Saturday, November 27, 2021

ग्राम जुनेदपुर में ग्राम चौपाल व शिलान्यास का कार्यक्रम सम्पन्न

पवन कुमार अयोध्या। रूदौली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत मवई ब्लाक क्षेत्र के ग्राम पंचायत सेवढ़ारा (जुनेदपुर)गांव में शनिवार को भाजपा द्वारा ग्राम चौपाल का आयोजन किया गया।जहाँ तेजतर्रार विधायक रामचंद्र यादव ने ग्राम चौपाल लगाकर कई गांव के ग्रामवासियों की समस्याओं को सुना तथा उनके त्वरित समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया।इस दौरान बिजली विभाग के अधिकारियों ने कैम्प लगाकर एक मुश्त समाधान योजना के बारे में लोगो को जानकारी दी तथा बिजली विभाग से संबंधित मामलों को निस्तारित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाजपा विधायक राम चन्द्र यादव व विशिष्ट अतिथि ब्लाक प्रमुख मवई राजीव तिवारी मौजूद रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता वेद मुनि महाराज के द्वारा किया गया व संचालन मवई मंडल अध्यक्ष अंजनी साहू ने किया।विधायक राम चंद्र यादव का महंत वेद मुनि जी महाराज ने स्वागत किया। इस दौरान उपजिलाधिकारी रुदौली स्वप्निल यादव,पुलिस क्षेत्राधिकारी सुरेंद्र प्रताप तिवारी व खंड विकास अधिकारी मोनिका पाठक मौजूद रही। विधायक रामचंद्र यादव के सामने गांव के लोगों ने अपनी विभिन्न प्रकार की समस्याओं को रखा जिसे गंभीरता से लेते हुए विधायक श्री यादव ने कुछ काम मौके पर ही समाधान कर दिया तथा शेष के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।इस दौरान विधायक ने क्षेत्र के सैकड़ों गरीब,असहाय लोगो को कंबल भी वितरित किया। विधायक ने ग्रामवासियों को संबोधित करते हुए कहा की  की प्रदेश सरकार की जो कल्याणकारी योजनाएं थी उसे आज जन-जन के लिए काम कर रही है और जो भी वादे सरकार द्वारा किये गए थे उन्हें एक-एक करके पूरा किया जा रहा है। पेंशन को लेकर चिंतित रहने वाले को आज पेंशन मिल रही है चाहे वो विधवा पेंशन हो या वृद्धावस्था पेंशन हो सभी ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय बना हुआ है ताकि लोगों को बाहर शौच के लिए न जाना पड़े यही नहीं महिलाओं का सम्मान भी इस सरकार में हुआ है, प्रधानमंत्री उज्जवला गैस कनेक्शन योजना,मुख्यमंत्री बाल योजना,पीएम किसान सम्मान निधि,प्रधानमंत्री आवास योजना,गांवो में बिजली सहित तमाम योजनाओं का लाभ आज जनता को मिल रहा है। नि:शुल्क राशन वितरण का कार्य भारतीय जनता पार्टी कि सरकार ने ही किया है। वंही ग्राम चौपाल में गायक समरपाल सिंह यादव ने अपनी टीम के साथ संगीत के माध्यम से सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का बखान किया।


इस मौके पर वरिष्ठ भाजपा नेता निर्मल शर्मा,पूर्व चेयरमैन अशोक कसौंधन,तेज तिवारी,संतोष मिश्रा,ग्राम प्रधान मुरलीधर रावत,धर्मेंद्र वर्मा,सेक्टर संयोजक राम सजीवन वर्मा,विंध्या प्रसाद,बब्लू खान,सिया राम वर्मा,सेक्टर संयोजक प्रवेंद्र वर्मा,सुरेश पेंटर,आकाश वर्मा,अखिलेश वर्मा,विवेक वर्मा,बाबा कमलापति आदि लोग मौजूद रहे।

