Monday, December 27, 2021

मिशन-कर्मयोगी - अब शासन नहीं भूमिका!!!

हम सुपर स्पेशलाइजेशन युग में प्रवेश कर रहे हैं - शासकों को अब शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन करने का संज्ञान लेना ज़रूरी 

डिजिटलाइजेशन और स्पेशलाइजेशन युग में अब शासकीय कर्मचारियों को शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन सहिष्णुता, विनम्रता, रचनात्मकता से करना ज़रूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - समय का चक्र हमेशा घूमते रहता है, किसी की ताकत नहीं कि इस चक्र को रोक सके। आज वैश्विक रूप से प्रौद्योगिकी, विज्ञान, नवाचार, नवोन्मेष तीव्र गति से विकसित हो रहे हैं परंतु ऐसा कोई नवाचार प्रौद्योगिकी न आई है, और ना ही कभी आएगी जो समय के चक्र को रोक सके!!! साथियों समय था उनका! जब बड़े-बड़े राजाओं महाराजाओं ने भारत पर राज़ किया समय था!! समय था उनका! जब अंग्रेजों नें भारत पर राज़ किया!! स्वतंत्रता के बाद समय था उनका! जिसने इतने वर्षों तक राज़ किया!! समय का चक्र घूमते गया किसी का लिहाज नहीं किया!! किसी को आसमान से जमीन पर गिराया! तो किसी को ज़मीन से आसमान तक पहुंचाया!! वाह समय साहिबान जी!! तुम्हारी गत तुम ही जानों!! साथियों बात अगर हम शासन प्रशासन की करें तो समय था उनका! जब मानवीय हसते कार्य होता था!! आज अगर हम अंदाज लगाएं तो सोच सकते हैं कि क्या कुछ नहीं हो सकता होगा उस समय परंतु इसमें किसी का दोष नहीं है क्योंकि वह भी एक समय था उनका!! आज डिजिटल भारत स्पेशलाइजेशन युग में डिजिटलाइजेशन हो रहा है तो यह भी समय का चक्र है कि पूरा काम डिजिटल हो गया है, उसमें अनेकों लीकेजस के रास्ते बंद हो गए हैं!! बाकी बचे लेकेजेस भी बंद होने के कगार पर हैं और देश सुशासन की ओर बढ़ रहा है। हालांकि यह भी एक कहावत है कि कितने भी कानून बना लो पर भ्रष्टाचार वालों के भी रास्ते गुपचुप निकल ही आते हैं!!! साथियों बात सच है परंतु आज इस दिशा में भी तीव्रता से उपाय ढूंढ कर लीकेजेज को पूर्णतः बंद करना ज़रूरी होगा साथियों बात अगर हम शासन प्रशासन के सेवकों की करें तो आज के डिजिटल इंडिया में अब उनको अपनी शासन प्रशासन की स्थिति को अब शासन नहीं, भूमिका में बदलना होगा!! उन्हें अपनी प्रक्रिया, कार्यवाही का निर्वहन, सहिष्णुता विनम्रता और रचनात्मक लहजे में करना होगा ताकि शिकायतकर्ताओं के समाधान की ओर बढ़ा जाए। प्रक्रिया में या सख्त लहजे में, नियमों में, ना उलझा जाए इस तरह की नियमावली बनाने का संज्ञान शासन ने तीव्रता से लेना होगा तथा नागरिकों को अपनी वास्तविक भूमिका मालक के रूप में मिले इसलिए उन्हें पावरफुल बनाना होगा ताकि भ्रष्टाचार रूपी दानव को दफनाने में 135 करोड़ जनसंख्या के 270 करोड़ हाथ एक साथ उठ जाएं ताकि यह दानव कभी सर नहीं उठा सके और हम फिर सतयुग की ओर भारत को लेजाकर सोने की चिड़िया का दर्जा वापस दिलाने में सामर्थ बने। साथियों बात अगर हम दिनांक 23 दिसंबर 2021 को माननीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी कहा, पीएम के नए लक्ष्य को पूरा करने के लिए शासन की वर्तमान में जारी व्यस्था को शासन से भूमिका में बदलने की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है ताकि भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्होंने कहा