Tuesday, November 5, 2024

उतना ही लो थाली में, व्यर्थ न जाए नाली मे

 खाना है बचा लो….

मैं उस दिन भी एक शादी में बाउंसर के रूप में मौजूद था। आजकल का चलन हो गया है कि शादियों में हम बाउंसरों को काम दिया जाने लगा है, हम शादी में अव्यवस्था होने से रोकते हैं, मेरे साथ मेरे तीन साथी और थे उसी शादी में। मैं टीम लीडर हूँ।

मैं काफी देर से अपनी वैन में बैठा ड्रोन के ज़रिए , शादी की गहमा गहमी देख रहा था। मैं लड़की वालों की तरफ से इंगेज किया गया था। मुझे एक अधेड़ से दिखने वाले आदमी की कुछ अजीब बातें दिखाईं दीं।

पहली बात तो उसने जो खाना खाया, वो अपनी प्लेट में एक एक चीज ले जा रहा था, उन्हें खाकर ही फिर से आ रहा था। उसने खाना खत्म किया।

वो काफ़ी देर तक खाने की कैटरिंग की कतार को देखता रहा। फिर वो कैटरिंग के लोगों को जा जाकर निर्देष देने लगा। फिर उसने खुद एक स्टाल पर खड़े होकर कमान संभाल ली। मुझे कुछ अजीब लग रहा था, मुझे लग रहा था ये कुछ ज्यादा ही केयरिंग हो रहा है कहीं कोई खाने का खोमचा गायब न कर दे। मैंने अपने एक साथी को वैन में बुलाया और मैं उसकी जगह शादी के टेंट में आ गया। मैं घूमते हुए उस आदमी के पास पहुँचा, उसका अभिवादन किया और फिर उसे इशारे से बुलाया।

वो मेरे पास आ गया, मैंने उससे कहा आपसे बात करनी है जरा मेरे साथ आइए। वो मेरे साथ हो लिया। मैं उसे अपनी वैन के पास ले आया, वहाँ ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं थी। "मैं काफी देर से आपको वॉच कर रहा हूँ, आप कैटरिंग स्टाल पर क्या कर रहे थे, आप शादी में आये हुए मेहमान लग रहे हैं घराती तो हैं नहीं, आखिर इरादा क्या है आपका ?"मैंने कहा, पर कहने में सख्ती थी । मेरी बात सुनकर वो हँसने लगा, फिर संजीदा हुआ, मुझे अजीब लगा उसका व्यवहार। 

"चार महीने पहले मेरी बेटी की भी शादी थी।" उसने ठंडी आह भरी।"मेरे यहाँ दो हज़ार लोगों का खाना बना था । हम सही से मैनेज नहीं कर पाए, लोग भी ज्यादा आ गए । बहुत सा खाना वेस्ट कर दिया गया, लोगों ने खाया कम थालियों में छोड़ा ज्यादा । बारात नाचने गाने में लेट हो गई और बारात जब तक खाने पर आती बहुत से खाने के आईटम कम पड़ गए । मेरे समधी नाराज हो गए , बारात के खाने को लेकर बेटी को जब तब ताने मिलते हैं।"

ये कहते हुए उसकी आँखें भीग गईं और गला भर्रा गया , " मैं सोचता हूँ कि मेरे यहाँ खाने के मामले में सही कंट्रोल और निगरानी रख ली जाती तो मेरी जो इज्जत गई वो बच जाती । अब मेरी कोशिश रहती है कि जिस किसी भी शादी में जाता हूँ , वहाँ खाने को बेमतलब वेस्ट न करके बचाया जाए । इससे न केवल खाना बचेगा बल्कि किसी की इज्जत बची रहेगी , तो सोचता हूँ भाई 'खाना है बचा लो..' अब जाऊँ मैं ? आपकी इजाजत हो तो थोड़ा खाने की स्टाल पर निगरानी रख लूँ।" कहकर वो वहाँ से चला गया ।

मुझे लग रहा था हम चार के अलावा एक पाँचवां बाउंसर और भी है, काश उस जैसे पचास आदमी और हों तो सौ जनों का खाना बचाया जा सकता है। मैंने उसके पीठ पीछे उसके लिए ताली बजाई और फिर से वैन में बैठकर ड्रोन उड़ाने लगा।

उतना ही लो थाली में, व्यर्थ न जाए नाली मे।

जो प्राप्त है-पर्याप्त है

जिसका मन मस्त है

उसके पास समस्त है!!

