Monday, February 28, 2022

गुनहगार कौन???

याद आ रही हैं वो कहानी जो छुटपन में मां सुनाया करती थी। एक चोर था ,पूरे राज्य में चोरी करके आतंक मचाया हुआ था।गरीब हो या अमीर सब की संपतियों पर उसके नजर रहती थी और मौका मिलते ही हाथ साफ कर लेते उसे देर नहीं लगती थी।एक सिफत की बात थी कि पकड़ा नहीं जाता था।पहले तो सिपाहियों ने बहुत कोशिश की किंतु उसे पकड़ने में सफल नहीं हो पाए।दिन–ब–दिन उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी।और अब राजा को भी लगा कि उसे पकड़ना बहुत जरूरी था वरना राजमहल भी सलामत नहीं होगा।और अब सिपाही की जगह सिपासलार को ये काम सुपुर्द हो गया।बहुत सारे लोग घात लगा जगह जगह बैठ कर उसकी प्रतीक्षा करते रह जाते और शहर दूसरे हिस्से में घरफोड चोरी हो जाती थी।अब सभी मंत्रियों ने मिल राजा से सलाह मशवरा करके एक जल बिछाया जिसमे प्रजा को भी शामिल किया गया और पूरे शहर में सब जगह जगह छुप कर बैठ गए।कोई पेड़ पर बैठा तो कोई किसके घर की छत या दीवार पर बैठा ऐसे सब फेल गए और सोचा कि अब जायेगा कहां।लेकिन रानी भवन में चोरी हो गई ,रानी के सारे गहने गायब थे और पूरे राज्य में कोहराम मच गया।प्रजा ने भी बोलना शुरू कर दिया कि राजभवन ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम नागरिकों का क्या? और अफरातफरी का माहोल बन गया ।अब राजा ने खुद भेस बदलकर रात्रिभ्रमण कर ,जगह जगह जा हालातों का जायजा लिया और एक बहुरूपिए के बारे में पता चला,अब बहुरूपिए के पर नजर रखी गई और उसका असली रूप सामने आया।अब पहचान तो हो ही गई थी उसकी अब पकड़ने भी देर नहीं लगी। हथकड़ी लगा कर उसे कारागार में डाल दिया गया।राजा तो नाराज था ही,और प्रजा से जनमत लिया गया।सब ने उसे फांसी की सजा के पक्ष में ही मत दिया।अब उसकी फांसी देने का दिन आ गया।बड़े से मैदान में फांसी का मांचा बनाया गया और चारों और लोगो की भीड़ लगी हुई थी, सब नारे लगा कर उसकी फांसी की मांग कर रहे थे।अब नियम के हिसाब से उसकी आखरी इच्छा पूछी गई।उसने अपनी मां से मिलने की इच्छा जाहिर की ,जाहिर किया गया कि उसकी मां हाजिर हो।कुछ देर बाद एक ५०–५५ साल की औरत आई और उसे चोर के पास ले जाया गया।उसके हाथ तो हथकड़ियों में जकड़े हुए थे लेकिन जैसे ही उसकी मां उसके करीब पहुंची उसने उसकी नाक अपने दांतो से काट ली,बेचारी दर्द के मारे खूब चिल्लाई किंतु उसकी नाक तो कट चुकी थी।राजा को भी गुस्सा आया और प्रधानजी से उसको ऐसा करने का कारण पूछा।तब वह अपनी पूरी ताकत से चिल्ला कर बोला," जब बचपन में मैने पहली छोटी सी चोरी की थी,किसी बच्चे की पेंसिल चुराई थी,तब अगर मेरी मां ने मुझे शाबाशी नहीं देकर, रोका होता,डांटा होता ,मारा होता तो आज मैं इतना बड़ा चोर नहीं बनता,मैं भी आम नागरिक की जिंदगी बीतता।’उसी गुनाह की सज़ा मैंने उसकी नाक काट कर दी हैं ताकि और  मेरी मां ने जैसे मुझे चोरी करने पर शाबाशी दी, वैसा कर कई ओर माएं दूसरे चोरों को जन्म नहीं दे इस लिए मैंने अपनी मां को सजा दी हैं।अब मैं फांसी पर चढ़ने के लिए तैयार हूं।और उसे फांसी लग गई।’उसके गुनाहों की सजा उसे मिल गई और उसकी मां को उसके गुनाह की सज़ा मिल गई।
 क्या ये आजकल के परिपेक्ष में नहीं है? सभी स्टार के पुत्र और पुत्रियों  या आम नागरिक जो अपने बच्चों की जायज या नाजायज  बातों को मान लेना उनके के लिए यथार्थ नहीं हैं। आज के बच्चों की हर मांग पूरी करना,उनके हर बुरे व्यवहार को अनदेखा करना सब हम उनकी जड़ों में तेल दे  रहे हैं।कैसे पनपेगा वह पौधा जिसे पानी और खाद की जगह तेल डाल  कर जड़ों को  निष्क्रिय किया जाए।कैसे उनकी नाक को बचाएंगे यह भी प्रश्न हैं या, सब ठीक हैं, बदनाम हुए तो क्या हुआ नाम तो हुआ।

