Monday, February 28, 2022

जूती खात कपाल

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त

वाकिंग करते-करते पुराने जूते फट गए थे। सोच रहा था नए जूते ले लूँ। इधर कुछ दिनों से हाथ बड़ा तंग चल रहा था। जैसे-तैसे पैसों का जुगाड़ हुआ। अपने करीबी साथी के सामने जूते खरीदने की बात यह सोचकर रखी कि वह किसी अच्छे ब्रेंड का नाम सुझाएगा। किंतु अगले कुछ मिनटों में उसने मेरा ऐसा ब्रेन वाश किया कि नए जूते खरीदना तो दूर सोचने से भी हाय-तौबा कर ली। मित्र ने बताया कि नए जूते शोरूम से ऐसे निकलते हैं मानो उनकी जवानी सातवें आसमान पर हो। उनके रगों में गरम लहू ऐसा फड़फड़ाता है मानो जैसे जंग में जा रहे हों। बिना किसी सावधानी के इन्हें पहनना बिन बुलाए आफत को दावत देने से कम नहीं है। पैरों को ऐसे काटेंगे जैसे कि केंद्र और राज्य सरकार जीएसटी के नाम पर पेट्रोल-डीजल का टैक्स काटते हैं। हाँ यह अलग बात है कि आम लोगों के लिए जीएसटी की समझ अभी भी दूर की पौड़ी हैकिंतु नए जूतों का चुर्रर्र करने वाला संगीत भुलाए नहीं भूलते।

मित्र ने नए जूतों का इनसाइक्लोपीडिया ज्ञान बाँटते हुए आगे कहा – यदि भूल से भी नए जूते खरीद लिये तो इन्हें कभी पास-पास मत रखना। दोनों ऐसी खिचड़ी पकायेंगे कि तुम्हारा जीना हराम कर देंगे। दोनों की ऐसी सांठ-गांठ होगी मानो वे जूते नहीं विपक्षी पार्टी हों। बात-बात में तुम्हारे विरोध में आवाज़ बुलंद करेंगे। इन्हें भूल से भी कैलेंडरघड़ीसमाचार पत्रों की रैक के पास मत रखनावरना ये कभी वेतन वृद्धि की मांग तो कभी काम करने के घंटों को लेकर तुम्हारे पीछे हाथ धोकर पड़ जायेंगे। कभी मंदिर जाने का प्लान बनाओ तो इनके साथ भूलकर भी न जाना। यदि इन्हें पता चल गया कि तुम बिना कोई मेहनत किए भगवान भरोसे अपना भाग्य बनाना चाहते हो तब तो तुम्हारी खैर नहीं। ऐसा काटेंगे तुम्हें तुम्हारी सातों पुश्तें याद आ जायेंगी।

मुझे लगा मित्र नव जूता बखान से थक गया होगा। उसे एक गिलास पानी देना चाहिए। किंतु मित्र था कि थकने का नाम ही नहीं ले रहा था। न जाने कौनसी एनर्जी ड्रिंक पीकर आया था? उसने आगे कहा – अभी तो मैंने तुम्हें सबसे जरूरी बात बताई ही नहीं। इन्हें भूल से भी पत्नी के आस-पास फटकने मत देना। ये बड़े चुगली खोर होते हैं। अपने रूप-रंग से पत्नी के सामने तुम्हारे सारे काले चिट्ठे खोलकर रख देंगे। ये तुम्हें चलने में साथ दे न दें लेकिन पिटाई में जरूर साथ देंगे। ये ऐसी-ऐसी जगह पर अपना निशान बनायेंगे कि न किसी को दिखाए बनेगा न बताए।

