Tuesday, December 10, 2019

साजिश के तहत भजन करने वाले साधु संतों का उत्पीडन कर रहा है साधुभेषधारी, केसी गौड़

साधुभेषधारी के अत्याचार को लेकर लामबंद हुए राधाकुण्ड के लोग


पचांयत बुलाकर साधुभेषधारी के काले कारनामों की खोली पोल


 डॉ केशव आचार्य गोस्वामी विद्रोही अयोध्या टाइम ब्यूरो 9 दिसंबर 2019
गोवर्धन। साधुभेषधारी केशव दास के बढते अत्याचार पर अंकुश लगाने के लिये कस्वा राधाकुण्ड के लोग एक जुट होकर कानूनी लडाई लडने के लिये रणनीति बना रहे है। रविवार को कस्वा राधाकुण्ड के लोगों ने आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों से पचायत बुलाकर एक बैठक आयोजित की। जिस बैठक में साधुभेषधारी केशव दास के कालेकारनामों का काला चिट्ठा समाज के सामने रखते हुए समाजसेवी केसी गौड़ ने बताया कि केशव दास भू-माफिया किस्म का शातिर अपराधी है। केशव दास पर एक युवती के साथ दुराचार करने तथा दीपिका नामक एक साध्वी की हत्या करने जैसे तमाम केस न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन पुलिस ऐसे आरोपी को खुला संरक्षण दे रही है। चन्द्र विनोद कौशिक ने कहा कि साधु भेषधारी केशव दास के काले कारनामों की जांच होनी चाहिए। केशव दास के अत्याचारों से संत समाज व स्थानीय लोग परेशान है। मुडिया संत रामकिशन दास ने कहा कि श्रीराधा ब्रज विहारी मन्दिर के महंत के खिलाफ गोवर्धन थाने में दर्ज कराए गए अमानत में खयानत के मुकदमा में बड़ी साजिश की बू आ रही है। कस्वा राधाकुंड की प्राचीन रघुनाथ दास गद्दी आश्रम पर कुछ कथाकथित साजिश रचकर फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर उत्पीड़न करा रहे हैं। विदित रहे कि ब्रज विहारी मन्दिर के महंत श्यामसुंदर दास करीव दो माह पूर्व बिना किसी को जानकारी दिए उत्तराखण्ड साधना करने चले गए । मंहत के फोन स्विच बन्द आने पर उनके अनुयायी शिष्यों में चिंता व्यक्त करते हुए अनहोनी की असंका में गोवर्धन थाने पर उनकी गुमशुदगी दर्ज करा दी तथा एक शिष्य ने महंत के अपहरण की असंका जताते हुए मीडिया को जानकारी दी। जिससे महंत के विरोधियों में हड़कम्प मच गया। विरोधियों ने अपने आप को घिरता देख बचने के लिए तथाकथितों के सहयोग से श्यामसुंदर दास के खिलाफ अमानत में खयानत यानि तीस लाख रुपये गवन करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करा दिया। और श्यामसुंदर दास के राधाब्रज विहारी मन्दिर पर कब्जा कर लिया। दरअसल पिछले कई बर्षो से राधाकुंड में इन साधु भेष धारियों ने शान्ति व्यवस्था पूर्ण से भंग कर रखी है। सम्पत्ति को लेकर साधुभेषधारी भूमाफिया पूर्व में कई भजन करने वाले साधु संतों का घोर उत्पीड़न कर चुका है। पैसे और दबंगई की हनक से साधुभेषधारी भूमाफिया सच्चाई को दवाने के लिए कथाकथितों का सहारा लेकर धरना प्रदर्शन कर अधिकारियों पर दबाव बनाकर बच निकलता है। लेकिन इस बार समाज अगर एक जुट हुआ तो निश्चित साधुभेषधारी अत्याचारी के अत्याचार से संत समाज एवं स्थानीय लोगों को मुक्ति मिल जायेगी। बैठक में चेयरमेन खैमचन्द्र शर्मा ने कहा कि आज समय आ गया है एक जुट होकर समाज विरोधी लोगों को सबक सिखाने का, अत्याचार के खिलाफ संगठित होना जरूरी है। इस अवसर पर कौन्हई प्रधान अमर सिंह, कालीचरण कुन्जेरा, योगेश नीमगांव, सभासद छत्तर चैधरी, महेन्द्र गौस्वामी, विनोद मैम्बर, भूरा चैधरी, खैलन, छैलविहारी गौस्वामी आदि। हाई प्रोफाइल केस के कैमरामैन गौरव कृष्ण गोस्वामी के साथ डॉक्टर केशव आचार्य गोस्वामी यूपी न्यूज़ गोवर्धन मथुरा से स्पेशल रिपोर्ट


