Tuesday, May 25, 2021

स्टार प्लस के 'पंड्या स्टोर' ने लगाया शतक

 -अनिल बेदाग़-




मुंबई : स्टार प्लस के सबसे चर्चित शो में से एक, पंड्या स्टोर ने दर्शकों को अपनी शानदार कहानी से बांधे रखा है। इस शो में न केवल एक बेहतरीन कहानी है, बल्कि इसके कलाकारों ने अपने दर्शकों को बेहतरीन समय देने की अपनी पूरी कोशिश की है। शो के टाइम स्लॉट में बदलाव के बाद भी अपने वफादार दर्शकों से पूरी तरह से जुड़े हुए लोगों का ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहा है। शो ने अपने 100 एपिसोड पूरे होने का जश्न मनाया।
     मुख्य अभिनेता किंशुक महाजन कहते हैं, "यह हम सभी के लिए खुशी का क्षण है कि हमने 100 एपिसोड पूरे कर लिए हैं। इसके अलावा मैं अपने प्रशंसकों और दर्शकों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने लगातार हमारा समर्थन किया है और हम पर अपने प्यार की बरसात की है। कलाकारों और क्रू के प्रत्येक सदस्य को धन्यवाद देकर इस मौके का जश्न मनाने का इससे  बेहतर तरीका क्या हो सकता है, जिनका इस शो को सफल बनाने के पीछे असली हाथ हैं। पूरी यूनिट यह सुनिश्चित करने के लिए अपना दिल और आत्मा लगा देती है कि हम प्रत्येक एपिसोड के साथ दर्शकों को बांधे रखें। चैनल, प्रोड्यूसर्स, को-एक्टर्स और हमारे पूरे क्रू को मेरी ओर से हार्दिक बधाई। हम आने वाले दिनों में अपने शानदार ड्रामे के साथ दर्शकों और प्रशंसकों के मनोरंजन को जारी रखने का वादा करते हैं।"
    पांड्या स्टोर में धरा की भूमिका निभाने वाली शाइनी दोशी कहती हैं, "हम सभी अपने शो के 100वें एपिसोड के पूरा होने का जश्न मनाते हुए बेहद खुश हैं। इस शो के निर्माण में शामिल सभी लोगों के लिए यह जश्न का क्षण है, आखिरकार, एक शतक पूरा करना हमेशा एक बड़ी उपलब्धि है। मैं चैनल और निर्माताओं को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझे धारा का किरदार निभाने का यह शानदार मौका दिया। मुझे इस शो को करने में मजा आ रहा है क्योंकि यह मेरे लिए एक और सीखने का अनुभव है। मैं मानती हूँ कि हमें अब तक जो सफलता और प्यार मिला है, वह हमारी पूरी टीम के रूप में कास्ट और क्रू द्वारा किए गए शानदार काम के लिए चलते हुआ है जिसके लिए उन सभी का धन्यवाद ! साथ ही मैं प्रशंसकों और दर्शकों को उनके निरंतर और अटूट समर्थन के लिए धन्यवाद कहना चाहूंगी और भविष्य में उनके साथ एक मजबूत संबंध बनाने के लिए तत्पर हूँ। इस वक्त हमारा सेट अच्छे वाइब्स और खुशी के साथ चमक रहा है और यह मेरे लिए एक अभिनेत्री के रूप में बहुत ही संतोषजनक एहसास है। ”
    इस विशेष अवसर पर, प्रतिभाशाली कंवर ढिल्लों ने कहा, “इस शो का हिस्सा बनकर बेहद खुशी हो रही है। इसने एक संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजन करने वाले अपने वादे को पूरा किया है। जिस तरह से दर्शक और दोस्त इस ट्रैक की सराहना कर रहे हैं, उससे मैं भी बहुत उत्साहित हूं। हमने  100 एपिसोड पूरे किए हैं और कई आने वाले हैं। हम चाहते हैं कि हमारे प्रशंसक हमें हर दिन अधिक से अधिक प्यार करें। इस तरह के एक सफल शो का हिस्सा बनना वाकई जबरदस्त है। हम कहानी के एक दिलचस्प चरण की ओर बढ़ रहे हैं और मुझे दर्शकों के निरंतर समर्थन की उम्मीद है।”