जूती खात कपाल

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त

वाकिंग करते-करते पुराने जूते फट गए थे। सोच रहा था नए जूते ले लूँ। इधर कुछ दिनों से हाथ बड़ा तंग चल रहा था। जैसे-तैसे पैसों का जुगाड़ हुआ। अपने करीबी साथी के सामने जूते खरीदने की बात यह सोचकर रखी कि वह किसी अच्छे ब्रेंड का नाम सुझाएगा। किंतु अगले कुछ मिनटों में उसने मेरा ऐसा ब्रेन वाश किया कि नए जूते खरीदना तो दूर सोचने से भी हाय-तौबा कर ली। मित्र ने बताया कि नए जूते शोरूम से ऐसे निकलते हैं मानो उनकी जवानी सातवें आसमान पर हो। उनके रगों में गरम लहू ऐसा फड़फड़ाता है मानो जैसे जंग में जा रहे हों। बिना किसी सावधानी के इन्हें पहनना बिन बुलाए आफत को दावत देने से कम नहीं है। पैरों को ऐसे काटेंगे जैसे कि केंद्र और राज्य सरकार जीएसटी के नाम पर पेट्रोल-डीजल का टैक्स काटते हैं। हाँ यह अलग बात है कि आम लोगों के लिए जीएसटी की समझ अभी भी दूर की पौड़ी हैकिंतु नए जूतों का चुर्रर्र करने वाला संगीत भुलाए नहीं भूलते।

मित्र ने नए जूतों का इनसाइक्लोपीडिया ज्ञान बाँटते हुए आगे कहा – यदि भूल से भी नए जूते खरीद लिये तो इन्हें कभी पास-पास मत रखना। दोनों ऐसी खिचड़ी पकायेंगे कि तुम्हारा जीना हराम कर देंगे। दोनों की ऐसी सांठ-गांठ होगी मानो वे जूते नहीं विपक्षी पार्टी हों। बात-बात में तुम्हारे विरोध में आवाज़ बुलंद करेंगे। इन्हें भूल से भी कैलेंडरघड़ीसमाचार पत्रों की रैक के पास मत रखनावरना ये कभी वेतन वृद्धि की मांग तो कभी काम करने के घंटों को लेकर तुम्हारे पीछे हाथ धोकर पड़ जायेंगे। कभी मंदिर जाने का प्लान बनाओ तो इनके साथ भूलकर भी न जाना। यदि इन्हें पता चल गया कि तुम बिना कोई मेहनत किए भगवान भरोसे अपना भाग्य बनाना चाहते हो तब तो तुम्हारी खैर नहीं। ऐसा काटेंगे तुम्हें तुम्हारी सातों पुश्तें याद आ जायेंगी।

मुझे लगा मित्र नव जूता बखान से थक गया होगा। उसे एक गिलास पानी देना चाहिए। किंतु मित्र था कि थकने का नाम ही नहीं ले रहा था। न जाने कौनसी एनर्जी ड्रिंक पीकर आया था? उसने आगे कहा – अभी तो मैंने तुम्हें सबसे जरूरी बात बताई ही नहीं। इन्हें भूल से भी पत्नी के आस-पास फटकने मत देना। ये बड़े चुगली खोर होते हैं। अपने रूप-रंग से पत्नी के सामने तुम्हारे सारे काले चिट्ठे खोलकर रख देंगे। ये तुम्हें चलने में साथ दे न दें लेकिन पिटाई में जरूर साथ देंगे। ये ऐसी-ऐसी जगह पर अपना निशान बनायेंगे कि न किसी को दिखाए बनेगा न बताए।

