Saturday, September 19, 2020

"   आप ही के अंदर शक्तियों का महावृक्ष है "




सफलता प्राप्त करने के लिए जबरदस्त सतत प्रयत्न और जबरदस्त इच्छा रखो आप, अपने आप में विश्वास रखिए जब भी विचलित हो आप तो यह शब्द जरूर बोलो कि मैं समुंद्र पी जाऊंगा मेरी इच्छा से पर्वत टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। इस प्रकार की शक्ति और इच्छा आप रखो, इसके साथ ही कड़ा परिश्रम करो। देखना आप अपने उद्देश्य को एक दिन निश्चित पा लोगे।

याद रखना आप मेरी बात को आपके भीतर सभी शक्तियां निहित है, आप में ही महान से महानतम बनने के बीज आप के अंतः करण में मौजूद है। लेकिन दोस्त जब तक हम इन शक्तियों को विकसित नहीं करेंगे तब तक आप ही सोचो आपको जीवन का आनंद कैसे प्राप्त होगा?

आज चारों तरफ देखे तो अधिकतर लोग थोड़ी सी किसी ने आलोचना किया और वह परेशान हो जाते हैं, जबकि भाइयों हर जानदार तथा शानदार व्यक्ति की आलोचना होती है। यह सच है कि अधिकतर लोग उससे ईर्ष्या  भी करते हैं । एक बात अपने दिल में उतार लो कि आलोचना एवं ईर्ष्या इस बात की द्योतक है कि आप जीवित हैं, आप में दम है तथा आपका जीवन सार्थक है। सही आलोचना से आप हमेशा सीखो तथा अपने आपको बदलो एवं इसके साथ ही गलत आलोचनाओं से परेशान आप जरा भी ना होना। उन्हें मुस्कुरा कर हवा में उड़ा दो, अपने दिल पर इसका असर ना होने दो कि मेरा उसने आलोचना किया। अपनी आंतरिक शक्तियों के माध्यम से आलोचनाओं के बाहरी आक्रमण को ध्वस्त कर दीजिए। अपने चेहरे पर तनाव नहीं मुस्कान हमेशा रखिए। आपका जीवन ईश्वर द्वारा दिया हुआ एक अनमोल उपहार है, इसे कमजोर मत होने देना, आज से ही आशा उत्साह प्रेरणा एवं शक्ति को अपने जीवन में स्थान दीजिए तथा बन जाइए अपने जहाज के कप्तान स्वयं साथियों ।

यह आप भी जानते हैं कि बीज से अंकुर तभी फूटता है, जब वह फटता है और बाद में यही अंकुर एक दिन एक बड़ा पेड़ बन जाता है। इसीलिए हम कह रहे हैं कि हमें अपने गुणों के विकास में सहायक अवसरों को बराबर खोजते रहना चाहिए। विकास का अर्थ ही होता है कि लगातार बढ़ते चले जाना और अपने साथ समाज के वंचित लोगों को भी आगे बढ़ाते चलना। याद रखना कैसा भी भय ,कैसा भी लोभ , कैसी भी चिंता यदि आपके बढ़ते कदमों को नहीं रोक पाती तो समझ लेना कि आपकी प्रगति भी नहीं रुक सकती आप एक दिन सफल होकर ही रहेंगे। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि आप अपने सुप्त शक्तियों को जगा दो अपने आपको और अपनी शक्ति को पहचानो, जो अपनी शक्तियों को पहचान लेता है, वही एक दिन सफलता के शिखर पर पहुंचता है, बाकी लोग तो केवल समय पूरा करने के लिए इस धरती पर आते हैं और गुमनामी की मौत मर कर भुला दिए जाते हैं ।

 

कवि विक्रम क्रांतिकारी


 

 




बहु भी मुस्कुराना चाहती है




बहु भी किसी की बेटी है,

फिर क्यों इतना कष्ट पाती है।

छोड़कर आई है बहु,अपने पूरे घर को,

बहु भी मुस्कुराना चाहती है।।

 

अपने माँ बाप की प्यारी बेटी,

बहु बनकर ससुराल आती है।

बहु को दें बेटी का दर्जा,

बहु भी मुस्कुराना चाहती है।।

 

बेटी,बहु और कभी माँ बनकर

अपने सब फर्ज़ निभाती है।

सबके सुख-दुख को सहकर,

बहु भी मुस्कुराना चाहती है।।

 

