Friday, March 12, 2021

आगामी 18 मार्च को विधानसभा घेराव के लिए प्रचार प्रसार करते हैं भाकपा माले

राजापाकर( वैशाली) संवाद सूत्र, दैनिक अयोध्या टाइम्स।

 आगामी 18 मार्च को विधानसभा मार्च को लेकर भाकपा माले एवं अखिल भारतीय किसान महासभा के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को किसान यात्रा रथ राजापाकर शनिचरा चौक पर पहुंचा। अखिल भारतीय किसान महासभा के अध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद यादव के नेतृत्व में किसान सभा आयोजित किया गया। सभा को संबोधित करते हुए श्री यादव ने कहा कि सरकार किसान विरोधी कानून रद्द करें, किसान आंदोलन का दमन बंद करें, एमएसपी को कानून का दर्जा दे, बिहार में मंडी और एपीएमसी कानून पुर्नबहाल करें, भूमिहीन और बटाईदार किसानों को प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ दें। इन्हीं मांगों को लेकर आगामी 18 मार्च को विधानसभा का घेराव किया जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार पर जमकर निशाना  साधते हुए कहा की अगर राज्य की नीतीश सरकार वास्तव में किसानों का भला चाहती है तो तीनों कृषि कानून को बिहार में लागू नहीं करें। श्री यादव ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर देश से तीनों कृषि कानून नहीं हटाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब खेती किसानी पर पूंजीपतियों का कब्जा हजाएग। गरीबों की थाली से रोटी गायब हो जाएगी। उन्होंने दिल्ली में 100 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति आभार व्यक्त किया। तथा उपस्थित किसानों से 18 मार्च को विधानसभा मार्च में भाग लेने की अपील की। वही सभा को किसान नेत्री प्रेमा देवी, रामबाबु भगत, दीनबंधु प्रसाद, राम बहादुर सिंह अधिवक्ताओं ने संबोधित किया।

मातृभाषा एवं देवभाषा को पहले हमें सम्मान देना होगा


विश्व में केवल संस्कृत ही ऐसी भाषा है जिसमें सिर्फ  "एक अक्षर, दो अक्षर या केवल तीन ही अक्षरों" से पूरा वाक्य बनाया जा सकता है। यह विश्व की अकेली ऐसी भाषा है, जिसमें "अभिधान-सार्थकता" मिलती है। यानी किसी वस्तु की संज्ञा या नाम क्यों पड़ा यह विस्तार से बताती है। जैसे इस विश्व का नाम संसार इसलिये है क्यूँकि वह चलता रहता है, परिवर्तित होता रहता है ! पर विडंबना है कि ऐसी सरल और समृद्ध भाषा को अपने ही देश में अपने ही लोगों में अपने अस्तित्व की लड़ाई लडनी पड़ रही है। 


भाषा अभिव्यक्ति का वह सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम या जरिया है, जिसके द्वारा हम आपस में अपने मनोभावों को, विचारों को व्यक्त करते हैं, एक-दूसरे से जुड़ पाते हैं। यह हमारे समाज के निर्माण, विकास, अस्मिता, सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी महत्वपूर्ण साधन है। इसके लिये हमारी वाचिक ध्वनियां सहायक होती हैं, जो शब्दों और वाक्यों का समूह बन एक-दूसरे को अपने मन की बात बताती-समझाती हैं। इसके बिना मनुष्य व समाज सर्वथा अपूर्ण हैं !  

हमारे शोषण के साथ-साथ हमारी धरोहरों, हमारी संस्कृति, हमारे शिक्षण संस्थानों, हमारे इतिहास के अलावा हमारी प्राचीनतम व समृद्धतम भाषा को, भी कमतर आंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई 
जाहिर है समय, परिवेश, स्थितियों के अनुसार अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न तरह की भाषाओं का उद्भव हुआ। मानव के उत्थान के साथ-साथ उसका आरंभिक ''नाद'' विकास करते हुए संपन्न भाषाओं में बदलता चला गया। इस समय सारे संसार में हजारों (अनुमानत: 6809) प्रकार की भाषाएँ, वर्षों से अपनी-अपनी जरुरत के अनुसार बोली जाती रही हैं। इनमें से कई तो हजारों-हजार साल से अपना अस्तित्व बनाए रखे हुए हैं। बहुतेरे देशों ने सिर्फ अपनी भाषा का उपयोग करते हुए भी ज्ञान-विज्ञान, पठन-पाठन में असाधारण प्रगति की है। उन्हें अपनी वाक्संपदा पर नाज है। थोड़ी-बहुत कमी-त्रुटि तो हर चीज में होती ही है, पर इसका मतलब यह नहीं कि दूसरी बोलियां हेय हैं, दोयम हैं ! 

हमारे देश पर सैंकड़ों सालों तक गैरों ने राज किया ! सालों-साल गुलाम रहने का असर हमारे दिलो-दिमाग पर भी पड़ना ही था ! हम अपना सुनहरा अतीत बिसारते चले गए ! हमें शासक और उनके कारिंदों की बातों में ही सच्चाई नजर आने लगी ! इस कुचक्र में कुछ हमारे अपने मतलबपरस्त लोगों का भी योगदान रहा है ! हमार शोषण के साथ-साथ हमारी धरोहरों, हमारी संस्कृति, हमारे शिक्षण संस्थानों, हमारे इतिहास के अलावा हमारी उस प्राचीनतम व समृद्धतम भाषा को, जिसमें हजारों साल पहले हमारे ऋषि-मुनियों ने ज्ञान-विज्ञान तथा जीवन के सार को लिपिबद्ध कर दिया था, उसे भी कमतर आंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई !

हम शुरू से ही सहिष्णु रहे हैं। हमने दुनिया को ही अपना परिवार माना है ! हर अच्छी चीज का स्वागत किया है। दूसरे धर्मों, संस्कृतियों, मान्यताओं को भी अपने में सहर्ष समो लिया है। हमारे इसी विवेक, सहनशीलता, सामंजस्य को कमजोरी मान लिया गया ! अच्छाइयों के साथ बुराइयां भी थोपी जाने लगीं। सबसे ज्यादा नुक्सान अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुआ, जब उन्होंने अंग्रेजी को कुछ ऐसा आभामंडित कर दिया जैसे वह विश्व की सर्वोपरि भाषा हो ! उसके बिना कोई भी उपलब्धि हासिल ना की जा सकती हो ! देश में उसे रोजगार हासिल करने का मुख्य जरिया बना दिया गया। वर्षों-वर्ष यह गलतफहमी पलती रही ! पर फिर समय आ ही गया जब उन्हें बताना जरुरी हो गया कि समृद्ध भाषा कैसी होती है !

संस्कृत में श्लोक सुनिए, मंत्र सुनिए, भजन सुनिए ! इसके उच्चारणों में वह शक्ति है जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकती है ! एकाकार कर सकती है ! सम्मोहित कर किसी और लोक में पहुंचा सकती है। यही अकेली ऐसी भाषा है, जिसमें केवल "एक अक्षर" से ही पूरा वाक्य लिखा जा सकता है। 

सैंकड़ों उदहारण मिल जाएंगें जो निर्विवाद रूप से संस्कृत को विश्व की सर्वश्रेष्ठ, व्याकरणिक, तर्कसंगत, वैज्ञानिक, त्रुटिहीन भाषा सिद्ध कर सकते हों। इसीलिए जब संस्कृत को सर्वोपरि कहा जाता है तो उसके पीछे इस तरह के अद्भुत साक्ष्य होते हैं। यह विश्व की अकेली ऐसी भाषा है, जिसमें "अभिधान-सार्थकता" मिलती है। यानी किसी वस्तु की संज्ञा या नाम क्यों पड़ा यह विस्तार से बताती है। जैसे इस विश्व का नाम संसार इसलिये है क्यूँकि वह चलता रहता है, परिवर्तित होता रहता है ! पर विडंबना है कि ऐसी सरल और समृद्ध भाषा को अपने ही देश में अपने ही लोगों में अपने अस्तित्व की लड़ाई लडनी पड़ रही है !


प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
युवा लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार

सोनपुर में स्वच्छ ग्राम -हरित ग्राम कार्यक्रम का हुआ आयोजन

सारण (ब्यूरो चीफ संजीत कुमार ) दैनिक अयोध्या टाइम्स 

सोनपुर प्रखंड के गोपालपुर पंचायत स्थित राजकीयकृत रघुवीर सिंह उच्चविद्यालय महदलिचक में स्वच्छ ग्राम -हरित ग्राम कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का संचालन आध्या युवा मण्डल द्वारा किया गया।मुख्य अतिथि आशुतोष कुमार रितेश ने स्वछ ग्राम-हरित ग्राम पर पर चर्चा करते हुए कहा कि युवा समाज को आगे आना होगा और जागरूक होना होगा तभी गांव समाज को स्वचछ  हरा-भरा बनाया जा सकता हैं तथा गांव में पौधा लगा कर ही प्रकृति को बचाया जा सकता हैं। इस मौके पर रोहित पांडेय,संजीव कुमार,सोनम कुमारी, समेत दर्जनों गणमान्य लोग मौजूद थे।

तुर्की में आर के पब्लिक स्कूल का हुआ उदघाटन


परसा(सारण)संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स। 

परसा प्रखण्ड क्षेत्र के बारवे पंचायत के तुर्की गांव में जे. एम. एस. पब्लिक स्कूल का उदघाटन तुर्की मठ के संत भुटेली बाबा ने फीता काट कर किया।इस दौरान उन्होंने कहा कि सुदूर की गांव में स्कूल खुल जाने से यहाँ के बच्चे को पढ़ाई के लिए दूर के स्कूल नही जाना पड़ेगा और गांव में ही अच्छी शिक्षा मिल जाएगा। शिक्षा ही एक ऐसी चीज है जिससे दुनिया की कोई ताकत छीन नहीं सकता।वही विद्यालय के नन्हे मुन्ने बच्चे ने एक से बढ़कर एक नृत्य कला का प्रस्तुत किया औऱ लोगो  को झूमने पर मजबूर कर दिया.लोगो ने भी छात्रों को हौसला अफजाई करते हुए जमकर तालियां बजाई।इस मौके पर विद्यालय के डायरेक्टर रितेश कुमार,शिक्षक विधान कुमार,कांग्रेस कुमार समेत दर्जनों गणमान्य लोग मैजूद थे।