इतना सुनना थाकि मेरे होश उड़ गए। जैसे-तैसे होश में आते हुए हिम्मत की और पूछा - तो क्या नए जूतों का ख्याल दिमाग से निकाल दूँ? इस पर मित्र ने कहा – सावधानी बरत सकते हो तो खरीदोनहीं तो हाय-तौबा कर लो। ये इतने बदमाश होते हैं कि कितना भी महँगा मोजा खरीद लो लेकिन उसके भीतर घुसकर पैर काटने से बाज़ नहीं आते। इनके दाँत एकदम सरकार के दिखाए मनलुभावन सपनों की तरह होते हैं। मजाल जो कोई इन्हें देख लेइन्हें पहले छोटी-छोटी दूरियों के लिए साथ ले जाओ। अच्छी-अच्छी जगह घुमाओ। इन्हें विश्वास दिलाओ कि तुम एकदम निहायती शरीफ इंसान हो। तब तक ये भी अपनी पकड़ ढीली कर देंगे। तब इनके कोरों पर थोड़ा तेल लगाओ। ये और फैल जायेंगे। तब अपने वसा वाले पैरों से अपनी दुनिया में मनमानी ढंग से घूमना। कहते हैं न जब सीधी उंगली से घी न निकले तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। यही आज का मूल मंत्र है।      


मुनिया

मुनिया इंटरमीडिएट की पढाई कर रही थी। उसने आठवीं कक्षा से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। उसकी  कविताएं विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी थी। एक प्रसिद्ध पत्रिका द्वारा सूचना जारी की गई कि जो भी रचनाकार हमारी पत्रिका में रचनाएं भेजते रहे हैं, उन्हें श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से सम्मानित किया जाएगा परन्तु रचनाकारों को सर्वप्रथम पंजीकरण कराना होगा जिसके लिए एक हजार रुपए शुल्क निर्धारित की गई है। जब यह खबर मुनिया को पता चली तो वह बहुत खुश हुई परन्तु शीघ्र ही उदास हो गई क्योंकि उसके पास एक हजार रुपए नहीं थे। उसने यह बात अपनी सहेली बछिया को बताई। बछिया ने कहा कि तुम अपने घर वालों से रुपए मांग लो। तब मुनिया ने बताया कि मेरे घर वाले मुझे रुपए नहीं देंगे क्योंकि उन्हें मेरा कविता लिखना पसंद नहीं है और वो इस कार्य को बेकार मानते हैं। बछिया बोली कि एक बार कोशिश करके तो देख लो। मुनिया ने अपने मॉं-बाप को सारी बात बताई और धन मांगा परन्तु उसकी कोशिश नाकाम रही। उल्टा उसे डॉंट और खानी पड़ी।

एक दिन जब मुनिया अपने स्कूल को जा रही थी, उसे रास्ते में एक बूढ़े आदमी ने रोका और कहा कि ये कुछ धन है। मुझे कम दिखाई देता है इसलिए तुम इस धन को गिनकर मुझे बता दो कि ये कितना है? मुझे अपने बेटे को धन भेजना हैं। वो कुछ किताबें खरीदेगा क्योंकि उसकी इंटरमीडिएट की परिक्षाएं आने वाली है। मुनिया ने पूछा कि बाबा आपके पैर से खून कैसे निकल रहें हैं। उसने बताया कि मैं साइकिल से गांव गांव सब्जियां बेचता हूं और कल शाम जब मैं आ रहा था तो रास्ते में कार ने टक्कर मार दी। मैं डॉक्टर के पास भी नहीं गया क्योंकि मेरे पास सिर्फ यही धन है जो मुझे बेटे को भेजना है। मुनिया ने धन गिना। वह हजार रुपए थे। तभी उसे पंजीकरण की याद आ गई। उसने सोचा कि यह अच्छा मौका है और मुनिया धन लेकर भाग गयी। बूढ़ा आदमी चिल्लाता रह गया। उसने पंजीकरण करा दिया। उसे सम्मान समारोह में बुलाया गया। जब उसे सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया, उसे तुरंत उस बूढ़े आदमी की याद आ गई। वह सोचने लगी कि वो बाबा मुझे गालियां दे रहे होंगे और कोस रहे होंगे। वह अपने घर पहुंची, उसने स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र को टॉंड पर रख दिया। रात को जब वह अपने बिस्तर पर लेटी तो उसकी नजर स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र पर पड़ी और फिर उसे बूढे आदमी की याद आ गई। वह सोचने लगी कि बाबा कितने गरीब थे! पूरे दिन साइकिल से सब्जियां बेचते थे। उस दिन उनके पैर से खून भी निकल रहें थे। मैंने अच्छा नहीं किया और सो भी नहीं पाई। अगले दिन बछिया उसके घर आई और उसे बधाई दी। मुनिया को फिर बूढ़े आदमी की याद आ गई। वह सोच में पड़ गयी और उदास हो गई। बछिया ने उदासी का कारण पूछा। वह इस बात को बछिया को बताना चाहती थी क्योंकि ये बात उसके हृदय में कॉंटो की तरह चुभ रही थी परन्तु बता नहीं पा रही थी।


