Friday, December 23, 2022

एक मरती हुई नस्ल- हिन्दू

 साल 1914 में यूएन मुखर्जी ने एक छोटी सी पुस्तक लिखी

नाम था... 
 हिन्दू - एक मरती हुई नस्ल

** सोचिए 108 साल पहले,
उन्हें पता था!!

** 1911 की जनगणना को देखकर ही 1914 में मुखर्जी ने पाकिस्तान बनने की भविष्यवाणी कर दी।

** उस समय संघ नहीं था, 
सावरकर नहीं थे,हिन्दू महासभा नहीं थी।

** तब भी मुखर्जी ने वो देख लिया जो पिछले 100 सालों में एक दर्जन नरसंहार और एक तिहाई भूमि से हिन्दू विलुप्त करा देने के बाद भी राजनैतिक विचारधारा  वाले सेक्युलर हिन्दू नहीं देख पा रहे।

** इस किताब के छपते ही सुप्तावस्था से कुछ हिन्दू जगे।
अगले साल 1915 में पं मदन मोहन मालवीय जी के नेतृत्व में हिन्दू महासभा का गठन हुआ। 
आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन शुरू किया जो.....
   एक मुस्लिम द्वारा स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के साथ समाप्त हो गया।

** 1925 में हिन्दुओं को संगठित करने के उद्देश्य से संघ बना। 

** लेकिन ये सारे मिलकर भी वो नहीं रोक पाए जो यूएन मुखर्जी 1915 में ही देख लिया था। 

** गांधीवादी अहिंसा ने इस्लामिक कट्टरवाद के साथ मिलकर मानव इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार को जन्म दिया और काबुल से लेकर ढाका तक हिन्दू शरीयत के राज में समाप्त हो गए।
 

** जो बची भूमि हिन्दुओं को मिली वो हिन्दुओं के लिए मॉडर्न संविधान के आधार पर थी और मुसलमानों के लिए..... 
  शरीयत की छूट, 
  धर्मांतरण की छूट, 
  चार शादी की छूट, 
  अलग पर्सनल लॉ की छूट, 
  हिन्दू तीर्थों पर कब्जे की छूट,
सब कुछ स्टैंड बाय में है। 

** हिन्दू एक बच्चे पर आ गए हैं, 
वहां आज भी आबादी बढ़ाना शरीयत है।

** जो लोग इसे केवल राजनीति समझते हैं उन्हें एक बार इस स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाना चाहिए 2015 में 1915 से क्या बदला है? 

** आज भी साल के अंत में वो अपना नफा गिनते हैं,
हम अपना नुकसान।

** हमें आज भी अपने भविष्य के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है। 

** आज भी संयुक्त इस्लामिक जगत हम पर दबाव बनाए हुए हैं कि हम अपने तीर्थों पर कब्जा सहन करें, लेकिन उपहास और अपमान की स्थिति में उसी भाषा में पलटकर जवाब भी न दें।

** मराठों ने बीच में आकर 100-200 साल के लिए स्थिति को रोक दिया जिससे हमें थोड़ा और समय मिल गया है लेकिन ये संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।

** अपने बच्चों को देखिए आप उन्हें कैसा भविष्य देना चाहते हैं।
मरती हुई हिन्दू नस्ल जैसा कि 1915 में यूएन मुखर्जी लिख गए थे।

** अपने समय का एक समय,
अपनी कमाई का एक हिस्सा,
बिना किसी स्वार्थ के हिन्दू जनजागरण में लगाइये, 
अगर ये कोई भी दूसरा नहीं कर रहा तो खुद करिए। 

** नहीं तो.... आपके बच्चे अरबी मानसिकता के गुलाम, चौथी बीवी या  फिदायन हमलावर बनेंगे और इसके लिए सिर्फ आप जिम्मेदार होंगे। 

#Hindu dying race नहीं है,
हम सनातन हैं।

** और ये आखिरी सदी है,
जब हम लड़ सकते हैं।
इसके बाद हमारे पास भागने के लिए कोई जगह नहीं है।

** बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए.....

* एक हिन्दू महिला ( नुपुर शर्मा ) के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे हैं, जान से मारने के फतवे दे रहे हैं, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं और ये हाल तब है जब ये मात्र 25% है *

** गम्भीरता से सोचिए...... 
आपके सामने आपकी महिला को कट्टरपंथी खुलेआम गर्दन काटने, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं, पोस्टर चिपका रहे हैं, जहां आप बाहुल्य समाज हैं.

