Friday, September 30, 2022

मां दुर्गा की मूर्ति के शेर द्वारा दूध पीने का मामला कौतूहल का विषय बना

 मां दुर्गा की मूर्ति के शेर द्वारा दूध पीने का मामला कौतूहल का विषय बना है।


जलालाबाद शामली रिपोर्टर फैसल मलिक तहसील संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स जनपद शामली।



 वीडियो सोशल मीडिया में खूब शेयर की जा रही है। जिसमें कुछ महिलाएं मां दुर्गा की मिट्टी से बनी मूर्ति के शेर को चम्मच से दूध पिलाती दिख रही हैं। वीडियो में कहा जा रहा है कि मां दुर्गा का शेर दूध पी रहा है जब यह खबर गांव में फैली तो गांव की महिलाएं शेर को दूध पिलाने के लिए पहुंचने लगी। मामला जनपद शामली के थानाभवन क्षेत्र के गांव मादलपुर का है मादलपुर में अमित पुत्र तेजा कश्यप के यहां देखने को मिला की अमित के परिवार ने नवरात्रि में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर पूजन किया अमित ने बताया कि उनकी बेटी रिया जब भोग लगा रही थी तो उसने चम्मच से दूध लेकर दुर्गा मां की मूर्ति के शेर के मुंह पर लगा दी देखते-देखते चम्मच खाली हो गई जबकि दूध की एक बूंद भी बाहर नहीं गिरी। रिया ने परिवार को इस बारे में बताया तो परिवार के लोग भी चम्मच से शेर की मूर्ति को दूध पिलाने लगे। इसके बाद धीरे-धीरे खबर पूरे गांव में फैल गई तो लोगों की भीड़ बढ़ने लगी अब वीडियो खूब सोशल मीडिया में शेयर की जा रही है। वह इस मामले में एक्सपर्ट से फोन पर बात की गई तो उनका कहना है कि मिट्टी की प्रकृति नमी को सोखने की होती है जब मिट्टी की मूर्ति को कोई द्रव्य लगाया जाता है तो वह उसे सोख लेता है। यह वैज्ञानिक तथ्य हैं इसमें चमत्कार जैसा कुछ भी नहीं। लोगों को यह समझना चाहिए लेकिन भारत में इस तरह की चमत्कारी घटनाओं की वीडियो अक्सर सामने आती रहती हैं। अब इसे  चमत्कार कहे या भ्रम लेकिन लोगों में यह वीडियो कोतूहल का विषय बनी है।

Wednesday, September 28, 2022

पानी में डूबे व्यक्ति का ईलाज

 अगर कभी कोई पानी में डूब के मर जाये और उसका शरीर 3 से 4 घंटे में मिल जाये तो उसकी जिंदगी वापस ला सकता हूँ।अगर कभी किसी को ऐसी दूर्घटना दिखे या सुनाई दे तो तुरंत हमे बताये।।। किसी की जान बच सकती है।। 

प्रशान्त त्रिपाठी

 ़919454311111 और

 ़919335673001 है

आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाये।

किसी एक की भी जान बचा सका तो अपना जीवन सफल महसूस करूँगा।।धन्यवाद

पानी में डूबे व्यक्ति का ईलाज 

डेढ़ क्विंटल डले वाला खड़ा नमक को बिस्तर जैसा बिछाकर मरीज को उस पर कपड़े कम करके लेटा दें । नमक धीरे धीरे शरीर से पानी सोख लेगा ।  मरीज के होश आने पर अस्पताल ले जाये । इससे पहले आप अस्पताल ले गये हो और डाँक्टर ने मृत घोषित कर दिया तो आप नमक वाला उपचार करें प्रभु कृपा से खुशी की लहर फैल जायेगी । 

डाँक्टर के मृत घोषित करने पर 

दाह संस्कार करने में जल्दी ना करें ।

जल्दी से जल्दी नमक का उपचार करने के लिये -



मरीज को किसी कार जीप से शहर में ले जायें जहाँ नमक की बोरिया रात में भी बाहर ही पड़ी रहती है उन्हें खाली करके मरीज को जल्दी से सुला दें । 

दुकानदार का हिराब बाद में सुबह या दिन में भी किया जा सकता है ।

नोटरू- डूबे हुए जितना कम समय हुआ होगा उतना जल्दी व्यक्ति के होश में आने की सम्भावना होती है । अतः हर कार्य युद्य स्तर से करें ।

कुछ लोग नमक लेने पहले से ही चलें जायें तो परिणाम शीघ्र मिलेगा ।

के. सी. रूपरा 

नारायणगढ़ ,मन्दसौर म. प्र. 