Friday, November 19, 2021

तेरा सानिध्य

मैं तेरे पास रहूं

तेरे साथ रहूं
यही काफी है।
मंत्रों का बोझ
तंत्रो का ओज
भारी सा लगता है।
तेरी गोद में
ममता भरी छाया में
सोया रहूं
यही काफी है।
जन्म जन्मांतर की सिद्धियां
युगों-युगों की रिद्धियां
अब भारी सी लगती है
तेरा हाथ पकड़ कर
बस चलता रहूं
हर जगह
हर क्षण
यही काफ़ी है।

राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)

रील्स की रंगीन दुनिया और सेलिब्रिटी बनने का सपना

वीरेंद्र बहादुर सिंह 

एक लड़का और लड़की पहली बार मिले। लड़के ने लड़की से पूछा, "तुम क्या करती हो?" लड़की ने कहा, "मैं हीरोइन हूं।" लड़के ने हैरानी से आंखें फैला कर नया सवाल किया, "अच्छा, किस फिल्म में काम किया है?" लटकाझटका मारते हुए लड़की ने कहा, "मैं रील्स बनाती हूं।"
अब नंबर लड़की का था। लड़की ने सवाल किया, "तुम क्या करते हो?" लड़के ने सीना फुला कर कहा, "मैं सैनिक हूं।" लड़की ने नया सवाल किया, "अच्छा, कहां पोस्टिंग है?" लड़के ने कहा, "मैं पबजी खेलता हूं।" इस तरह की रील्स आप ने कहीं न कहीं जरूर देखी होगी और कहीं न कहीं इस तरह का जोक भी सुना होगा। रील्स के पीछे आज का यंगस्टर्स क्रेजी है। 
फिल्म, टेलीविजन, वेब सिरीज और इंटरटेनमेंट की दुनिया ऐसी है, जो हर किसी को एट्रैक करती है। हर आदमी का कभी न कभी तो ऐक्टिंग करने का मन हुआ ही होगा। तमाम लोगों को यह भी भ्रम होता है कि किसी फिल्म या सीरियल में काम करने का मौका मिल जाए तो दुनिया को दिखा दें कि वे भी कुछ कर सकते हैं। लड़कियां तो स्टाइल मारने में आगे ही होती हैं। अगर उनमें इस तरह की तमन्नाएं पैदा होती हैं तो कुछ गलत भी नहीं है। अब तक सवाल यह था कि छोटा तो छोटा, पर हमें फिल्म या सीरियल में रोल दे कौन? अब इसकी कोई जरूरत रही नहीं। आपको अभिनय का शौक पूरा करने के लिए रील्स हाजिर है।
रील्स में सब से बड़ा फायदा यह है कि डायलाग और म्युजिक हाजिर ही होता है। शूटिंग के लिए मोबाइल ही काफी है। शुरू कर दो एक्टिंग। अलबत्त, फ्यू सेकेंड के अभिनय में ही तमाम लोगों की समझ में यह आ जाता है कि एक्टिंग ये खाने का खेल नहीं। तमाम लोगों को यह रास भी आ जाती है। 2-4 को सेलिब्रिटी स्टेटस भी मिल जाता है। बाकी के सभी लाइक्स, फालोअर्स और व्यूज बढ़ाने के लिए झख मारते रहते हैं।
टिकटाॅक एप ने सभी को पागल कर दिया था। टिकटाॅक पर प्रतिबंध लगने के साथ ही इंस्टाग्राम, फेसबुक सहित  सभी सोशल मीडिया ने टिकटाॅक का ट्राफिक उन्हें मिले, इसके लिए प्रयास करना शुरू कर दिया था और उन्हें इसका फायदा भी हुआ। टिकटाॅक को टक्कर देने के लिए इंस्टाग्राम ने 5 अगस्त, 2002 को भारत और अमेरिका सहित 50 देशों में एक साथ रील्स लांच किया। अपने देश में रोजाना 6 मिलियन रील्स अपलोड होती है। रील्स ने इंस्टाग्राम और फेसबुक को जबरदस्त ब्रेक दिया है। 2018 में फेसबुक ने टिकटाॅक जैसा एप बनाया था। उसका नाम लासो था। पर वह चला नहीं था। इंस्टाग्राम ने प्रयोग के लिए नवंबर, 2019 में केनास नामक रील्स शुरू की थी। टिकटाॅक पर अपने देश में भले बैन लग गया है, पर टिकटाॅक आज की तारीख में 154 देशों में धूम मचा रहा है। कहने का मतलब यह है कि रील्स की ललक केवल अपने देश के लोगों में ही नहीं है। पूरी दुनिया इसके पीछे पागल है। 
