताव किया गया है, जहां ऐसे लंबित मामलों की संख्या 100 से अधिक है। इस योजना से सभी संबंधित राज्य सरकारों/केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों को सितंबर 2019 में सूचित कर दिया गया है। विधि एवं न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने पत्र लिखकर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील की है कि वे ऐसी अदालतों का गठन करें और योजना का कारगर क्रियान्वयन करें, ताकि ऐसे अपराधों की रोकथाम की जा सके।
354 विशेष पॉस्कों अदालतों सहित 792 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों के गठन के संबंध में 31 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में से अब तक 24 राज्य योजना में शामिल हो चुके हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, दिल्ली, नगालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, चंडीगढ़ केन्द्रशासित प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
भारत सरकार का न्याय विभाग उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों को इन अदालतों के गठन के लिए लगातार सहयोग और सहायता प्रदान कर रहा है, ताकि महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा तथा सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए उनके खिलाफ होने वाले अपराधों के मुकदमों की जल्द सुनवाई हो सके। योजना के तहत 12 राज्यों में 216 पॉस्को अदालतें चल रही हैं।
जीएसटी प्रणाली को सुसंगत बनाने के लिए दूसरा राष्ट्रीय जीएसटी सम्मेलन आयोजित हुआ
वित्त मंत्रालय के राजस्व सचिव डॉ. अजय भूषण पांडेय की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में राज्य कर आयुक्तों एवं केन्द्रीय कर के मुख्य आयुक्तों का दूसरे राष्ट्रीय जीएसटी सम्मेलन का आयोजन हुआ।
सम्मेलन में वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली को सुसंगत बनाने और राजस्व हानि को रोकने पर गहन विचार-विमर्श किया गया। इस सम्मेलन में कर प्रशासन के दोनों स्तरों के अधिकारियों ने अपने अनुभव व सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा किया और कर प्रशासन में एकरूपता लाने के लिए आपसी समन्वय स्थापित करने पर बल दिया।
सम्मेलन के दौरान, अंतर्विभागीय डाटा को विभिन्न एजेंसियों – जीएसटीसी, सीबीडीटी, सीबीआईसी, एफआईयू, डीओआर, डीजीजीआई और राज्य कर प्रशासन आदि के बीच साझा करने की व्यवस्था पर विचार-विमर्श किया गया ताकि राजस्व संग्रह में वृद्धि हो और कर चोरी को रोकने में दक्षता हासिल हो।
सम्मेलन में विभिन्न प्रस्तुतियां दी गईं। इनमें प्रमुख हैं – आयुक्त (जांच), सीबीआईसी ने जाली/धोखाधड़ी आईटीसी पर प्रस्तुति दी; डीआरआई के डीजी ने विभाग द्वारा ढूंढ निकाले गए कई अनूठे केसों के बारे में जानकारी दी। इसमें एक ऐसा मामला भी शामिल है, जो पूरे भारत में अपनी गतिविधियां संचालित करता था। आईटीसी/आईडीएसटी के धन वापसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रक्रिया के संबंध में भी प्रस्तुति दी गई। एआरएम के डीजी धोखाधड़ी की समय पूर्व पहचान के लिए डाटा विश्लेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के उपयोग के संबंध में प्रस्तुति दी। सीबीडीटी और एफआईयू-इंडिया ने कर चोरी रोकने के लिए डाटा के आदान-प्रदान और एसटीआर के प्रसार पर आधारित प्रस्तुति दी।
जीएसटी नीति प्रभाग और सीबीआईसी ने राजस्व बढ़ाने के लिए और अनुपालन अंतर को कम करने के तरीकों पर प्रस्तुति दी। इससे ऋण वसूली, धन वापसी की समीक्षा, कर के संबंध में जानकारी न देने वालों का प्रबंधन, जीएसटी प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक चालान की रिपोर्टिंग तथा व्यापक एवं समन्वित लेखा-परीक्षण में मदद मिलेगी।
दिन भर की गहन विचार-विमर्श के बाद आवश्यक कार्रवाई के लिए निम्नलिखित उपाय तय किए गए:-
- केन्द्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की एक समिति गठित की जाए, जो जाली धन वापसी के दावों की जांच करेगी और त्वरित उपायों को लागू करेगी। समिति एक सप्ताह के अंदर विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करेगी, जिसे जनवरी के अंत तक पूरे देश में लागू किया जा सकता है।
- जाली आईजीएसटी धन वापसी दावों के संबंध में इस तथ्य पर विचार किया गया कि जोखिम वाले और नए निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा प्राप्तियों को आईजीएसटी धन वापसी से जोड़ दिया जाए।
- जाली इनपुट टैक्स क्रेडिट, निर्यात-आयात धोखाधड़ी और जाली धन वापसी के सभी बड़े मामलों की जांच अनिवार्य रूप से आयकर विभाग की जांच इकाई द्वारा की जाएगी।
- एपीआई के जरिये डाटा साझा करने के लिए सीबीडीटी, सीबीआईसी और जीएसटीएन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। डाटा को साझा करने का कार्य वार्षिक की बजाय तिमाही आधार पर किया जाएगा।
- आरबीआई और एनपीसीआई के परामर्श से जीएसटी प्रणाली बैंकिंग लेन-देन और बैंक खातों तक पहुंच बनाने का प्रयास करेगा। पैन आधारित बैंक लेन-देन समेत बैंक खाते और लेन-देन का ब्यौरा प्राप्त करने के उद्देश्य से जीएसटी सिस्टम को एफआईयू के साथ जोड़ने के संबंध में भी सुझाव प्राप्त हुए।
- सीबीआईसी द्वारा पता लगाए गए कर चोरी और धोखाधड़ी धन वापसी के मामलों से संबंधित डाटा को सीबीडीटी के साथ साझा करना। सीबीडीटी भी सीबीआईसी के साथ कर चोरी मामलों के डाटा साझा करेगी।
- विदेशी मुद्रा प्राप्ति और धन वापसी प्राप्ति के लिए एक बैंक खाते का सुझाव दिया गया।
- व्यवसाय को बंद करने के संदर्भ में जीएसटीआर फॉर्म में उपयुक्त संशोधन किया जाना चाहिए और उसमें स्व-आकलन घोषणा जोड़ी जानी चाहिए।
- बिना मिलान वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभों की जांच की जानी चाहिए।
राजस्व में वृद्धि करने और अनुपालन प्रबंधन के संबंध में सर्वोत्तम अभ्यासों पर सेंट्रल टैक्स जोनल कार्यालय, मुंबई और वडोदरा ने प्रस्तुति दी। इसके बाद गुजरात और आंध्र प्रदेश ने भी सर्वोत्तम अभ्यासों के बारे में प्रस्तुतियां दीं।
राजस्व में वृद्धि करने और अनुपालन प्रबंधन के राष्ट्रीय लक्ष्य के लिए डाटा व ज्ञान साझा करने और सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाने के आधार पर कार्यान्वयन को मजबूत किया जाना चाहिए। इसका सभी लोगों ने स्वागत किया।
सेंट्रल टैक्स जोनल के सभी मुख्य आयुक्त, राज्य कर के राज्य आयुक्त, सीबीआईसी के महानिदेशक, सीबीआईसी के सदस्य, सीबीडीटी के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिकारी, एफआईयू-इंडिया के निदेशक तथा वरिष्ठ अधिकारियों की टीम, सीबीआईसी एवं राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, जीएसटीएन की तकनीकी टीम आदि भी सम्मेलन में उपस्थित थे।