योजनाओं, परियोजनाओं बज़ट 2022 को रणनीतिक रोडमैप से धरातल पर पारदर्शिता से हितधारकों तक क्रियान्वयन करना चुनौतीपूर्ण कार्य

हर विभाग के केंद्रीय बज़ट 2022 उपरांत सकारात्मक विश्लेषण वेबीनार से उत्साह का माहौल- पीएम द्वारा खुद बजट से हर क्षेत्र की प्रभावोत्पादकता बताना सराहनीय-एड किशन भावनानी

गोंदिया - विश्व में किसी भी देश के सुव्यवस्थित विकास के लिए योजनाएं, परियोजनाएं, नीतियां और सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक बजट बनाना होता है, परंतु उससे भी महत्वपूर्ण उन योजनाओं, परियोजनाओं, नीतियों को रणनीतिक रोडमैप बनाकर पारदर्शिता से क्रियान्वयन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है!!! जिससे निपटने के लिए कुशल नेतृत्व से लेकर कुशल विशेषज्ञों, हितधारकों, शासन प्रशासन सहित आम जनता का सहयोग, साथ, रुचि अति महत्वपूर्ण है जो उन देशों के लिए विकास के सफलता की कुंजी है। 
साथियों बात अगर हम भारत की करें तो यही नीति भारत पर भी लागू होती है और रणनीतिक रोडमैप बनानें से लेकर योजनाओं, परियोजनाओं, सालाना बजट को धरातल पर पारदर्शिता से हितधारकों तक क्रियान्वयन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है!!! परंतु पिछले कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि डिजिटल इंडिया, नए भारत के परिपेक्ष में कुछ बदलते अंदाज में रणनीतिक रोडमैप बनाकर क्रियान्वयन में सुचारूता से प्रोत्साहन देनेके लिए उन लाभार्थी क्षेत्रों के जड़ में जाकर उनके लाभों को हितधारकों तक किस तरीके से पहुंचाएंगे इसका गज़ब का विश्लेषण कर वेबिनार के ज़रिए बताया जा रहा है। 
साथियों बात अगर हम वर्तमान में 1 फरवरी 2022 को घोषित बजट 2022 के संपूर्ण क्षेत्रों जैसे, स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा, परिवहन, दूरसंचार, प्रौद्योगिकी, कौशलता विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, निजीकरण, रेल सहित हर क्षेत्र और विभाग को किस तरह आर्थिक लाभ, सुरक्षित आर्थिक अलोकेशन और योजनाओं का रोडमैप तैयार किया गया है इसकी करें तो मेरा मानना है कि इस साल पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि उपरोक्त हर विभाग हर क्षेत्र के मंत्रालयों से लेकर प्रशासन स्तरपर रोज़ अलगअलग वेबिनार आयोजित किए जा रहे हैं और उसमें उस क्षेत्र के विशेषज्ञों हितधारकों, बुद्धिजीवियों सहित आम जनता को बज़ट 2022 में उस क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों के हित को समझाया जा रहा है विशेष रूप से माननीय पीएम द्वारा जिस प्रकार से गज़ब का विश्लेषण कर प्रावधानों, एलोकेशंस के लाभों को समझाया जा रहा है काबिले-ए तारीफ़ है। 
साथियों बात अगर हम पीएम द्वारा पिछले कुछ दिनों से बजट 2022 के विभिन्न क्षेत्रों में पढ़ने वाले सकारात्मक प्रभावों का उन क्षेत्रों द्वारा आयोजित वेबिनार में गज़ब के विश्लेषण की करें तो हाल ही में शिक्षा, कृषि, ग्रामीण और रक्षा क्षेत्र में वेबिनार में उनके संबोधन की करें तो शिक्षा क्षेत्र के वेबिनार में पीएम ने बज़ट 2022 में शामिल पांच पहलुओं पर विस्तार से बताया। सबसे पहले, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को व्यापक बनाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं याने शिक्षा क्षेत्र की बढ़ी हुई क्षमताओं के साथ बेहतर गुणवत्ता के साथ शिक्षा का विस्तार करना।दूसरा, कौशल विकास पर जोर दिया गया है। एक डिजिटल कौशल इकोसिस्टम बनाने, उद्योग की मांग के अनुसार कौशल विकास और बेहतर उद्योग संपर्क बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।तीसरा, भारत के प्राचीन अनुभव तथा शहरी तथा योजना एवंडिजाइनिंग के ज्ञान को शिक्षा में शामिल करना महत्वपूर्ण है।चौथा, अंतर्राष्ट्रीयकरण पर बल दिया  गया है। इसमें विश्व स्तर के विदेशी विश्वविद्यालयों का आगमन और गिफ्ट सिटी के संस्थानों को फिनटेक से संबंधित संस्थान सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है। पांचवां, एनिमेशन विजुअल इफेक्ट्स गेमिंग कॉमिक पर ध्यान केंद्रित करना, जहां रोजगार की अपार संभावनाएं हैं और जो एक बड़ा वैश्विक बाजार है। उन्होंने कहा, "इस बजट से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को साकार करने में काफी मदद मिलेगी।
