अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी ...
Saturday, July 29, 2023
मौत का स्वाद
थोड़ा समय निकाल कर अंत तक पूरा पढ़ना
मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है.....
बकरे का,
गाय का,
भेंस का,
ऊँट का,
सुअर,
हिरण का,
तीतर का,
मुर्गे का,
हलाल का,
बिना हलाल का,
ताजा बकरे का,
भुना हुआ,
छोटी मछली,
बड़ी मछली,
हल्की आंच पर सिका हुआ। न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....
स्वाद से कारोबार बन गई मौत।
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
नाम *पालन* और मक़सद *हत्या*
स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।
जो हमारी तरह बोल नही सकते, अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं...
उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?
डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए !
बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??
जिसे काटा गया होगा ?
जो कराहा होगा ?
जो तड़पा होगा ?
जिसकी आहें निकली होंगी ?
जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?
कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..
क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .
क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ..
धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो। कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो ।
कभी सोचा ...!!!
क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?
किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ?
अल्लाह को ?
जीसस को?
या खुद को ?
मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!!
आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!!!
अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!!
नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!!!
झूठ पर झूठ....
Saturday, July 22, 2023
नेकी करता चला जा, पुण्य खुद मिलता जायेगा
एक विडियो जिसे देख आंखें खुद ब खुद बहती चली गयी मेरी, मेरे आंसूंओं कि कशिश सिर्फ उस विडियो की तरफ थी जो टकटकी लगाए बार-बार उसे ही देखे जा रही थी। इतना भाव विभोर कर देने वाला था विडियो। सही कहते हमारे बड़े कि नेकी कर दरिया में डाल, बस नेकी का पुण्य फल आज नहीं तो कल किसी न किसी रूप में मिल ही जाता है या मिलता ही रहता है जो हमें महसूस भी नहीं हो पाता है। कब नेकी से ही धरा पर पड़ा इंसान उठ उस आसमां की बुलंदियों को छू लेता है जो उसे पता नहीं चलता है। वह तो नेकी का कार्य कर के भूल जाता है। उसे तो याद ही नहीं रहता कि उसने कभी कोई नेक काम किया था परंतु उसे नेकी का जब फल मिलता है तो वह फूला नहीं समाता है।
कहा जाता है समाज में सोशल मीडिया का प्रयोग आज के नवयुवा बहुत ही गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं जिसके चलते हमारे नवयुवा, नौनिहाल पथ भ्रमित होकर गलत राह पर चले जा रहे हैं और सोशल मीडिया का प्रयोग अनैतिक रूप से प्रयोग कर रहे हैं। सच यह देखा भी जा रहा है कि किसका तो सोशल मीडिया के जरिए कैसे वाहयात लोग वीडियो बना रहे, जिसे हम रियल कहते हैं और कुछ तो अवैधानिक कृत्य होते हुए देख रहे हैं परंतु बस खड़े-खड़े तमाशबीन की तरह वीडियो बनाते फिर रहे हैं और उसे अपलोड कर दिया जाता है सोशल मीडिया पर जन-जन तक पहुंचाने के लिए जैसे उन्होंने एक बड़ा कोई तीर मारा हो परंतु ऐसा नहीं है सोशल मीडिया का प्रयोग हम करना चाहे तो बहुत ही अच्छे तरीके से भी कर सकते हैं जैसा की मैंने ऊपर बताया कि मैंने एक वीडियो देखा जिसको देखकर इतना भाव विभोर हो उठी कि मेरे आंसू नहीं रुक रहे थे जानते हैं उस वीडियो के अंतर्गत क्या था उससे पहले मैं एक बात बताना चाहूंगी कि जिन्होंने यह वीडियो बनाया उन्होंने सोशल मीडिया का बहुत ही बेहतरीन उपयोग किया और दुनिया को एक संदेश देना चाहा कि जो हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं वह गलत नहीं कहते हैं जैसे कि नेकी कर दरिया में डाल और इसका फल परिणाम कभी ना कभी हमें जरूर मिलता है हमारे हिसाब किताब के खाते प्रभु के द्वारा लिखे जा रहे हैं और उसी आधार पर हमारे द्वारा किये गये हर एक कर्मों का ही फल मिलता है जैसे कि हमें पैसा मिलता हैं, सम्मान, शौहरत, रूतबा। यदि हमारे पुण्य कर्म गलत होंगे तो न जाने कब हम अपने पाप के कर्मों की गठरी के कारण ही आसमां से धरा पर आकर औंधे मुंह गिर पड़े इसलिए कहते हैं कि पुण्य कर्म करते चलो फल की इच्छा मत करो।