कि सामान्य व्यवस्था का युग समाप्त हो गया है और यह प्रशासन के लिए कहीं अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि हम सुपर स्पेशलाइजेशन के युग में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा को अपनी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए महत्वपूर्ण दक्षताओं पर केंद्रित होना चाहिए और मिशन कर्मयोगी का मुख्य लक्ष्य यही है कि नागरिक शासन को भविष्य के लिए उपयुक्त और उद्देश्य के लिए उपयुक्त की योग्यता वाला बनाया जा सके। सिविल सेवकों को रचनात्मक, कल्पनाशील और अभिनव प्रयोगवादी सक्रिय और विनम्र होना, पेशेवर और प्रगतिशील होना, ऊर्जावान और सक्षम होना, कुशल और प्रभावी होना, पारदर्शी और नई तकनीक के उपयोग हेतु सक्षम होने के पीएम के आह्वान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सिविल के लिए अपने दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए, यह जरूरी है कि देश भर के सिविल सेवकों के पास दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान का सही सेट हो। उन्होंने कहा, इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के शुभारंभ सहित कई पहल की हैं। कार्यक्रम से सरकार में मानव संसाधन प्रबंधन के विभिन्न आयामों को एकीकृत करने की उम्मीद है, जैसे कि सावधानीपूर्वक क्यूरेटेड और सत्यापित डिजिटल ई-लर्निंग सामग्री के माध्यम से क्षमता निर्माण, योग्यता मानचित्रण के माध्यम से सही व्यक्ति को सही भूमिका में तैनात करना, उत्तराधिकार योजना, आदि। सुशासन सप्ताह के आयोजन के हिस्से के रूप में मिशन कर्मयोगी – भविष्य का ख़ाका विषय पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य नागरिक सेवाओं के लिए भविष्य की महत्वपूर्ण दूरदर्शिता है जिससे अगले 25 वर्षों के लिए रोडमैप प्रभावी ढंग से निर्धारित हो सकेगा और 2047 तक भारत की शताब्दी को आकार दे सकेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मिशन कर्मयोगी के माध्यम से पीएम द्वारा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा, इस मिशन की स्थापन इस मान्यता में निहित है कि एक नागरिक-केंद्रित सिविल सेवा की सही भूमिका, कार्यात्मक विशेषज्ञता और अपने क्षेत्र के बारे में अपेक्षित ज्ञान के साथ सशक्त होती है, के परिणामस्वरूप जीवनयापन को बेहतर बनाने और व्यवसाय करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि लगातार बदलती जनसांख्यिकी, डिजिटल क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव के साथ-साथ बढ़ती सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता की पृष्ठभूमि में, सिविल सेवकों को अधिक गतिशील और पेशेवर बनने के लिए सशक्त करने की आवश्यकता है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मिशन कर्मयोगी अब शासन नहीं भूमिका है। हम सुपर स्पेशलाइजेशन युग में प्रवेश कर रहे हैं प्रशासकों को अब शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन करने का संज्ञान लेना ज़रूरी हैं। डिजिटलाइजेशन और स्पेशलाइजेशन युग में अब शासकीय कर्मचारियों को शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन सहिष्णुता, विनम्रता रचनात्मकता से करना ज़रूरी है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Sunday, December 26, 2021

