सारण( ब्यूरो चीफ संजीत कुमार) दैनिक अयोध्या टाइम्स सोनपुर--सोनपुर थाना क्षेत्र के बजरंग चौक के समीप 8 जनवरी की देर रात बकरी लूट कर अपराधी भागने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने ततप्ता के साथ करवायी करते हुए पिकप पर लदे बकरियों के गड्ढे में पलटकर अपराधी भागने में सफल रहा । बकरी व्यपारी जो समस्तीपुर से पटना जा रहा था इसी बीच एक पिकअप वैन को पिस्टल के बल पर अपराधियों ने मोबाइल ,रुपया लूटकर भागने में क़ाबयब रहा । इस मामले में पीड़ित व्यपारियो ने सोनपुर थाने में प्रथमिकि दर्ज करायी थी । पुलिस ने छापामारी कर एक अपराधी को गिरफ्तार कर लिया साथ ही एक सफारी कार को भी जप्त कर लिया । इस बात की जानकारी सोनपुर एडिशनल एसपी अंजनी कुमार ने देते हुए बताया कि गिरफ्तार अपराधी सूरज कुमार अवतार नगर थाने के भगवानपुर गांव के रहने वाला है ।
Wednesday, March 3, 2021
एक मोटरसाइकिल के साथ दो अपराधियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
सोनपुर--सोनपुर प्रखंड के सैदपुर गांव से पुलिस ने छापामारी कर चोरी के एक बाइक के साथ दो अपराधी को गिरफ्तार कर लिया। इस बात की जानकारी देते हुए पहलेजा ओपी प्रभारी अजीत कुमार ने बताया कि चोरी की बाइक वैशाली जिले के पातेपुर की है। गिरफ्तार युवक लालबाबू राय एवं बत्ती राय जो सैदपुर गांव के रहने वाला है । उसे गिरफ्तार कर लिया गया है वहीं उन्होंने यह भी बताया कि लालबाबू राय कई बार जेल जा चुका है ।
समस्याओं को प्रकाशित करना पत्रकार को पड़ा महंगा प्राथमिकी दर्ज
मोतिहारी समस्याओं को प्रकाशित करना पत्रकार को पड़ा महंगा। रक्सौल थाने में हुआ मामला दर्ज। क्राइम खबर के पत्रकार अभिषेक मिश्रा और मनीष पाठक पर मामला दर्ज । वही मामलाविकास मित्र के द्वारा कराया गया है दर्ज। वही पत्रकार अभिषेक मिश्रा ने बताया कि रक्सौल अंचल में अनियमितता के खिलाफ खबर को प्रकाशित किया था। कुछ दिन पहले क्राइम खबर के प्रथम पेज पर यह खबर प्रकाशित किया था की करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं मिल रहा है नल से जल। इस तरह से शहर के समस्या से लेकर कई समस्याओं को खबर के माध्यम से मेरे द्वारा लिखा गया था। जिस विकास मित्र के द्वारा मेरे ऊपर मामला दर्ज कराया गया है। साथ ही बताया कि विकास मित्र और मुखिया से मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया प्रकाशित हुआ था। साथ ही पत्रकार श्री मिश्र ने बताया कि विकास मित्र पर थानों में मामला भी दर्ज है। साथ ही उन्होंने बताया कि बड़ी विडंबना है । जिस अंचल कार्यालय को विकास मित्र के द्वारा घटना स्थल बनाया गया है । वह एक सरकारी कार्यालय हैं ।वहां सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है ।जिससे साफ-साफ सारी घटनाएं स्पष्ट हो सकती है । साथ ही उन्होंने बताया कि मैं और मेरा पत्रकार मित्र निर्दोष हैं मुझे प्रशासन पर विश्वास है। जांच होने पर सारी सत्यता प्रकट हो जाएगी। पत्रकारिता समाज का दर्पण है। पत्रकार का मुख्य उद्देश्य सत्य को उद्घाटित करना है ,मैंने भी वही किया। साथ ही उन्होंने बताया कि इस घटना की सूचना भारत सरकार, बिहार सरकार के साथ-साथ उच्च अधिकारियों को दे दी गई।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डाॅ दिनेश शर्मा की जीवन कुण्डली: पं.सुधांशु तिवारी के साथ
दिनेश शर्मा भारतीय राजनीत में एक पुराने नाम हैं. अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों को आत्मसात किया. उत्तरप्रदेश यूनिवर्सिटी में वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर के पद पर रहते हुए ये बीजेपी से जुड़े. बीजेपी की विचारधाराओं को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान में उत्तर प्रदेश में की सरकार में 18 मार्च 2017 को इन्होने दुसरे उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली हैं. उत्तरप्रदेश की राजनीति में यह पहला मौका है जब दो उपमुख्यमंत्री बने है. दिनेश शर्मा अपने मिलनसार प्रवृती के लिए जितने अगड़ी जाति की पसंद है, उतना ही पिछड़ी खास कर मुस्लिम अल्पसंख्यक के बीच अपनी सह्रदयता की वजह से लोकप्रिय है.