आपका हर पल मंगलमय हो।

Sunday, November 3, 2024

गोवर्धन

गोवर्धन पूजा का पर्व बहुत शुभ माना जाता है। इसे अन्नकूट पूजन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो इंद्र देव पर भगवान कृष्ण की जीत का प्रतीक है। इस साल गोवर्धन पूजा २ नवंबर को यानी आज मनाई जा रही है।
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के रूप में भी जाना जाता है जिसमें श्री गिरिधर गोपालजी को ५६ प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। यह पर्व दीपावली के एक दिन बाद मनाया जाता है। कूट का अर्थ होता है पर्वत। अन्नकूट का अर्थ है अन्न का पर्वत।
🌿🌼 भगवान् कृष्ण को छप्पन भोग क्यों लगाते हैं ?
बालकृष्णकी अष्टयाम सेवाका विधान है, इसके अन्तर्गत उन्हें आठ बार भोग भी लगाया जाता है। भगवान् श्रीकृष्णको ५६ प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसे ५६ भोग कहा जाता है। बालगोपालको लगाये जानेवाले इस भोगकी बड़ी महिमा है। भगवान् श्रीकृष्णको अर्पित किये जानेवाले ५६ भोगके सम्बन्धमें कई रोचक कथाएँ हैं।
🌿🌼 १. एक कथा के अनुसार माता यशोदा बालकृष्णको एक दिनमें अष्ट प्रहर भोजन कराती थीं। एक बार जब इन्द्रके प्रकोपसे सारे व्रजको बचानेके लिये भगवान् श्रीकृष्णने गोवर्धन पर्वतको उठाया था, तब लगातार ७ दिन तक भगवान्ने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया।
८वें दिन जब भगवान्ने देखा कि अब इन्द्रकी वर्षा बन्द हो गयी है, तब सभी व्रजवासियोंको गोवर्धन पर्वतसे बाहर निकल जानेको कहा, तब दिनमें ८ प्रहर भोजन करनेवाले बालकृष्णको लगातार ७ दिनतक भूखा रहना उनके व्रजवासियों और मैया यशोदाके लिये बड़ा कष्टप्रद हुआ। तब भगवान्‌के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धाभक्ति दिखाते हुए सभी व्रजवासियोंसहित यशोदा माताने ७ दिन और अष्ट प्रहरके हिसाबसे ७०८-५६ व्यंजनोंका भोग बालगोपालको लगाया।
🌿🌼 २. एक अन्य मान्यताके अनुसार ऐसा कहा जाता है कि गोलोकमें भगवान् श्रीकृष्ण राधिकाजीके साथ एक दिव्य कमलपर विराजते हैं। उस कमलकी ३ परतें होती हैं। इसके तहत प्रथम परतमें ८, दूसरीमें १६ और तीसरीमें ३२ पंखुड़ियाँ होती हैं। इस प्रत्येक पंखुड़ीपर एक प्रमुख सखी और मध्यमें भगवान् विराजते हैं, इस तरह कुल पंखुड़ियोंकी संख्या ५६ होती हैं। यहाँ ५६ संख्याका यही अर्थ है। अतः ५६ भोगसे भगवान् श्रीकृष्ण अपनी सखियोंसंग तृप्त होते हैं।
🌿🌼 ३. एक अन्य श्रीमद्भागवत कथाके अनुसार गोपिकाओंने श्रीकृष्णको पतिरूपमें पानेके लिये १ माह तक यमुनामें भोरमें ही न केवल स्नान किया, अपितु कात्यायिनी माँकी पूजा-अर्चना की, ताकि उनकी यह मनोकामना पूर्ण हो। तब श्रीकृष्णने उनकी मनोकामना- पूर्तिकी सहमति दे दी। तब व्रत-समाप्ति और मनोकामना पूर्ण होनेके उपलक्ष्यमें ही उद्यापनस्वरूप गोपिकाओंने ५६ भोगका आयोजन करके भगवान् श्रीकृष्णको भेंट किया।
छप्पन भोग (भगवान्‌ को चढ़ाये जानेवाले व्यंजनोंके नाम) हिन्दू धर्म में भगवान्‌ को छप्पन भोगका प्रसाद चढ़ाने की बड़ी महिमा है। भगवान्‌को लगाये जानेवाले भोगके लिये ५६ प्रकारके व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसे छप्पन भोग कहा जाता है।
छप्पन भोग में परिगणित व्यंजनोंके नाम इस प्रकार हैं-
१-भक्त (भात), २-सूप (दाल), ३-प्रलेह (चटनी), ४-सदिका (कढ़ी), ५-दधिशाकजा (दही- शाककी कढ़ी), ६-शिखरिणी (सिखरन), ७-अवलेह (लपसी), ८-बालका (बाटी), ९-इक्षु खेरिमी (मुरब्बा), १०-त्रिकोण (शर्करायुक्त), ११-बटक (बड़ा), १२- मधुशीर्षक (मठरी), १३-फेणिका (फेनी), १४-परिष्टश्च (पूरी), १५-शतपत्र (खाजा), १६-सधिद्रक (घेवर), १७-चक्राम (मालपूआ), १८-चिल्डिका (चिल्ला), १९-सुधाकुंडलिका (जलेबी), २०-घृतपूर (मेसू), २१- वायुपूर (रसगुल्ला), २२-चन्द्रकला (पगी हुई), २३- दधि (दहीरायता), २४-स्थूली (थूली), २५-कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी), २६-खंड मंडल (खुरमा), २७-गोधूम (गेहूँका दलिया), २८-परिखा, २९-सुफलाढ्या (सौंफयुक्त), ३०-दधिरूप (बिलसारू), ३१-मोदक (लड्डू), ३२-शाक (साग), ३३-सौधान (अधानौ अचार), ३४-मंडका (मोठ), ३५-पायस (खीर), ३६ दधि (दही), ३७-गोघृत (गायका घी), ३८- हैयंगवीनम (मक्खन), ३९-मंडूरी (मलाई), ४०-कूपिका (रबड़ी), ४१-पर्पट (पापड़), ४२-शक्तिका (सीरा), ४३ लसिका (लस्सी), ४४-सुवत, ४५-संधाय (मोहन), ४६-सुफला (सुपारी), ४७-सिता (इलायची), ४८- फल, ४९-ताम्बूल, ५०-मोहनभोग, ५१-लवण, ५२- कषाय, ५३-मधुर, ५४-तिक्त, ५५-कटु, ५६-अम्ल।
आज हमें भी गिरिधरनागरजी की कृपा से गोवर्धन पूजन और अन्नकूट की सेवा का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
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Sunday, October 20, 2024

