करोना कभी न नष्ट होने वाला वाला ऐसा जानलेवा संक्रमण है जिसके महीनों तथा वर्ष के अंतराल में लौट लौट कर मानव शरीर में आने की संभावना सदैव बनी रहती है । वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि करोना संक्रमण के वैरीअंट को समूचा खत्म नहीं किया जा सकता उसकी केवल प्रीवेंटिव मेडिसिन या वैक्सीन ही ली जा सकती है। करोना से दूर रहने के लिए केवल और केवल सावधानी और चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा दी गई गाइडलाइंस का ही पालन करना होगा, अन्यथा करोना जानलेवा तो है ही। क्या आपको नहीं लगता एक दूसरे के संक्रमण से फैलने वाला भयानक करोना सिर्फ प्राकृतिक विपदा एवं प्राकृतिक असंतुलन का नतीजा है, बल्कि कुछ मांस भक्षी लोगों मानसिक असंतुलन का भी भयानक परिणति है। प्रकृति ने हमें पहले से ही सचेत करके रखा था, पहले सुनामी, बाढ़, सूखा और भूस्खलन के परिणामों से हमें आगाह किया था और न जाने इन भयानक विपदाओं से कितने लोग काल के गाल में समा चुके हैं। हर वर्ष सुनामी,भूस्खलन,बाढ़ से मरने वालों की संख्या हजारों में होती रही है, पर कुछ देशों के नागरिकों के मानसिक संतुलन का क्या कहें, जिन्हें सब्जी,भाजी,दूध,फल, सूखे मेवे को छोड़कर कुत्ता, बिल्ली,सांप, चमगादड़, सूअर खाने की न जाने क्यों इच्छा बलवती हुई है,और उन्होंने इसका रोजमर्रा की जिंदगी में सेवन करना शुरू कर दिया,चीन सहित विश्व में कई ऐसे देश है जो हर जंतु के मांस का खाने में रोज इस्तेमाल कर नई-नई बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। चीन के द्वारा चमगादड़, सांप, केकड़े और ना जाने कितने जीव जंतुओं का मांस अपने आहार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, और इसी की परिणति हुई है कि चमगादड़ में नाना प्रकार के प्रयोग कर करोना वायरस जैसे भयानक संक्रमण वाली बीमारी की उत्पत्ति कर दी और यही करोना वायरस ने पूरे विश्व में मौत का तांडव मचा कर लाखों लोगों की मृत्यु का कारण भी बना है। यह मानवीय मानसिक आसंतुलन तथा दिवालियापन का एक भयानक परिणाम है। जिसकी एकदम सही और सटीक इलाज खोजने में चिकित्सकों को वैज्ञानिकों को सिर से पैर तक पसीना छूट गया है। फिर भी इस कोविड-19 के वायरस का 100% इलाज नहीं खोज पाए हैं। पृथ्वी में बहुत सारी सकारात्मक चीजें हैं जल, वायु, मृदा तत्व, पेड़, झरने,समुद्र, तालाब,नदियां इन सब का सकारात्मक इस्तेमाल कर मानव धरती को समृद्ध तथा मालामाल करता आया है, एवं अपने जीवन यापन हेतु सुचारू रूप से सब्जियां, फल,आयुर्वेदिक दवाएं और न जाने कितने मृदा तत्व जिनमें हीरे,मोती, जवाहर, लोहा,पीतल, तांबा,सोना,चांदी आदि निकालकर जीवन को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु सफल हुआ है। पर कुछ लोगों ने दिमागी असंतुलन के चलते मूक जानवरों का वध करके उसे भोजन की वस्तु बनाकर प्राकृतिक असंतुलन बढ़ाने का जोखिम उठाया, इसी तरह पेड़, जल, मिट्टी, वायु का संरक्षण न करके उसने अप्राकृतिक वस्तुओं का इस्तेमाल करके विश्व का तापमान बढ़ाकर मानव जाति के लिए अनेक खतरे एवं मुसीबतें पैदा कर ली है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण असंतुलित हो गया है। पर्यावरण प्रदूषण हमारी आधुनिक जीवन शैली के कारण बुरी तरह से शहरों में फैला हुआ है।पर्यावरण प्रदूषण तथा तापमान असंतुलन भी वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों की मौत का कारण बना। प्रकृति के इस भयानक असंतुलन के कारण हर शहर हर देश में लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं, पर मानसिक असंतुलन के कारण न सिर्फ मानव शरीर नष्ट हो रहा है, बल्कि लाखों निरीह जानवर, जीव,जंतु भी मौत के घाट उतार दिए गए। चीन और विश्व के आदिवासी बाहुल्य देश के लोग सांप बिच्छू, चमगादड़ एवं अन्य जीव-जंतुओं का शिकार कर अपने मानसिक असंतुलन का परिचय देकर अपने पेट के दावानल को शांत कर रहे हैं। ऐसा सामान्य मनुष्य सोच भी नहीं सकता। ऐसे में प्रकृति भी इस प्राकृतिक असंतुलन तथा मानसिक दिवालियापन को आत्मसात ना करके प्रक्रियागत नाना प्रकार की बीमारियों तथा मृत्यु के अनेक कारणों को जन्म दे रही है। बहुत महत्वपूर्ण बात यह है की वैश्विक स्तर पर करोना ने अलग-अलग देशों में लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। और इस महामारी के जनक चीन पर कोई क्रिया प्रतिक्रिया या व्यापारिक सामाजिक नागरिक रोक तथा प्रतिबंध लगाने पर किसी भी देश में संगठित होकर विचार नहीं किया। चीन द्वारा यह एक तरह का केमिकल अस्त्र इस्तेमाल कर अपनी मानव विरोधी मानसिक स्थिति को उजागर किया है।आपको ऐसा नहीं लगता है कि चीन इसी तरह के अन्य रासायनिक अथवा जैविक अस्त्रों का इस्तेमाल कर पूरे विश्व को एवं मानव जाति को भविष्य में भी खतरे में डाल सकता है, क्योंकि चीन और वहां का शासन तंत्र पूरी तरह अपने औपनिवेशिक वादी और विस्तार वादी इरादों को लेकर पूरी तरह कटिबद्ध है। चीन की साजिश के तहत यह वायरस पूरे विश्व में फैला है। अतः वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ को वैश्विक स्तर पर विश्व के हर राष्ट्र पर इस तरह के किसी भी रासायनिक अथवा जैविक प्रयोग पर तुरंत प्रतिबंध लगाकर उसे संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता से निष्कासित कर, इस घृणित कार्य के लिए प्रताड़ित एवं प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ,अन्यथा मानव जाति का भविष्य इसी तरह के रसायनिक तथा जैविक हथियारों की बलि चढ़ता रहेगा एवं उत्तर कोरिया तथा चीन जैसे देशों के हुक्मरानों के मानसिक दिवालियापन के कारण अनेक खतरनाक एवं शरीर को नष्ट करने वाले केमिकल अस्त्र शस्त्र भविष्य में संपूर्ण मानवीय जीवन से भी खेलते रहेंगे और लोग इसी तरह मृत्यु की भेंट चढ़ते रहेंगे, यह एक वैश्विक समस्या बनकर सामने खड़ी हुई है। इसका निदान अत्यंत आवश्यक है।
संजीव ठाकुर,स्वतंत्र लेखक, रायपुर, छत्तीसगढ़,