Friday, November 3, 2023

“ कानपुर अतीत की विरासत, भविष्य का उद्देश्य"

 

 

कानपुर के जन साधारण के हित में एअरपोर्ट को नाईट लैन्डिंग सुविधा प्रदान करवाने, कानपुर देहात का नाम कानपुर ग्रेटर करवाने के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी, उत्तर प्रदेश, को ज्ञापन प्रेषित करने, जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीन वितरित करने के पश्चात् कानपुर अतीत के विरासत, भविष्य का उद्देश्य की ओर मर्चेन्ट्स चैम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश का अगला कदम।

 

मर्चेन्ट्स चैम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अभिषेक सिंहानिया द्वारा कानपुर नगर के मंडलायुक्त को एक पत्र प्रेषित किया गया है जिसके साथ कानपुर के सर्वांगीण विकास हेतु तथा वर्तमान और भावी पीढ़ी के चतुर्मुखी लाभ के लिए महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का चित्र सहित विस्तृत प्रस्तुतीकरण का एक ऐसा डोजियर (दस्तावेज) सौंपा गया जिसमें कानपुर शहर की प्राचीन गौरवशाली गाथा से लेकर वर्तमान तक की यात्रा का तथ्य आधारित तुलनात्मक वर्णन निहित है जो यह पूर्णतया दर्शाता है की कानपुर कहां था, वर्तमान में कानपुर का क्या परिदृश्य है साथ ही यह भी वर्णित है कि कुछ अथक प्रयासों से हमारा कानपुर शहर अपने खोए हुए मैनचेस्टर आफ ईस्ट का गौरव पुनः प्राप्त कर सकता है।

डोजियर की झलकियां संक्षेप में निम्नलिखित रूप से प्रेषित है, तथा विस्तृत वर्णन पृथक रूप से पीडीएफ फाइल में उपलब्ध है, कृपया ध्यान दें :

- गंगा नदी के तट पर स्थित कानपुर का अपना गौरवमयी एवं समृद्धशाली इतिहास रहा हैं। जब जब कानपुर का जिक्र होता है जय गंगा मैया का उद्घोष ही मन में गूंजने लगता है और यह भी एक बात मन में आती है कि कानपुर जो की कभी 52 घाटों की नगरी कही जाती थी जो कि 1857 की क्रांति एवं 20वीं सदी के औद्योगीकरण के बाद नष्ट होते चले गए की आज गिनती के कुछ चंद घाट ही बचे हैं। यदि इन घाटों एवं बिठूर का जीर्णोद्धार एवं कायाकल्प हो जाता है तो हमारी गंगा मैया का जल तो निर्मल एवं स्वच्छ हो जाएगा साथ ही कानपुर का समृद्धशाली इतिहास भी प्राप्त किया सकता है। 

- एक समय, अविभाज्य भारत 1947 में ऐसा भी था जब जीडीपी के तौर पर कानपुर तीसरा सबसे बड़ा शहर था, जो कि अब रैंकिंग में 20वें स्थान पर चुका है। इस विडंबना से हमें पार पाना होगा और अथक प्रयास करना होगा की कानपुर की आर्थिक संपन्नता को वापस प्राप्त करवा सके।

- कानपुर में रोजगार को बढ़ावा देने हेतु इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एवं इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सिस्टम संस्थाओं को विशेष रूप से प्रोत्साहन एवं संरक्षण देना होगा जिससे प्रतिभा पलायन तो रुकेगा ही साथ ही कानपुर की आर्थिक प्रगति फलीभूत हो सकेगी।

- कानपुर में वर्तमान स्थिति में आईआईटी और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अलावा और कोई उच्च शिक्षण संस्थान उपलब्ध नहीं है इसलिए कानपुर को उच्च शिक्षा संस्थान जैसे आईआईएम, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की आवश्यकता है। यह हमारे कानपुर शहर की भविष्य की सफलता का द्योतक होगी।

- कानपुर में औद्योगिकरण व्यापरीकरण एवं रोजगार की असीम संभावनाएं उपलब्ध है बस इन आर्थिक अवसरों को धरातल पर उतरने की आवश्यकता है।

- हमारा लक्ष्य कानपुर से 29 किलोमीटर की दूरी पर उपस्थित रमईपुर में ,मेगा लेदर क्लस्टर स्थापित करना है जो की लेदर इंडस्ट्री को पुनर्जिवित करेगा तथा पर्यावरण को सुरच प्रदान करने के साथ कानपुर में रहने वाले व्यक्तियों के जीवन जीने की गुणवत्ता को भी बढ़ाएगा।