बिना पढ़ी लिखी पायलट

हमीरपुर जिले के बदनपुर गांव की रुफूलमती बुंदेलखंड की धरती पर वह कर रही हैं, जिसे देखकर पुरुष भी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। इतनी पढ़ी लिखी तो हैं नहीं कि पायलट बन सकें, लेकिन ऊपर वाले ने बाजुओं में वो ताकत जरूर दी है कि अपने पौरुष से सम्मानपूर्वक परिवार का पालन-पोषण कर सकें। 



पति नशेबाज व अकर्मण्य निकला तो वह प्रतिदिन हमीरपुर से बदनपुर के बीच रिक्शा चलाकर सवारियां ढोती हैं।और अपने बच्चो का पालन पोषण करती है

फूलमती देवी उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणाश्रोत है जो अपने पति की नशे की आदत से तंग आकर गलत कदम उठा लेती है 

प्रणाम इस महान महिला  को जो मेहनत करके पैसा कमा रही है। ईश्वर इन पर जल्दी कृपा करे ......!!

 

गोबर गणेश

गणेश विसर्जन (गोबर गणेश) 

यह यथार्थ है कि जितने लोग भी गणेश विसर्जन करते हैं उन्हें यह बिल्कुल पता नहीं होगा कि यह गणेश विसर्जन क्यों किया जाता है और इसका क्या लाभ है ?? 

हमारे देश में हिंदुओं की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि देखा देखी में एक परंपरा चल पड़ती है जिसके पीछे का मर्म कोई नहीं जानता लेकिन भयवश वह चलती रहती है 



आज जिस तरह गणेश जी की प्रतिमा के साथ दुराचार होता है , उसको देख कर अपने हिन्दू मतावलंबियों पर बहुत ही ज्यादा तरस आता है और दुःख भी होता है 


शास्त्रों में एकमात्र गौ के गोबर से बने हुए गणेश जी या मिट्टी से बने हुए गणेश जी की मूर्ति के विसर्जन का ही विधान है 


गोबर से गणेश एकमात्र प्रतीकात्मक है माता पार्वती द्वारा अपने शरीर के उबटन से गणेश जी को उत्पन्न करने का 


चूंकि गाय का गोबर हमारे शास्त्रों में पवित्र माना गया है इसीलिए गणेश जी का आह्वाहन गोबर की प्रतिमा बनाकर ही किया जाता है 


इसीलिए एक शब्द प्रचलन में चल पड़ा = ष्गोबर गणेशष् 


इसिलिए पूजा , यज्ञ , हवन इत्यादि करते समय गोबर के गणेश का ही विधान है जिसको बाद में नदी या पवित्र सरोवर या जलाशय में प्रवाहित करने का विधान बनाया गया 


अब आईये समझते हैं कि गणेश जी के विसर्जन का क्या कारण है ?


भगवान वेदव्यास  ने जब शास्त्रों की रचना प्रारम्भ की तो भगवान ने प्रेरणा कर प्रथम पूज्य बुद्धि निधान श्री गणेश जी को वेदव्यास जी की सहायता के लिए गणेश चतुर्थी के दिन भेजा 


वेदव्यास जी ने गणेश जी का आदर सत्कार किया और उन्हें एक आसन पर स्थापित एवं विराजमान किया 


( जैसा कि आज लोग गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की प्रतिमा को अपने घर लाते हैं ) 


वेदव्यास जी ने इसी दिन महाभारत की रचना प्रारम्भ की या ष्श्री गणेशष् किया 


वेदव्यास जी बोलते जाते थे और गणेश जी उसको लिपिबद्ध करते जाते थे लगातार दस दिन तक लिखने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन इसका उपसंहार हुआ 


भगवान की लीलाओं और गीता के रस पान करते करते गणेश जी को अष्टसात्विक भाव का आवेग हो चला था जिससे उनका पूरा शरीर गर्म हो गया था और गणेश जी अपनी स्थिति में नहीं थे 