इतना सुनना थाकि मेरे होश उड़ गए। जैसे-तैसे होश में आते हुए हिम्मत की और पूछा - तो क्या नए जूतों का ख्याल दिमाग से निकाल दूँ? इस पर मित्र ने कहा – सावधानी बरत सकते हो तो खरीदोनहीं तो हाय-तौबा कर लो। ये इतने बदमाश होते हैं कि कितना भी महँगा मोजा खरीद लो लेकिन उसके भीतर घुसकर पैर काटने से बाज़ नहीं आते। इनके दाँत एकदम सरकार के दिखाए मनलुभावन सपनों की तरह होते हैं। मजाल जो कोई इन्हें देख लेइन्हें पहले छोटी-छोटी दूरियों के लिए साथ ले जाओ। अच्छी-अच्छी जगह घुमाओ। इन्हें विश्वास दिलाओ कि तुम एकदम निहायती शरीफ इंसान हो। तब तक ये भी अपनी पकड़ ढीली कर देंगे। तब इनके कोरों पर थोड़ा तेल लगाओ। ये और फैल जायेंगे। तब अपने वसा वाले पैरों से अपनी दुनिया में मनमानी ढंग से घूमना। कहते हैं न जब सीधी उंगली से घी न निकले तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। यही आज का मूल मंत्र है।      


मुनिया

मुनिया इंटरमीडिएट की पढाई कर रही थी। उसने आठवीं कक्षा से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। उसकी  कविताएं विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी थी। एक प्रसिद्ध पत्रिका द्वारा सूचना जारी की गई कि जो भी रचनाकार हमारी पत्रिका में रचनाएं भेजते रहे हैं, उन्हें श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से सम्मानित किया जाएगा परन्तु रचनाकारों को सर्वप्रथम पंजीकरण कराना होगा जिसके लिए एक हजार रुपए शुल्क निर्धारित की गई है। जब यह खबर मुनिया को पता चली तो वह बहुत खुश हुई परन्तु शीघ्र ही उदास हो गई क्योंकि उसके पास एक हजार रुपए नहीं थे। उसने यह बात अपनी सहेली बछिया को बताई। बछिया ने कहा कि तुम अपने घर वालों से रुपए मांग लो। तब मुनिया ने बताया कि मेरे घर वाले मुझे रुपए नहीं देंगे क्योंकि उन्हें मेरा कविता लिखना पसंद नहीं है और वो इस कार्य को बेकार मानते हैं। बछिया बोली कि एक बार कोशिश करके तो देख लो। मुनिया ने अपने मॉं-बाप को सारी बात बताई और धन मांगा परन्तु उसकी कोशिश नाकाम रही। उल्टा उसे डॉंट और खानी पड़ी।

एक दिन जब मुनिया अपने स्कूल को जा रही थी, उसे रास्ते में एक बूढ़े आदमी ने रोका और कहा कि ये कुछ धन है। मुझे कम दिखाई देता है इसलिए तुम इस धन को गिनकर मुझे बता दो कि ये कितना है? मुझे अपने बेटे को धन भेजना हैं। वो कुछ किताबें खरीदेगा क्योंकि उसकी इंटरमीडिएट की परिक्षाएं आने वाली है। मुनिया ने पूछा कि बाबा आपके पैर से खून कैसे निकल रहें हैं। उसने बताया कि मैं साइकिल से गांव गांव सब्जियां बेचता हूं और कल शाम जब मैं आ रहा था तो रास्ते में कार ने टक्कर मार दी। मैं डॉक्टर के पास भी नहीं गया क्योंकि मेरे पास सिर्फ यही धन है जो मुझे बेटे को भेजना है। मुनिया ने धन गिना। वह हजार रुपए थे। तभी उसे पंजीकरण की याद आ गई। उसने सोचा कि यह अच्छा मौका है और मुनिया धन लेकर भाग गयी। बूढ़ा आदमी चिल्लाता रह गया। उसने पंजीकरण करा दिया। उसे सम्मान समारोह में बुलाया गया। जब उसे सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया, उसे तुरंत उस बूढ़े आदमी की याद आ गई। वह सोचने लगी कि वो बाबा मुझे गालियां दे रहे होंगे और कोस रहे होंगे। वह अपने घर पहुंची, उसने स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र को टॉंड पर रख दिया। रात को जब वह अपने बिस्तर पर लेटी तो उसकी नजर स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र पर पड़ी और फिर उसे बूढे आदमी की याद आ गई। वह सोचने लगी कि बाबा कितने गरीब थे! पूरे दिन साइकिल से सब्जियां बेचते थे। उस दिन उनके पैर से खून भी निकल रहें थे। मैंने अच्छा नहीं किया और सो भी नहीं पाई। अगले दिन बछिया उसके घर आई और उसे बधाई दी। मुनिया को फिर बूढ़े आदमी की याद आ गई। वह सोच में पड़ गयी और उदास हो गई। बछिया ने उदासी का कारण पूछा। वह इस बात को बछिया को बताना चाहती थी क्योंकि ये बात उसके हृदय में कॉंटो की तरह चुभ रही थी परन्तु बता नहीं पा रही थी।


