Tuesday, December 21, 2021

हुमाना पीपुल टू पीपुल इंडिया के द्वारा कराया गया मेंहदी प्रतियोगिता

अयोध्या टाइम्स चन्द्र प्रकाश शुक्ला

 समाज सेवी संस्था हुमाना पीपुल टू पीपुल इंडिया जो कि ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों के शिक्षा पर अग्रणी कार्य कर रही है इसी के साथ ही साथ अन्य क्षेत्रों में भी अपना योगदान दे रही है, इसी के परिप्रेक्ष में आज दिनांक 21/ 12/ 2021 को प्राथमिक विद्यालय कुट्टी में कम्युनिटी इंगेजमेंट के अंतर्गत मेहंदी प्रतियोगिता के साथ ही साथ बच्चों के खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया यह कार्यक्रम हुमाना पीपुल टू पीपुल इंडिया के जिला समन्वयक श्री विकास कुमार माल वाल जी के कुशल निर्देशन में संपन्न हुआ और कार्यक्रम को सकुशल संपन्न कराने हेतु कदम एक्सेलरेटर श्री सत्येंद्र कुमार त्रिपाठी व हेमकांत जी ने अपना पूर्ण सहयोग  प्रदान किया इस कार्यक्रम में विद्यालय की प्रधानाध्यापिका दुर्गेश शर्मा जी वा सहायक अध्यापिका अर्चिता मिश्रा, निधि शुक्ला तथा शिक्षामित्र श्रीमती उर्मिला देवी एवं श्री सुरेश कुमार जी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण परिवेश की महिलाएं एकत्र हुई उनसे उनके बच्चों से संबंधित चर्चाएं की गई तथा बच्चों की शिक्षा कैसे सुधारी जाए इस मुद्दे पर भी बातचीत किया गया और


अंत में विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती दुर्गेश शर्मा जी ने सभी अभिभावकों को संबोधित किया और उनसे आग्रह किया कि बच्चों के शिक्षा के प्रति सचेत रहें यदि विद्यालय के भरोसे रहे तो बच्चों की शिक्षा पूरी तरीके से संचालित नहीं हो सकती इसमें अभिभावकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है, और अंत में कहा कि हुमाना परिवार को बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने ग्रामीण परिवेश में शिक्षा की ऐसी ज्योति जलाई है।

Thursday, December 2, 2021

नीति आयोग ने विवाद से बचने, रोकथाम और ऑनलाइन समाधान के लिए रिपोर्ट जारी की - न्याय तक त्वरित पहुंच के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान पर जोर दिया

पंच निर्णय, सुलह, मध्यस्थता और ऑनलाइन विवाद समाधान, आपसी सहमति से विवाद निपटाने शीघ्र न्याय पाने का सशक्त माध्यम - एड किशन भावनानी