आयी शर्दियाँ

ठिठुरन बढ़ गयी भालू मामा,

सर्दियां देखो फिर से आई।

छोटी सी ये चिड़िया तुम्हारी,

ठंड से बहुत ही कपकपाई।।

 

बहुत बड़ा घर है तुम्हारा मामा,

इसलिए  मैं  मामा  घर  आयी।

अपने  पास  ही  रख  लो  मामा,

घोंसले में,मैं ठंड से ना बच पायी।।

 

भालू मामा ने चिड़िया को प्यार

से फिर गोद  मे  अपनी उठाया।

स्वागत है तुम्हारा चिड़िया रानी,

सर्दी से तुम ना घबराना , बहुत 

बड़ा घर मेरा तुम यहाँ आ जाना।।

 

अबकी सर्दी मामा भांजी साथ मे

नाचेंगे और जमकर धूम मचाएंगे।

गुफानुमा घर है मेरा,घर के अंदर

रहकर  ही  खूब  धूम  मचाएंगे।।

 

 

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

क्या लिखूँ? (कविता)

रोज काल का ग्रास बन रही आसिफा,

फिर कैसे मैं श्रृंगार लिखूँगा ।

देश चल रहा नफरत से ही,

फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।

 

वंचित हैं जो अधिकार से अपने,

उनका मैं अधिकार लिखूँगा ।

दुष्टों को मारा जाता है जिससे,

अब मैं वही हथियार लिखूँगा ।

 

रोज जवान मर रहे सीमा पर,

कब तक मैं उनकी बली सहूँगा ।

मर रही जनता रोज देश की,

कब तक मैं ये अत्याचार सहूँगा ।

 

आसिफा, ट्विंकल ना जाने कौन-कौन ?

अब इनकी चित्कार लिखूँगा ।

हाँ, देश चल रहा नफरत से ही

फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।

 

सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक)

मुजफ्फरपुर, बिहार

गरीब (कविता)


कुछ करना चाहता हूँ,

पर कुछ कर नही पाता हूँ ।

आगे बढ़ना चाहता हूँ, 

पर आगे बढ़ नही पाता हूँ ।

कोई मदद करना चाहे,

तो मदद ले नही पाता हूँ ।

किसी से मदद मांगना चाहता हूँ, 

पर शरमा जाता हूँ ।

अच्छे जगहों पर घूमना चाहता हूँ,

पर जेब खाली पाता हूँ ।

बड़े लोगो को देखता हूँ,

तो अपने नसीब को कोषता हूँ ।

अच्छा-अच्छा भोजन चाहता हूँ, 

पर कभी-कभी भूखे पेट ही सो जाता हूँ ।

बड़े-बड़े अमीरों को देखकर, 

मैं भी अमीर कहलाना चाहता हूँ ।

पर अपने आर्थिक परेशानियों के कारण, 

मैं सिर्फ गरीब कहलाता हूँ ।


 

सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक)

मुजफ्फरपुर, बिहार

Friday, December 6, 2019

आधुनिक समय और आज की माँ

 

 

         रजनी अपने दो साल के बेटे के साथ बस से ससुराल से मायके के लिए सफर कर रही थी।उसके पिता रजनी को ससुराल से अपने घर ले जा रहे थे।जैसे के आमतौर पर बेटियां अपने माँ बाप से मिलने जाती हैं।

 

          ससुराल से मायके तक बस से तकरीबन तीन घंटे का सफर पिता पुत्री को करना था।बस पूरी तरह यात्रियों से भरी हुई थी और धीरे धीरे अपनी मंजिल की और बढ़ रही थी।


 


          पिता पुत्री आपस मे अपने दुख सुख की बाते कर रहे थे कि अचानक रजनी के दो वर्षीय पुत्र राहुल ने अपनी माँ से दूध पिलाने के लिए कहाँ,राहुल अपनी भूख से इतना व्याकुल था कि वही बस में जोर जोर से रोने लगा।

 

