Tuesday, May 18, 2021

कोविड-19 - वैज्ञानिक आधार को बढ़ावा देना जरूरी - गांवों में भ्रांतियों को ख़ारिज कर जनजागरण अभियान चलाना जरूरी

21वीं सदी के डिजिटल युग में भ्रांतियों, टोटकों और जादू टोना प्रथा को स्वतः संज्ञान लेकर लगाम लगाना जरूरी - एड किशन भावनानी

गोंदिया - वैश्विक रूप से कोरोना महामारी अपना तांडव मचा रही है। हालांकि कुछ विकसित देशों ने इसे वैज्ञानिक आधार, वैक्सीनेशन, लॉकडाउन, दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन के आधार पर कोरोना महामारी को मात देने के करीब पहुंच गए हैं और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने हेतु अग्रसर हो गए हैं।मंगलवार दिनांक18 मई 2021को माननीय प्रधानमंत्री ने 9 राज्यों के 46 कलेक्टरों से प्रथम चरण की वर्चुअल बैठक की जिसमें माननीय पीएम ने महामारी से निपटने संबंधी अनेक मंत्रों सहित मार्गदर्शन में कहा गावों तक महामारी के संक्रमण के विस्तार को रोकना है, कालाबाजारी को रोकना और कड़े कदम उठाना हैं, अपना जिला जीता तो भारत जीता, ट्रिपल टी फार्मूला, वैक्सीन के वेस्टेज को रोकना सहित अनेक बाते कहीं और महामारी के संक्रमण को रोकने, तेज़ी से निपटने के लिए सुझाव भी मांगे और उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति पर तारीफ़ की और भी अनेक सकारात्मक पहलुओं से डीएम का मार्गदर्शन किया जो हम सभ ने लाइव प्रसारण देखे जो 12.56 pm तक चला और हम जनता को भी बहुत अच्छा महसूस हुआ.....बात अगर हम भारत की करें तो आज सोमवार दिनांक 17 मई 2021 को केंद्रीय और राज्यों के स्तर पर आए आंकड़ों से दिख रहा है कि कोरोना महामारी पर लगातार तीन दिन से हम संक्रमण पर दबाव बढ़ाने में कामयाब हो रहे हैं और आगे भी इसी तरह संक्रमण के मामले और दर घटती जाएगी ऐसा हम हौसला रख पूरी मुस्तैदी से जंग लड़ना जारी रखें तो सफलता हमें जरूर मिलेगी यह पक्का विश्वास है।....बात अगर हम इस 21 वीं सदी के वैज्ञानिक, डिजिटल युग में भ्रांतियों, टोटकों और जादू टोने की करें तो कुछ अजीब सा महसूस होता है।खासकर इन भ्रांतियां,  टोटकों को अगर कोविड-19 जैसी घातक जानलेवा और फेफड़ोंको अत्यधिक तीव्रता से संक्रमित कर मानव को यमलोक पहुंचाने मैं अडिग इस डब्ल्यूएचओ द्वारा घोषित महामारी को दूर करने में भी अगर हम इन भ्रांतियों, टोटकों, जादूटोना का उपयोग करेंगे तो यह अपने आप में नाइंसाफी होगी यह मेरा मानना है।.... बात अगर हम भ्रांतियों की करें तो आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों के माध्यम से हम ग्राउंड रिपोर्टिंग देख रहे हैं कि किस तरह इस कोरोना महामारी ने गांव तक तीव्रता से दस्तक दी है और बड़ी तेजी से शहरों से गांव की ओर फैल रही है। जहां अपेक्षाकृत कई गुना कम मेडिकल संसाधन दवाइयां हैं और कई गांव में तो अस्पताल कई किलोमीटर दूर है और वहां कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी है और उनका इलाज भ्रांतियों, टोटकों, जादू टोना धुए से भरी काली हंडी को घुमाकर, तालाब पर भीड़ जमा कर कोरोना को भगाने की पूजा, संतरे के बगीचों में, जंगलों में स्लाइन लगाकर,  ऐसे अनेक भ्रांतियों से उपाय किए जा रहे हैं। दूसरी ओर इनका इलाज ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है जिनके पास कोई डिग्रियां तक नहीं है या अस्पताल का कोई लाइसेंस नहीं है दूसरी भाषा में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जा रहा है। ऐसे इलाज से संक्रमण पूरे परिवार, फिर गांव, फिर आस-पास के गांव, में फैलने की उम्मीद रहेगी। अतः हमारे गांव वाले ग्रामीण भाई-बहनों से निवेदन है कि वह स्वत संज्ञान लेकर ऐसे गफलतों से बचें और गांव में टेस्टिंग करने आई मेडिकल टीम से टेस्टिंग कराकर उनके दिशानिर्देशों पर चलें और मानवता की सेवा में सहयोग करें।...