दिनेश शर्मा का प्रारंभिक जीवन
दिनेश का जन्म 12 जनवरी 1964 को लखनऊ में हुआ था. वे उत्तर प्रदेश के अस्सी बाग में रहते हैं. वे ब्राह्मण परिवार से तालुक रखते है. उन्होंने बीकॉम हावर्ड यूनिवर्सिटी से ऍम कॉम और मनोविज्ञान और मानव विकास में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. प्रारंभिक राजनीति की शुरुआत उन्होंने छात्र जीवन से ही कर दी थी, प्रथम बार वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े और जीते भी. लखनऊ साखा में प्रमुख के तौर पर 1987 में रहें. 1993 में वे भारतीय युवा जनता मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. इनके पिता का नाम केदार नाथ शर्मा है. दिनेश शर्मा का व्यक्तिगत जीवन दिनेश शर्मा की शादी जयालक्ष्मी शर्मा से हुई है, जो इन्डियन इंस्टिट्यूट में संकाय विभाग में कार्यरत थीं. परिवार में उनकी छोटी बहन वंदना शर्मा भी हैं जिन्होंने उनके उपमुख्यमंत्री बनाने के फैसले का स्वागत किया है. साथ ही उन्होंने उनके बारे में ये भी बोला की जिस तरह से वो साफ छवि वाले नेता है ये सभी को पता है, बीजेपी ने उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद दे कर उत्तर प्रदेश की जनता को एक सच्चा और सार्थक संदेश दिया है.
दिनेश शर्मा का कैरियर
अपनी कैरियर की शुरुआत उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक अस्थायी प्रोफेसर के रूप में की, बाद में स्थायी तौर कॉमर्स विभाग में अपना योगदान दिया.
वर्तमान में डॉ. दिनेश शर्मा ने एक परीचित और राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख उभरते हुए प्रबल नेता के रूप में अपनी खास पहचान बना ली हैं. वर्तमान में ये उत्तरप्रदेश के दुसरे उपमुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं. पहले उपमुख्यमंत्री पद पर केशव प्रसाद मौर्य जी को नियुक्त किया गया है. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ हैं कि किसी प्रदेश में दो उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति हुई है. ऐसा करने के पीछे ये कारण बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या बहुत ज्यादा है. इस बहुल जनसंख्या को समझने और कार्यो को सही तरीके से कार्यान्वित करने के लिए दो उपमुख्यमंत्री की आवश्यकता पड़ेगी. 53 वर्षीय डॉ. दिनेश शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से बहुत नजदीकी से जुड़े रहे. उन्होंने करीब बीस शोध पत्र तैयार किये हैं, जिस वजह से इन्होने हॉवर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.