* उनका दुस्साहस देखिए आपके इलाके में जाकर आपकी महिला के विरुद्ध प्रदर्शन में आपकी दुकानें बंद करवाने पहुंच गए. नही माने तो पत्थरबाज़ी कर दंगा कर दिया। *

** ये हाल तब है जब वे 20 दिनों से लगातार फव्वारा चिल्ला रहे हैं।

** यहां मसला केवल एक महिला का नही बल्कि गर्दन काटने को उतारू उस कट्टरपंथ मानसिकता का है, जिसका प्रतिकार बहुत आवश्यक है।

** समय रहते इसे बढ़ने से रोकना बहुत आवश्यक है, वरना देश जंगलराज हो जाएगा।

* इसे यही रोकिये, हल्के में मत लीजिए। *

** मानवता वाली भूमि को रेगिस्तान बनने से रोक लीजिए....

** आप घिर चुके हैं......

** ठीक उसी प्रकार जैसे....
   शतरंज मे राजा को प्यादे,
   जंगल मे शेर को भेड़िए,
   और चक्रव्यूह में अभिमन्यु.......

** शरजील इमाम ने "चिकेन नेक" की बात की, आप जानते हैं हर शहर का एक चिकन नेक होता है! हर बाजार का एक चिकेन नेक होता है, और सभी चिकन नेक पर उनका कब्जा है।

** आप अपने शहर के मार्केट निकल जाइए अपना लैपटाप बनवाने मोबाईल बनवाने या कपड़े सिलवाने आप को अंदाजा नही है कि चुपचाप "बिजनेस जिहाद" कितना हावी हो चुका है।

** गुजरात का जामनगर हो, लखनऊ का हजरतगंज, मुम्बई का हाजी अली, गोरखपुर का हिंदी बाजार या दिल्ली का करोलबाग "चेक मेट" हो चुके हैं, 
अब हर जगह इनका कब्जा हो चुका है!

** उतने जमीन पर आप के मंदिर नही हैं जितनी जमीनें उनके पास "कब्रिस्तान" के नाम पर रसूल की हो चुकी हैं! 

  एक दर्जी की दुकान पर सिलाई करने वाले सभी उनके हम-मजहब है, चैन से लगायत बटन तक के सप्लायर नमाजी हैं! ढाबे उनके, होटल उनके, ट्रांसपोर्ट का बड़ा कारोबार हो या ओला उबर का ड्राइवर सब जुमा वाले हैं।

** आप शहर में चंदन जनेऊ ढूढते रहिए नहीं पाएंगे, वहीं हर चौराहे पर एक कसाई बैठा है।

** घिर चुके हैं आप !

** उपाय इसका इतना आसान नही है, गहराई से काम करना होगा, अपनी दुकानें बनानी होंगी, अपना भाई हर जगह बैठाना होगा।

** वरना #गजवा_ए_हिंद चुपचाप पसार चुका है अपना पांव, बस घोषणा होनी बाकी है।

** शेर दहाड़ते ही रह गया, भेड़िए जंगल पर कब्ज़ा बना कर बैठ चुके हैं।

** आँखे बंद करिए और ध्यान दीजिए हर जगह आप को नारा ए तकबील "अल्लाहु अकबर"!! सुनाई देगा......

** और अगर नहीं सुनाई दे रहा है तो मुगालते मे हैं आप।

** बस एक जवाब लिख दीजिए... और बता दीजिए कि "कब जागेंगे आप"??
कब तक सेकुलर का चोला ओढ़े रहेंगे..?

कोरोनावायरस का नया संस्करण COVID-Omicron XBB

   आइए निम्नलिखित सूचनाओं पर ध्यान दें:


  सभी को मास्क पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि COVID-Omicron XBB कोरोनावायरस का नया संस्करण अलग, घातक और सही तरीके से पता लगाना आसान नहीं है।

  नए वायरस COVID-Omicron XBB के लक्षण निम्नलिखित हैं:


      1. खांसी नहीं होती है।
      2. बुखार नहीं है।

    इनमें से कुछ सीमित संख्या में ही होंगे:

      3. जोड़ों का दर्द।
      4. सिरदर्द।
      5. गर्दन में दर्द।
      6. ऊपरी कमर दर्द।
      7. निमोनिया।
      8. आमतौर पर भूख नहीं लगती है।


  COVID-Omicron XBB डेल्टा संस्करण की तुलना में 5 गुना अधिक विषैला है और इसकी तुलना में मृत्यु दर अधिक है।

  स्थिति को चरम गंभीरता तक पहुंचने में कम समय लगता है और कभी-कभी कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं।

  आइए अधिक सावधान रहें!

  वायरस का यह तनाव नासॉफिरिन्जियल क्षेत्र में नहीं पाया जाता है और अपेक्षाकृत कम समय के लिए सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है।

  कोविड-ओमिक्रॉन एक्सबीबी के निदान वाले कई रोगियों को ज्वरनाशक और दर्द रहित के रूप में वर्गीकृत किया गया था, लेकिन एक्स-रे में हल्का छाती निमोनिया दिखा।

  कोविड-ओमिक्रॉन एक्सबीबी के लिए नेज़ल स्वैब परीक्षण अक्सर नकारात्मक होते हैं, और झूठे नकारात्मक नासॉफिरिन्जियल परीक्षणों के मामले बढ़ रहे हैं।

  इसका मतलब है कि वायरस समुदाय में फैल सकता है और सीधे फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है, जिससे वायरल निमोनिया हो सकता है, जो बदले में तीव्र श्वसन संकट का कारण बनता है।

  यह बताता है कि क्यों कोविड-ओमिक्रॉन एक्सबीबी बहुत संक्रामक, अत्यधिक विषैला और घातक बन गया है।