- कानपुर के विभिन्न स्थानों जैसे पनकी, दादा नगर, जाजमऊ, रनिया इत्यादि क्षेत्रों में फैले, या बिखरे भी कह सकते है, उद्योगों को विशेष आर्थिक क्षेत्रों (S.E.Z.) में स्थानांतरित करना होगा जो कि क्षेत्रीय दृष्टिकोण के तर्कसंगत एवं रणनीतिक कदम होगा जिसका लाभ औद्योगिक क्षेत्रों और आसपास के समुदायों / निवास करने वाले लोगों दोनों को विभिन्न प्रकार से प्राप्त हो सकेगा।

- क्षेत्रीय आर्थिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सुविधाओं के साथ कानपुर में चकेरी हवाई अड्डे के पास एक नया बिजनेस सिटी स्थापित करना होगा जो कि एक दूरदर्शी प्रस्ताव है लेकिन जन एवं व्यापारिक समुदाय के प्रत्यक्ष लाभ हेतु प्रासंगिक एवं तर्कसंगत है।

- कानपुर वर्तमान में एक विभाजित शहर है जिसका एकीकरण अति आवश्यक बिंदु है, उदाहरणार्थ (1) उत्तर और दक्षिण कानपुर को शहर के बीचों-बीच से गुजरती एक रेलवे लाइन दो हिस्से में विभाजित कर देती है और रेलवे क्रासिंग होने की स्थिति में दोनो दिशाओं को आर-पार जाने वालों का जन-जीवन स्थिर हो जाता है इसके लिए अनवरगंज से मंधना तक एलिवेटेड रेलवे ट्रैक महत्वपूर्ण परियोजना है जो लाखों यात्रियों को 16 रेलवे क्रॉसिंग से बचने में मदद करेगी। (2) न्यू नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की तर्ज पर, कानपुर देहात का नाम बदलकर ग्रेटर कानपुर करके इसे एक नई पहचान प्रदान करना वर्तमान समय की आवश्यकता है।   

- KDA क्षेत्रीय योजना 2021 के अंतर्गत कानपुर के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए हम अग्रलिखित बिंदुओं की अनुशंसा करते है जिसमें प्रमुख रूप से पीपीपी मॉडल अपनाने, समस्त वृहद और मध्यम औद्योगिक को पुनर्वर्गीकृत करके शहर की सीमा के भीतर के क्षेत्रों को मिश्रित भूमि क्षेत्रों में उपयोग करने की आवश्यकता है जिससे वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण कम होगा साथ ही शहर के सामान्य वातावरण में सुधार हो सकेगा। 

- एल्गिन मिल की (वर्तमान में) अप्रयुक्त जमीन का उपयोग : कानपुर को पहचान तथा पहचान को शान दिलाने के लिए पर्यटन एवं आतिथ्य का एक नया एवं अद्भुद संगम विकसित करना होगा इसके लिए एल्गिन मिल की अप्रयुक्त जमीन का भावी उपयोगी हेतु PPP मॉडल के अंतर्गत प्रतिष्ठित समूहों के साथ मिलकर वाटरफ़्रन्ट पर्यटन विकासीकरण हेतु सामूहिक एवं आदर्श स्तर पर विकास करना होगा तथा PPP मॉडल के अभिनव ढांचे के माध्यम से ही कई अतिरिक्त रिवरफ्रंट संपत्तियां भी विकसित की जा सकती हैं, उदाहरण-एयरोसिटी-दिल्ली, रिवरफ्रंट-वाराणसी, रिवरफ्रंट- अहमदाबाद आदि।

- 1991 से अनुपयोगी म्योर मिल कैंपस को औद्योगिक / व्यापारिक हब के रूप में उपयोग किया जा सकता है जिसका उपयोग एक सुझाव के तौर पर केंद्रीय व्यावसायिक जिला - Central Business District (CBD) विकसित करके किया जा सकता है।

- कूड़ा जैसा शब्द दिमाग में आते ही यहां वहां फेंकने का विचार आता है परंतु इस घोड़े को भी हम स्वास्थ्यवर्धक बना सकते हैं एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग से एवं वेस्ट मशीन की सहायता से आर्थिक प्रगति के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