बहु के बारे में क्या कहूँ, 

पूरे घर आंगन में खुशियां लाती है।

सास-ससुर की सेवा करके,

बहु भी मुस्कुराना चाहती है।।

 

सबका रखे ध्यान और ख्याल,

अंत में खाना खाती है।।

ससुराल में बेटी बनकर,

बहु भी मुस्कुराना चाहती है।।

 

दहेज प्रताड़ना दे देकर,

बहुएं जिंदा जलाई जाती है।

समर्पण की भावना अपनाकर,

बहु भी मुस्कुराना चाहती है।।

 

माँ लक्ष्मी, दुर्गा रूप में,

देवी रूपी बहु सबके मन को भाती है।

ज़रा "बेटी" उसे कह कर पुकारो,

बहु भी मुस्कुराना चाहती है।।



गोपाल कृष्ण पटेल "जी1"
दीनदयाल कॉलोनी
जांजगीर छत्तीसगढ़


 

 




कभी तो

तुम ख्वाहिश हो मेरी 

कभी तो मुझे मिला करो।

तुम दुआ हो मेरी 

कभी तो कबूल हुआ करो।

तुम मोहब्बत हो मेरी

कभी तो पूरी हुआ करो।

तुम जहान हो मेरा

कभी तो मुझ पर 

मर मिटा करो।

तुम धड़कन हो मेरी

कभी तो मेरे

दहकते दिल में धड़का करो।

तुम सांस हो मेरी 

कभी तो जीने की 

ख्वाहिश से

मुझ में आया करो।

तुम इश्क हो मेरा

कभी तो तुम

मोहब्बत के बहाने 

मेरे शहर में आया करो।

तुम चाहत हो मेरी

कभी तो मेरे 

अनाहत द्वार को छुआ करो।

युवा वर्ग के लिए चुनौती एवं संदेश 






केंद्र सरकार ने नौकरियों में भरती की जिस नई प्रवेश परीक्षा और प्रक्रिया की योजना पेश की है, उसके भीतर दूरगामी संभावनाएं छिपी हुई हैं। यह एक प्रकार की सामाजिक क्रांति को जन्म दे सकती है, बशर्ते इसे सावधानी से लागू किया जाए। यह प्रक्रिया ग्रामीण क्षेत्र के युवकों को मुख्यधारा में आने का मौका देगी, लड़कियों को महत्वपूर्ण सरकारी सेवाओं से जोड़ेगी और भारतीय भाषाओं के माध्यम से सरकारी सेवाओं में आने के इच्छुक नौजवानों को आगे आने का अवसर देगी। इन सब बातों के अलावा प्रत्याशियों और सेवायोजकों दोनों के समय और साधनों का अपव्यय भी रुकेगा।

केंद्र सरकार ने गत 19 अगस्त को फैसला किया है कि सरकारी क्षेत्र की तमाम नौकरियों में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय भरती एजेंसी का गठन किया जाएगा। इस आशय की जानकारियाँ प्रधानमंत्री कार्यालय से सम्बद्ध तथा कार्मिक, सार्वजनिक शिकायतों और पेंशन विभागों के राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार की नौकरियों की भरती में परिवर्तनकारी सुधार लाने हेतु राष्ट्रीय भरती एजेंसी (नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी-एनआरए) के गठन को मंज़ूरी दे दी है।

हर वर्ष सरकारी सेवाओं और बैंकों की नौकरी के लिए ढाई से तीन करोड़ प्रत्याशी परीक्षा में बैठते हैं। सीएटी में एकबार बैठने के बाद व्यक्ति भरती करने वाली दूसरी एजेंसियों की उच्चतर परीक्षा में बैठने का अधिकारी हो जाएगा। इस टेस्ट का पाठ्यक्रम समान होगा। प्रत्याशी एक सामान्य पोर्टल पर जाकर अपना नाम पंजीकृत करा सकेंगे और उपलब्ध परीक्षा केंद्रों में से अपनी इच्छा का केंद्र तय कर सकेंगे। उपलब्धि के आधार पर उन्हें केंद्र आबंटित किया जाएगा। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद अलग-अलग परीक्षाओं के लिए फीस पर पैसा बर्बाद नहीं होगा। साथ ही जगह-जगह की यात्रा पर समय और साधनों का व्यय भी नहीं होगा। इन परीक्षाओं की बहुलता के कारण महिला प्रत्याशियों को खासतौर से परेशानियों का सामना करना होता है।