Sunday, May 23, 2021

कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों के भविष्य का रणनीतिक रोडमैप, योजनाएं सरकारों द्वारा तात्कालिक बनाना जरूरी

गोंदिया - वैश्विक महामारी कोविड-19 ने काल का ग्रास बनाकर लाखों मानव जीवो की इह लीला समाप्त कर ली। और अभी भी तांडव मचाना जारी है।..बात अगर हम भारत की करें तो यहां इस महामारी की दूसरी लहर की तीव्रता में हल्का सा सुधार आना शुरू हुआ था, लेकिन इससे घातक बीमारी ब्लैक फंगस और वाइट फंगस ने तीव्रता से पैर पसारना शुरू कर दिया है और 15 राज्यों में पैर पसार दिया है जिसमें से 12 राज्यों ने इसे महामारी अधिनियम 1897 के तहत महामारी घोषित कर दिया है...बात अगर हम इन महामारीयों से ग्रस्त भारतीय परिवारों की करें तो इस भारी त्रासदी में देश के बड़ी संख्या में बच्चे अनाथ हो गए हैं याने उनके माता-पिता तथा परिवारों के सदस्य काल के गाल में समा गए हैं और यह मासूम बच्चे अनाथ हो गए हैं हालांकि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा कि उन्हें ऐसे कई मामलों की जानकारी मिली है कि कई एनजीओ उन बच्चों के बारे में बता रहे हैं जो कोविड-19 की वजह से माँ-बाप की मौत के बाद अनाथ हो गए हैं। एनसीआरपी, कमिशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स (सीपीसीआर) एक्ट, 2005 के सेक्शन 3 के तहत बनाई गई एक वैधानिक बॉडी है, जिसका काम देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा करना और इससे जुड़े मसलों को देखना है। एनसीपीसीआर ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को इस बारे में चिट्ठी लिखी है। आयोग ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति, संस्था या एनजीओ को ऐसे बच्चों की जानकारी मिलती है तो उनको इस बारे में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर जानकारी देनी होगी। हालांकि आयोग ने कहा है कि ऐसे बच्चों की किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत देखभाल और सुरक्षा की जाएगी और ऐसे बच्चों को जेजे एक्ट 2015 के सेक्शन 31 के तहत ज़िले की चाइल्ड वेलफ़ेयर कमेटी के सामने पेश करना होगा, ताकि बच्चे की देखभाल के लिए ज़रूरी आदेश पास किए जा सकें। हालांकि, इस सेवायज्ञ में योगदान के लिए कई सामाजिक संस्थाएं, गैर सरकारी संस्थाएं, एनजीओस, बड़ी संख्या में आगे आ रहे हैं और इस सेवायज्ञ में अपना योगदान देने की हामी भरी है परंतु मेरा यह निजी मानना है कि इसमें सेवा यज्ञ को इन गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा मदद करने में आने वाली सरकारी प्रक्रिया को कुछ सरल करना होगा जिसके लिए एक आसान रणनीतिक रोडमैप योजना बनाकर बाल संरक्षण संबंधी कुछ कानूनों में लचीलापन या ढील देने का नोटिफिकेशन जारी करना होगा, ताकि अधिक से अधिक गैर सरकारी संस्थाएं, सामाजिक संस्थाएं और एनजीओस इस सेवायज्ञ में सामने आकर बच्चों के भविष्य को सवारे। केंद्रीय महिला और बाल विकासमंत्रालय की माननीय मंत्री