एक बेटी को पिता द्वारा दी गयी सीख

 *विवाह के बाद पहली बार मायके आयी बेटी का स्वागत सप्ताह भर चला।*

*सप्ताह भर बेटी को जो पसन्द है, वही सब किया गया।वापिस ससुराल जाते समय पिता ने बेटी को एक अति सुगंधित अगरबत्ती का पुडा दिया और कहा की-बेटी, तुम जब ससुराल में पूजा करने जाओगी,तब यह अगरबत्ती जरूर जलाना*
*माँ ने कहा-*
*बिटिया प्रथम बार मायके से ससुराल जा*रही है,तो भला कोई अगरबत्ती* *जैसी चीज देता है?*
*पिता ने झट से जेब मे हाथ डाला और जेब मे जितने भी रुपये थे,वो सब बेटी को दे दिए*
*ससुराल में पहुंचते ही सासु माँ ने बहु के माता-पिता ने बेटी को बिदाई में क्या दिया,यह देखा तो वह अगरबत्ती का पुडा भी दिखा। सासु माँ ने मुंह बना कर बहु को बोला कि-कल पूजा में यह अगरबत्ती लगा लेना*
*सुबह जब बेटी पूजा करने बैठी, अगरबत्ती का पुडा खोला तो उसमे से एक चिट्ठी निकली*
*लिखा था...*
*"बेटा यह अगरबत्ती स्वतः जलती है,मगर संपूर्ण घर को सुगंधित कर देती है।इतना ही नही, आजू-बाजू के पूरे वातावरण को भी अपनी महक से सुगंधित एवम प्रफुल्लित कर देती है...!!*
*हो सकता है की तुम कभी पति से कुछ समय के लिए रुठ जाओगी या कभी अपने सास-ससुरजी से नाराज हो जाओगी,कभी देवर या ननद से भी रूठोगी, कभी तुम्हे किसी से बाते सुननी भी पड़ जाए, या फिर कभी अडोस-पड़ोसियों के वर्तन पर तुम्हारा दिल खट्टा हो जाये, तब तुम मेरी यह भेंट ध्यान में रखना*
*अगरबत्ती की तरह जलना, जैसे अगरबत्ती स्वयं जलते हुए पूरे घर और सम्पूर्ण परिसर को सुगंधित और प्रफुल्लित कर ऊर्जा से भरती है, ठीक उसी तरह तुम स्वतः सहन करते हुए ससुराल को अपना मायका समझ कर सब को अपने व्यवहार और कर्म से सुगंधित और प्रफुल्लित करना...*
*बेटी चिट्ठी पढ़कर फफक कर रोने लगी,सासू मां लपककर आयी, पति और ससुरजी भी पूजा घर मे पहुंचे जहां बहु रो रही थी।*
*"अरे हाथ को चटका लग गया क्या?, ऐसा पति ने पूछा।*
*"क्या हुआ यह तो बताओ, ससुरजी बोले।*
*सासु माँ आजु बाजु के सामान में कुछ है,क्या यह देखने लगी*
*तो उन्हें पिता द्वारा सुंदर अक्षरों में लिखी हुई चिठ्ठी नजर आयी, चिट्ठी पढ़ते ही उन्होंने बहु को गले से लगा लिया और चिट्ठी ससुरजी के हाथों में दी।चश्मा ना पहने होने की वजह से चिट्ठी बेटे को देकर पढ़ने के लिए कहा।*
*सारी बात समझते ही संपूर्ण घर स्तब्ध हो गया।*
*"सासु माँ बोली अरे, यह चिठ्ठी फ्रेम करानी है।यह मेरी बहु को मिली हुई सबसे अनमोल भेंट है, पूजा घर के बाजू में में ही इसकी फ्रेम होनी चाहिए,*
*और फिर सदैव वह फ्रेम अपने शब्दों से, सम्पूर्ण घर, और अगल-बगल के वातावरण को अपने अर्थ से महकाती रही, अगरबत्ती का पुडा खत्म होने के बावजूद भी...*
*क्या आप भी ऐसे संस्कार अपनी बेटी को देना चाहेंगे ...
अगर ठीक लगे तो अपने किसी अजीज को भेजिये ताकि किसी का घर सुगंधित हो सके ।
*सभी माता पिता ओर पूर्वजो को समर्पित*