एनआरए की यह परीक्षा (सीईटी) पहले चरण में 12 भारतीय भाषाओं में आयोजित की जाएगी। इसके बाद दूसरी भाषाओं में भी इसे शुरू किया जा सकेगा। हालांकि अभी यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि कौन सी भाषाओं में यह परीक्षा होगी, पर इतना स्पष्ट किया गया है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित भाषाओं में से 12 होंगी। कई मायनों में यह बड़ी महत्वाकांक्षी योजना है, जो राष्ट्रीय एकीकरण में भी सहायक होगी। भारत के इतिहास, भूगोल, संस्कृति और समाज से जुड़े सामान्य ज्ञान का समान पाठ्यक्रम भी सांस्कृतिक एकता की स्थापना में महत्वपूर्ण साबित होगा।

कार्मिक तथा प्रशिक्षण मंत्रालय के सचिव सी चंद्रमौलि के अनुसार सामान्यतः ढाई से तीन करोड़ युवा हर साल करीब सवा लाख सरकारी नौकरियों से जुड़ी परीक्षाओं में शामिल होते हैं। ये परीक्षाएं एक तरह से नागरिक के रूप में हमारा ज्ञानवर्धन करती हैं। भारतीय भाषाओं के मार्फत करीब ढाई-तीन करोड़ नौजवानों का एक ही परीक्षा में शामिल होना एक नए प्रकार की ऊर्जा को जन्म देगा। देश के हर जिले में इसका परीक्षा केंद्र होगा।

इस सिलसिले में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि क्या सरकारी नौकरियाँ इतनी हैं कि यह परीक्षा आकर्षक बनी रह सके? यह भी कहा जा रहा है कि रेलवे का निजीकरण हो रहा है। ये बातें सही हैं, पर सही यह भी है कि रेलवे का कार्यक्षेत्र बढ़ रहा है। उसके लिए कर्मचारियों की जरूरत कम होने के बजाय बढ़ेगी। उम्मीद है कि एनआरए की सीईटी का स्कोर निजी क्षेत्र की कंपनियों के काम भी आएगा, जैसे कि कैट का स्कोर निजी क्षेत्र के प्रबंध संस्थानों में भी स्वीकार किया जाता है।

अभी सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को समान शर्तों वाले विभिन्न पदों के लिए अलग-अलग भरती एजेंसियों द्वारा संचालित अलग-अलग परीक्षाओं में शामिल होना पड़ता है। इतना ही नहीं उन्हें प्रत्येक परीक्षा के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम के अनुसार अलग-अलग पाठ्यक्रमों की तैयारियाँ करनी होती हैं। इसके कारण उन्हें अलग-अलग एजेंसियों को अलग-अलग शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। साथ ही परीक्षा में हिस्सा लेने के लिए लंबी दूरी भी तय करनी पड़ती है।  इससे उनपर आर्थिक बोझ पड़ता है।

अलग-अलग भरती परीक्षाएँ आयोजन करने वाली एजेंसियों पर भी काम का बोझ बढ़ता है। बार-बार होने वाला खर्च, सुरक्षा व्यवस्था और परीक्षा केंद्रों से जुड़ी तमाम बातें संसाधनों के अपव्यय की कहानी कहती हैं। वर्तमान प्रक्रिया के कारण भरती की गति भी बहुत धीमी होती है। इस नई व्यवस्था से यह गति तेज हो जाएगी। इससे एक तरफ बेरोजगारी की समस्या दूर होगी, वहीं सरकारी कामकाज में गति आएगी। बहुत से सरकारी विभागों ने कहा है कि हम दूसरे चरण की परीक्षा लेंगे ही नहीं और एनआरए के स्कोर के आधार पर ही भरती कर लेंगे। भारत के रक्षा क्षेत्र में विस्तार का जबर्दस्त कार्यक्रम शुरू होने वाला है। इसके लिए हरेक स्तर की भरती होगी। बहुत से विभागों में पिछले कई वर्षों से भरती नहीं हुई है। उन पदों को भरने की प्रक्रिया तेज की जा सकती है। कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ गई है, उसे गति प्रदान करने में भी इस नई प्रक्रिया का काफी लाभ मिलेगा, बशर्ते उसका समय से इस्तेमाल किया जा सके।

 

प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"

शोध प्रशिक्षक एवं साहित्यकार

लखनऊ, उत्तर प्रदेश