गला जहाँ से शुरू होता है वहीं प्रवेश द्वार पर एक लोरी होती है माँस के छोटे, पतले व लंबे टुकड़े की भांति, इसे घाटी भी कहते हैं। इसमें जब सूजन आ जाता है तो इसे टांसिल या घाटी बढ़ना कहते हैं। देखने में छोटा यह लोरी जैसा माँस का टुकड़ा शरीर की सारी क्रियाओं को संतुलित करता है, जब इस लोरी में असंतुलन पैदा होता तो शरीर के पंचतत्वों में भी असंतुलन पैदा होने लगता है और इसकी वजह से कई प्रकार के रोग जन्म लेने लगते हैं। छोटे बच्चों में टांसिल्स या घाटी बढ़ जाने की वजह से वह कुछ पिलाने पर उल्टी कर देते हैं।
Tuesday, May 4, 2021
टॉन्सिल के दर्द से राहत दिलाने वाले घरेलु उपाय
सुबह-सुबह क्यों बढ़ जाता है ब्लड शुगर लेवल, कम करने के लिए क्या करें
सुबह-सुबह शुगर बढऩे की एक वजह रात में शरीर से रिलीज होने वाले हार्मोन्स हैं। कुछ अच्छे उपाय इस स्थिति से बचने के लिए किए जा सकते हैं।
सुबह-सुबह क्यों बढ़ जाता है ब्लड शुगर लेवल, जानें कम करने के लिए क्या करें
बाद भी कुछ मरीजों का ब्लड शुगर लेवल सुबह अचानक से बढ़ जाता है। इस तरह अपने दिन की शुरूआत करना वाकई खतरनाक हो सकता है। अगर ऐसा अक्सर होने लगे, तो यह आपके मधुमेह को प्रबंधित करने के गोल को मुश्किल बना सकता है।
गोखरू
गोखरू(corn) हथेली अथवा पैरों के तलवों या तलवे के आस-पास गोलाकार, कठोर और गांठ के रूप में हो जाता है। इसे चर्म कील भी कहते हैं। पैर में होने पर इसके कारण चलने-फिरने मे परेशानी होती है। कुछ लोग इसे उस्तरे से कटवाते भी हैं फिर भी यह ठीक नहीं होता। Corn ज्यादातर अधिक मेहनत करने वाले लोगों की हथेली में होता है। अधिक घर्षण एवं दबाव के कारण उस जगह की त्वचा dead हो जाती है। Dead त्वचा गांठ का रूप धारण कर लेती है जिसे गोखरू(corn) अथवा चर्म कील
कहते हैं। पैरों में छोटे size अथवा plastic के जूता चप्पल पहनने से corn की समस्या उत्पन्न होती है। तलवे के जिस हिस्से में घर्षण एवं दबाव ज्यादा होता है उस हिस्से में गोखरू होने के ज्यादा chance होते हैं। यदि आप भी इस गोखरू से परेशान हैं तो निम्न घरेलू नुस्खा को बेझिझक आजमा सकते हैं।
Monday, May 3, 2021
वृक्षों को जिंदा रहने दो
प्राणवायु भी बहने दो
मानव के मानवता को
यूँ न हरपल मरने दो,
वृक्षों को जिंदा रहने दो
प्रकृति के श्रृंगार को यूँ ही न बर्बाद होने दो
मानवता को भी जिंदा रहने दो
मानव ने जब भी प्रकृति पर पर वार किया
प्रकृति ने फिर भी सम्मान किया
धरा को हरा भरा रहने दो
वृक्षों को जिंदा रहने दो
मानव ने वृक्षों को बेदर्दी से काट दिया
इसे विकास का नाम दिया
अब और प्रकृति पर प्रहार न करो
वृक्षों को जिंदा रहने दो
निर्माण नया नित करते हैं
कल की परवाह न करते हैं
जो होता है वो होने दो
वृक्षों को जिंदा रहने दो
कल क्या होगा कुछ तो सोचो
प्रकृति हिसाब जब मांगेगी
तब सोई आँखें ये जगेंगी
मेघ नहीं जब बरसेंगे
सभी जीव बूँद बूँद को तरसेंगे
तब प्राणवायु के लिए तरसेंगे
जब प्रलय की घरी आएगी
सब कुछ ध्वंस हो जाएगा
तब अर्थ काम नहीं आएगा
ये बात मुझे अब कहने दो
वृक्षों को जिंदा रहने दो
अब और न देर होने दो
वृक्षों को जिन्दा रहने दो
हम बीज नया लगाएंगे
धरती को हरा भरा बनाएंगे
प्रकृति का श्रृंगार लौटाएंग।
- प्रमोद कुमार सहनी (शिक्षक)सह जिला सलाहकार, भारत स्काउट गाइड वैशाली,बिहार