  सावधानी, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें, खुले स्थानों में भी 1.5 मीटर की दूरी बनाए रखें, डबल-लेयर मास्क पहनें, उपयुक्त मास्क पहनें, हाथों को बार-बार धोएं, भले ही हर कोई स्पर्शोन्मुख (खांसने या छींकने वाला) न हो।

  Covid-Omicron XBB की यह लहर Covid-19 की पहली लहर से भी घातक है।  इसलिए हमें बहुत सावधान रहना होगा और कोरोनावायरस के खिलाफ कई प्रबलित सावधानियां बरतनी होंगी।

  अपने मित्रों और परिवार के साथ सतर्क संचार बनाए रखें।


जिंदगी बचाने के अचूक तरीके

1. *गले में कुछ फँस जाए- तब केवल अपनी भुजाओं को ऊपर उठाएं*
एक बच्चे की 56 वर्षीय दादी घर पर टेलीविज़न देखते हुए फल खा रही थी। जब वो अपना सर हिला रही थी तब अचानक एक फल का टुकड़ा उसके गले में फँस गया। उसने अपने सीने को बहुत दबाया पर कुछ भी फायदा नहीं हुआ।
जब बच्चे ने दादी को परेशान देखा तो उसने पूछा कि "दादी माँ क्या आपके गले में कुछ फँस गया है?" वो कुछ भी उत्तर नहीं दे पाई।
"मुझे लगता है कि आपके गले में कुछ फँस गया है। अपने हाथ ऊपर करो, हाथ ऊपर करो" |
दादी माँ ने तुरंत अपने हाथ ऊपर कर दिए और वो जल्द ही फँसे हुए फल के टुकड़े को गले से बाहर थूकने में कामयाब हो गयी।
उसके पोते ने बताया कि ये बात उसने अपने विद्यालय में सीखी थी।
2. *सुबह उठते वक्त होने वाले शरीर के दर्द*
क्या आपको सुबह उठते वक्त शरीर में दर्द होता है? क्या आपको सुबह उठते वक्त गर्दन में दर्द और अकड़न महसूस होती है? यदि आपको ये सब होता है तो आप क्या करें?
तब आप अपने पांव ऊपर उठाएं। अपने पांव के अंगूठे को बाहर की तरफ खेंचे और धीरे धीरे उसकी मालिश करें और घड़ी की दिशा में एवं घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाएँ ।
3. *पांव में आने वाले बॉयटा या ऐठन*
यदि आपके बाएँ पांव में बॉयटा आया है तो अपने दाएँ हाथ को जितना ऊपर उठा सकते हैं उठायें |
यदि ये बॉयटा आपके दाएँ पांव में आया है तो आप अपने बाएँ हाथ को जितना ऊपर ले जा सकते हैं ले जायें। इससे आपको तुरंत आराम आएगा।
4. *पांव का सुन्न होना*
यदि आपका बायां पांव सुन्न होता है तो अपने दाएं हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलायें या झटके दें। यदि आपका दायां पांव सुन्न है तो अपने बाऐं हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलायें या झटका दें।
5. *आधे शरीर में लकवा*
एक सिलाई की सुई लेकर तुरन्त ही कानों की लोलिका के सबसे नीचे वाले भाग में सुई चुभा कर एक एक बूंद खून निकालें | इससे रोगी को तुरंत आराम आ जायेगा। उस पर से सब पक्षाघात के लक्षण भी मिट जायेंगे।
6. *ह्रदय आघात की वजह से हृदय का रुकना*
ऐसे व्यक्ति के पांव से जुराबें उतार कर (यदि पहनी है तो) सुई से उसकी दसों पांव की उंगलियों में सुई चुभो कर एक एक बूंद रक्त की निकालें | इससे रोगी तुरन्त उठ जाएगा।
7. *यदि रोगी को सांस लेने में तकलीफ हो*
चाहे ये दमा से हो या ध्वनि तंत्र की सूजन की वजह या और कोई कारण हो, जब तक कि रोगी का चेहरा सांस न ले पाने की वजह से लाल हो उसके नासिका के अग्रभाग पर सुई से छिद्र कर दो बून्द काला रक्त निकाल दें |
उपरोक्त सभी तरीकों से कोई खतरा नहीं है और ये केवल 10 सेकेंड में ही किये जा सकते हैं |
साभार भारतीय संस्कृती संस्थान


प्रकृति और ईश्वर का न्याय


जंगल में एक गर्भवती हिरनी शावक को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घूम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।

वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली भी कड़कने लगी।
उसने दायी ओर देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह बायीं ओर मुड़ी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड़ चुकी थी और पीछे मुड़ी, तो नदी में जल बहुत था।
मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?
क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?
हिरनी अपने आप को शून्य में छोड़, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। प्रकृति और ईश्वर का चमत्कार देखिये। बिजली चमकी और तीर छोड़ते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।
हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम पूर्ण पुरुषार्थ के पश्चात भी चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश-अपयश, जय-पराजय, जीवन-मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।