उपाय
1– लीवर सिरोसिस के लिए पपीता रामबाण इलाज है।
प्रतिदिन दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीने से लीवर सिरोसिस ठीक हो जाता है। लीवर की रक्षा के लिए तीन-चार सप्ताह तक नियमित इसका सेवन करना चाहिए।
2– लीवर को ठीक रखने के लिए सिंहपर्णी जड़ की चाय दिन में दो बार पीना चाहिए। इसे पानी में उबालकर भी पिया जा सकता है, बाज़ार में सिंहपर्णी का पाउडर भी मिलता है।
3– पानी उबाल लें और उसमें मुलेठी की जड़ का पाउडर डाल दें। जब पानी ठंडा हो जाए तो उसे छानकर कर रख लें और दिन में दो बार सेवन करें। इसे चाय के बराबर लेना चाहिए। इससे ख़राब लीवर को ठीक किया जा सकता है।
4– अलसी के बीज को पीसकर टोस्ट या सलाद के साथ खाने से लीवर की बीमारियां नहीं होतीं। अलसी में फीटकोंस्टीटूएंट्स होता है जो हार्मोंन को रक्त में घूमने से रोकता है और लीवर का तनाव कम करता है।
5– एवोकैडो और अखरोट में ग्लुटथायन मिलता है जो लीवर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
6– लीवर सिरोसिस के लिए पालक व गाजर के रस का मिश्रण उत्तम इलाज है। दोनों की मात्रा समान होनी चाहिए। दिन में कम से कम एक बार इसका सेवन जरूर करना चाहिए।
7– पत्तेदार सब्ज़ियों व सेब में पेक्टिन पाया जाता है जो पाचन तंत्र के विषैले तत्वों को बाहर निकालकर लीवर को ठीक रखता है।
8– भूमि आंवला लीवर की तमाम समस्याओं को दूर करता है। इसे उखाड़कर जड़ सहित पीस लें और पी जाएं। लीवर का सूजन, लीवर का बढ़ना व पीलिया आदि रोगों में यह अत्यंत लाभकारी है।
9- पथरी न हो तो चुना का उपयोग अति ऊतम है। लिवर सोराइसिस हेतु इसे दूध छोडकर किसी भी तरल पदार्थ में मिलाकर गेहू के दाने के बराबर या बिना कथा सुपारी युक्त पान खाये नियमित (चूना,देशी पान, अजवाइन, लौंग,गुलकंद, युक्त)
10- दो चमच्च धनिया चटनी सुबह शाम गुनगुने जल के साथ
11- गौमूत्र सुबह शाम खलिपेट आधा कप
12- सुबह शाम त्रिफला का सेवन रात्रि को दूध या गर्म जल के साथ भोजन पश्चात सुबह गुड़ या शहद के साथ।
13- 10 किशमिश रात को एक गिलास पानी मे उबाले व रात भर रख दे सुबह इस पानी का सेवन करे व किशमिश को चबाकर खायें।
लिवर शरीर के प्रमुख अंगों में से एक है। यह एक प्रकार की ग्रंथि है जो मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित रखती है। पाचनक्रिया में भी यह अंग मददगार है जो बाइल का निर्माण करता है। लिवर शरीर के प्रमुख अंगों में से एक है। यह एक प्रकार की ग्रंथि है जो मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित रखती है। पाचनक्रिया में भी यह अंग मददगार है जो बाइल का निर्माण करता है। इस अंग के खराब होने से हेपेटाइटिस, पीलिया और अन्य लिवर संबंधी दिक्कतों की आशंका बढ़ जाती है।
लिवर से जुड़े रोग
1. हेपेटाइटिस के कारण :
वायरल बैक्टीरियल इंफेक्शन इसकी मुख्य वजह है। ऐसे में विषैले तत्त्व शरीर से बाहर निकलने की बजाय रक्त में मिल जाते हैं।
लक्षण :
भूख न लगने, बुखार, जोड़ व मांसपेशियों में दर्द व उल्टी आने जैसी समस्या होती है। इसके अलावा मरीज को सर्दी सहन न होना, भोजन के 1-2 घंटे बाद ही खट्टी डकारों के साथ खाना ऊपर आना और मोशन के बाद थकान व कमजोर महसूस होती है।
2. अल्कोहॉलिक लिवर डिजीज के कारण :
फैटी लिवर, सिरोसिस या अल्कोहॉलिक लिवर डिजीज के लिए अधिक शराब पीना जिम्मेदार है।
लक्षण :
पीलिया के लक्षणों के अलावा त्वचा पर खुजली होने, सर्दी सहन न होने और मरीज का स्वभाव गुस्सैल व अकेले रहना पसंद करना होता है। इन मरीजों में बचपन से कब्ज की दिक्कत और मसालेदार भोजन खाने व कॉफी पीने की इच्छा बनी रहती है।
3. ड्रग इंड्यूस्ड कारण :
बिना डॉक्टरी सलाह के अनियंत्रित रूप से दवा लेना लिवर की कार्यप्रणाली धीरे-धीरे बिगाड़ देता है। इससे दवाएं बेअसर होकर दुष्प्रभाव छोड़ती है जिससे संक्रमण हो सकता है।
लक्षण :
कमजोरी के साथ पेट के निचले भाग में दर्द। अधिक वजन वाले ऐसे मरीज जो हर काम को धीरे करते है। इसके अलावा दूध से एलर्जी व चॉक व पेंसिल खाने की इच्छा होने और मरीज को सिर पर ज्यादा पसीना आने की परेशानी रहती है।
4. पीलिया के कारण :
लिवर बिलुरूबिन बाहर निकालता है। इस रोग में बिलुरूबिन का स्तर बढऩे से यह रक्त में मिल जाता है और शरीर की रंगत में पीलापन आ जाता है। वायरल हैपेटाइटिस से यह रोग होता है।
लक्षण :
पेट व पैरों में सूजन, थकान, शरीर पर पीलापन, अधिक रक्तस्त्राव, सफेद मल और गहरे रंग का यूरिन आना, पीलिया होने पर आंखें, नाखून व त्वचा पर पीलापन और त्वचा पर खुजली होना।
डॉ. दुर्गा प्रसाद पांडेय