बात अगर हम इन भ्रांतियोंको बढ़ावा देने वाले प्रबुद्ध शिक्षित, कुशल नेतृत्व , कलाधारी, नामी-गिरामी, व्यक्तित्व की करें और उनके वक्तव्य में इन भ्रांतियों को बढ़ाने का संज्ञान मिले तो देश के लिए हैरानी वाली बात होगी। यह वक्तव्य जैसे गंगा मैया में स्नान करने या गंगा मैया के आस पास कोरोना कभी नहीं भटकेगी, गोमूत्र का सेवन करने से कोरोना महामारी नहीं होगी या फेफड़ों पर संक्रमण नहीं होगा, या यह वैक्सीन तो उस पार्टी की वैक्सीन है, वैक्सीन लगाने से बांझपन आता है, पहले पीएम को वैक्सीन लगाना चाहिए, इस तरह के वक्तव्य और कुछ भ्रांतियां हमने बहुत पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों के माध्यम से सुनते और देखते आ रहे हैं। मेरा निजी मानना है कि इससे जनता में एक भ्रम की स्थिति फैलती है और इन पर विश्वास कर जनता इसका अनुसरण या पालन करने लगती है जिससे संक्रमण अपनी चैन को मजबूती से बढ़ाने में कामयाब होता है जिससे सबसे अधिक नुकसान आम नागरिकों को वाहन करना होता है। अतः सरकार द्वारा इन वक्तव्य को स्वत संज्ञान लेकर या वक्ता द्वारा स्वतः ही इस बयान को ख़ारिज या वापस लेने की पहल करनी चाहिए।....बात अगर हम वैज्ञानिक आधारों का आविष्कार करने वाली मेडिकल एजेंसीयों की करें तो, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एंडसीडीसी) इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) कोरोना वायरस के विभिन्न वेरिएंट का पता लगाने के लिए बने सलाहकारों के सरकारी फोरम, इंडियन सार्स-सीओवी-2 जिनोमिक्स कंसोर्टिया (आईएनएसएजीओजी) इत्यादि देश की 10 बड़ी प्रयोगशाला तालमेल से वायरस पर कार्य कर रही है जिनकी कुल मिलाकर 15 समितियां है जिनकी अभी तक 67 रिव्यू मीटिंग हुई है ऐसी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों द्वारा दी गई है। इसके अनुसार पूरी दुनिया में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक आधार पर सटीकता में भारत का डंका बजता है। लेकिन हम अभी कुछ समय से जब से,,गांव में महामारी ने पैर पसारे हैं तो भ्रांतियों, टोटकों, का सिलसिला लगातार सुनाई दे रहा है और कुछ वक्तव्य भी सुनाई दे रहे हैं। हालांकि इन भ्रांतियों का संबंध हमारे पूर्वजों के वैद्यकीय ज्ञान या सामाजिक प्रथा के रूप में हो सकता है। परंतु उस समय इतनी मेडिकल सुविधाएं और संसाधन नहीं थे। आज के डिजिटल युग में अनेक मेडिकल संसाधन उपलब्ध हैं। अतः हमारे हर ग्रामीण क्षेत्र के साथियों को आगे आकर स्वतः संज्ञान लेकर इन भ्रांतियों, टोटकों, का विरोध कर कोविड-19 के पुराने या नए सिम्टम्स का थोड़ा साभी आभास होता है तो गांव पहुंची टीम से टेस्ट करवाएं और पॉजिटिव आने पर क्वॉरेंटाइन हो जाएं ताकि अन्य साथियों को संक्रमित होने से बचाया जा सके। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का हम विश्लेषण करें तो हमें यह ज्ञात होता है कि इस महामारी के इलाज में हम वैज्ञानिक आधार को बढ़ावा देना चाहिए। शासन, प्रशासन, अधिकारियों, को इस क्षेत्र में रिसर्च करने वाली एजेंसियों की सिफारिशों पर ही अपनी रणनीतिक रोडमैप और दिशानिर्देश बनाया जाना जारी रखना चाहिए।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

