गोंदिया - भारत आज हर क्षेत्र में जैसे, विज़न 2047, 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था, नया भारत सहित अनेक विज़नों के अनुकूल मज़बूत आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर ढांचों को स्थापित करते हुए नए-नए रणनीतिक रोडमैप बनाकर इस भविष्य कालीन खाकें पर काम कर रहें है। याने हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मज़बूत सुखी जीवन जीने की प्रणाली का पहिया अभी से डाला जा रहा हैं।
साथियों इसका मतलब यह नहीं कि हम वर्तमान जीवन की सुखद प्रणाली के ढांचागत सुधारों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं आज हम देखते हैं कि करीब 80 करोड़ लोगों के लिए किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई योजना का लाभ प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से मिल रहा है जिसमें बच्चों, युवाओं बुजुर्गों, दिव्यांगों, भिक्षुकों, ट्रांसजेंडरों, किसानों, गरीबों सहित हर वर्ग को योजनाओं में स्थान देने की कोशिश की जा रही है।
साथियों उपरोक्त कड़ी में आज हम बात भीक्षुकों और ट्रांसजेंडर की करेंगे क्योंकि आज एक पक्ष हम डिजिटल, प्रौद्योगिकी और विकसित नए भारत की कर रहें हैं तो हमारे सामने दूसरा पक्ष भिक्षकों, ट्रांसजेंडरों, गरीबों, दिव्यांगों का भी है। विकास की आंधी में हम इन्हें भुला नहीं सकते यह हमारे समाज का एक हिस्सा है। हाल ही में हमने मीडिया में सुनें कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए यह सूचित किया गया कि मंत्रालय द्वारा स्माइल, आजीविका और उद्यमों के लिए सीमांत व्यक्तियों हेतु इस्माइल नामक योजना तैयार की गई है जिसमें भिक्षुकों, ट्रांसजेंडरों के लिए व्यापक पुनर्वसन की योजना भी शामिल है।
साथियों बात अगर हम केंद्रीय योजना स्माइल अंब्रेला के नई दिल्ली में शुरू करने की करें जो 11 फरवरी 2022 को पीआईबी के अनुसार, यह अम्ब्रेला स्कीम ट्रांसजेंडर समुदाय और भीख मांगने के कार्य में संलग्न लोगों को कल्याणकारी उपाय प्रदान करने के मकसद से बनाई गई है। इसके तहत दो उप-योजनाएं शामिल हैं, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना और भीख मांगने के कार्य में संलग्न व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना’।
यह योजना उन अधिकारों की पहुंच को मजबूती प्रदान करती है और उनका विस्तार करती है जो लक्षित समूह को आवश्यक कानूनी सुरक्षा और एक सुरक्षित जीवन का वचन देते हैं। यह सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखता है जिसकी पहचान, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, व्यावसायिक अवसरों और आश्रय के कई आयामों के माध्यम से आवश्यकता होती है। मंत्रालय ने योजना के लिए वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के लिए 365 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
उप-योजना - ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना’ में निम्नलिखित घटक शामिल हैं- अ) ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए छात्रवृत्ति: नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र और स्नातकोत्तर तक के छात्रों को उनकी शिक्षा पूरी करने में सक्षम बनाने के लिए के लिए छात्रवृत्ति।ब) कौशल विकास और आजीविका- विभाग की पीएम-दक्ष योजना के तहत कौशल विकास और आजीविका क) समग्र चिकित्सा स्वास्थ्य: पीएम-जेएवाई के साथ सम्मिलन में एक व्यापक पैकेज चयनित अस्पतालों के माध्यम से लिंग-पुष्टिकरण सर्जरी का समर्थन। ड) गरिमा गृह’ के रूप में आवास आश्रय गृह ’गरिमा गृह’ जहां भोजन, वस्त्र, मनोरंजन सुविधाएं, कौशल विकास के अवसर, मनोरंजक गतिविधियां, चिकित्सा सहायता आदि प्रदान की जाएंगी।
ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ का प्रावधान- अपराधों के मामलों की निगरानी के लिए प्रत्येक राज्य में ट) ट्रांसजेंडर सुरक्षा की स्थापना करना और अपराधों का समय पर पंजीकरण, जांच और अभियोजन सुनिश्चित करना। ज) ई-सेवाएं (राष्ट्रीय पोर्टल और हेल्पलाइन एवं विज्ञापन) और अन्य कल्याणकारी उपाय। उप-योजना भीख मांगने के कार्य में संलग्न व्यक्तियों का व्यापक पुनर्वास’का फोकस इस प्रकार है-1)सर्वेक्षण और पहचान: लाभार्थियों का सर्वेक्षण और पहचान कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा किया जाएगा।2) लामबंदी: भीख मांगने वाले व्यक्तियों को आश्रय गृहों में उपलब्ध सेवाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया जाएगा। 3) बचाव/आश्रय गृह: आश्रय गृह भीख मांगने के कार्य में संलग्न बच्चों और भीख मांगने के कार्य में संलग्न व्यक्तियों के बच्चों के लिए शिक्षा की सुविधा प्रदान करेंगे।4) व्यापक पुनर्वास।
इसके अतिरिक्त,क) क्षमता, काबिलियत और अनुकूलता प्राप्त करने के लिए कौशल विकास/व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि वे स्वरोजगार में संलग्न होकर गरिमापूर्ण जीवन जी सकें।ख);दस शहरों जैसे दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना और अहमदाबाद में व्यापक पुनर्वास को लेकर पायलट परियोजनाएं शुरू की गईं।
उप योजनाओं को राष्ट्रीय समन्वयकों की एक पार्टी द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा, साथ ही मंत्रालय में एक उपयुक्त टीम बनाई जाएगी। राष्ट्रीय समन्वयक की योग्यताएं, परिलब्धियां, शक्तियां और कार्य एवं अधिकार क्षेत्र विभाग द्वारा निर्धारित की जाएगी। इसके अतिरिक्त, परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) या सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नियुक्त किसी अन्य एजेंसी/इकाई सहित मंत्रालय द्वारा नियमित अंतराल पर घटकों की निगरानी की जाएगी।
यह योजना उन अधिकारों की पहुंच को मजबूती प्रदान करती है और उनका विस्तार करती है जो लक्षित समूह को आवश्यक कानूनी सुरक्षा और एक सुरक्षित जीवन का वचन देते हैं। यह सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखता है जिसकी पहचान, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, व्यावसायिक अवसरों और आश्रय के कई आयामों के माध्यम से आवश्यकता होती है।
साथियों में बात अगर हम भिक्षावृत्ति के कारणों की करें तो यह कोई ऐसी चीज नही नही जिसे करके व्यक्ति को खुशी मिलती हो। व्यक्ति अनेक कारणों से जब परेशान व दुखी हो जाता है और उसके जीवन मे आशा की कोई किरण नही दिखती तो वह भिक्षुक बन अपना और अपने परिवार का पेट भरता है। भिक्षावृत्ति की पृष्ठभूमि में जहाँ एक तरफ वैयक्तिक कारण है जैसे शारीरिक और मानसिक दोष अथवा बीमारियाँ जैसे लूला, लंगड़ा, अपाहिज, पागल, विक्षिप्त वहीं दूसरी और आर्थिक सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कारण है। प्रथम कारण इस तथ्य का घोतक है कि व्यक्ति अपने शरीर से लाचार है कि वह किसी भी प्रकार का कठिन परिश्रम नही कर सकता है। इसलिए वह भीख मांगता है और दूसरा कारण इस बात का प्रमाण है कि यह समाज व्यक्ति को नौकरी तथा जीने की सामान्य सुविधाएं नही देता और जब व्यक्ति भूखों मरने लगता है तब भीख मांगने के सिवा उसके पास कोई दूसरा विकल्प नही होता।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे देश विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भिक्षुकों और ट्रांसजेंडर समुदाय की आजीविका, उद्यमों, कल्याण और व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय योजना स्माइल नायाब तोह़फा है तथा भीख मांगने के कार्य में संलग्न और ट्रांसजेंडर समुदाय को सुरक्षित जीवन जीने में यह योज़ना मील का पत्थर साबित होगी।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र