गणेश जी के शरीर की ऊष्मा का निष्कीलन या उनके शरीर की गर्मी को शांत करने के लिए वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर गीली मिट्टी का लेप किया इसके बाद उन्होंने गणेश जी को जलाशय में स्नान करवाया , जिसे विसर्जन का नाम दिया गया 


बाल गंगाधर तिलक जी ने अच्छे उद्देश्य से यह शुरू करवाया पर उन्हें यह नहीं पता था कि इसका भविष्य बिगड़ जाएगा 


गणेश जी को घर में लाने तक तो बहुत अच्छा है , परंतु विसर्जन के दिन उनकी प्रतिमा के साथ जो दुर्गति होती है वह असहनीय बन जाती है 


आजकल गणेश जी की प्रतिमा गोबर की न बना कर लोग अपने रुतबे , पैसे , दिखावे और अखबार में नाम छापने से बनाते हैं 


जिसके जितने बड़े गणेश जी , उसकी उतनी बड़ी ख्याति , उसके पंडाल में उतने ही बड़े लोग , और चढ़ावे का तांता

इसके बाद यश और नाम अखबारों में अलग 


सबसे ज्यादा दुःख तब होता है जब पब्लिक को आकर्षित करने के लिए लोग डीजे पर फिल्मी अश्लील गाने और नचनियाँ को नचवाते हैं 


आप विचार करके हृदय पर हाथ रखकर बतायें कि क्या यही उद्देश्य है गणेश चतुर्थी या अनंत चतुर्दशी का ?? क्या गणेश जी का यह सम्मान है ?? 


इसके बाद विसर्जन के दिन बड़े ही अभद्र तरीके से प्रतिमा की दुर्गति की जाती है 


वेदव्यास जी का तो एक कारण था विसर्जन करने का लेकिन हम लोग क्यों करते हैं यह बुद्धि से परे है 


क्या हम भी वेदव्यास जी के समकक्ष हो गए ??? क्या हमने भी गणेश जी से कुछ लिखवाया ? 


क्या हम गणेश जी के अष्टसात्विक भाव को शांत करने की हैसियत रखते हैं ??


गोबर गणेश मात्र अंगुष्ठ के बराबर बनाया जाता है और होना चाहिए , इससे बड़ी प्रतिमा या अन्य पदार्थ से बनी प्रतिमा के विसर्जन का शास्त्रों में निषेध है 


और एक बात और गणेश जी का विसर्जन बिल्कुल शास्त्रीय नहीं है 


यह मात्र अपने स्वांत सुखाय के लिए बिना इसके पीछे का मर्म, अर्थ और अभिप्राय समझे लोगों ने बना दिया 


एकमात्र हवन , यज्ञ , अग्निहोत्र के समय बनने वाले गोबर गणेश का ही विसर्जन शास्त्रीय विधान के अंतर्गत आता है 

प्लास्टर ऑफ पैरिस से बने , चॉकलेट से बने , केमिकल पेंट, से बने गणेश प्रतिमा का विसर्जन एकमात्र अपने भविष्य और उन्नति के विसर्जन का मार्ग है 


इससे केवल प्रकृति के वातावरण , जलाशय , जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र , भूमि , हवा , मृदा इत्यादि को नुकसान पहुँचता है 


इस गणेश विसर्जन से किसी को एक अंश भी लाभ नहीं होने वाला 


हाँ बाजारीकरण , सेल्फी पुरुष , सेल्फी स्त्रियों को अवश्य लाभ मिलता है लेकिन इससे आत्मिक उन्नति कभी नहीं मिलेगी


इसीलिए गणेश विसर्जन को रोकना ही एकमात्र शास्त्र अनुरूप है 


चलिए माना कि आप अज्ञानतावश डर रहे हैं कि इतनी प्रख्यात परंपरा हम कैसे तोड़ दें तो करिए विसर्जन  लेकिन गोबर के गणेश को बनाकर विसर्जन करिए और उनकी प्रतिमा 1 अंगुष्ठ से बड़ी नहीं होनी चाहिए 

 

मुझे पता है मेरे इस पोस्ट से कुछ कट्टर झट्टर बनने वालों को ठेस लगेगी और वह मुझे हिन्दू विरोधी घोषित कर देंगे 


बाकी का - सोई करहुँ जो तोहीं सुहाई 


तस्वीर मे जो मुर्तियों की दुर्दशा दिख रही है ये हर साल होती है 

इस साल भी आज से दुर्दशा चालू हो चुकी है।