रील्स बनाने के लिए तो अब प्रोफेशनल भी मैदान में आ गए हैं। वे रील्स बना कर तो देते ही हैं, किस तरह फालोअर्स और व्यूज बढ़ते हैं, इसकी टिप्स भी देते हैं। एक निश्चित समय के दौरान ही रील अपलोड करने और मैक्सिमम हेशटेग रखने को कहा जाता है। रील्स की दुनिया में दो तरह के लोग हैं। एक जो रील्स बनाते हैं और अपलोड करते हैं, दूसरे वे जो मौज से रील्स देखते हैं। रील्स ऐसी चीज है कि देखने वाला एक बार शुरू करता है तो फिर छोड़ नहीं सकता। अभी एक-दो देख लेता हूं, सोच कर वह चिपका ही रहता है। फनी रील्स से ले कर शाकिंग रील्स का बहुत बड़ा वर्ग है। रील्स के हिट होने का एक कारण यह है कि लोग अपने काम और दूसरे की चिंताओं के कारण बहुत तनाव में रहते हैं। रील्स देखने से उन्हें हल्कापान महसूस होता है। डांस के रील्स खूब पॉपुलर हुए हैं। कुछ हजार व्यूज होने के बाद पेमेंट भी मिलता है। यूट्यूबर्स में भी आगे निकलने की होड़ लगी रहती है। 
रील्स के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी काम करता रहता है। आप एक अमुक तरह की निश्चित रील्स देखते हैं तो आप के सामने उसी तरह की रील्स आती जाएगी। धार्मिक मोटिवेशन या शेरोशायरी की रील्स देखने वाले को बारबार उसी तरह की रील्स देखने को मिलेगी। आप एक रील्स को एक से अधिक बार देखते हैं तो उन्हें पता चल जाता है कि इस भाई या बहन को किस में रुचि है। आदमी को इतनी चालाकी से रील्स का आदी बना दिया जाता है कि घंटो कैसे बीत गए, उसे पता ही नहीं चलता। सोशल मीडिया संचालकों को हमेशा कुछ न कुछ नया देने का टेंशन रहता है। उन्हें इस बात का डर सताता रहता है कि कुछ नया नहीं आया तो लोग तुरंत डायवर्ट हो जाएंगे।
रील्स का कंटेंट तैयार करने के लिए बड़े पैमाने पर काम होता है। वह रील तुम ने देखी थी? झूठ बोले कौआ काटे कहा जाता है, पर सच बोले तो कहां कोयल किश करने वाली है? इस तरह के तमाम कंटेंट रोजना तैयार किए जाते हैं। जिन पर लोग रील्स बनाते हैं। श्रीलंका की यंगसिंगर योहानी दिलोका डिसल्वा का गाना 'मनिके मागे हिथे' पर हजारों लड़कियों ने सोलो और ग्रुप में डांस किए। श्रीलंका के रिपब्लिक डे ने 22 मई, 2021 को यह गाना यूट्यूब पर अपलोड किया था। इसके बाद यह वायरल हुआ। 28 साल की योहानी रातोरात पॉपुलर हो गई। इस तरह के तमाम उदाहरण हैं। मणी, पोहे बनेंगें... वाली रील भी हिट हो गई थी। पशु-पक्षियों के शिकार से ले कर विमान के उड्डयन तक की रील्स लोगों को आकर्षित करती हैं। रील्स की एक हकीकत यह भी है कि यह जितनी तेजी से हिट और वायरल होती है, उससे अधिक तेजी से भुला दी जाती है। यह ऐसी दुनिया है, जो बहुत क्षणजीवी है। बदलती रहती है। नया आता है और पुराना भूलता जाता है। कुछ भी परमानेंट नहीं है। यंगस्टर्स के लिए यह बड़ा खतरा है। कुछ रील्स जबरदस्त चलने के बाद अगर व्यूअर्स घट जाएं या फालोअर्स न बढ़ें तो यंगस्टर्स टेंशन में आ जाते हैं। उन्हें अपना सेलिब्रिटी स्टेटस छिनता नजर आने लगता है।
रील्स का क्रेज ऐसा है कि लड़के-लड़कियां जहां देखो, वहीं रील्स बनाने लगते हैं। एयरपोर्ट हो या रेलवे-स्टेशन, हिल स्टेशन हो या हाईवे, मौका मिला नहीं कि रील बना लिया। मनोचिकित्सक ऐसे युवाओं को सलाह देते हैं कि जस्ट फाल फन अधिक करो, पर इसे दिमाग पर सवार न होने दो। एंज्वॉय करो, पर इतना याद रखो कि इससे महान नहीं हो जाओगे। हां, कुछ समय के लिए चर्चित जरूर हो सकते हो। पर यह टेम्परेरी होगा। मजा करो और लोग तुम्हें भूल जाएं, उसके पहले तुम भूल जाओ। रील्स देखने वालों को भी यह सलाह दी जाती है कि देखो और मजा करो, पर समय मर्यादा का ख्याल रखें। हाथ में मोबाइल ले कर बैठे ही न रहें। आपका समय आपके लिए, आपके काम के लिए और आपके लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। किसी भी चीज में अति ठीक नहीं है। बाय द वे, आप कितना समय रील्स बनाने में  अपलोड करने में या देखने में गुजारते हैं? इस बारे में भी थोड़ा सोच कर देखना कि आप अपना समय तो बरबाद नहीं कर रहे न?