दिनेश शर्मा का राजनैतिक करियरः दिनेश शर्मा अपने मिलनसार प्रवृति के व्यक्ति हैं. इस वजह से ये आम जनता में काफी लोकप्रिय हुए, और हर धर्मं और हर तबके के लोगों ने इन्हें पसंद किया. ब्राह्मण परिवार से तालुक होते हुए भी वो मुस्लिम समुदाय में लोकप्रिय हैं. डॉ. शर्मा पहली बार लखनऊ में मेयर पद के लिए 2008 में चुने गए. वे 2006 -2011 में उत्तरप्रदेश मेयर के अध्यक्ष भी रहे. 2012 में वे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के सिराथू से विधानसभा सदस्य चुने गए और 2014 में वो फूलपुर से सांसद चुने गए फिर उन्हें 2016 में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया. दिन ब दिन उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई और वो एक मजबूत पहचान बनाने में सफल हुए.जब अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ के सांसद थे दिनेश शर्मा को उनके काफी करीब माना जाता था. 2014 में जब अमित साह पार्टी अध्यक्ष बने उस समय भारतीय जनता पार्टी की सदस्यों की संख्या बढ़ाने में दिनेश शर्मा ने अहम् भूमिका निभाई, तब से वे अमित साह के पसंदीदा बन गए. हालाँकि बीजेपी में उनका राजनीतिक समय सिर्फ 4 साल का ही है, लेकिन बजरंग दल और बीएचपी से वो बहुत पहले से जुडे रहे.
अमित साह के पार्टी अध्यक्ष बनते ही उन्होंने दिनेश शर्मा को गुजरात का प्रभारी बना दिया. अमित शाह ने शर्मा को “लखनऊ का यजस्वी मेयर” से भी संबोधित किया था. अपनी लोकप्रियता का परिचय 2012 के दुबारा हुए चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस की नेत्री नीरजा बोरा को 1.17 लाख वोटो से हरा कर ही दे दिया था. ऐसा कहा जा सकता है की विरोधी पार्टी से कोई भी उनके आस- पास भी नहीं था. दिनेश शर्मा जब बीजेपी में शामिल हुए उस समय बीजेपी की सदस्यों की संख्या एक करोड़ थी, जो की अब बढ़ कर 11 करोड़ तक हो गई है. इसका श्रेय दिनेश शर्मा की कड़ी मेहनत और लगन हंसमुख मिलनसार व्यक्तित्व के साथ बीजेपी के प्रति समर्पण को जाता है.
उन्होंने स्वयं को राजनीति के विवादों से बचा कर रखा और अपने बेदाग छवि को कायम रखते हुए, उन्होंने अन्वरत अपने राजनीतिक धर्म को निभाया हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने की वजह से वे अनुशासित जीवन को आत्मसात कर चुके है ये अनुशासन उनके राजनीतिक जीवन में भी कायम है.
अपने अतिथि सेवा का परिचय अस्सीबाग के एतिहासिक रामलीला जो की लखनऊ में अक्टूबर 2016 में हुई थी, उसमे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित कर सुर्खिया बटोरी थी. प्रधानमंत्री मोदी की ही तरह दिनेश शर्मा की भी छवि एक चाय बेचने वाले की थी. इसका परिणाम ये हुआ कि वो सभी बड़े छोटे तक अपनी पहचान कायम रखे, जिसका फायदा उन्हें हुआ. आज वो एक चर्चित व्यक्ति बन गए हैं, इसका फायदा बीजेपी को भी 2019 के लोकसभा चुनाव में मिल सकता है.
दिनेश शर्मा उपमुख्यमंत्री बनने के बाद: डॉ. शर्मा को अपनी छवि को और भी उभारने का मौका उत्तरप्रदेश की जनता ने दिया हैं उपमुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने भाषण में मीडिया से मुखातिब होकर बोला भी था, कि आज का दिन उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि गरीब, युवा, किसान और महिला की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए हम एक अच्छी सरकार जोकि बीजेपी का मुख्य ध्येय है, उसे देनी की कोशिश करेंगें. योगी आदित्यनाथ नाथ नेगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तरप्रदेश बहुल मुस्लिम जनसंख्या में ये अफवाह फैल गई, कि वे इस समुदाय की शायद अनदेखी न कर दे. इसलिए लोगो को ऐसा न लगे की उनके समुदाय की अनदेखी हो रही है उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य, जोकि पिछड़े समुदाय से है को उपमुख्यमंत्री बनाया ।
आप का भविष्य उज्जवल हो व राजनैतिक जीवन में अनेक उचांई तक पहुँचे।