योजनाओं, परियोजनाओं बज़ट 2022 को रणनीतिक रोडमैप से धरातल पर पारदर्शिता से हितधारकों तक क्रियान्वयन करना चुनौतीपूर्ण कार्य

हर विभाग के केंद्रीय बज़ट 2022 उपरांत सकारात्मक विश्लेषण वेबीनार से उत्साह का माहौल- पीएम द्वारा खुद बजट से हर क्षेत्र की प्रभावोत्पादकता बताना सराहनीय-एड किशन भावनानी

गोंदिया - विश्व में किसी भी देश के सुव्यवस्थित विकास के लिए योजनाएं, परियोजनाएं, नीतियां और सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक बजट बनाना होता है, परंतु उससे भी महत्वपूर्ण उन योजनाओं, परियोजनाओं, नीतियों को रणनीतिक रोडमैप बनाकर पारदर्शिता से क्रियान्वयन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है!!! जिससे निपटने के लिए कुशल नेतृत्व से लेकर कुशल विशेषज्ञों, हितधारकों, शासन प्रशासन सहित आम जनता का सहयोग, साथ, रुचि अति महत्वपूर्ण है जो उन देशों के लिए विकास के सफलता की कुंजी है। 
साथियों बात अगर हम भारत की करें तो यही नीति भारत पर भी लागू होती है और रणनीतिक रोडमैप बनानें से लेकर योजनाओं, परियोजनाओं, सालाना बजट को धरातल पर पारदर्शिता से हितधारकों तक क्रियान्वयन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है!!! परंतु पिछले कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि डिजिटल इंडिया, नए भारत के परिपेक्ष में कुछ बदलते अंदाज में रणनीतिक रोडमैप बनाकर क्रियान्वयन में सुचारूता से प्रोत्साहन देनेके लिए उन लाभार्थी क्षेत्रों के जड़ में जाकर उनके लाभों को हितधारकों तक किस तरीके से पहुंचाएंगे इसका गज़ब का विश्लेषण कर वेबिनार के ज़रिए बताया जा रहा है। 
साथियों बात अगर हम वर्तमान में 1 फरवरी 2022 को घोषित बजट 2022 के संपूर्ण क्षेत्रों जैसे, स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा, परिवहन, दूरसंचार, प्रौद्योगिकी, कौशलता विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, निजीकरण, रेल सहित हर क्षेत्र और विभाग को किस तरह आर्थिक लाभ, सुरक्षित आर्थिक अलोकेशन और योजनाओं का रोडमैप तैयार किया गया है इसकी करें तो मेरा मानना है कि इस साल पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि उपरोक्त हर विभाग हर क्षेत्र के मंत्रालयों से लेकर प्रशासन स्तरपर रोज़ अलगअलग वेबिनार आयोजित किए जा रहे हैं और उसमें उस क्षेत्र के विशेषज्ञों हितधारकों, बुद्धिजीवियों सहित आम जनता को बज़ट 2022 में उस क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों के हित को समझाया जा रहा है विशेष रूप से माननीय पीएम द्वारा जिस प्रकार से गज़ब का विश्लेषण कर प्रावधानों, एलोकेशंस के लाभों को समझाया जा रहा है काबिले-ए तारीफ़ है। 
साथियों बात अगर हम पीएम द्वारा पिछले कुछ दिनों से बजट 2022 के विभिन्न क्षेत्रों में पढ़ने वाले सकारात्मक प्रभावों का उन क्षेत्रों द्वारा आयोजित वेबिनार में गज़ब के विश्लेषण की करें तो हाल ही में शिक्षा, कृषि, ग्रामीण और रक्षा क्षेत्र में वेबिनार में उनके संबोधन की करें तो शिक्षा क्षेत्र के वेबिनार में पीएम ने बज़ट 2022 में शामिल पांच पहलुओं पर विस्तार से बताया। सबसे पहले, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को व्यापक बनाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं याने शिक्षा क्षेत्र की बढ़ी हुई क्षमताओं के साथ बेहतर गुणवत्ता के साथ शिक्षा का विस्तार करना।दूसरा, कौशल विकास पर जोर दिया गया है। एक डिजिटल कौशल इकोसिस्टम बनाने, उद्योग की मांग के अनुसार कौशल विकास और बेहतर उद्योग संपर्क बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।तीसरा, भारत के प्राचीन अनुभव तथा शहरी तथा योजना एवंडिजाइनिंग के ज्ञान को शिक्षा में शामिल करना महत्वपूर्ण है।चौथा, अंतर्राष्ट्रीयकरण पर बल दिया  गया है। इसमें विश्व स्तर के विदेशी विश्वविद्यालयों का आगमन और गिफ्ट सिटी के संस्थानों को फिनटेक से संबंधित संस्थान सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है। पांचवां, एनिमेशन विजुअल इफेक्ट्स गेमिंग कॉमिक पर ध्यान केंद्रित करना, जहां रोजगार की अपार संभावनाएं हैं और जो एक बड़ा वैश्विक बाजार है। उन्होंने कहा, "इस बजट से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को साकार करने में काफी मदद मिलेगी।