कृषि क्षेत्र पर पीएम ने कहा कि बजट में कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से सात रास्ते सुझाए गए हैं।उन तरीकों पर चर्चा की जिनसे बजट कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में योगदान मिलेगा। वेबिनार 'स्मार्ट कृषि'- कार्यान्वयन के लिए रणनीतियों पर केंद्रित था।
ग्रामीण क्षेत्र पर उन्होंने कहा बजट में ग्रामीण क्षेत्र की करें तो इस बजट में सरकार द्वारा सैचुरेशन के इस बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप दिया गया है। बजट में पीएम आवास योजना, ग्रामीण सड़क योजना, जल जीवन मिशन,नॉर्थ ईस्ट की कनेक्टिविटी, गांवों की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, ऐसी हर योजना के लिए जरूरी प्रावधान किया गया है। बजट के बाद, बजट घोषणाओं को लागू करने के दिशा में आज आप सभी स्टेकहोल्डर्स से संवाद अपने आप में एक बहुत अहम है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास हमारी सरकारी की पोलिसी और एक्शन इसका मूलभूत परिणाम सूत्र है।
बजट में रक्षा क्षेत्र के विश्लेषण की करें तो, इस साल के बजट में देश के भीतर ही रिसर्च, डिज़ाइन और डेवलपमेंट से लेकर मैन्युफेक्चरिंग तक का एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है। रक्षा बजट में लगभग 70 परसेंट सिर्फ घरेलू उद्योगों के लिए रखा गया है। डिफेंस मिनिस्ट्री, अब तक 200 से भी ज्यादा रक्षा प्लेटफार्म और इक्विपमेंट्स की पॉजिटिव इंडिजेनीस्शन सूचि जारी कर चुकी है।
साथियों बात अगर हम बजट 2022 में स्वाभाविक रूप से कुछ चुनौतियों की करें तो जिस तरह से एलोकेशन किए गए हैं उसके लिए संसाधन जुटाना, पूंजीगत व्यय में वृद्धि की चुनौती, स्वास्थ्य और रोज़गार के वैकल्पिक तरीकों कौशलता विकास इत्यादि चुनौतियां है फिर भी दो समस्याएं महत्वपूर्ण हैं पहली हमें शीघ्रता से रोज़गार सृजित करने की जरूरत है। क्यों कि सार्वजनिक रूप से विनियमित संस्थानों के माध्यम से कौशल प्रदान करने के कार्य को अच्छी तरह से किये  जाने की उम्मीद पर बल देना होगा। हम सभी इस बात से अवगत हैं कि राज्य द्वारा संचालित स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा प्रणाली कैसे काम करती है, और यह इस प्रणाली को अपडेट करना है। इसलिए, यह आशा कि हम युवा महिलाओं और पुरुषों को बाजार की गतिशील और हमेशा बदलती जरूरतों से मेल खाने के लिए कौशल प्रदान कर सकते हैं, केवल एक सोचनीय हो सकता है।दूसरी बड़ी समस्या, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 (2019-21) के निष्कर्षों में हैएनएफएचएस-5 कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आदानों के वितरण में महत्वपूर्ण सुधार दिखाता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हर विभाग का केंद्रीय बजट 2022 उपरांत सकारात्मक विश्लेषण,वेबीनार से उत्सव का माहौल बन रहा है!!! क्योंकि पीएम द्वारा खुद बजट से हर क्षेत्र की प्रभावोत्पादकता का गजब का विश्लेषण किया जा रहा है जो सराहनीय है वैसे भी रणनीतिक रोडमैप से योजना, बजट 2022 का धरातल पर पारदर्शिता से हितधारकों तक क्रियान्वयन कराना चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसमें हम ज़रूर सफल होंगे। 

संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Sunday, February 20, 2022

मातृभाषाएं हमारी भावनाओं को संप्रेषित करने, एक दूसरे से जोड़ने, सशक्त बनाने, सहिष्णुता, संवाद एकजुटता को प्रेषित करने का अचूक अस्त्र व मंत्र है

 वैश्विक स्तरपर अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फ़रवरी 2022 को मनाए जा रहे पर्व पर इस साल की थीम का विषय, बहुभाषी सीखने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना- चुनौतियां और अवसर, है| इस साल का विषय बहुभाषी शिक्षा को आगे बढ़ाने और सभी के लिए गुणवत्ता शिक्षण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी की संभावित भूमिका पर केंद्रित है। वर्तमान प्रौद्योगिकी और डिजिटल युग की प्रौद्योगिकी में आज शिक्षा में कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता है। यह सभी के लिए समान और समावेशी आजीवन सीखने के अवसरों को सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयासों में तेजी ला सकता है।

साथियों बात अगर हम अन्तर्राष्ट्रीय मातृदिवस मनाने की करें तो, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को आयोजित एक विश्वव्यापी वार्षिक उत्सव है । पहली बार यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर 1999 को घोषित किया गया था, इसे औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2002 में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 56/262 को अपनाने के साथ मान्यता दी गई थी। मातृभाषा दिवस एक व्यापक पहल का हिस्सा है। 16 मई 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 61/266, में अपनाई गई दुनिया के लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी भाषाओं का संरक्षण और जिसने 2008 को अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष के रूप में भी स्थापित किया। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का विचार बांग्लादेश की पहल थी। बांग्लादेश में, 21 फरवरी उस दिन की वर्षगांठ है जब बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान ) के लोगों ने बांग्ला भाषा की मान्यता के लिए लड़ाई लड़ी थी। यह भारत के पश्चिम बंगाल में भी मनाया जाता है। 
साथियों बात अगर हम भारत सहित दुनिया में बोली जाने वाली भाषाओं की करें तो, दुनिया में बोली जाने वाली अनुमानित 6-7 हज़ार भाषाओं में से कम से कम 43 फ़ीसदी लुप्तप्राय हैं। केवल कुछ सौ भाषाओं को वास्तव में शिक्षा प्रणालियों और सार्वजनिक डोमेन में जगह दी गई है, और डिजिटल दुनिया में सौ से भी कम का उपयोग किया जाता है। अकेले भारत में  22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएं, लगभग 1635 मातृभाषाएं और 234 पहचानयोग्य मातृभाषाएं हैं| अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस इस बात की याद दिलाता है कि भाषा हमें कैसे जोड़ती है, हमें सशक्त बनाती है और दूसरों को हमारी भावनाओं को संप्रेषित करने में हमारी मदद करती है। इसी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस हर साल भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