          महिलाओ और पुरुषों से भरी बस में रजनी को बच्चे को दूध पिलाना बहुत ही असहज लग रहा था।वो समझ ही नही पा रही थी कि भूख से व्याकुल अपने पुत्र को भीड़ में दूध कैसे पिलाये।

 

          पिता और पुत्री राहुल को काफी समझाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन राहुल का बाल मन समझ ही नही पा रहा था।इधर बस में बैठे कुछ पुरुषों की नजर बस उस पल को देखने के लिए व्याकुल थी जब एक माँ अपने बच्चे की दूध पिलाएगी।

 

          रजनी ने जिस तरीक़े के वस्त्र पहने हुए थे उन वस्त्रो के साथ बच्चे की दूध पिलाना एक बहुत ही शर्मिंदगी की परिश्थिति का सामना करने के समान था।अचानक उस बस की भीड़ में से एक बूढ़ी अम्मा उठी और रजनी के पिता को उठाकर उनकी जगह बैठ गयी।

 

         अम्मा ने एक बड़ा सा शॉल ओढा हुआ था,उस शॉल को अम्मा ने रजनी को दिया और रजनी से कहाँ कि अब वो बेझिझक अपने पुत्र को दूध पिला सकती है।बूढ़ी अम्मा ने उस के अलावा रजनी से कुछ नही कहाँ।

 

          आधुनिक परिवेश  में ढकी रजनी को बूढ़ी अम्मा का कुछ भी ना कहना ये समझा गया कि आधुनिक होना गलत नही है किंतु कुछ बातों में खुद को जगह के हिसाब से ढालना होता है और रजनी के मौन धन्यवाद को अम्मा ने समझा और उसके सर पर हाथ रखकर वापस अपनी जगह पर बैठ गयी।

 

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

क्या लिखूँ?

रोज काल का ग्रास बन रही आसिफा,

फिर कैसे मैं श्रृंगार लिखूँगा ।

देश चल रहा नफरत से ही,

फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।

 

वंचित हैं जो अधिकार से अपने,

उनका मैं अधिकार लिखूँगा ।

दुष्टों को मारा जाता है जिससे,

अब मैं वही हथियार लिखूँगा ।

 

रोज जवान मर रहे सीमा पर,

कब तक मैं उनकी बली सहूँगा ।

मर रही जनता रोज देश की,

कब तक मैं ये अत्याचार सहूँगा ।

 

आसिफा, ट्विंकल ना जाने कौन-कौन ?

अब इनकी चित्कार लिखूँगा ।

हाँ, देश चल रहा नफरत से ही

फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।

 

सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक)

मुजफ्फरपुर, बिहार

गरीब बेटियों  व बेटो के सपनो साकार करने के लिए आगे आया.उस्मान हुनर इंस्टिट्यूट

मोहम्मद रिज़वान अंसारी की कलम से


जहाँ बच्चों को मिलती हैं फ्री शिक्षा और हुनर



शुक्लागंज उन्नाव।  आज की गरीबी में बेटी बेटो की पढाईयो के खर्च पूरे न होने पर परिवार को उनकी पढ़ाई रोकना पडती है कहि न कही बच्चों के अपने सपने भी बचपन मे जो सुने होते हैं कि मेरे बेटा डॉक्टर बनेगा बेटी फैशन डिजाइनर बनेगी  इंग्लिश में बात करेंगे ये सपने अक्सर मा बाप बच्चों के साथ देखते हैं लेकिन बच्चे के बड़े होने तक धीरे धीरे ये सपने परिवार की परेशानियों के आगे टूट जाते हैं इन्ही सपनो को लेकर आज हुनर इंस्टीट्यूट के उस्मान ने इन गरीबो को हुनर और फ्री स्पीकिंग फ्री फैशन डिजाइनर के कोर्स कराने  की शुरुवात की जो कि लगभग 1 वर्ष पूर्व इसकी शुरुवात की थी वो शुरवात आज कहि न कही 1 रोशनी की तरह उम्मीद की किरण बनकर सामने आने लगी इस कार्य को हुनर इंस्टीट्यूट  को 1 वर्ष पूरे होना पर हुनर इंस्टिट्यूट के चेयरमैन उस्मान ने मेघावी छात्र छात्राओं को पुरुस्कार देकर उनका हौसला बढ़ाया और संस्था के द्वारा युही गरीबो की मदद के लिए तातपर्य रहने का प्रयत्न किया|