क्या आप बोल्ड हैं

वीरेंद्र बहादुर सिंह 

एक सवाल है कि आप कितना बोल्ड है? यह तो बहुत बोल्ड महिला है या यह तो बहुत बोल्ड पुरुष है... ? आप पर लगा यह लेबल आप को अच्छा लगता है? आप के परिवार वालों को अच्छा लगता है? क्या आप एक बोल्ड महिला को पत्नी के रूप में पसंद करेंगें? क्या आप को लगता है कि बोल्ड महिला को पत्नी के रूप में स्वीकार करने के बाद वह सामान्य महिला के रूप में संबंध निभाएगी?
एक महिला के लिए बोल्डनेस क्या हो सकती है? किसी पुरूष मित्र के कंधे पर हाथ रख कर सिगरेट पीना? बिंदास गालियां देना? स्पेगेटी ब्लाउज, आफ शोल्डर टीशर्ट या पैंटी दिखाई दे इस तरह की स्कर्ट्स पहनना? दोस्ती से बिस्तर तक पहुंचने वाले संबंधों को खुलेआम स्वीकार करना? सास-ससुर की बातों को न मानना?
एक पुरुष के लिए बोल्डनेस क्या हो सकती है? छाती ठोक कर अपने मन की बात कहना? अपनी अनपढ़ पत्नी के साथ न पटने की बात स्वीकार करना? अपने एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप का बखान करना? बगल से गुजरने वाली लड़की को देख कर शरीर में होने वाली सनसनाहट को सब के सामने स्वीकार करना?
बोल्ड होना क्या है? बहादुरी? समूह से अलग होने की टेक्निक? स्वभाव? प्रमाणिकता?
बोल्ड होने का मतलब अपनी गलतियों को स्वीकार करना। बोल्ड होने का मतलब यानी अपनी गलतियों को स्वीकार कर नई शुरुआत करना। बोल्ड होने का मतलब अपनी इच्छाओं को न दबाना। एकदम अंजान सुनसान रास्ते पर अंधेरी रात में अकेली जाना यह बोल्डनेस नहीं है, पर ऐसे अंजान रास्ते पर अकेली जाने में डर लगता है, यह स्वीकार करना बोल्डनेस है। जिस तरह जी रही हो, वह सब स्वीकार कर लेना बोल्डनेस नहीं है। पर जिस तरह जी रही हो, उसमें से थोड़ा भी किसी को पता न चले, इस तरह उसे कहीं आड़े हाथों छुपा रखो, यह बोल्डनेस है। कपड़े के अंदर हर आदमी नंगा होता है। पर कपड़ा पहन कर घूम रहे समूह के बीच एकदम नग्न हो निकल पड़ना भी बोल्डनेस नहीं है।
बोल्डनेस गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड नहीं की जा सकती। सोशल मीडिया पर जम कर लिखने, फलानाफलाना का खुलासा करने से आप बोल्ड नहीं हो जातीं। 'बोल्ड' होने के लिए जिस तरह शार्पनर में पेंसिल छीली जाती है, उस तरह छिलना पड़ता है। मुट्ठियां जलानी पड़ती हैं। जली मुट्ठियों का पसीना पीना पड़ता है।