कैसे मिले प्रभु रोजी रोटी इस संकट काल में ?

आज देश के ओ वंचित वर्ग सबसे ज्यादा परेशान हैं,जो रोज कुंआ खोदते रोज पानी पीते थे,यानी की मजदूर वर्ग जो दिहाड़ी करके कमाते  थे, जिससे इनके घरों में चूल्हे जला करते थे , आंकड़ों को देखें तो इस कोरोना महामारी ने लगभग 63 फीसदी तो  घरेलू कामगारों से ही रोजगार  छीन लिया है , ऐसे में अब तो घर चलाना बहुत ही  मुश्किल हो रही है। हमने देखा की  पिछले साल कोरोना के चलते लगाएं गए लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया था, हालांकि कुछ समय बाद चीजें धीरे-धीरे पटरी पर लौटना शुरू हुई तो कोरोना की दूसरी लहर ने सब कुछ तबाह कर दिया है , दूसरी लहर के बाद अचानक नए कोरोना के मामलों में भारी उछाल आया और फिर राज्य सरकारों ने धीरे-धीरे सख्त पाबंदियां लगाते हुए लॉकडाउन लगा दिया है ,इस कोरोना महामारी से भारी संख्या में लोगों की नौकरी गई हैं,स्थिति यह हो गई कि जिन लोगों का रोजगार छूटा है, उनके घरों में आर्थिक संकट इस कदर हावी हो गया कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। हम सभी ने देखा की हमारे प्रवासी मजदूर देश के अलग-अलग शहरों और राज्यों से पैदल ही हजारों हजार किलोमीटर चलने को मजबूर हुए थे, जिनमें से बहुत से प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचने से पहले ही कोई ट्रेन के पहियों के नीचे तो कोई ट्रक के पहियों के नीचे तो बहुत से प्रवासी मजदूर भूखे दम तोड़ दिया था ,अब तो लगभग देश के हर वह वर्ग रोजी रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है जो रोज कमाता खाता था, साथ ही मध्यम वर्गीय परिवार वालों का भी आज हालात दिन पर दिन बदतर होती जा रही है , एक रिपोर्ट में पता चला है कि केवल देश के राजधानी  दिल्ली में 63 फिसदी घरेलू कामगारों जो मकानों में कपड़े, बर्तन, झाडू-पोछा और खाना बनाने वाली महिलाओं  ने ही इस महामारी के बाद से नौकरी खो दी हैं, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अन्य क्षेत्रों में काम करने वालों की हालत क्या हो सकती है ?  वही दूसरी तरफ इस महामारी ने मजदूरों को झझकोर कर रख दिया है, सबसे ज्यादा दुखों का पहाड़ प्रवासी मजदूरों पर टूटा है, मजदूरों के पास अब रोजी-रोटी का संकट है, इनके साथ ही अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले मध्यम वर्गीय परिवार पर भी रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है , सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से जो राशन भारत सरकार पहुंचाने का प्रयास कर रही है , गरीबों और जरूरतमंद लोगों के रोटी पर भी कालाबाजारी करने वाले डंका  डाल दे रहे है , मजदूरों के उत्थान के लिए सरकार की योजनाएं सरकारी कार्यालयों में दम भर रही हैं,हर शहर व  नगर के चौराहों पर सुबह के समय रोजी-रोटी की तलाश में ना जाने कितने मजदूर रोजी की तलाश में खड़े रहते हैं, देखे तो दो वर्षों में कोराना महामारी ने मजदूरों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है, रोजी-रोटी की तलाश में मजदूर इधर-उधर भटक रहे हैं, बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूर कोरोना संकट से जूझ रहे है ,आज गांवों में भी रोजगार के संसाधन नहीं हैं, मनरेगा योजना में भी मजदूरी केवल 201 रुपये है, जिसमे पहले से काफी श्रमिक मजदूर जुड़े हुए है ,ऐसे में शहरों से अभी गए हुए ,मजदूरों को रोजी रोटी का व्यवस्था कैसे होगा ? वही दूसरी तरफ देश के कुछ  रहीस लोग गरीबों पर ही कोरोना महामारी का भी आरोप लगा देते है, बोलते हैं कि गरीबों के कारण यह करोना का रफ्तार बढ़ा  है, अब इनको मैं कैसे समझाऊं कि हमारा गरीब तबका जहाज से नहीं चलता है, जहाजों में बैठकर आप लोग आएं और आप हमारे यहां लाए,फिर जो वर्षों तक आपके शहर को चमकाने में हमारे प्रवासी मजदूर दिन रात एक किए थे उसको आप रोटी तक के लिए भी नहीं पूछते हो, बल्कि घटिया राजनीति करते हो झूठी आश्वासन देते हो फिर सोशल मीडिया पर उसका आप मजाक भी बनाते रहते हों, हालांकि सभी लोग ऐसे ही नहीं करते बहुत से लोग आज भी मानवता के रास्ते पर चलते हुए जरूरतमंद लोगों को मदद दे रहे हैं, आज आप सभी से मेरा विनम्र निवेदन है कि आप भी अपने सामर्थ्य अनुसार जो भी जरूरतमंद आपके आंखों से दिखे तो जरूर आगे बढ़कर उसका साथ दे।