 कोविड-19 महामारी ने वैश्विक रूप से हर क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया जिसमें न्यायपालिका क्षेत्र भी शामिल है। 2020 में महामारी की भयंकर त्रासदी में उच्चतम न्यायपालिका द्वारा अंतिम तारीखों में अगले आदेश तक रोक, अनेक दिशानिर्देश, आदेश, जनहित, लोकहित व महामारी के प्रभाव से बचने के लिए न्यायालय में केवल अर्जेंट मैटर तक ही सीमित किए थे और अपनी जिम्मेदारी का खूबसूरती के साथ निर्वहन किया जो काबिले तारीफ है। साथियों परंतु इस अवधि में निचली कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हजारों, लाखों मामलों पर कार्यवाही के स्थगन से माननीय न्यायपालिका के ऊपर बोझ बढ़ा। हालांकि अभी पूरी क्षमतासे न्यायपालिका अपने कार्यों का निर्वहन कर रहे हैं परंतु पुराने व नए मामलों का बैलेंस तो रहेगा ही। अतः हम जनता का भी फ़र्ज बनता है कि अनेक ऐसे मामले होते हैं जो हम आपस में ही निपटा सकते हैं या फिर एडीआर यानेने पंचनिर्णय, सुलह और मध्यस्थता, विवाद समाधान कानून के तहत या फिर ओडीआर याने ऑनलाइन विवाद समाधान की ओर ले जा सकते हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि कोरोना महामारी के पीक अवधि में न्यायालयीन कार्य पूर्ण रूप से ऑनलाइन लेवल पर ही चल रहे थे, जिसका बहुत गहरा अनुभव न्यायपालिका से जुड़े हर व्यक्ति को भी हो गया है। साथियों बात अगर हम नीति आयोग की करें तो आयोग ने 2020 में कोविड-19 संकट के दौरान ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) पर रिपोर्ट देने के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश माननीय ए के सीकरी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। उस समिति ने अपनी रिपोर्ट डिजाइनिंग द फ्यूचर ऑफ डिसप्यूट रिजॉल्युशनः द ओडीआर पॉलिसी प्लान फॉर इंडिया, याने विवाद समाधान का भविष्यकालीन ढांचा - भारत के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान नीति योजना रिपोर्ट, नीति आयोग को सौंपी दी है। साथियों बात अगर हम नीति आयोग की दिनांक 29 नवंबर 2021 को जारी पीआईबी की करें तो नीति आयोग ने उपरोक्त रिपोर्ट जारी कर दी है रिपोर्ट में उल्लिखित सिफारिशों के लागू होने से भारत को तकनीक के इस्तेमाल से और हर व्यक्ति के लिए न्याय की प्रभावी पहुंच के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) के माध्यम से नवाचार में भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने में सहायता मिल सकती है। रिपोर्ट भारत में ओडीआर फ्रेमवर्क को अपनाने से जुड़ी चुनौतियों से पार पाने के लिए तीन स्तरीय उपायों की सिफारिश करती है। ढांचागत स्तर पर यह डिजिटल साक्षरता, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार और ओडीआर सेवाओं के वितरण के लिए पेशेवरों को तटस्थ रूप में प्रशिक्षित करने की दिशा में काम करने का सुझाव देती है। व्यवहारगत स्तर पर, रिपोर्ट सरकारी विभागों और मंत्रालयों से जुड़े विवादों के समाधान के लिए ओडीआर को अपनाने की सिफारिश करती है। नियामकीय स्तर पर, रिपोर्ट ओडीआर प्लेटफॉर्म और सेवाओं के विनियमन के लिए नरम रुख अपनाने की सिफारिश करती है। इसमें इकोसिस्टम में विकास को प्रोत्साहन और नवाचारों को बढ़ावा देते हुए स्व-विनियमन के उद्देश्य से ओडीआर सेवा प्रदाताओं को मार्गदर्शन के लिए डिजाइन और नैतिक सिद्धांतों का निर्धारण शामिल हैं।रिपोर्ट कानूनों में जरूरी संशोधन करके ओडीआर के लिए मौजूदा विधायी ढांचे को मजबूत बनाने पर भी जोर देती है। रिपोर्ट भारत मेंओडीआर के लिए चरणबद्ध कार्यान्वयन के फ्रेमवर्क की पेशकश करती है। हमें ओडीआर की क्यों जरूरत है ? कोविड-19 महामारी के चलते समाज का एक बड़ा तबका समय से न्याय हासिल करने में नाकाम रहा है। महामारी के चलते पहले से लंबी अदालती प्रक्रियाओं पर और अधिक बोझ बढ़ाने वाले विवादों की बाढ़ आ गई है। भारत सरकार के प्रमुख नीतिगत थिंकटैंक के रूप में, नीति आयोग ने उन लोगों को किफायती, प्रभावी और समयबद्ध न्याय दिलाने में सहायता के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल की, जिनको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। ओडीआर में अदालत के बोझ को कम करने में सहायता करने और मामलों की विभिन्न श्रेणियों के कुशलतापूर्वक समाधान की पूरी क्षमता है। इसे ई-लोकअदालत के माध्यम से अदालत से जुड़े वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) केंद्रों में तकनीक के एकीकरण के माध्यम से न्यायपालिका को समर्थन देने के लिए एकीकृत भी किया जा सकता है और इसे आंतरिक विवादों के लिए सरकारी विभागों के भीतर भी पेश किया जाना चाहिए।नीति आयोग द्वारा तमाम हितधारकों के साथ मिलकर 20 हितधारक परामर्श और संस्थागत व व्यक्तिगत स्तर पर लगभग 100 संवादों सहित व्यापक चर्चा कराई गई। विचार-विमर्श के दौरान जनता से भी राय मांगी गई थी। हर अदालत के सामने आने वाले विविध मुकदमों में, बेहद मौलिक और बहुत छोटे नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण विवादों का समूह होता है, जिन्हें अदालत के सामने नहीं आना चाहिए। मोटर दुर्घटना दावे, चेक बाउंस के मामले, व्यक्तिगत आघात के दावे जैसे मामले और ऐसे मामले जो निपटारे के लिए ओडीआर के पास जा सकते हैं, इनमें शामिल हैं। नीति आयोग की ओडीआर पहल सराहनीय है और मसौदा रिपोर्ट को सावधानीपूर्वक संकलित कर लिया गया है। यह विवाद समाधान और तकनीक के बीच इंटरफेस व भारत में इसके लिए संभावनाओं का अनूठा विश्लेषण है। ओडीआर क्या है ? ओडीआर डिजिटल प्रौद्योगिकी और पंच निर्णय, सुलह व मध्यस्थता जैसे एडीआर के उपायों के इस्तेमाल से विशेष रूप से लघु और मध्यम मूल्य के मामलों से जुड़े विवादों का समाधान है। यह पारम्परिक अदालती व्यवस्था के बाहर विवाद से बचने, रोकथाम और संकल्प के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की प्रक्रिया का उल्लेख करती है।विवाद समाधान के माध्यम के रूप में यह सार्वजनिक अदालती व्यवस्था के विस्तार और उससे इतर दोनों के तौर पर प्रदान किया जा सकता है। दुनिया भर में, विवाद समाधान की क्षमता विशेष रूप से प्रौद्योगिकी के माध्यम से पहचानी जा रही है। ओडीआर को कोविड-19 के कारण पैदा बाधाओं से निपटने के लिए सरकार, व्यवसायों और यहां तक ​​कि न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रोत्साहन मिला है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि रिपोर्ट में न्याय तक त्वरित पहुंच के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान पर जोर दिया गया है तथा पंचनिर्णय, सुलह, मध्यस्थता, वैकल्पिक विवाद समाधान और ऑनलाइन विवाद समाधान, आपसी सहमति से विवाद निपटाने, शीघ्र न्याय पाने का सशक्त माध्यम है जिसे जनता ने अपनाना चाहिए। 

