गोंदिया - वैश्विक महामारी कोविड-19 ने काल का ग्रास बनाकर लाखों मानव जीवो की इह लीला समाप्त कर ली। और अभी भी तांडव मचाना जारी है।..बात अगर हम भारत की करें तो यहां इस महामारी की दूसरी लहर की तीव्रता में हल्का सा सुधार आना शुरू हुआ था, लेकिन इससे घातक बीमारी ब्लैक फंगस और वाइट फंगस ने तीव्रता से पैर पसारना शुरू कर दिया है और 15 राज्यों में पैर पसार दिया है जिसमें से 12 राज्यों ने इसे महामारी अधिनियम 1897 के तहत महामारी घोषित कर दिया है...बात अगर हम इन महामारीयों से ग्रस्त भारतीय परिवारों की करें तो इस भारी त्रासदी में देश के बड़ी संख्या में बच्चे अनाथ हो गए हैं याने उनके माता-पिता तथा परिवारों के सदस्य काल के गाल में समा गए हैं और यह मासूम बच्चे अनाथ हो गए हैं हालांकि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा कि उन्हें ऐसे कई मामलों की जानकारी मिली है कि कई एनजीओ उन बच्चों के बारे में बता रहे हैं जो कोविड-19 की वजह से माँ-बाप की मौत के बाद अनाथ हो गए हैं। एनसीआरपी, कमिशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स (सीपीसीआर) एक्ट, 2005 के सेक्शन 3 के तहत बनाई गई एक वैधानिक बॉडी है, जिसका काम देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा करना और इससे जुड़े मसलों को देखना है। एनसीपीसीआर ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को इस बारे में चिट्ठी लिखी है। आयोग ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति, संस्था या एनजीओ को ऐसे बच्चों की जानकारी मिलती है तो उनको इस बारे में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर जानकारी देनी होगी। हालांकि आयोग ने कहा है कि ऐसे बच्चों की किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत देखभाल और सुरक्षा की जाएगी और ऐसे बच्चों को जेजे एक्ट 2015 के सेक्शन 31 के तहत ज़िले की चाइल्ड वेलफ़ेयर कमेटी के सामने पेश करना होगा, ताकि बच्चे की देखभाल के लिए ज़रूरी आदेश पास किए जा सकें। हालांकि, इस सेवायज्ञ में योगदान के लिए कई सामाजिक संस्थाएं, गैर सरकारी संस्थाएं, एनजीओस, बड़ी संख्या में आगे आ रहे हैं और इस सेवायज्ञ में अपना योगदान देने की हामी भरी है परंतु मेरा यह निजी मानना है कि इसमें सेवा यज्ञ को इन गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा मदद करने में आने वाली सरकारी प्रक्रिया को कुछ सरल करना होगा जिसके लिए एक आसान रणनीतिक रोडमैप योजना बनाकर बाल संरक्षण संबंधी कुछ कानूनों में लचीलापन या ढील देने का नोटिफिकेशन जारी करना होगा, ताकि अधिक से अधिक गैर सरकारी संस्थाएं, सामाजिक संस्थाएं और एनजीओस इस सेवायज्ञ में सामने आकर बच्चों के भविष्य को सवारे। केंद्रीय महिला और बाल विकासमंत्रालय की माननीय मंत्री ने भी 1 मई 2021 को अपराह्न 7.24 पर एक ट्वीट करके बताया कि भारत सरकार ने सभी राज्यों से संपर्क करके कोविड-19 की वजह से अपने माँ-बाप को खोने वाले बच्चों को जेजे एक्ट के तहत संरक्षण देना सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय ने राज्यों से अपील की है कि वो बाल कल्याण समितियों को ज़रूरतमंद बच्चों के बारे में सक्रिय रूप से पता करते रहने के काम में लगाएँ। वहीं दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने भी एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. डीसीपीसीआर के चेयरपर्सन ने ट्वीट कर कहा, अगर आपको ऐसे ज़रूरतमंद बच्चों के बारे में पता चलता है तो संपर्क करें, डीसीपीसीआर 24 घंटे के अंदर मदद करेगा।...वही बात अगर हम राज्य सरकारों द्वारा बेसहारा बच्चों की योजनाओं की करतेहैं तो मध्यप्रदेश श्रम विभाग ने सी एम कोविड-19 जन कल्याण (पेंशन, शिक्षा व राशन) योजना का आदेश जारी किजा जा चुका है। आदेश के मुताबिक, काेरोना से अनाथ बच्चों को 21 साल तक हर माह 5 हजार रुपए पेंशन दी जाएगी। आदेश के मुताबिक, काेरोना से अनाथ हुए बच्चों को 21 साल तक प्रति माह 5 हजार रुपए पेंशन स्कीम देने का वादा किया गया है। हालांकि, इस योजना को सिर्फ 30 मार्च 2021 से 31 जुलाई 2021 तक के लिये प्रभावी किया गया है। इस अवधि के दौरान ही कोरोना से मृत्यु होने पर अनाथआश्रितों को योजना का लाभ मिल सकेगा। उधर गुजरात सरकार ने भी ऐसे ही बेसहारा बच्चों को हर महीने 4, हज़ार रुपये 18 साल की उम्र तक देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की मीटिंग में ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, हालांकि, गुजरात सरकार की एक योजना पहलेसे चल रही है जिसमें अनाथ बच्चों के अभिभावक को हर महीने 3, हज़ार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है।..उधर दिल्ली में कोरोना वायरस कहर में अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों की परवरिश का जिम्मा राज्य सरकार उठाएगी। इसके अलावा, उनकी पढ़ाई का खर्च भी दिल्ली सरकार देगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित दिल्ली की जनता का सहारा बनने का ऐलान किया है। जिन बुजुर्गों के कमाने वाले बच्चे नहीं रहे, उनकी भी आर्थिक मदद सरकार करेगी। उधर कोविड-19 में बेसहारा हुए बच्चों की मदद का मामला अदालतों की दहलीज पर भी जा पहुंच गया है और माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अतः उपरोक्त पूरे मामले पर अगर हम विश्लेषण करें तो मेरा मानना है कि उपरोक्त राज्य सरकारों द्वारा दी गई योजनाओं में शर्तों, बंधनों, कागजी कार्यवाही, में परिस्थितियों को देखते हुए कुछ ढीला रुख अपनाया जाएगा तो बेसहारा बच्चों को जल्द राहत मिलेगी और उनका भविष्य सुरक्षित होगा और इस तरह की योजनाएं सभी राज्यों ने बनाकर घोषणा करना चाहिए तथा केंद्र सरकार द्वारा भी रणनीतिक रोडमैप योजना बनाकर तात्कालिक घोषणा करना चाहिए।