Monday, July 29, 2024

शिवलिंग व जल अर्पण

शास्त्रों में कहा गया है कि शिव कृपा पाने के लिए पूरे नियम से शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए क्योंकि जल धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और नियम से इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 


किस दिशा की ओर चढ़ाएं जल-: 

* शिवलिंग पर जल उत्तर दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाएं क्योंकि उत्तर दिशा को शिव जी का बायां अंग माना जाता है जो माता पार्वती को समर्पित है। इस दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। 


कौन से पात्र से अर्पित करें जल-: 

* शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय सबसे ज्यादा ध्यान में रखने वाली बात ये है कि आप किस पात्र से जल अर्पित करें। जल चढ़ाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चांदी और कांसे के माने जाते हैं। स्टील के पात्र से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। जल अर्पण के लिए सर्वोत्तम पात्र तांबे का है। इसलिए इसी पात्र से जल चढ़ाना उत्तम है। लेकिन तांबे के पात्र से शिव जी को दूध न चढ़ाएं क्योंकि तांबे में दूध विष के समान बन जाता है।  


कभी भी शिवलिंग पर तेजी से जल नहीं चढ़ाना चाहिए-: 

* शास्त्रों में भी बताया गया है कि शिव जी को जल धारा अत्यंत प्रिय है। इसलिए जल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि जल के पात्र से धार बनाते हुए धीरे से जल अर्पित करें। पतली जल धार शिवलिंग पर चढाना ज्यादा उचित रहता है।


बैठकर चढ़ाएं जल-: 

* हमेशा शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ध्यान रखें कि बैठकर ही जल अर्पित करें। यहां तक कि रुद्राभिषेक करते समय भी खड़े नहीं होना चाहिए। खड़े होकर जल चढ़ाने पर शिवजी के ऊपर जल गिरने के बाद हमारे पैरों में उसके छींटें लगते हैं जो सही नहीं है।


जल के साथ कुछ और न मिलाएं-: 

* कभी भी शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए जल के पात्र में कोई अन्य सामग्री न मिलाएं। कोई भी सामग्री जैसे पुष्प, अक्षत या रोली जल में मिलाने से उनकी पवित्रता ख़त्म हो जाती है। इसलिए भगवान शिव की कृपा दृष्टि पाने के लिए हमेशा जल को अकेले ही चढ़ाना चाहिए। लेकिन जल में कुछ बूंदे नमर्दा या गंगा आदि पवित्र नदियों की जरूर मिलानी चाहिए।


* वस्तु अर्पित करने के बाद जल चढ़ाएं-:*

* आप यदि भगवान शिव को शहद, दूध, दही या किसी प्रकार का रस अर्पित करते हैं तो वह जल में ना मिलाएं।कोई भी वस्तु भगवान को अलग से चढ़ाएं फिर उसके बाद में जल अर्पित करें।


शुद्ध देसी गाय का दूध ही काम लें-: 

* शिवलिंग पर केवल शुद्ध देसी भारतीय गाय का कच्चा दूध ही चढ़ाना चाहिए, अन्य प्रकार का दूध बिल्कुल भी ना चढ़ाएं।  

                   

Saturday, July 27, 2024

पीपल

           देव वृक्ष 


सनातन धर्म में माना जाता है कि प्रकृति के कण-कण में भगवान वास करते हैं और पेड़-पौधे प्रकृति का ही एक अंश हैं। पेड़-पौधों के पूजने की प्रक्रिया सनातन धर्म में सदियों पहले से चली आ रही है। पेड़-पौधों का पूजन करके मनुष्य प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है। वैसे तो धरती पर सभी पेड़ पौधे वनस्पतियां किसी ने किसी रूप में प्रकृति व जीव जगत के लिए लाभकारी व कल्याणकारी है। लेकिन उनमें से भी कुछ ऐसे पौधे हैं जो जीव जगत के लिए विशेष लाभकारी व अतिआवश्यक है। और हमारी संस्कृति में कुछ पेड़-पौधों को शास्त्रों में देव वृक्ष की उपाधियां प्राप्त है।शास्त्र मान्यताओं के अनुसार इन वृक्षों का पूजन करने से देवी- देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं इन देव वृक्षों के बारे में-:


🌳पीपल का वृक्ष-: 


* हमारी धर्म संस्कृति में पीपल के पेड़ को पवित्र माना जाता है। शास्त्र मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में 33 कोटि देवी- देवताओं का वास होता है। 


* पीपल के पेड़ में भगवान श्रीहरि विष्णु का वास माना जाता है, भगवान श्री कृष्ण ने भागवत गीता में भी पीपल के पेड़ का जिक्र किया है। पीपल के पेड़ की पूजा करने से आरोग्य व सुख- संपन्नता का वरदान प्राप्त होता है और व्यक्ति के जीवन से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। 