ने भी 1 मई 2021 को अपराह्न 7.24 पर   एक ट्वीट करके बताया कि भारत सरकार ने सभी राज्यों से संपर्क करके कोविड-19 की वजह से अपने माँ-बाप को खोने वाले बच्चों को जेजे एक्ट के तहत संरक्षण देना सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय ने राज्यों से अपील की है कि वो बाल कल्याण समितियों को ज़रूरतमंद बच्चों के बारे में सक्रिय रूप से पता करते रहने के काम में लगाएँ। वहीं दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने भी एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. डीसीपीसीआर के चेयरपर्सन ने ट्वीट कर कहा, अगर आपको ऐसे ज़रूरतमंद बच्चों के बारे में पता चलता है तो संपर्क करें, डीसीपीसीआर 24 घंटे के अंदर मदद करेगा।...वही बात अगर हम राज्य सरकारों द्वारा बेसहारा बच्चों की योजनाओं की करतेहैं तो मध्यप्रदेश श्रम विभाग ने सी एम कोविड-19 जन कल्याण (पेंशन, शिक्षा व राशन) योजना का आदेश जारी किजा जा चुका है। आदेश के मुताबिक, काेरोना से अनाथ बच्चों को 21 साल तक हर माह 5 हजार रुपए पेंशन दी जाएगी। आदेश के मुताबिक, काेरोना से अनाथ हुए बच्चों को 21 साल तक प्रति माह 5 हजार रुपए पेंशन स्कीम देने का वादा किया गया है। हालांकि, इस योजना को सिर्फ 30 मार्च 2021 से 31 जुलाई 2021 तक के लिये प्रभावी किया गया है। इस अवधि के दौरान ही कोरोना से मृत्यु होने पर अनाथआश्रितों को योजना का लाभ मिल सकेगा। उधर गुजरात सरकार ने भी ऐसे ही बेसहारा बच्चों को हर महीने 4, हज़ार रुपये 18 साल की उम्र तक देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की मीटिंग में ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, हालांकि, गुजरात सरकार की एक योजना पहलेसे चल रही है जिसमें अनाथ बच्चों के अभिभावक को हर महीने 3, हज़ार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है।..उधर दिल्ली में कोरोना वायरस कहर में अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों की परवरिश का जिम्मा राज्य सरकार उठाएगी। इसके अलावा, उनकी पढ़ाई का खर्च भी दिल्ली सरकार देगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित दिल्ली की जनता का सहारा बनने का ऐलान किया है। जिन बुजुर्गों के कमाने वाले बच्चे नहीं रहे, उनकी भी आर्थिक मदद सरकार करेगी। उधर कोविड-19 में बेसहारा हुए बच्चों की मदद का मामला अदालतों की दहलीज पर भी जा पहुंच गया है और माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अतः उपरोक्त पूरे मामले पर अगर हम विश्लेषण करें तो मेरा मानना है कि उपरोक्त राज्य सरकारों द्वारा दी गई योजनाओं में शर्तों, बंधनों, कागजी कार्यवाही, में परिस्थितियों को देखते हुए कुछ ढीला रुख अपनाया जाएगा तो बेसहारा बच्चों को जल्द राहत मिलेगी और उनका भविष्य सुरक्षित होगा और इस तरह की योजनाएं सभी राज्यों ने बनाकर घोषणा करना चाहिए तथा केंद्र सरकार द्वारा भी रणनीतिक रोडमैप योजना बनाकर तात्कालिक घोषणा करना चाहिए। 