कानपुर को विश्व पटल पर स्थापित करने हेतु असीम संभावनाएं विद्यमान है जिसमें हमें ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, विरासत को संजोने एवं प्रचार-प्रसार करने, मजबूत पर्यटन स्थल के रूप में विकास करने के साथ-साथ विकसित होती आधारभूत सुविधाओं को और अधिक विकसित करना होगा, वह दिन दूर नहीं होगा जब कानपुर एक दार्शनिक तीर्थ के रूप में स्थापित हो जाएगा।

सूरन

दीपावली के दिन सूरन की सब्जी बनती है,,,सूरन को जिमीकन्द (कहीं कहीं ओल) भी बोलते हैं,, आजकल तो मार्केट में हाईब्रीड सूरन आ गया है,, कभी-२ देशी वाला सूरन भी मिल जाता है,,,
बचपन में ये सब्जी फूटी आँख भी नही सुहाती थी,, लेकिन चूँकि बनती ही यही थी तो झख मारकर खाना पड़ता ही था,,तब मै सोचता था कि पापा लोग कितने कंजूस हैं जो आज त्यौहार के दिन भी ये खुजली वाली सब्जी खिला रहे हैं,,, दादी बोलती थी आज के दिन जो सूरन न खायेगा


अगले जन्म में छछुंदर जन्म लेगा,,
यही सोच कर अनवरत खाये जा रहे है कि छछुंदर न बन जाये बड़े हुए तब सूरन की उपयोगिता समझ में आई,,
सब्जियो में सूरन ही एक ऐसी सब्जी है जिसमें फास्फोरस अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है,, ऐसी मान्यता है और अब तो मेडिकल साइंस ने भी मान लिया है कि इस एक दिन यदि हम देशी सूरन की सब्जी खा ले तो स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पूरे साल फास्फोरस की कमी नही होगी,,

मुझे नही पता कि ये परंपरा कब से चल रही है लेकिन सोचीए तो सही कि हमारे लोक मान्यताओं में भी वैज्ञानिकता छुपी हुई होती थी ,,,
धन्य पूर्वज हमारे जिन्होंने विज्ञान को परम्पराओं, रीतियों, रिवाजों, संस्कारों में पिरो दिया

Monday, October 30, 2023

सरसों का तेल दिलाएगा कई बीमारियों से निजात

 - सरसों का तेल रसोई में काफी इस्तेमाल किया जाता है। यह अपने तेज स्वाद, तीखी सुगंध और हाई स्मोक पॉइंट के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर सब्जियों को पकाने के लिए उपयोग करते हैं। इसका उपयोग न सिर्फ खाने, बल्कि त्वचा, बालों और शरीर के दर्द जैसी समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में सबसे ज्यादा होता है।

डॉ. मनोज मुरारका, ऑयल रिसर्चर
सरसों के तेल के अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। इसे अधिकतर लोग सिर्फ खाना बनाने के लिए ही इस्तेमाल में लाते हैं, लेकिन यह सिर्फ भोजन बनाने तक ही सीमित नहीं है। यह तेल शरीर की कई समस्याओं को दूर कर सकता है। वर्षों से सरसों के तेल को जोड़ों के दर्द, गठिया और मांसपेशियों में होने वाले दर्द से निजात पाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। नियमित रूप से इस तेल से मालिश करने पर शरीर के रक्त संचार में सुधार होता है। इससे मांसपेशियों व जोड़ों की समस्या को दूर रखने में मदद मिल सकती है। वहीं सरसों के तेल में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड भी जोड़ों के दर्द और गठिया की समस्या में सहायक साबित हो सकता है।
     सरसों का तेल रसोई में काफी इस्तेमाल किया जाता है। सरसों का तेल अपने तेज स्वाद, तीखी सुगंध और हाई स्मोक पॉइंट के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर सब्जियों को पकाने के लिए उपयोग करते हैं। इसका इस्तेमाल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में सबसे ज्यादा किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि खाने में शुद्ध सरसों के तेल का उपयोग अमेरिका, कनाडा और यूरोप में पूरी तरह से बैन है। इन इलाकों में इसे सिर्फ मसाज ऑयल, सीरम या फिर हेयर ट्रीटमेंट के लिए ही उपयोग किया जा सकता है। वहीं भारत में इसे इतना फायदेमंद माना गया है कि इसका उपयोग न सिर्फ खाने, बल्कि त्वचा, बालों और शरीर के दर्द जैसी समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जाता है।


     कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने में सरसों के तेल का इस्तेमाल कुछ हद तक मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि सरसों के तेल में एंटी कैंसर गुण होते हैं, जो कैंसर सेल्स के विकास को रोकने का काम कर सकते हैं। अध्ययन में कोलन कैंसर से प्रभावित चूहों पर सरसों, मकई और मछली के तेल के असर का परीक्षण किया गया। इस शोध में पाया गया कि कोलन कैंसर को रोकने में मछली के तेल की तुलना में सरसों का तेल अधिक प्रभावी साबित हुआ। ऐसे में माना जा सकता है कि सरसों का तेल कैंसर जैसी समस्या से बचाव करने में सहायक है। सरसों के तेल के लाभ दांत संबंधी समस्याओं में भी कारगर साबित हो सकते हैं। इस तेल को हल्दी के साथ इस्तेमाल करने पर मसूड़ों की सूजन और संक्रमण से निजात मिल सकती है।
     सरसों तेल और नमक का उपयोग मौखिक स्वच्छता में भी सुधार करने का काम कर सकता है। सरसों तेल, हल्दी और नमक को पेस्ट की तरह उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आधा चम्मच सरसों का तेल, एक चम्मच हल्दी और आधा चम्मच नमक मिलाकर पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट से दांतों और मसूड़ों पर कुछ मिनट तक मालिश करें। इसे हफ्ते में तीन-चार बार उपयोग कर सकते हैं। इस पर अभी और शोध किए जा रहे हैं। अस्थमा श्वसन तंत्र से संबंधित एक समस्या है। इससे राहत पाने में पीली सरसों तेल के फायदे कुछ हद तक सहायक साबित हो सकते हैं। इस संबंध में कई वैज्ञानिक शोध किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि सरसों के तेल में पाया जाने वाला सेलेनियम अस्थमा के प्रभाव को कम करता है।
     सरसों का तेल ब्रेन फंक्शन को बढ़ावा देने में भी उपयोगी है। इसमें मौजूद फैटी एसिड सबसेलुलर मेम्ब्रेंस (उपकोशिकीय झिल्ली) की संरचना में बदलाव करने में मदद कर सकता है, जिससे मेम्ब्रेन-बाउंड एंजाइमों की गतिविधि को रेगुलेट किया जा सकता है। यह मस्तिष्क के कार्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस आधार पर माना जा सकता है कि सरसों का तेल दिमागी कार्य क्षमता को बढ़ावा देने में भी मददगार साबित हो सकता है। सरसों का तेल एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी एजेंट सूजन संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने का काम करता है। इसे डिक्लोफेनाक के निर्माण में भी इस्तेमाल किया जाता है, जो एक एंटी इंफ्लेमेटरी दवा है।
     सरसों के तेल में अनावश्यक बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के पनपने से रोकने की क्षमता पाई जाती है। यह काफी हद तक फंगस के प्रभाव को कम करने में भी सहायक साबित हो सकता है। ऐसे में माना जा सकता है कि फंगल के कारण त्वचा पर होने वाले रैशेज और संक्रमण के इलाज करने में सरसों का तेल मददगार हो सकता है। यह गुणकारी तेल एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के प्रभाव को भी बेअसर कर सकता है। सरसों का तेल संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने का काम करता है। यह कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित कर शरीर के सबसे अहम भाग हृदय को भी स्वस्थ रखता है। आंतरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ सरसों का तेल त्वचा को भी संक्रमण से दूर रखता है। इसे लगाने से त्वचा पर रैशेज भी नहीं होते हैं।
     सरसों का तेल मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड के साथ-साथ ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड से समृद्ध होता है। ये दोनों फैटी एसिड मिलकर इस्केमिक हृदय रोग (रक्त प्रवाह की कमी के कारण) की आशंका को 50 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। वहीं एक अन्य शोध कहता है कि सरसों के तेल को हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक (कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला) और हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव के लिए भी जाना जाता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि सरसों के तेल के अनेक फायदे हैं। यह मानव शरीर के लिए सबसे उपयुक्त है। सरसों के तेल को रसोई के साथ-साथ जीवन में भी जरूर शामिल किया जाना चाहिए।