Tuesday, January 4, 2022

वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में मानवीय बुद्धि सब कुछ आर्टिफिशियल बनाने के चक्कर में है!!! 

प्राकृतिक मौलिकता और मृत् देह में जान फ़ूकना बाकी रहा!!! जो मानवीय बुद्धि के लिए असंभव है!!!  - एड किशन भावनानी 
 वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी का अति तीव्रता से विकास हो रहा है। शास्त्रों, पौराणिक ग्रंथों और अनेक साहित्यों में ऐसा आया है कि, सृष्टि में उपस्थित 84 करोड़ योनियों में मानव योनि सबसे सर्वश्रेष्ठ और अलौकिक बौद्धिक क्षमता का अस्तित्व धारण किए हुए हैं!! साथियों यह बात हम अक्सर आध्यात्मिक प्रवचनों में भी सुनते हैं कि यह मानवीय चोला बड़ी मुश्किल से मिलता है और इसे सत्यकर्म में उपयोग कर अपना मानव जीवन सफल बनाएं। साथियों बात अगर हम मानव बौद्धिक संपदा की क्षमता की करें तो हमें व्यवहारिक रूप से इसका लोहा मानना ही पड़ेगा। बहुत से ऐसे काम हैं, जिन्हें पहले करने में जहां देर लगती थी, वही अब चुटकियों में हो जाते हैं, इसके लिए विज्ञान के द्वारा विकसित की गई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि, ए आई) को शुक्रिया कहा जा सकता है। हालांकि आज भी जिन कामों में बुद्धि के साथ विवेक की ज़रूरत होती है,वहां एआई पर भरोसा नहीं किया जाता। क्योंकि इस मानवीय बौद्धिक क्षमता ने ऐसे करतब दिखाए हैं और ऐसी ऐसी प्रौद्योगिकी, नवाचार, विज्ञान की उत्पत्ति की है जिसका हमारे पूर्वज, पीढ़ियों द्वारा सोचना भी अचंभित था!! याने हमारे पूर्वज सपने में भी नहीं सोचते होंगे कि मानव प्रौद्योगिकी, विज्ञान नवाचार में इतना आगे बढ़ जाएगा!पड़ोसी विस्तारवादी देश ने एक ऐसे ही विवेक भरे काम के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जज फॉर प्रॉसिक्यूशन का इस्तेमाल शुरू किया है, जिसके बारे में अब तक सोचा भी नहीं गया था। साथियों बात अगर हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बौद्धिकता) की करें तो हालांकि इस दौर में इसकी ज़रूरत है लेकिन अब इसका इस्तेमाल कुछ पारंपरिक कार्यो के लिए और प्राकृतिक मौलिकता में हाथ डालने के लिए किया जा रहे। एक टीवी चैनल के अनुसार, (1) विस्तारवादी देश ने दुनिया का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पावर प्रॉसिक्यूटर तैयार कर लिया है!! यह ऐसा मशीनी प्रॉसिक्यूटर है जो तर्कों और डिबेट के आधार पर अपराधियों की पहचान करेगा और जज के समान सजा की मांग करेगा। दावा किया जा रहा है कि यह मशीनी प्रॉसिक्यूटर 97 प्रतिशत तक सही तथ्य रखता है इस टेक्नोलॉजी के साथ ही एक नई डिबेट विश्व में शुरू हो गई है। चैनल के अनुसार, दावा किया गया है कि ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला मशीनी जज वर्कलोड को कम करेगा और ज़रूरत पड़ने पर न्याय देने की प्रक्रिया में जजों को इससे रिप्लेस किया जा सकेगा। इसे डेस्कटॉप कम्प्यूटर के ज़रिये इस्तेमाल किया जा सकेगा और इसमें एक साथ अरबों आइटम्स का डेटा स्टोर किया जा सकेगा। इन सबका विश्लेषण करके ये अपना फैसला देने में सक्षम है।इसमें इस तरह के डाटा और सॉफ्टवेयर डाले गए हैं कि वह उन सभी परिस्थितियों को पढ़कर उसका फैसला देगा।  यह तार्किक तौर पर बहुत मददगार सिद्ध होगा ऐसा मानना है। इसे विकसित करने में साल 2015 से 2020 तक के हज़ारों लीगल केसेज़ का इस्तेमाल किया गया था, ये खतरनाक ड्राइवर्स, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड और जुए के मामलों में सही फैसला दे सकता है। (2) एक टीवी चैनल के अनुसार विस्तार वादी देश ने जमीन का सूरज तैयार किया है जो इतनी तेज रोशनी 20 सेकंड में बाहर फेंकता है,विस्तारवादी देश की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2006 में की थी। उन्होंने कृत्रिम सूरज को एचएल-2 एम, नाम दिया है, इसे चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन के साथ साउथवेस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया है। प्रोजेक्ट का उद्देश्य प्रतिकूल मौसम में भी सोलर एनर्जी को बनाना भी है। परमाणु फ्यूजन की मदद से तैयार इस सूरज का नियंत्रण भी इसी व्यवस्था के जरिए होगा। चीन इस प्रोजेक्ट के जरिये 150 मिलियन यानि 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान जेनरेट होगा। उनके के मुताबिक, यह असली सूरज की तुलना में दस गुना अधिक गर्म है। जैसा कि विस्तारवादी देश के प्रयोग में उत्पन्न हुआ है। बता दें कि असली सूर्य का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है।साथियों बात अगर हम, दूसरी अन्य मानवीय बुद्धि के कमाल की करें तो रोबोट मानव, चांद तक पहुंचना, चांद पर घर बनाना, एयर स्पेस में हाल ही में मानवीय टूरिज्म यात्राएं सहित अनेक अनहोनी प्रौद्योगिकी का उदय हुआ है!!! साथियों बात अगर हम मानवीय जीवन के प्राण की करें तो मेरा ऐसा मानना है कि चाहे कितनी भी लाख़ कोशिशें करें मानव बौद्धिक क्षमता इस हद तक विकसित नहीं हो सकती कि प्राकृतिक मौलिकता और मृत् देह में जान फूंक सके!!! क्योंकि बड़े बुजुर्गों का कहना है कि, गुरु सर्वगुण दे देता है, पर एक गुण अपने पास रखता है!! जो ब्रह्मास्त्र का काम करता है!! ताकि चेले में घमंड आने पर उससे भेदा जा सके!! ठीक उसी तरह कुदरत भी है! जीव में प्राण फूकना और प्राण निकालना यह मानवीय बुद्धि के बस की बात कभी नहीं होगी!!! अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सब कुछ आर्टिफिशियल हो रहा है!!! वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में मानवीय बुद्धि सब कुछ आर्टिफिशियल बनाने के चक्कर में है! जबकि प्राकृतिक मौलिकता और मृत देह में जान फूंकना बाकी रहा जो मानवीय बुद्धि के लिए असंभव है!!! 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