डॉ. विक्रम चौरसिया (क्रांतिकारी)

हृदय रोगों और आँखों के संक्रमण रोके औषधीय घटक - पुनर्नवा

यह एक ऐसी वनस्पति है जिसे पुनर्नवा के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के जानकार इसे एक प्रचलित औषधि के रूप में सदियों से प्रयोग कराते आ रहे हैं ।पुनर्नवा जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह पुर्न यानि दुबारा नवा अर्थात नई यानि जो शरीर मे नवीन कोशिकाओं को जन्म दे नूतनता लाये ऐसी वनस्पति पुनर्नवा है।लेटिन में इसे बोरहावीया डिफ्युजा के नाम से जाना जाता है।इसकी दो प्रजातियां होती है एक श्वेत पुनर्नवा और दूसरी रक्त पुनर्नवा।अभी बारिश के मौसम के इसके छोटे पौधे निकलते है जो 2 से 3 मीटर लंबे होते हैं और जमीन पर फैलते हैं।इसके नामके साथ एक और रोचक पहलू है सूखा हुआ पुनर्नवा का पौधा बरसात आने पर फिर से नया जीवन प्राप्त कर लेता है इन्ही गुणों के कारण प्राचीन ऋषियों ने इसका नाम पुनर्नवा रखा हो।