साथियों बात अगर हम भारत में भाषाओं और हमारी जनसंख्यकीय तंत्र की करें तो हम भारतीय नागरिक विश्व में सबसे अधिक सौभाग्यशाली हैं, जहां मानवीय बौद्धिक क्षमता व भाषाई ज्ञान का अपार मृदुल बहुभाषी नागरिकों में अणखुट ख़जाना है। हमारी मातृभाषा ही निवेदिता हमारी शक्ति है। हर भारतीय मातृभाषा का गौरवशाली इतिहास समृद्धि व साहित्य है। भारतीय अनेकता में एकता की मिठास से वैश्विक स्तर पर भारतीय भाषा और साहित्य की प्रतिष्ठा बढ़ी है, जिसे रेखांकित करना हर भारतीय के लिए गौरव की बात है।
साथियों बात अगर हम हमारी मातृभाषा और भाषाई विविधता के ख़जाने को रेखांकित करने के महत्व की करें तो भारतीय बौद्धिक क्षमता विश्व प्रसिद्ध है और 135 करोड़ जनसंख्यकीय तंत्र में हर व्यक्ति के पास अपने ढंग की एक विशेष कला है जो उसे उनके भाषाई इतिहास साहित्य, पूर्वजों से मिली है जिसका उपयोग करने के लिए उनके पास उचित और पर्याप्त प्लेटफार्म नहीं है और अगर है भी तो सभी के लिए नहीं है कुछ ही लोगों के लिए है जिसे हमें रेखांकित कर उनके लिए अपना कौशल दिखाने विश्वविद्यालय स्तरपर ग्रामीण क्षेत्रों में भाषाई विविधता के कड़ियों को जोड़ने एक अभियान चलाना होगा और उस कौशल को बाहर निकालकर हमें तराशना होगा और आत्मनिर्भर भारत में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। 
साथियों बात अगर हम भाषाई विविधता को एक माला में पिरोने की करें तो इसमें राजभाषा हिंदी को एक सखी के रूप में प्रयोग करना होगा और हमारी भाषाई विविधता को हमारी शक्ति बनाना होगा। भारत खूबसूरत मानवीय बोलियों भाषाओं का एक विश्व प्रसिद्ध अभूतपूर्व संगम है। भारत 68 फ़ीसदी युवाओं वाला एक युवा देश है जहां युवाओं को अपनी मातृभाषा में बोलने पर गर्व महसूस होना चाहिए। 
साथियों बात अगर हम अपनी विशाल मातृभाषाओंं और भारतीय भाषाओं के साहित्यग्रंथों की करें तो यह हमारी पहचान है। यूं तो भारत में बावीस भाषाओं को संविधान में मान्यता दी गई है परंतु पूरे भारत की बात करें तो यहां भाषाएं व उपभाषाएं हजारों की संख्या में होंगी, जिसकी रक्षा करना और विलुप्तता से बचाने की ज़वाबदारी हमारे आज के युवाओं के ऊपर है क्योंकि आज हमारे देश की 68 प्रतिशत आबादी युवा है और इस युवा भारत के युवाओं को ही हमारी संस्कृति मातृभाषाओं, भाषाओं को जीवित रखना है। इसलिए हमें अपनी मातृभाषा को महत्व देना होगा और अपने समाज, घर, क्षेत्र में अपनी मातृभाषा में बात करना होगा ताकि उसे हम विलुप्तता से बचा सके!!! आज इसकी ज़रूरत इसलिए पड़ गई है, क्योंकि आज के बदलते परिवेश में हमारे देश में पाश्चात्य संस्कृति का प्रचलन कुछ तेज़ी से बढ़ रहा है। खासकर के युवाओं में इसका क्रेज अधिक महसूस किया जा रहा है जो बड़े शहरों से होकर अब हमारे छोटे शहरों गांवों में भी फैलने की संभावना