यक्ष प्रश्न कलयुग का

 हे धर्म राज यह भारत पूछ रहा आपसे यक्ष प्रश्न 

अगर संभव होतो हल कर दो भारत के यह यक्ष प्रश्न ll 

चार भाई के जीवन खातिर आपने हल किए सारे यक्ष प्रश्न 
आज इस कलयुग में क्यों नहीं कर रहे हल यह यक्ष प्रश्न ll

 माना भीम अर्जुन सा ना अब इस युग में है कोई बलवान
 पर आप तो समदर्शी हैं इसका कहाँ आपको गुमान ll

 उस युग में तो केवल चार जान थे संकट में
 लेकिन आज तो पूरा भारत हीं है संकट में ll 

 वहाँ तो केवल एक शकुनी जो गंदी चाले चलता था
 यह
यहाँ तो हर गली में शकुनि जो गंदी चाले चलता है ll

 वहाँ तो केवल एक दुर्योधन जिसको था सत्ता का भूख
 यहाँ तो हर घरचौराहे पर दुर्योधन खोज रहा सत्ता का सुख ll 

 एक धृतराष्ट्र मौन साधकर बुलाया कई संकट को
 यहाँ तो धृतराष्ट्र का फौज खड़ा बुला रहा संकटों को ll 

 एक शकुनी कंधार से आकर हस्तिनापुर मिटाने का रखा था दम 
आज ना जाने कितने शकुनी भारत को मिटाने का करते जतन ll

 उन दुष्टों को तो झेल गए आप अपने दृढ़ विचारों से 
अब इस भारत को कौन बचाए ऐसे कु विचारों से ll 
 दुर्योधन संग एक दुशासन चीर हरण को था बेताब।
 आज ना जाने कितने दुशासन चीरहरण को है तैयार ll 

 उस युग में तो श्रीकृष्ण थे स्वयं विष्णु के अवतार 
आज इस कलयुग में पूरा भारत हीं है निराधार ll 
 सत्ता पाने के मद में सब के सब बन बैठे धृतराष्ट्र ।
भारत माता की गरिमा को कर रहे हैं तार-तार ll 

 सेना की गरिमा को यह धूल धूसरीत करते हैं।
 अपने खादी के काले छीटें को भारत माँ पर मढते हैं ll 

 अगर उन्हें मौका मिले तो बोटी बोटी नोच कर खाएंगे ।
ऊपर से राक्षसी अट्टाहस कर हम आम जनता को डराएंगे ll 

 जब आपने स्थापित किया खुशहाल शासन आपको भी ना इसका होगा एहसास।
 एक दिन इस भरतपुर का होगा ऐसा खस्ताहाल ll

 अब जनता त्रस्त हो चुका ऐसा यक्ष प्रश्न झेल कर 
बस आपसे यही निवेदन आम जनता को शांति देदो यक्ष प्रश्न हल कर ll

 यह ना कर सकते तो आपको पुनः धरा पर आना होगा
 संगा अपने परीक्षित को लाकर पुनः एक कुशल शासक छोड़कर जाना होगा ll3 
श्री कमलेश झा भागलपुर बिहार

Tuesday, December 28, 2021

नहीं चाहिए ऐसे दोस्त!