वीरेंद्र बहादुर सिंह 

चिकित्सा पेशे से जुड़े हर व्यक्ति में नैतिकता, संवेदनशीलता, सहयोग, सेवा, समर्पण का भाव अत्यंत ज़रूरी

कोविड-19 की भयंकर त्रासदी से चिकित्सा पेशे से जुड़े खट्टे-मीठे अनुभव से दो-चार हुए कोविड पीड़ितों की दासतां का स्वतःसंज्ञान नीति निर्धारकों को लेना ज़रूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक रूप से खासकर भारत में आदि-अनादि काल से ही चिकित्सक पेशे से जुड़े व्यक्तियों को खासकर डॉक्टरों को एक भगवान ईश्वर अल्लाह का दर्जा दिया हुआ है। हमारे बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि उनके जमाने में और सैकड़ों वर्षो पूर्व डॉक्टरों को वैद्य के रूप में जाना जाता था। उस समय भी हम उन्हें ईश्वर अल्लाह ही दर्जा देते थे। क्योंकि उनमें समर्पण का भाव, नैतिकता, संवेदनशीलता, सहयोग और सेवा का भाव कूट-कूट कर भरा रहता था। उस समय पैसों की इतनी अहमियत नहीं थीं, जितनी सेवा, सहयोग, समर्पण का भाव था। साथियों बात अगर हम वर्तमान चिकित्सा पेशे से जुड़े डॉक्टरों सहित हर व्यक्ति जिनमें हम फार्मा को भी शामिल कर सकते हैं की करें तो हम सब ने टीवी चैनलों, प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा दिखाए कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर देखें कि किस तरह का माहौल था। बीते डेढ़ वर्ष में मैंने स्वयं भी कोविड संबंधी अनेक ग्राउंड रिपोर्टिंग देखी और अपने सिटी में कुछ ग्राउंड रिपोर्टिंग स्थलों पर भी गया और पाया था कि बुजुर्गों द्वारा बताए गए ईश्वर अल्लाह के दर्जे से अपेक्षाकृत कहीं ना कहीं थोड़ा अलग रास्ता दिखाई दिया!! हालांकि इस स्थिति, परिस्थिति में कोविड पीड़ितों, मरीजों के रिश्तेदारों का भी रवैया कहीं ना कहीं परिस्थितिवश दिखा पर हम पूर्ण रूप से दोनों पक्षों को एकदम सही नहीं दर्शा पाए!! जिसमें अपेक्षाकृत अधिक ज़वाबदारी चिकित्सक पेशे से जुड़े फार्मा सहित पूरे समुदाय की बनती है जिसे हमें उन परिस्थितियों से सबक सीख कर उसका स्वतःसंज्ञान लेकर अपेक्षाकृत सेवा, सहनशीलता, संवेदनशीलता, समर्पण व नैतिकता का अधिकतम भाव लाने की ज़रूरत है। साथियों बात अगर हम चिकित्सा क्षेत्र के पेशे में सरकारी और निजी लेवल पर करें तो हमें उस त्रासदी दरमियान दोनों लेवल पर साफ फर्क देखने को मिला। साथियों मैंने देखा एक क्षेत्र में अपेक्षाकृत पैसों के वजन का भाव अधिक था अनेक टीवी चैनलों पर भी इस विषय पर अनेक ग्राउंड रिपोर्टिंग दिखाई गई। लेकिन समय का चक्र चलता गया!! और कई जानें बचाई गई तो कई जानें चली गई परंतु हमें इस त्रासदी से भाव सीखने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए। चिकित्सक नीति निर्धारको द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर त्रासदी पीड़ितों से उनके खट्टे-मीठे अनुभव के डाटा कलेक्शन कर आगे की सकारात्मक राह बनाने में उपयोग करना ज़रूरी है ताकि चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता, सवेंदनशीलता, सहयोग सेवा, समर्पण का भाव कूट-कूट कर भरने ज़वाबदारी, जवाबदेही तय करने की नीतियां बनाई जा सके। साथियों बात अगर हम माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा दिनांक 17 नवंबर 2021 को एक प्राइवेट लिमिटेड चिकित्सालय का उद्घाटन करने पर संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी इस अवसर पर चिकित्सा क्षेत्र में नैतिक व्यवहार का पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि कुछ गलत लोगों के कारण इस नेक पेशे का नाम खराब होता है। उन्‍होंने रोगियों को अनावश्यक जांच की सलाह देने से बचने का आह्वान किया। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बारे में बात करते हुए उन्होंने फ्रंटलाइन कोविड वॉरियर की कड़ी मेहनत, समर्पण और बलिदान के लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक महामारी ने हमें कई कठिन सबक सिखाए हैं जिसमें हमारे घरों एवं कार्यालयों में वेंटिलेशन का महत्व और हमारी प्रतिरक्षा को बेहतर करने वाले पारंपरिक स्वस्थ आहार अपनाने की आवश्यकता आदि शामिल हैं। रिकॉर्ड समय में कोविड टीका तैयार करने के लिए हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की सराहना करते हुए उन्होंने सभी से आगे बढकर टीका लगवाने का आग्रह किया। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि वे अपने बचाव में लापरवाही न करें और कोविड संबंधी उचित व्यवहार का पालन करें। उन्होंने भारतमें गैर-संक्रामक रोगों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए युवाओं को स्वस्थ एवं अनुशासित जीवन शैली अपनाने की सलाह दी। उन्होंने उनसे कहा कि गलत आदतों और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक आहार से बचने और नियमित योगाभ्‍यास अथवा साइक्लिंग जैसी शारीरिक गतिविधियां शुरू करें। उन्होंने आज सभी के लिए सस्ती एवं सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्‍होंने आधुनिक मल्‍टी - स्‍पेशिएलिटी अस्पतालों को भी ग्रामीण क्षेत्रों में सैटेलाइट सेंटर शुरू करने का सुझाव दिया। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि चिकित्सा पेशे से जुड़े हर व्यक्ति में नैतिकता संवेदनशीलता, सहयोग, सेवा, समर्पण का भाव होना अत्यंत ज़रूरी है तथा कोविड-19 की भयंकर त्रासदी ने चिकित्सा पेशे से जुड़े खट्टे-मीठे अनुभवों से दो-चार हुए कोविड पीड़ितों की दासतां का स्वतः संज्ञान चिकित्सा नीति निर्धारकों को लेना ज़रूरी है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र