आप की बोल्डनेस का आप के कपड़े से कोई लेनादेना नहीं है। आप की बड़ी सी लाल बिंदी या आप के बढ़े बालों से आप की बोल्डनेस को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता। बोल्डनेस किसी भी तरह के प्रतीकों से नहीं आती। गांव की पूरी तरह शरीर ढ़ंकने वाली महिला खुद अपने लिए कोई निर्णय लेती है तो उसे बोल्ड कहा जा सकता है। 'जाओ, तुम शहर जा कर अपना कैरियर बनाओ, मैं यहां रह कर संघर्ष करूंगी।' पति के कंधे पर हाथ रख कर यह कहने वाली महिला भी बोल्ड है और गड्ढ़े में गिरे बेटे को निकलने की राह देखने वाली महिला भी बोल्ड है। पूरे दिन आफिस में काम कर के घर आने वाले पति को दूध या दही लेने के लिए चौराहे पर भेजने वाली महिला बोल्ड नहीं है। पर पूरे दिन काम करने वाले पति की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले लेने वाली पत्नी जरूर बोल्ड है। 
अगर बोल्ड होने का दिखावा करने के लिए आप कार्पोरेट मीटिंग में शराब पीती हैं, खुद को बुद्धिशाली साबित करने के लिए सामने वाले व्यक्ति को नीचा दिखाती हैं, उसका अपमान करती हैं, अपने पूर्व के संबंधों के बारे में सार्वजनिक रूप से चर्चा करती हैं, जैसा रह लही हैं, वैसा सचसच कह जाती हैं, एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लेती हैं, पोर्न फिल्मों या सेक्स की बातें करती हैं तो आप बोल्ड नहीं, मूर्ख हैं। रांग साइड में बाइक चलाना या शहर की सड़कों पर 120 की स्पीड में कार चलाना बोल्डनेस नहीं है। अगर आप के अंदर शिष्टता है तो आप बोल्ड हो सकती हैं। जब आप अपना सुरक्षा कवच तोड़ कर उसमें से बाहर कदम रखती हैं तो आप बोल्डनेस की ओर पहला कदम बढ़ाती हैं। सब कुछ जानते हुए भी आप चुप रहना पसंद करती हैं तो आप बोल्डनेस की अंगुली पकड़ रही होती हैं। जब आप किसी के ऊपर आर्थिक रूप से डिपेंड नहीं रहना चाहतीं, तब आस बोल्डनेस को गले लगा रही होती हैं। जिंदगी में, नौकरी में या धंधे में, संबंधों में आने वाले हर संघर्ष के लिए तैयार रहती हैं तो आप बोल्डनेस को अपने अंदर उतारती हैं।
बोल्ड मनुष्य वह है जो खूब शक्तीशाली होने के बावजूद अपनी शक्तियों को काबू में रख सके। बोल्ड मनुष्य वह है, जो अपने संबंधों का प्रचार करने के बजाय संबंधों में की गई अपनी गलती को बेझिझक कबूल कर सके। बोल्ड मनुष्य वह है जो संबंधों-धंधे में खुद की गलती को अपने कंधे पर ले सके। बोल्ड रहने के लिए खुद के साथ कमिटेड रहना पड़ता है। झूठ को समझना पड़ता है और सत्य को खुला रखना पड़ता है। बोल्डनेस हर किसी को रास नहीं आती, बोल्ड होने के लिए जलते अंगारे पर बिना चीखे नंगे पैर चलने का साहस करना पड़ता है।  
कृत्रिम बोल्डनेस को ओढ़ कर चलने वाला मनुष्य किसी भी समय नंगा हो सकता है। बोल्डनेस दिखाने के लिए सिगरेट के कश लेना, शराब पीना या शिष्टता भंग करने की कतई जरूरत नहीं है। बोल्डनेस दिखाने की पहली सोढ़ी है स्वीकार। किसी भी परिस्थिति, संयोग को स्वीकार करना। सार्वजनिक रूप से या आईने के सामने खड़े हो कर या खुद के सामने। आप की बोल्डनेस दुनिया नहीं देखेगी तो चलेगा, पर आप को जरूर पता होनी चाहिए।

