(रवि कुमार भार्गव अयोध्या टाइम्स सिरहाकोठी पूर्वीचंपारण)
आज सप्ताहिक श्रीमद्भागवत गीता कथा कार्यक्रम में रवि कुमार भार्गव ने कहा कि काम क्रोध और लोभ ये तीनों मनुष्य का पतन करने वाले हैं।जिनका उद्देश्य भोग भोगना और संग्रह करना होता है,वे लोग अपनी सोंच समझ के अनुसार अपनी उन्नति करने के लिए इन तीनों दोषों को हितकारी मान लेते हैं।उनका यही भाव रहता है कि हम लोग काम आदि से सुख पायेंगे,आराम से रहेंगे,खूब भोग भोगेंगे,यही भाव उनकी मनुष्य जीवन का पतन कर देता है।
ये काम क्रोध आदि नरको के दरवाजे हैं, इसलिए मनुष्य इनका त्याग कर दें।भोग भोगना"काम"है,दूसरे को रिस्ते की जाल में,प्रेम की जाल में,कोई काम की लालच देकर धन संग्रह करना, "लोभ" है,किसी असहाय की स्त्री जमीन पर कब्जा करना साक्षात मृत्यु के गाल में समाने की कदम है,आप जानते हैं कि इन तीनों मे बाधा आने पर लिप्त ब्यक्ति को बाधा उत्पन्न करने वाले ब्यक्ति पर क्रोध आ जाता है।ये तीनों ही आसुरी सम्पत्ति के मूल रूप हैं, मनुष्य सभी तरह के पाप इन तीनों के वशीभूत होकर ही करता है, इसलिए हम दैवी शक्ति सम्पत्ति वाले मनुष्य को अपने अन्दर इन तीनों काम क्रोध लोभ को नही आने देनी चाहिए।