विकास पुत्र की लालसा में अबला

सन 2005  की वो हसी शाम थी।जिस दिन हमारी शादी कुर्सी से हुई आज सोलह वर्ष हो गये लेकिन विकास पुत्र का जन्म नही हुआ ।महिला, माता, बूढे, बुजुर्ग, की दर्द भरी कहानी जो विकास के खोखले दावो की पोल खोलता गंगा तट पर दफन हो गया । क्या कुर्सी के कुमारों एक भी विकास पुत्र पैदा कर पाएँगे? 

वैसे कुमारों ने अपनी सेहत और अपने उठने बैठने के तौर तरीके में खूब विकास की है। देखा जाय तो ऊँचे ऊँचे बिल्डिंग बनी, व्यापारियो के ऋण माफ किए गये,म्यूजियम, यौवन की उन्नति के लिए जगह जगह रास लीलापार्क, ओवरब्रिज, पुल पुलिया, सडक, पानी, बिजली लेकिन सबसे जरूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पूरे साम्राज्य में ऐसी विखरी कि आज कुमारो को विनास पुरूष का तगमा लिए फिर रहे हैं। ऐसी शादी का क्या जो विगत सत्रह सालो में एक स्वास्थ्य रूपी स्वस्थ पुत्र पैदा नही कर पायी।रोते विलखते लोग परिजन दर दर ठोकर खाएँ और कुमारो भीडिओ फेसबुक और व्हाट एक के जरिए चंद चाटुकार से भोजन का स्वाद पूछकर विकास का वखान चैनल पर करते रहे ।शहर की राजधानी की नामी गिरामी अस्पताल में मरीज के साथ हैवानियत बालात्कार क्या नही ? मुजफ्फरपुर चमकी, चारा, अलकतरा सेल्टर होम,सृजन ऐसे कई कारनामें है जिसे अब सहने की आदत सी पड़ गयी है।
आज लिखते हुए हाथ कांपते है मगर इस दर्द विदारक घड़ी में कलम को ही हथियार बना लिया हूँ क्योंकि मैं एक वेवश अबला नारी हूँ। बिहार मायका है मेरा और इस मायके की यह दुर्दशा देखकर मैं विवश और रो पडी हूँ । ऐसे न जाने कितने अस्पताल है जिसके उद्घाटन तो हुए लेकिन न दवा है न डाक्टर न सफाई है न व्यवस्था सारी बस किताबो के पन्ने में दब गयी और योजनाओं की पैसा तिजोरियों में आखिर यह बंदरबांट का खेल खेलकर कैसे विकास पुत्र पैदा करेगे।
अब महीने दिन बाद बिहार पुनःबाढ की विभीषिका झेलेगा और उजड़ जाएगी कितने विकास पुत्र, मां के कोख में ही कोशी, कमला, गंडक, गंगा की लहरों में दम तोड़ देंगी। यह सिलसिला आज से नही सदियों से चली आ रही है।प्रत्येक साल दावे होते है लेकिन लाखो की तादाद में लोग प्रभावित होते है।फिर मुआवजे और रिलीफ फंड का ढिंढोरा पीटकर घडल्ले से तिजोरी भरे जाते हैं और विकास पुत्र को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है।
विकास पुत्र पैदा करने के सपने तो हर अबला नारी को दिखाया जाता है लेकिन ऐसी सरकारें या सिस्टम नहीं बना जो विकास पुत्र ही पैदा करे।हां घोटाले पुत्र की फौज खडी है जब घोटाला पुत्र की तादाद बढ़ जाय तो कोई विकासपुत्र की उम्मीद कैसे रखे पक्ष हो या विपक्ष सभी घोटाले में दबे होते है और उसमें दबती है मां की आशाएं बहन का सुहाग और फिर रोज मरता है विकास पुत्र ।
                                           आशुतोष 
                                          पटना बिहार 

Saturday, May 22, 2021

मौनी रॉय ने दिया इस्कॉन फाउंडेशन में योगदान

-अनिल बेदाग़-


मुंबई : मौनी रॉय उन कुछ अभिनेत्रियों में से एक रही हैं जिन्होंने हमेशा नेक कामों का समर्थन किया है। इस भयानक महामारी के दौरान मौनी अपने साथी देशवासियों की यथा संभव मदद करती रही हैं। वह अब इस्कॉन फाउंडेशन की प्रमुख मायापुर के बारे में जानकारी साझा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रही है और पश्चिम बंगाल का यह छोटा शहर चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण कैसे पीड़ित है यह बात रही है। 
      अस्पताल, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑन-कॉल डॉक्टर और संबंधित चिकित्सा आपूर्ति नहीं होने से आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ बस्ती के लोग भी पीड़ित हैं। इस्कॉन फाउंडेशन मायापुर में एक चिकित्सा सुविधा का निर्माण कर रहा है जो कोविड -19 से पीड़ित लोगों को उचित चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में मदद करेगी। मौनी रॉय ने अब इस नेक काम के लिए अपनी क्षमता अनुसार इस्कॉन फाउंडेशन को दान दिया है। उसी के बारे में बात करते हुए एक वीडियो साझा करने के लिए मौनी ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। 
    मौनी रॉय ने हाल ही में इस कोविड -19 संकट के बीच जरूरतमंद लोगों की मदद करने की दिशा में उनके इस नेक काम को आगे बढ़ाते हुए गिव इंडिया फाउंडेशन को दान दिया था। अपने वीडियो में, मौनी रॉय ने अपने प्रशंसकों और फ़ॉलोअर्स से इस संदेश को फैलाने और इस्कॉन फाउंडेशन के प्रति दान के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने का अनुरोध किया। इस नेक काम के लिए जितने अधिक लोग आगे आएं और दान करें, इस से इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित लोगों को लड़ने में ज्यादा सहायता मिलेगी। 
     मौनी रॉय को लगता है कि मनुष्य के रूप में यह हमारा मूल कर्तव्य है कि इस कठिन महामारी के समय में एक-दूसरे की हर संभव मदद करें।