इस वीडियो के अंतर्गत यह था एक आदमी एक भिखारी को कुछ रुपए देता है। वो रुपए इतने थे की भिखारी 2 दिन आराम से खाना खा सकता था। उसे भीख मांगने की जरूरत नहीं पड़ती परंतु उस भिखारी ने उन्हीं पैसों में से प्यासे एक आदमी को पानी खरीद कर दिया, एक दवा की दुकान पर गया कोई दवाई खरीदनी थी। वहां पर एक मां अपने बच्चे के लिए दवाई खरीदने आई थी परंतु कुछ पैसे कम पड़ते हैं । दुकानदार ने दवाई देने से मना कर दिया। महिला अपने ही पास में खड़ी हुई दूसरी महिला से कुछ पैसे उधार देने के लिए कहा परंतु दूसरी महिला ने उधार देने से मना कर दिया तब उस भिखारी ने अपने पैसों में से उसे कुछ पैसे दे दिए और बच्चे के लिए दवाई दिलवा दी उस औरत ने कहा कि मैं आपके पैसे लौटा दूंगी परंतु उस भिखारी ने मना कर दिया कहा कि मुझसे ज्यादा इस बच्चे को जरूरत है दवा की। इस समय दवा देकर आप पहले बच्चे को ठीक होने दें। जिस इंसान में भिखारी को 2 दिन के खाने के पैसे दिए थे भिखारी का पीछा कर रहा था तब से जब उसने एक प्यासे व्यक्ति को पानी की बोतल खरीद कर दी थी, बच्चे को दवाई दिलवाने के बाद भिखारी खाने की दुकान पर गया और वहां से एक पराठा और चिप्स का पैकेट और पानी की बोतल खरीदी जब वह खाने ही बैठ रहा था तभी एक उसके दूसरे भिखारी मित्र जो की बहुत बुजुर्ग था अपनी भख जाहिर की, उस भिखारी में खरीदा हुआ पराठा उसे खाने के लिए दे दिया। जो आदमी उस भिखारी का पीछा कर रहा था वह सब देखने के बाद अपने घर वापस लौट आया उसने समस्त वाक्या अपनी मां को बताया उसने बताया कि किस कदर उसने भिखारी को पैसे दिया और उस भिखारी ने पूरे के पूरे पैसे इस्तेमाल कर लिए दूसरों की मदद् करके तब मां की आंखों में आंसू आ गए और उसने अपने बेटे को बताया कि एक समय ऐसा था जब तुम्हारे पिता हमें छोड़ कर चले गए थे मुझे तुमको पालने के लिए पैसों की जरूरत थी और मेरे पास कोई काम ही नहीं था तब एक आदमी ने मेरी मदद की और जब तक मेरी नौकरी नहीं लगी तब तक उस आदमी ने मुझे रोज खाना दिया और तुम्हारे लिए दूध का इंतजाम भी करता था जब मेरी नौकरी लग गई तब मैं तुम्हें लेकर दूसरे शहर में आ गई जब मैंने अपना घर ले लिया तो मैं उस आदमी की तलाश में गई थी जहां उसे वो आदमी नहीं मिला। चलो कोई बात नहीं जिस आदमी है दूसरों की मदद की मैं उसी को ही अपने हाथों से कुछ बेटा देना चाहती हूं मुझे लेकर चलो। अपनी मां की बात सुनकर अपनी मां को उस भिखारी के पास लेकर जाता है और उन्हें वो भिखारी से मिल जाता है। मां जब उस भिखारी से मिलती है तो वह बहुत हैरान में पड़ जाती है। यह तो वही आदमी है जिसने मेरी बरसों पहले मदद की थी और जिसके कारण आज मैं और मेरा बेटा ऐशों आराम में रह रहे हैं। उस महिला ने उस भिखारी को पुरानी बातें याद दिलाई परंतु उस आदमी ने कहा कि मुझे कुछ भी याद नहीं मैं तो नेकी करता हूं और दरिया में डाल देता हूं। मेरी मां ने उस आदमी के लिए एक छोटा सा कमरा बनवाया , उसे वहीं रहने के लिए कहा और उसके लिए हर इंसान की जरूरत में आने वाले कपड़े व अन्य सामान दिया। आपके द्वारा कार्यकिसी न किसी रूप में आपको जरूर मिलेगा यही सीख दे रहा था वो विडियो ।सही में कुछ लोग सोशल मीडिया का प्रयोग इतना अच्छा करते हैं कि लोगों के लिए एक मिसाल कायम हो जाती है और कुछ अच्छा सीखने के लिए मिल पाता है काश हर कोई एक अच्छी सोच के साथी सोशल मीडिया का प्रयोग करें तो आज देश खुशहाल समृद्धि और प्रेम से परिपूर्ण हो जाएगा।
वीना आडवाणी तन्वी
Friday, July 21, 2023
पत्नी के अलग अलग रूप
जेठ के घर में एक गरीब आदमी काम करता है, नाम है प्रेम। जैसे ही प्रेम के फ़ोन की घंटी बजी, वह डर सा गया।
जेठ जी ने एक दिन पूछ ही लिया ?