कयामत

उस रोज़  कयामत  दबें पांव मेरे घर  तक  आई  थी।

इंसान  का मानता  हूँ.....
कोई वजूद  नहीं।
उस रब  ने साथ  मिलकर  मेरी हस्ती  मिटाई  थी।

उस रोज़  कयामत  दबें पांव मेरे घर  तक  आई  थी।
शगुन -अपशगुण  की,
कोई बात  ना आई  थी।
समझ  ही ना पाया,
किसने नज़र  लगाई।
किसने नज़र  चुराई  थी।

उस रोज़  कयामत  दबें पांव मेरे घर  तक  आई  थी।
ना दुआओं ने असर  दिखाया।
ना ज्योतिषी कोई गिन पाया।
ना हवन - पूजन काम  आया।
ना मन्नत का कोई  धागा किस्मत बदल  पाया।

उस रोज़  कयामत  दबें पांव मेरे घर  तक  आई  थी।
सजदे  में जिसके हम  थे।
लगता  था .....नहीं कोई गम  थे।
उसने भी  हाथ  छोड़ा।
विश्वास  ऐसा तोड़ा।
जिंदगी ने,मार कर   फिर से जिन्दा छोड़ा।

उस रोज़  कयामत  दबें पांव मेरे घर  तक  आई  थी।
मै समझा  नहीं.....  क्योकि
अनगिनत विश्वाशों....  ने आँखों पर 
एक गहरी  परत  चढ़ाई  थी।
रब  है....... कहाँ!!!!!!!
कहाँ.......उसकी सुनवाई  थी।

स्वरचित रचना
 प्रीति शर्मा "असीम"
 नालागढ़,हिमाचल प्रदेश

बहादुर बच्चे

रवि और शनि अच्छे दोस्त थे और एक दूसरे के पड़ोसी भी थे। दोनों में काफी गहरी मित्रता थी इसलिए उनके माता - पिता ने दोनों का एक ही स्कूल में दाखिला कर दिया। दोंनो साथ-साथ स्कूल जाते थे। दोनों का अधिकतर समय साथ में ही बीतता था।

एक दिन जब छुट्टी के बाद दोनों घर लौट रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक वृद्ध आदमी को एक गाड़ी वाले ने टक्कर मार दी जिससे उसके सिर में चोट आ गयी और खून बहने लगा। गाड़ी वाले ने उस वृद्ध को अस्पताल पहुँचाने के बजाय झट से गाड़ी बढ़ाकर जाने लगा। रवि ने बड़ी चालाकी से तुरन्त गाड़ी का नंबर नोट कर लिया। और दोनों बिना समय गवाए उस वृद्ध की मदद के लिए दौड़ पड़े।

शनि ने अपने बैग से पानी की बोतल निकालकर उन्हें पानी पिलाया। रवि ने अपना रुमाल निकालकर उनके सिर में बाँधा जिससे ज्यादा खून न बहने पाए। उसके बाद उन्हें सहारा देकर उठाया और एक पेड़ की छाया के नीचे बैठाया।

रवि और शनि ने देखा कि अभी तक कोई भी उनकी मदद के लिए नहीं आया। रवि ने शनि से कहा - तुम इनके पास रहो। तब तक मैं किसी से मोबाइल माँगता हूँ। 

रवि वहीं पास में रखी एक पैन गुमटी के पास गया और पान वाले अंकल से बोला- अंकल जी एक कॉल कर दीजिए प्लीज़।