Friday, October 18, 2024

आप किचेन गार्डन में उगा सकते हैं छह मसाले वाले पौधे



दैनिक उपयोग के कुछ मसालों को आप अपने किचन गार्डन में भी उगा सकते हैं। आप घर की छत, बालकनी यहां तक कि अपने रसोई घर की खिड़की तक में मसाला गार्डन बना सकते हैं। मिट्टी के गमले के अलावा पुराने डिब्बों और लकड़ी के बॉक्स में भी मसाले उगाना आसान है।
पुदीने के डंठल क्यारी, गमले, कहीं भी बोए जा सकते हैं। जड़ों की बढ़त के लिए तने को पानी में डालें और फिर इसे लगा दें। इसके लिए छायादार जगह जरूरी है। इसे नियमित पानी देना चाहिए और गमले में पानी की निकासी ठीक रहना चाहिए। पौधों की कटाई करते रहें। इसके लिए पुदीने का नियमित उपयोग करते रहें।
हल्दी उगाने के लिए इसकी गांठ बोई जा सकती है। इसके लिए ऐसा स्थान होना चाहिए, जहां धूप अधिक न आती हो। कुछ दिनों के बाद पत्तियां निकलने लगेंगी और गांठें अंदर ही अंदर फैलने लगेंगी। 7-8 महीनों के बाद आप मिट्‌टी खोदकर इन गांठों को निकाल लें। अब इनका उपयोग कर सकते हैं।
मसालों में मिर्च को उगाना सबसे आसान है। इसे आप मीडियम साइज के गमले में उगा सकते हैं। पौधों की बढ़त के दौरान यह ध्यान देना जरूरी है कि इसे हमेशा छायादार स्थान पर रखना है।
यह एक उपोष्णकटिबंधीय पौधा है। इसकी पत्तियों और बीजों का भोजन में इस्तेमाल किया जाता है। इसके पौधों को ज्यादा रखरखाव की जरूरत नहीं है- इसके लिए बस अच्छी उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता है। इसे उसी तरह से उगाएं, जो प्रक्रिया धनिया उगाने की है।
यदि अदरक उगाना चाह रहे हैं तो इनकी गांठों को काट लें। फिर गमले, क्यारी या खोके में सुविधानुसार बो दें। कुछ दिनों में ही पत्तियां निकलने लगेंगी और गांठें अंदर ही अंदर फैलने लगेंगी। इन गांठों को बाहर निकालकर धोने के बाद भोजन में स्वाद के लिए उपयोग में ला सकते हैं। इन्हें सुखाकर सौंठ पाउडर भी बनाया जा सकता है।
हरा धनिया या कोथमीर उगाने के लिए इसके बीजों को गर्म पानी में रातभर भिगाकर रखें। अब 5-6 इंच गहराई की एक ट्रे या कंटेनर लें और इसे तीन-चौथाई हल्की रेतीली मिट्टी और एक भाग गोबर की सड़ी हुई खाद से भर दें। फिर रातभर भिगोकर रखे गए बीजों को हाथ से मसलकर मिट्टी पर बुरक दें। फिर ऊपर थोड़ी मिट्टी डालकर बीज को ढक दें। इसके बाद पानी का छिड़काव करें और कुछ समय पौधों को धूप में रखें। एक सप्ताह के भीतर इनमें अंकुर दिखाई देने लगेंगे।