कृषि क्षेत्र पर पीएम ने कहा कि बजट में कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से सात रास्ते सुझाए गए हैं।उन तरीकों पर चर्चा की जिनसे बजट कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में योगदान मिलेगा। वेबिनार 'स्मार्ट कृषि'- कार्यान्वयन के लिए रणनीतियों पर केंद्रित था।
ग्रामीण क्षेत्र पर उन्होंने कहा बजट में ग्रामीण क्षेत्र की करें तो इस बजट में सरकार द्वारा सैचुरेशन के इस बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप दिया गया है। बजट में पीएम आवास योजना, ग्रामीण सड़क योजना, जल जीवन मिशन,नॉर्थ ईस्ट की कनेक्टिविटी, गांवों की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, ऐसी हर योजना के लिए जरूरी प्रावधान किया गया है। बजट के बाद, बजट घोषणाओं को लागू करने के दिशा में आज आप सभी स्टेकहोल्डर्स से संवाद अपने आप में एक बहुत अहम है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास हमारी सरकारी की पोलिसी और एक्शन इसका मूलभूत परिणाम सूत्र है।
बजट में रक्षा क्षेत्र के विश्लेषण की करें तो, इस साल के बजट में देश के भीतर ही रिसर्च, डिज़ाइन और डेवलपमेंट से लेकर मैन्युफेक्चरिंग तक का एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है। रक्षा बजट में लगभग 70 परसेंट सिर्फ घरेलू उद्योगों के लिए रखा गया है। डिफेंस मिनिस्ट्री, अब तक 200 से भी ज्यादा रक्षा प्लेटफार्म और इक्विपमेंट्स की पॉजिटिव इंडिजेनीस्शन सूचि जारी कर चुकी है।
साथियों बात अगर हम बजट 2022 में स्वाभाविक रूप से कुछ चुनौतियों की करें तो जिस तरह से एलोकेशन किए गए हैं उसके लिए संसाधन जुटाना, पूंजीगत व्यय में वृद्धि की चुनौती, स्वास्थ्य और रोज़गार के वैकल्पिक तरीकों कौशलता विकास इत्यादि चुनौतियां है फिर भी दो समस्याएं महत्वपूर्ण हैं पहली हमें शीघ्रता से रोज़गार सृजित करने की जरूरत है। क्यों कि सार्वजनिक रूप से विनियमित संस्थानों के माध्यम से कौशल प्रदान करने के कार्य को अच्छी तरह से किये  जाने की उम्मीद पर बल देना होगा। हम सभी इस बात से अवगत हैं कि राज्य द्वारा संचालित स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा प्रणाली कैसे काम करती है, और यह इस प्रणाली को अपडेट करना है। इसलिए, यह आशा कि हम युवा महिलाओं और पुरुषों को बाजार की गतिशील और हमेशा बदलती जरूरतों से मेल खाने के लिए कौशल प्रदान कर सकते हैं, केवल एक सोचनीय हो सकता है।दूसरी बड़ी समस्या, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 (2019-21) के निष्कर्षों में हैएनएफएचएस-5 कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आदानों के वितरण में महत्वपूर्ण सुधार दिखाता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हर विभाग का केंद्रीय बजट 2022 उपरांत सकारात्मक विश्लेषण,वेबीनार से उत्सव का माहौल बन रहा है!!! क्योंकि पीएम द्वारा खुद बजट से हर क्षेत्र की प्रभावोत्पादकता का गजब का विश्लेषण किया जा रहा है जो सराहनीय है वैसे भी रणनीतिक रोडमैप से योजना, बजट 2022 का धरातल पर पारदर्शिता से हितधारकों तक क्रियान्वयन कराना चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसमें हम ज़रूर सफल होंगे। 

संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र