पान वाले अंकल ने कहा- बेटा, मेरे पास मोबाइल तो है लेकिन मैं पढ़ा-लिखा नही हूँ इसीलिए किसी का फ़ोन आता है तो ये हरा बटन दबाकर उठा लेता हूँ और लाल बटन दबाकर काट देता हूँ लेकिन किसी को फ़ोन नहीं कर पाता।
रवि ने कहा- कोई बात नहीं अंकल जी , आप मुझे फ़ोन दे दीजिए मैं कॉल करना जनता हूँ।

रवि ने फ़ोन लिया और 102 नंबर डायल करके एम्बुलेंस को बुलाया। उसके बाद 112 नंबर डायल करके पुलिस को घटना की सारी जानकारी दी और उस गाड़ी का नंबर भी बताया जिसने टक्कर मारी थी। 

थोड़ी देर में ही एम्बुलेंस आ गयी। उन्होंने उन वृद्ध को एम्बुलेंस में बैठाया । और ड्राइवर से कहा- अंकल जी आप इन्हें अस्पताल ले जाइए, हमने पुलिस को फ़ोन कर दिया है, वो लोग आते ही होंगे। आप देर करेंगे तो दादाजी की हालत और न बिगड़ जाए।

इतना कहकर दोनों ने उन वृद्ध से कहा- दादाजी अब आप ठीक हो जाएंगे। अभी आप इन लोगो के साथ अस्पताल जाइये, हम लोगों को काफी देर हो गयी है और देर होगी तो घर वाले परेशान होंगे। हम लोग कल अपने मम्मी पापा को लेकर अस्पताल आएंगे।
इतना कहकर वो दोनों घर आ गए और अपने मम्मी पापा को सारी बात बताई। रवि के दादाजी ने रवि के पापा से कहा - बेटा कल तुम जल्दी आ जाना और इन दोनों को अस्पताल लिवा ले जाना और साथ में हम भी चलेंगे।

अगले दिन जब रवि और शनि स्कूल गए तो सुबह प्रार्थना कर बाद बताया गया कि आज प्रधानाचार्य जी छुट्टी पर है और महीने का अंतिम दिन होने के कारण आज हाफ डे हो जाएगा।

रवि और शनि ये सुनकर काफी खुश हुए। क्योंकि अब वो अस्पताल में दादाजी से मिल भी आएंगे और समय से अपना होमवर्क भी कर लेंगे। छुट्टी के बाद दोनों घर गए और कपड़े बदले और खाना खाएं। फिर अपने पापा और दादाजी के साथ दोनो अस्पताल गए।

अस्पताल पहुँचने के बाद देखा कि उनके प्रधानाचार्य जी इमरजेंसी के बाहर बैठे हुए हैं। रवि के पापा उनके पास गए और पूछा- सर आप यहाँ कैसे? प्रधानाचार्य ने बताया कि उनके पिताजी यहाँ भर्ती हैं। और आपका कैसे आना हुआ। बच्चे भी साथ आये हैं कोई बीमार है क्या?

रवि के पापा कुछ बोल पाते कि वो एम्बुलेंस वाला ड्राइवर वहाँ आया और प्रधानाचार्य जी से बोला-सर! ये वही बच्चे हैं जिन्होंने आपके पिताजी की कल मदद की थी।

इतना सुनते ही रवि और शनि एकदम से चौंक गए। प्रधानाचार्य जी भी उन दोनों के अच्छे संस्कार और बहादुरी से बहुत खुश हुए। रवि और शनि काफी देर तक अस्पताल में रहे। दादाजी से बातें भी की और शाम को घर वापस आ गए।

अगले कुछ दिनों बाद 14 नवंबर को स्कूल में बाल दिवस मनाया जाना था। इस दिन पंडित नेहरू का जन्म हुआ था। रवि और शनि भी स्कूल गए। सब बच्चे काफी खुश थे। सबसे पहले हिंदी वाले सर ने मां सरस्वती जी और फिर पंडित नेहरू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उसके बाद प्रधानाचार्य जी को मंच पर कुछ शब्द कहने के लिए आमंत्रित किया।

प्रधानाचार्य जी ने पहले कुछ बातें पंडित नेहरू के बारे में बच्चों को बताई। उसके बाद रवि और शनि की बहादुरी वाली बातें भी सबको बतायीं की रवि और शनि ने कितने सूझ बूझ के साथ उनके पिताजी की मदद की थी। उनकी बहादुरी की बातें सुनकर सभी बच्चो ने तालियां बजायीं।

प्रधानाचार्य जी ने दोनों को मंच पर बुलाकर पुरस्कार दिए। और जीवन मे हमेशा खुश रहने और तरक्की करने का आशीर्वाद भी दिया। रवि और शनि भी बहुत खुश थे।


नाम–अरुण यादव
पता–हमीरपुर उत्तर प्रदेश 210501