"प्रेम तुम अपनी पत्नी से इतना क्यों डरते हो ?"
मैं डरता नही बाबूजी, उसकी कद्र करता हूँ उसका सम्मान करता हूँ। उसने जबाव दिया।
जेठजी हँसे और बोले-"ऐसा क्या है उसमें। ना बहुत सुन्दर है, ना पढी लिखी।"
"जेठ जी उसे छेड़ रहे थे मुँह से निकला - जोरू का गुलाम।" और सारे रिश्ते कोई मायने नही रखते तेरे लिये ? उन्होंने पूछा।
उसने बहुत इत्मिनान से जबाव दिया- बाबू जी माँ बाप रिश्तेदार नहीं होते। वे भगवान होते हैं।
उनसे रिश्ता नहीं निभाते, उनकी पूजा करते हैं। भाई-बहन के रिश्ते जन्मजात होते हैं, दोस्ती का रिश्ता भी मतलब का ही होता है। आपका मेरा रिश्ता भी जरूरत और पैसे का है पर, पत्नी बिना किसी करीबी रिश्ते के होते हुए भी हमेशा के लिये हमारी हो जाती है, अपने सारे रिश्तों को पीछे छोड़कर और हमारे हर सुख-दुख की सहभागी बन जाती है आखिरी सांसों तक।"
मैं अचरज से उसकी बातें सुन रही थी। वह आगे बोला-"बाबू जी, पत्नी अकेली रिश्ता नहीं है, बल्कि वह पूरा रिश्तों की भण्डार है। जब वह हमारी सेवा करती है, हमारी देखभाल करती है, हमसे दुलार करती है तो एक माँ जैसी होती है। वह हमें जमाने के उतार-चढाव से आगाह करती है और मैं अपनी सारी कमाई उसके हाथ पर रख देता हूँ क्योंकि जानता हूँ वह हर हाल मे मेरे घर का भला करेगी तब पिता जैसी होती है। जब हमारा ख्याल रखती है, हमसे लाड़ करती है, हमारी गलती पर डाँटती है, हमारे लिये खरीदारी करती है तब बहन जैसी होती है। जब हमसे नयी-नयी फरमाईश करती है,
नखरे करती है, रूठती है, अपनी बात मनवाने की जिद करती है तब बेटी जैसी होती है। जब हमसे सलाह करती है, मशवरा देती है,
परिवार चलाने के लिये नसीहतें देती है, झगड़े करती है तब एक दोस्त जैसी होती है। जब वह सारे घर का लेन-देन, खरीददारी, घर चलाने की जिम्मेदारी उठाती है तो एक मालकिन जैसी होती है और जब वही सारी दुनिमा को यहां तक
कि अपने बच्चों को भी छोड़कर हमारे पास में आती है तब वह पत्नी, प्रेमिका, प्रेयसी, अर्धांगिनी, हमारी प्राण और आत्मा होती है जो अपना सब कुछ सिर्फ हम पर न्योछावर करती है।"
नौकर प्रेम के अंतिम शब्द हमेशा-हमेशा याद रहेंगे कि केवल पत्नी के साथ के रिश्ते को ही सात जन्मों का बंधन माना जाता है और किसी दूसरे रिश्ते को नहीं।
Friday, July 7, 2023
टोल फ्री नम्बर
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C M शिकायत पोर्टल 181
विद्युत सेवा 1912
पशु सेवा 1962
पुलिस सेवा 112, 100
अग्नि सेवा 101
एमबुलैस सेवा 102
यातायात पुलिस 103
आपदा प्रबंधन 108
चाइल्ड लाइन 1098
रेलवे पूछताछ 139
भ्रष्टाचार विरोधी 1031
रेल दुर्घटना 1072
सड़क दुर्घटना 1073
सी एम सहायता लाइन 1076
क्राइम सटायर 1090
महिला सहायता लाइन 1091
पृथ्वी भूकम्प 1092
बाल शोषण सहायता 1098
किसान काल सेन्टर 1551
नागरिक काल सेन्टर 155300
ब्लड बैंक 9480044444