बढ़ गई है। जिसका संज्ञान बुजुर्गों को लेना होगा और युवाओं को अपनी मातृभाषा में बोलने, संस्कृति, साहित्यग्रंथों, भाषाओं की तरफ ध्यान आकर्षित कराकर उन्हें इसके लिए प्रोत्साहन देना होगा ताकि भारतीय धरोहर को विलुप्तता से बचाया जा सके। हमने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से कई बार देखा, पड़ा, वह सुना है कि हमारे माननीय उपराष्ट्रपति का संज्ञान इस भाषाई क्षेत्र की ओर बहुत अधिक है!! और हर मौके पर इस दिशा में सुझाव, मार्गदर्शन, अपील प्रोत्साहन देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते जो काबिले तारीफ है!!! 
साथियों बात अगर हम माननीय उपराष्ट्रपति की दिनांक 12 दिसंबर 2021 को एक विश्वविद्यालय में स्थापना दिवस समारोह को संबोधन करने की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने इस संबंध में विश्‍वविद्यालयों से भारतीय भाषाओं में उन्नत अनुसंधान करने तथा भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली में सुधार लाने का सुझाव लाने की अपील की, जिससे कि उनकी व्‍यापक पहुंच तथा शिक्षा क्षेत्र में उपयोग को सुगम बनाया जा सके। उन्होंने ने आज विभिन्‍न भारतीय भाषाओं में साहित्यिक ग्रंथों के अनुवादों की संख्‍या बढ़ाने के लिए सक्रिय तथा ठोस प्रयासों की अपील की। इस संबंध में उन्‍होंने क्षेत्रीय भारतीय साहित्‍य की समृद्ध धरोहर को लोगों की मातृभाषाओं में सुलभ कराने के लिए अनुवाद में प्रौद्योगिकीय उन्‍नति का लाभ उठाने का सुझाव दिया। यह देखते हुए कि भूमंडलीकरण का व्‍यापक प्रभाव है, उन्होंने जोर देकर कहा कि यह अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि युवा अपनी सांस्‍कृतिक विरासत से संपर्क बनाए रखे। पहचान बनाने तथा युवाओं में आत्मविश्‍‍वास को बढ़ावा देने में भाषा के महत्व को देखते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी मातृभाषा में बोलने में गर्व का अनुभव करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 का लक्ष्‍य भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना तथा बच्चों की मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा को प्रोत्‍साहित करना है। उन्होंने कहा कि अनिवार्य रूप से उच्‍चतर शिक्षा तथा तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए भी शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए।

अतः अगर हम उपरोक्त गुणों का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी 2022 बहुत महत्वपूर्ण है तथा मात्र भाषाएं हमारी भावनाओं को संप्रेषित करने एक दूसरे से जोड़ने सशक्त बनाने है सुनीता संवाद एकजुटता को प्रेरित करने का अचूक अस्त्र मंत्र है तथा वर्तमान प्रौद्योगिकी व डिजिटल युग में मातृभाषा सहित बहुभाषी शिक्षा चुनौतियों का समाधान करने का अचूक अस्त्र मंत्र साबित होंगे।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ, एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र