*विभिन्न भाषाओं में नाम -* संस्कृत- पुनर्नवा। हिन्दी- सफेद पुनर्नवा, विषखपरा, गदपूरना। मराठी- घेंटूली। गुजराती- साटोडी। बंगला-श्वेत पुनर्नवा, गदापुण्या। तेलुगू- गाल्जेरू। कन्नड़-मुच्चुकोनि। तमिल- मुकरत्तेकिरे, शरून्नै। फारसी- दब्ब अस्पत। इंग्लिश- स्प्रेडिंग हागवीड। लैटिन- ट्रायेंथिमा पोर्टयूलेकस्ट्रम।
*गुण -* श्वेत पुनर्नवा चरपरी, कसैली, अत्यन्त आग्निप्रदीपक और पाण्डु रोग, सूजन, वायु, विष, कफ और उदर रोग नाशक है।
*रासायनिक संघटन*- इसमें पुनर्नवीन नामक एक किंचित तिक्त क्षाराभ (0.04 प्रतिशत) और पोटेशियम नाइट्रेट (0.52 प्रतिशत) पाए जाते हैं। भस्म में सल्फेट, क्लोराइड, नाइट्रेट और क्लोरेट पाए जाते हैं।
*परिचय*- यह भारत के सभी भागों में पैदा होती है। इसकी जड़ और पंचांग का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है। सफेद और लाल पुनर्नवा की पहचान यह है कि सफेद पुनर्नवा के पत्ते चिकने, दलदार और रस भरे हुए होते हैं और लाल पुनर्नवा के पत्ते सफेद पुनर्नवा के पत्तों से छोटे और पतले होते हैं। यह जड़ी-बूटियां बेचने वाली दुकान पर हमेशा उपलब्ध रहती है।श्वेत पुनर्नवा अत्यंत ही औषधि गुणों से युक्त होती है जबकि रक्त पुनर्नवा आपको अपने आसपास ही सड़कों के किनारे लगी मिल जाएगी।पुनर्नवा का मुख्य औषधीय घटक एक प्रकार का एल्केलायड है, जिसे पुनर्नवा कहा गया है। इसकी मात्रा जड़ में लगभग 0.04 प्रतिशत होती है। अन्य एल्केलायड्स की मात्रा लगभग 6.5 प्रतिशत होती है। पुनर्नवा के जल में न घुल पाने वाले भाग में स्टेरॉन पाए गए हैं, जिनमें बीटा-साइटोस्टीराल और एल्फा-टू साईटोस्टीराल प्रमुख है। इसके निष्कर्ष में एक ओषजन युक्त पदार्थ ऐसेण्टाइन भी मिला है। इसके अतिरिक्त कुछ महत्त्वपूर्ण् कार्बनिक अम्ल तथा लवण भी पाए जाते हैं। अम्लों में स्टायरिक तथा पामिटिक अम्ल एवं लवणों में पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम सल्फेट एवं क्लोराइड प्रमुख हैं। इन्हीं के कारण यह अपना अद्भुत औषध गुण दर्शाती है। कहा गया है-- 
*पुनर्नवं करोति इति पुनर्नवा ।*
जो अपने रक्तवर्धक एवं रसायन गुणों द्वारा सम्पूर्ण शरीर को अभिनव स्वरूप प्रदान करे, वह है ‘पुनर्नवा’ ।
अंग्रेजी में ‘हॉगवीड’ नाम से यह पूरी दुनिया मे जानी जाती है ।
मूँग या चने की दाल मिलाकर इसकी बढ़िया सब्जी बनती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदयरोगों, दमा, शरीरदर्द, मंदाग्नि, उलटी, पीलिया, रक्ताल्पता, यकृत व प्लीहा के विकारों आदि में फायदेमंद है l
*आँखों के लिए लाभ*--
आँखो के फूल जाने पर या सूजन आने पर पुनर्नवा की जड़ घी में घिसकर आंखों पर लगाएं। सूजन में राहत मिलेगी। पुनर्नवा की जड़ को शहद अथवा दूध में घिसकर लगाने से आंखों में होने वाली खुजली दूर होती है। आंखों से पानी आने पर पुनर्नवा की जड़ को शहद के साथ घिसकर लगाने से यह परेशानी दूर हो जाती है। पुनर्नवा की जड़ को कांजी में घिसकर आंखों पर लगाने से रतौंधी की समस्या में लाभ मिलता है। मोतियाबिंद के लिए पुनर्नवा की जड़ को पानी के साथ पीस लें। अब इस पेस्ट को आईलाइनर के रूप में लगाएं। इसका नियमित रूप से उपयोग करने से मोतियाबिंद दूर हो जाता है।
*किडनी के लिये लाभप्रद-*
किडनी से जुड़ी बीमारियों के खतरे को दूर करने के लिए पुनर्नवा का सेवन करें। एक शोध के मुताबिक पुनर्नवा के पौधे और कुछ अन्य जड़ी बूटियों को मिलाकर बीमार किडनी को स्वस्थ बनाया जा सकता है। इसके सेवन से किडनी से जुड़ी बीमारी के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
*ब्लड प्रेशर और हार्ट स्ट्रोक में*-