दोस्ती का मतलब है, दोस्त को सही राह पर लाना,
उनके साथ हंसना, रोना, पढ़ना, और खाना,
उन्हें सही कार्य के लिए, हर वक्त जगाना,
कुछ लोग सोचते हैं, दोस्ती का मतलब होता है,
सिर्फ एक दोस्त को बिगाड़ना!

नहीं चाहिए ऐसी दोस्ती, जो सिर्फ मतलब से जुड़ी हो,
हर कदम, हर वक्त, सिर्फ गलत राह पर ही मुड़ी हो,
ना बनाएं ऐसे दोस्त, जिनकी राहे अच्छाइयों से जुदा हो,
उनके लिए तो सिर्फ, बुराई ही खुदा हो!

संगति ऐसी हो जो आपको निखरने दे,
ऐसी संगति ना करो, जो आपको बिखरने दे,
चाहो तो जिंदगी में कभी दोस्त ना बनाओ,
पर हर कदम, हर समय, सही राह को अपनाओ!

डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)

स्त्री और पुरुष दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। डॉ. विक्रम चौरसिया

समाज में पुरुष व महिला को संविधान द्वारा समान तौर पर समस्त अधिकार तो दिए गए हैं, लेकिन फिर भी देखे तो किसी न किसी रुप में सामाजिक रूढ़िवादी मान्यताओं व विषमताओं के कारण ही कुछ महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित रह जाती है, इसी तरह देखें तो आज बहुत से पुरूष भी पीड़ित है।स्त्री और पुरुष दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, एक दूसरे के पूरक हैं, सहयोगी हैं, विरोधी नहीं ,प्रकृति ने दोनों को एक खास मकसद से सृष्टि की निरंतरता हेतु बनाया है, दोनों एक दूसरे के लिए आवश्यक हैं, अनुपयोगी नहीं , दोनो एक दूसरे के मित्र हैं, शत्रु नहीं है। इस सृष्टि की सभी नारी किसी ना किसी की मां होती है चाहे उनसे हमारा कोई भी रिश्ता क्यों ना हो,कभी मां,कभी बहन,कभी पत्नी,कभी दादी, नानी मां और भी बहुत से रिश्ते में हमें समेटकर प्यार , स्नेह देकर सींचती है,लेकिन आज के इस वैश्वीकरण के दौर में हम देख रहे हैं कि देश के अलग अलग हिस्सों से  अक्सर ही इस तरह की खबर मिल रही है कि किसी लड़की ने थोड़ी सी ही कहासुनी हो जाने पर ही अपने लोगों पर ही बलात्कार का आरोप लगा दी ,ऐसे में  कैसे ये सृष्टि चलेगी ? देखे तो हाल ही में जारी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में पुरुषों की आत्महत्या की दर महिलाओं की तुलना में दो गुने से भी ज्यादा है, इसके पीछे तमाम कारणों में पुरुषों का घरेलू हिंसा का शिकार होना भी बताया जाता है, जिसकी शिकायत वो किसी फोरम पर कर भी नहीं पाते हैं।  हालांकि ऐसा नहीं है कि पुरुषों के खिलाफ हिंसा की किसी को जानकारी नहीं है या फिर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठती है लेकिन यह आवाज एक तो उठती ही बहुत धीमी है और उसके बाद खामोश भी बहुत जल्दी हो जाती है, वही  498A को कानूनविदों द्वारा लागू किया गया ,महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए इसे कानून का रूप दिया गया है , लेकिन वर्तमान तथ्यों और आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ महिलाओं द्वारा अपने लाभ के लिए इसका व्यापक रूप से दुरुपयोग भी किया जा रहा है और इस कारण इंसानों के लिए ये उपद्रव पैदा हो रहा है, यही कारण भी है कि यह खंड आईपीसी का सबसे अधिक विवादित खंड बना हुआ है। बलात्कार या किसी भी तरह का शोषण किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक है, ऐसे में चाहे पुरुष हो या महिला अगर कोई भी किसी का शोषण करता है तो उस पर महिला व पुरुष में भेदभाव ना करते हुए, दोनों को बराबर की सजा होनी चाहिए। यह सच्चाई ही है कि देश को शर्मसार करने वाली दिसंबर 2012 की निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड की घटना के बाद बलात्कार से संबंधित कानूनी प्रावधानों को कठोर बनाए जाने के बावजूद भी महिलाओं किशोरियों और अबोध बच्चियों के साथ दरिंदगी की घटनाओं में अपेक्षित कमी नहीं आई है, इसके बावजूद भी इस तथ्य से कैसे इंकार किया जाए कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों में निर्दोष व्यक्तियों को झूठा फंसाए जाने की घटनाएं भी बढ़ रही है, अब सवाल यह उठता है कि क्या बलात्कार जैसे संगीन अपराध से संबंधित कठोर कानूनी प्रावधान का इस्तेमाल झूठे मामले में पुरुषों को फसाने के लिए हथियार के रूप में तो नहीं किया जा रहा है। क्या झूठे मामले की वजह से समाज और परिवार में कलंकित होने वाले व्यक्ति को  ऐसी महिला के खिलाफ हर्जाने के लिए मुकदमा दायर करने की छूट नहीं मिलनी चाहिए?