वीरेंद्र बहादुर सिंह 
जेड-436ए, सेक्टर-12,

डिजिटल भारत में अनुपालन बोझ को कम करने सुधारों की ज़रूरत

वैधानिक मापनविधा को गैर-अपराधी बनाने की ज़रूरत - स्वसत्यापन, स्वप्रमाणन, स्वनियमन को बढ़ावा देने की ज़रूरत 

डिजिटल भारत में सरकारी विभागों के मामलों में नियमों, प्रक्रियात्मक पहलुओं, को गैर-अपराधिक करने और आवेदक़ के शिकायतों का निवारण संवेदनशील तरीके से करने की ज़रूरत - एड किशन भावनानी 
गोंदिया - भारत बड़ी तेज़ी के साथ डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते हुए डिजिटलाइजेशन की आंधी में,संकरी गलियों रूपी मानव हस्तकार्य याने हैंडवर्क को विशाल चौड़े रास्तों याने डिजिटलाइजेशन की ओर लाया जा सके ताकि सब काम तेजी से हो अर्थात एकसंकरी गली विशाल रोडरस्ते का स्थान लेकर हजारों लाखों काम एक साथ हो, यह है हमारे नए भारत का रणनीतिक रोड मैप का एक हिस्सा!!! साथियों इस डिजिटलाइजेशन में रहते हुए बात अगर हम जीवनयापन के लिए व्यापार, व्यवसाय या कोई गैर सरकारी निजी काम करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की प्रक्रियाओं के अनुपालन की करें तो करीब -करीब हर इस क्षेत्र से जुड़े नागरिक को अनुभव होगा के सरकारी ऑफिसों के कितने चक्कर लगाने पड़ते हैं!!! हर विभाग के एक छोटे से छोटे आवेदन कागज से लेकर उसके प्रमाणपत्र पाने तक का कितना लंबा समय होता है!!! यह हम सबको अनुभव है! अब ज़रूरत है इस प्रोटोकॉल, नियमावली नियमों विनियमों को कम करने की या समाप्त करने की!! अब समय आ गया है कि छोटे-छोटे वैधानिक मापनविधा को अपराध रहित बनाया जाए और इसके स्थान पर स्वसत्यापन स्वप्रमाणिन और स्वनियमन को बढ़ावा हर क्षेत्र में सरकारी विभागों में दिया जाए। साथियों बात अगर हम इस क्रियात्मक प्रोटोकॉल या नियमावली की करें तो हर क्षेत्र के सरकारी बाबू के द्वारा इस प्राथमिक स्तरपर ही प्रक्रियात्मक नियमावली का हवाला देकर प्रक्रियात्मक, नियमात्मक, आवेदन फामरमेट, टिकट, इतने दिन इस टेबल पर, इतने टाइमपर, फ़िर यह सब करने पर उन कागजों का सत्यापन, प्रमाणन, हलफनामा, अनेक नियम नहीं करने पर अपराधिक संज्ञान का हवाला और हलफनामा इत्यादि से अब डिजिटल इंडिया में नागरिक बहुत परेशान हो चुके है। अब केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस तरह के अनुपालन बोझ को कम करने या हटाने का स्वतः संज्ञान सरकारों द्वारा लेना ज़रूरी है। साथियों बात अगर हम करीब 1500 अनुपयोगी कानूनों को रद्द करने और करीब 25000 से अधिक अनुपालनों को कम करने की करें तो हमने कुछ साल पहले देखे थे कि संसद से अनेक अनुपयोगी कानून हटाए गए थे और अनेक मामलों में एक कानून बनाकर लागू किया गया था जिसका जीता जागता उदाहरण जीएसटी है!!! इसी तर्ज पर अब नियमों विनियमों के अनुपालनों के बोझ को कम किया जाए या हटाया जाए! अब इनसे लोगों को बांधना उचित नहीं है। नियमों विनियमों प्रक्रियाओं का हवाला देकर शिकायतकर्ता की शिकायतों का समाधान रोकना उचित नहीं! अब संवेदनशीलता व सहिष्णुता का उपयोग अधिक ज़रूरी है, क्योंकि अब डिजिटल इंडिया है!!! साथियों बात अगर हम दिनांक 22 दिसंबर 2021 को वाणिज्य मंत्री द्वारा एक कार्यक्रम को संबोधन करने की करें तो वाणिज्य मंत्रालय की पीआईबी के अनुसार, वैधानिक मापनविद्या को गैर-अपराधी बनाने की जरूरत पर उन्होंने उद्योग क्षेत्र के प्रतिभागियों से प्रक्रियाओं में सुधार और उन्नति की मांग करते रहने का अनुरोध किया। उन्होंने स्व-सत्यापन, स्व-प्रमाणन और स्व-नियमन को बढ़ावा देने का भी आह्वाहन किया। उन्होंने आगे कहा कि अब उचित समय आ गया है कि नागरिकों की ईमानदारी पर भरोसा करके अनुपालन प्रणाली को बनाई जाए। पूरे दिन चलने वाली इस कार्यशाला को तीन समानांतर सत्रों में बांटा गया था। इनमें पहले सत्र की विषयवस्तु सरकारी विभागोंके बीच व्यवधान को समाप्त करना और तालमेल बढ़ाना था। वहीं, दूसरा सत्र नागरिक सेवाओं के कुशल वितरण