* पीपल का पेड़ एक ऐसा पेड़ है जो पशु पक्षियों का विशेष आश्रय दाता  है। बड़ी मात्रा में पक्षी इस पर घोसला बनाकर व इसके फल खाकर अपना जीवन यापन करते हैं। उसके साथ ही साथ यह पेड़ पूरे जीव जगत को भरपूर ऑक्सीजन देता है।


* शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा उपासना भी कल्याणकारी मानी गई है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा उपासना करने से रोग- दोष इत्यादि कष्टों से  निवारण होता है।


* वैसे तो पीपल का पेड़ लगाने से सभी ग्रह अनुकूल होते हैं लेकिन विशेष कर यदि जन्म कुंडली में बृहस्पति या शनि ग्रह कमजोर व अशुभ स्थिति में है तो उस व्यक्ति को पीपल का पेड़ एक उचित नक्षत्र- वार और तिथि के दिन लगाने पर व्यक्ति को गुरु व शनि ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती है।


अभी बरसात का मौसम चल रहा है और यदि आपके पास उचित व्यवस्था है तो आप एक पीपल का पेड़ अवश्य लगाएं या लगवाएं।।

प्राइमरी शिक्षक की व्यथा

 शिक्षक : सर पढ़ाना है

साहब: पहले DBT निपटाओ


शिक्षक: अब पढ़ाएं सर

साहब: जिनका आधार नहीं बना है उनका आधार बनवाओ


शिक्षक:सर अब तो पढ़ाएं

साहब: जिन अभिभावकों के खाते में पैसा नही आया उनके खाते में आधार लिंक का काम भी तो बाकी है


शिक्षक: सर अब

साहब : पता करो अभिभावकों ने ड्रेस क्यो नही  खरीदी और अगर खरीदी है तो फोटो अपलोड करो


शिक्षक: सर किताब भी नही आई पढ़ाना है

साहब : किताब तो आती रहेंगी सर्वे वाला काम निपटाओ। Blo वाला काम भी तो कराना है sdm साहब का आदेश है।


शिक्षक: सर अब

साहब : सारी ऑनलाइन ट्रेनिंग कंप्लीट कर लिए की नही? करो और यूट्यूब के सेशन छोड़ना नहीं है जानते हो कि नही


शिक्षक:सर अब

साहब:अरे udise और परिवार सर्वेक्षण का काम पूरा हुआ कि नहीं ऊपर से बहुत प्रेशर है पहले उसे पूरा करो..!!


शिक्षक: सर अब तो पढ़ा लें साल बीतने वाला है

साहब : बोर्ड परीक्षा को ड्यूटी कौन करेगा


(कुछ दिन बाद)


साहब: तुम लोग पढ़ाते नही हो इतनी खराब गुणवत्ता। फ्री की तनख्वाह लेते हो।


साहब की ............

Saturday, July 6, 2024

भगवान जगन्नाथ जी का रथ

 भगवान जगन्नाथ के रथो का संक्षिप्त वर्णन 

भगवान जगन्नाथ जी का रथ

〰️〰️ॐसत्य जय माता दी〰️〰️

1. रथ का नाम 👉 नंदीघोष

2. कुल काष्ठ की संख्या 👉 832

3. कुल चक्के 👉 16

4.रथ की ऊंचाई 👉45 फीट 

5. रथ की लम्बाई चौड़ाई 👉 34 फीट 6 इंच

6.सारथि 👉 दारुक

7. रथ का रक्षक 👉 गरुड़

8.रस्से का नाम 👉 शंखचूड नागुनी

9. पताका का रंग 👉 त्रै लोक्य मोहिनी

10. रथ के  घोड़ों का नाम 👉 वराह, गोवर्धन, कृष्णा, गोपीकृष्ण, न्रसिंह, राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान,रूद्र।


बलदेव जी का रथ

〰️〰️〰️〰️〰️〰️

1.रथ का नाम 👉 ताल ध्वज

2.कुलकाष्ठ संख्या 👉 763

3.कुल चक्के 👉 14

4. रथ की ऊंचाई 👉 44 फीट

5. रथ की लम्बाई चौड़ाई 👉 33 फीट

6. सारथि 👉 मातली

7.रथ के रक्षक 👉 वासुदेव

8. रस्से का नाम 👉  बासुकी नाग

9.पताका का रंग 👉 उन्नानी

10.रथ के घोड़ों के नाम👉  तीव्र ,घोर, दीर्घाश्रम, स्वर्ण नाभ ।।


सुभद्रा जी का रथ

〰️〰️〰️〰️〰️〰️

1. रथ का नाम 👉 देव दलन

2. कुल काष्ठ 👉 593

3. कुल चक्के 👉 16

4.रथ की ऊंचाई 👉 45 फीट

5. रथ की लम्बाई चौड़ाई 👉 31 फीट 6 इंच।

6. सारथि 👉 अर्जुन

7. रथ के रक्षक 👉 जय दुर्गा

8. रस्से का नाम 👉 स्वर्ण चूड नागुनी

9. पताका का रंग 👉 नन्द अम्बिका

10. रथ के घोड़ों के नाम 👉 रुचिका, मोचिक