इन दिनों ब्लड प्रेशर की समस्या लोगों के बीच लगातार बढ़ रही है। आयुर्वेदिक औषधि पुनर्नवा का इस्तेमाल कर आप इस परेशानी को कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए पुनर्नवा पाउडर को आप शहद के साथ मिलाकर खा सकते हैं। इसमें मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है तो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकती है। बता दें कि ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है क्योंकि इससे हार्टअटैक और हार्ट स्ट्रोक की समस्या होने का खतरा रहता है।
*यूरीन इन्फेक्शन की समस्या को दूर करें*-
सही खानपान नहीं होने की वजह से अक्सर लोगों को यूरिन इंफेक्शन की समस्या हो जाती है। इस बीमारी से पुरुषों के साथ महिलाएं भी प्रभावित होती हैं। इस स्थिति में पुनर्नवा एक औधषि के रूप में काम करता है। इसका सेवन करने से यूरिन के रास्ते को साफ करन में मदद मिलती है। इसके साथ ही यह यूरिन संबंधित संक्रमण के खतरे से भी बच सकते हैं।
*एंटी एजिंग गुण बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोके -*
बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए लोग तरह तरह उपाय आजमाते हैं, लेकिन पुनर्नवा में एंटी एजिंग गुण होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके लाभ पाने के लिए एक चम्मच पुनर्नवा पाउडर एक ग्लास पानी में मिलाकर पिएं। इसे आप हफ्ते में दो से तीन बार पी सकते हैं। यह त्वचा में निखार और कसाव उत्पन्न करने का काम करता है।
*पाचन को ठीक करे –* 
यदि आपको पाचन से संबंधित कोई बीमारी है, तो आपको इसका रोज़ाना एक चम्मच सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से पेट संबंधी सभी बीमारियां दूर हो जाएंगी।
*चर्मरोग से छुटकारा पाएं –*
 यदि किसी को चर्मरोग, दाग या धब्बे हैं, तो वह उस स्थान पर पुनर्नवा के जड़ को पीसकर लगाए। कुछ दिन में ही इसका असर दिखने लगेगा।
*वजन कंट्रोल करे –*
 पुनर्नवा के सेवन से आपका वजन बिल्कुल कंट्रोल रहेगा। यानि आप न ज्यादा मोटे होंगे और न ही ज्यादा पतले होंगे, बल्कि आपका वजन एकदम परफेक्ट रहेगा।
*हृदय के लिए फायदेमंद-*
पुनर्नवा में कार्डियोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो हृदय से जुड़ी कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। दिल की बीमारी या सेहतमंद रखने के लिए पुनर्नवा का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं। बता दें कि हृदय से जुड़े कई तरह की बीमारियों को पुनर्नवा की मदद से दूर कर सकते हैं।
*कैंसर से निज़ात –*
 पुनर्नवा की जड़े और पत्ते कैंसर के मरीज़ों के लिए वरदान है। जी हां, इसके इस्तेमाल से बॉडी में नयी कोशिकाएं बनने लगती हैं और धीरे धीरे कैंसर से लड़ने में मरीज़ कामयाब हो जाता है।
*पथरी से निज़ात-*
 यदि किसी को पथरी है, तो वह पुनर्नवा रोज़ाना शाम और सुबह को दूध में मिलाकर पीएं। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में पथरी पैशाब के रास्ते से बाहर निकल जाएगी।
*पीलिया से निज़ात –*
यदि किसी को पिलिया हुआ हो तो वह पुनर्नवा का इस्तेमाल शहद के साथ करे, ऐसा करने से जल्दी ही आराम मिल जाएगा।
*फोड़ा फुंसी आदि –*
 यदि किसी को फोड़ा फुंसी आदि हुआ हो तो पुनर्नवा को देसी घी में मिलाकर रोज़ाना पीएं, जल्दी ही फायदा मिलेगा।
*बवासीर –*
 यदि किसी को बवासीर है, तो वह पुनर्नवा को पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर पीए, इससे फौरन ठीक हो जाएगा।
*जोड़ो का दर्द –*
 यदि आप जोड़ो के दर्द से परेशान है तो आपको पुनर्नवा का इस्तेमाल करना चाहिए, इससे जल्दी आराम मिलेगा।
*खून साफ होगा –*
 पुनर्नवा के इस्तेमाल से खून साफ हो जाता है और इससे जुड़ी तमाम समस्याएं दूर हो जाती हैं।
इसके अलावा बहुत से रोगों में पुनर्नवा का इस्तेमाल होता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियाँ सामान्य मान्यताओं पर आधारित है।आप सेवन से पहले अपने डाॅक्टर या विशेषज्ञ से सलाह अरुर लें।