के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की की कार्यशीलता की विषयवस्तु पर आधारित था। सबसे आखिर में तीसरे सत्र को प्रभावी शिकायत निवारण  की विषयवस्तु पर आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि अनुपालन जरूरतों को डिजाइन करते समय सभी हितधारकों, विशेष रूप से उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखने के साथ-साथ जमीनी वास्तविकता पर भी हमेशा विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने नीति निर्माताओं से उन अनुपालनों के विवरण को पता लगाने के लिए क्राउड सोर्सिंग का उपयोग करने का अनुरोध किया, जो बोझिल साबित हो रहे थे और उन्हें युक्तिसंगत बनाने पर काम किया गया। भारी सुधारों का आह्वाहन करते हुए उन्होंने कहा कि नए संरचनाओं को लोगों से बांधना नहीं चाहिए। हितधारकों के बीच सूचना की विषमता के समाधान की जरूरत को रेखांकित करते हुए, अनुपालन बोझ को कम करने में अब तक प्राप्त लाभ को एकीकृत करने का आह्वाहन किया। इस कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के सचिव ने कहा कि शिकायत निवारण प्रणाली को मानवीय और संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जिन मामलों में नियमों और प्रक्रियात्मक पहलुओं के कारण शिकायतों का पूरी तरह से समाधान नहीं किया जा सकता है, उनके बारे में शिकायतकर्ता को संवेदनशील तरीके से अवगत कराया जाना चाहिए। सरकारी विभाग मानवीयता की भावना के साथ वास्तविक शिकायतों को संभाल सकते हैं। मंत्री ने कहा कि इससे जब स्वीकृति व अनुमति के लिए आवेदन करने की बात हो तो दोहराए जाने वाली प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाया जा सके और खाई व अतिरेकताओं को समाप्त किया जा सके। उन्होंने व्यापार और व्यक्तियों के लिए आधार, पैन और टैन इत्यादि जैसे मौजूदा कई पहचान संख्याओं को मिलाकर एक एकल पहचान संख्या बनाने का आह्वाहन किया, जिससे सेवाओं का वितरण आसानी और तेजी से हो सके। तकनीक की अनंत संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की सहायता करनी चाहिए व जीवन जीने व व्यापार करने में सहजता को बढ़ावा देने के लिए पहल करने के साथ अनुपालन प्रणाली को और ज्यादा जटिल नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने भारत के सामने आने वाली समस्याओं के स्वदेशी समाधान को विकसित करने की जरूरत का भी उल्लेख किया। उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व, नौकरशाही और उद्योग नेतृत्व से अनुरोध किया कि वे अनुपालन बोझ को कम करने के लिए सादगी के सिद्धांतों व सेवाओं के समय पर वितरण से संबंधित अपनी पहल पर ध्यान केंद्रित करें। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि डिजिटल भारत में अनुपालन बोझ को कम करने सुधारों की ज़रूरत है तथा वैधानिक मापनविधा को गैर-अपराधी बनाने की ज़रूरत एवं स्वसत्यापन स्वप्रमाणन स्वनियमन को बढ़ावा देने की ज़रूरत है तथा डिजिटल भारत में सरकारी विभागों के मामलों में नियमों, प्रक्रियात्मक पहलुओं को गैर-अपराधिक करने और आवेदक के शिकायतों का निपटान संवेदनशीलता सहिष्णुता तरीके से करने की ज़रूरत है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

आज जन्मदिन विशेष है

उस महान आत्मा का ,

जो भारत की पहचान था।
अटल के नाम से विख्यात था।

चले गए इस दुनिया से वो।
लेकिन भारत को विश्व गुरु l
की श्रेणी में लाकर खड़ा किया,
आतंकवाद को खत्म किया |

भारत भूमि से दुश्मन को l
सीमा से खदेड भागने पर मजबूर किया,
भारत की ताकत का लोहा
दुश्मनों को फिर मनवा दिया l 

राजनीति का पुरोधा था वो।
लडकर कभी हार नहीं माना
हार कर भी जीतने की।
उम्मीद पर जीता रहा।

मौत को बांध मुठ्ठी में भर कर।
जिंदगी का सफर में चलता रहा।
अटल था वो अटल हैं अटल 
रहेगा ।
यही संदेश दुनिया को देकर गया।
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      शैलेन्द पयासी ( स्वतंत्र लेखक 
विजयराघवगढ़, कटनी मध्यप्रदेश