*डाॅ.रवि नंदन मिश्र*
*असी.प्रोफेसर एवं कार्यक्रम अधिकारी*
*राष्ट्रीय सेवा योजना*
( *पं.रा.प्र.चौ.पी.जी.काॅलेज,वाराणसी*) *सदस्य- 1.अखिल भारतीय ब्राम्हण एकता परिषद, वाराणसी,*
*2. भास्कर समिति,भोजपुर ,आरा*
*3.अखंड शाकद्वीपीय  एवं*
*4. उत्तरप्रदेशअध्यक्ष - वीर ब्राह्मण महासंगठन,हरियाणा*

श्मशान में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र सब जल रहे हैं पास-2*

 ऐसी विपदा तो सौ सालों में,कभी नहीं थी आई।

कैसा ये परिदृश्य बना है, टीवी देखें आये रुलाई।

इंसानों ने विकास हेतु,किया प्रकृति से खिलवाड़।
वृक्ष एवं जंगल सब काटे,बंद ऑक्सीजन किवाड़।

बड़े बड़े तालाबों को पाटा,बिल्डर्स का है ये धंधा।
खनन माफियाओं का भी,काम हुआ नहीं ये मंदा।

वृक्षारोपण किए नहीं हैं,प्रदूषण भी ऐसा फैलाया।
साँस भी लेना दूभर है,कोरोना ने ऐसे पैर फैलाया।

पिघल रहा ग्लेशियर,ग्लोबल वॉर्मिंग का असर है।
भू जल भी क्षरण हो रहा,ऊर्जा ह्रास का असर है।

अपनी करनी का ये फल,मानव ही भोगा-भोगे गा।
धरती पर तो शुकून नहीं,हर घर में रोग है भोगे गा।

इन सब झंझावातों से कैसे,इंसान कोई संघर्ष करे।
आजिज आ गया है ये,इंसा कोविड से संघर्ष करे।

कितनी जानें रोज जा रहीं, हर तरफ है हाहाकार।
आपदा में भी अवसर का,कर रहे लोग हैं व्यापार।

नहीं रह गई इंसानियत कोई,ब्लैक में बेंचते दवाई।
लाशों का ढ़ेर लगा है,अस्पताल में बेड है न दवाई।

शमशान में जाते ही,मिट ये गया है सब छुआछूत।
पास पास ही जल रहे हैं,ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र।

राजनीति लाशों पर भी होये,कितनी है ये बेहयाई।
किसी नेता को भी बिलकुल,इसमें शर्म नहीं आई।

कभी-2 मरने वाले के दरवाजे,पे पहुँच भले जाते।
नेतागण दिखावे में अपना भी,ये शोक जता जाते।

डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*

वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.