Monday, February 1, 2021

बजट की हुंकार कोरोना के वार और महंगाई से हाहाकार .....बीच में पिसता मध्यवर्गीय संसार

प्रत्येक वर्ष के बजट की तरह  इस वर्ष का बजट भी सभी वर्गों के लिए अच्छा है घोषणा ही करता नजर आ रहा  है लेकिन मनों के बीच उठते सवाल और सच परिस्थितियों के आगे खामोश ही नजर आ रहे हैं।

परिस्थितियों ने लोगों को कोरोना जैसी महामारी और एक वर्ष की  गतिहीनता कोरोना में जहां लोग अपना काम धंधा छोड़ के घरों में बैठ गए हैं।  कुछ  समय तक तो जोड़ी हुए पूंजी से खाने की जरूरतों को पूरा करता हुआ आम इंसान अपना समय निकाल  रहा था।  
         इस दौर  का ज्यादा असर मध्य वर्गीय परिवारों और उन लोगों के ऊपर पर पड़ा है जिनके घर में एक भी सरकारी नौकरी वाला नहीं । कोरोना काल में ज्यादातर प्राइवेट नौकरियों से भी लोगों को हाथ धोना पड़ा । मध्यवर्गीय परिवारों की यह विडंबना रही है और सबसे ज्यादा असर भी उनके ऊपर पड़ा है, जिनके पास ना तो उच्च वर्ग की तरह जमा पूंजी है और ना ही निम्न वर्ग की तरह कुछ भी मांग कर अपनी जरुरतों को पूरा करने की हिम्मत है। 
क्योंकि यह  परिवार ... ना तो निर्धन रेखा से नीचे आते हैं । ना ही कमाई के ऐसे सशक्त साधन है कि अपना उत्पादन करके बेच सकें ।
ऐसा नहीं है कि कोरोना काल में लोगों ने कमाई नहीं की है । जो लोग अपना उत्पादन बेच सकते थे ,इन हालातों में बाजारों  में दुकानदारों ने जरूरी चीजों के दाम इतने ज्यादा कर दिए हैं कि हर चीज के लिए कीमत चौगनी चौगनी वसूल कर रहे हैं इस बीच मध्य वर्गीय परिवार जो मकान का किराया, बिजली -पानी के बिल ,  बच्चों के स्कूल की ऑनलाइन क्लासेस की फीस  और ऊपर से बेरोजगारी के कारण आठ महीने से घर पर बैठकर अपने भविष्य की चिंता कर रहा है । आर्थिक त्रासदी के साथ-साथ मानसिक त्रासदी को भी भोग रहा है ।
लोग ज्यादातर बाजार में जरूरत की चीजें  लेने जाते हैं जरूरत के दूसरे समान अगर किसी ने लेने की जरुरत पड़ गई है तो उस वस्तु की कीमत  दुकानदार ज्यादा वसूल रहे हैं।  इस महामारी में जहां हर तरफ मौत अपना पांव पसारे खड़ी है। आए दिन सैकड़ों मामले कोरोना के  आ रहे  है फिर भी इंसान का यह लालच थम नहीं रहा है वह और ज्यादा और ज्यादा जो ग्राहक भी आ रहे हैं उसे मन माना दाम वसूल कर रहे हैं। हर चीज के भाव बहुत ज्यादा हो गए हैं। खाने-पीने और राशन की जरूरतों तो हर इंसान ने पूरी करनी ही है।  सब्जियों के दाम भी पहले से बहुत ज्यादा हो गए हैं। 
 देश के हालात आर्थिक स्थितियां चिंताजनक स्थितियों से गुजर रही है।
    इस तरह की वसूली बहुत ही चिंता जनक है। जो लोग दुकानदार नहीं है और प्राइवेट नौकरियों के तहत जिनके काम बंद थे अब हालात बदलने पर  कुछ लोगों को ही नौकरी के अवसर मिल पाए हैं ।अपना रोज का काम- धंधा चलाना मुश्किल हो गया है क्योंकि जरूरी चीजें तो सब ने ही लेनी है। जिसके पास जो चीज है वह अपनी चीज के दाम  जो भी ग्राहक आ रहा है एक ही व्यक्ति से वसूल करना चाहता है।  प्रधानमंत्री जी का आत्मनिर्भर भारत मन की बात तक ही सीमित होकर रह गया है । क्योंकि इन मध्यवर्गीय परिवारों जिनकी हमारे समाज में बहुत बड़ी संख्या है अवसर नहीं देख पाने से मानसिक अवसाद सभी बातों को धोता हुआ नजर आ रहा है कोरोना  की मार से जो लोग बच गए हैं लगता है महंगाई और और देश की नीतियों और बजट की मार से नहीं बच पाएंगे।
 स्वरचित रचना 
 प्रीति शर्मा "असीम "

प्रेम आत्मा की सच्ची अभिव्यक्ति

प्रेम आत्मा की सच्ची अभिव्यक्ति है। नारद भक्ति सूत्र में स: हि अनिर्वचनीयो प्रेम रूप: कहकर परमेश्वर को पे्रम रूप घोषित किया है। यही परमतत्व है। इसी का बोध होने में ज्ञान की सार्थकता है। प्रेम आत्मा की विशेषता है। कबीर कहते हैं, ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय। अर्थात् ढाई अक्षरों में ही निहित प्रेम के इस तत्व को प्राप्त कर लेने में ही पांडित्य की सार्थकता है। इसमें ऐसा कौन सा तत्व निहित है, जिसे जानने से सब कुछ जान लिया जाता है? इस विषय पर चिंतन करने से ज्ञात होता है कि पत्‍‌नी-बच्चों से किया जाने वाला प्रेम, प्रेम नहीं मोह होता है। इस प्रेम और मोह में विरोधाभास जैसी स्थिति है। प्रेम चेतन से होता है और मोह जड़ से। पत्‍‌नी आदि से किया जाने वाला तथाकथित पे्रम उसके जड़ शरीर से होता है, न कि चेतन स्वरूप आत्मा से, अत: यह मोह ही है। इसकी जड़ की ओर उन्मुखता मात्र हाड़-मांस वाले शरीरधारियों तक ही सीमित नहीं रहती, वरन लकड़ी, पत्थर व चूने के बने भवन से लेकर विभिन्न प्रकार के सामानों तक बढ़ जाती है, पर इसके विस्तार का क्षेत्र जड़ ही है।


महर्षि याज्ञवल्क्य स्पष्ट करते हैं कि कोई भी आत्मा के कारण प्रिय हो, यही प्रेम की सच्ची परिभाषा है। मोह जहां विभेद उत्पन्न करता है, पे्रम वहीं अभेद की स्थिति पैदा करता है, पे्रम व्यापक तत्व है, जबकि मोह सीमित-परिमित। पे्रम का प्रारंभ संभव है किसी एक व्यक्ति से हो, पर उस तक सीमित नहीं रह सकता। यदि यह सीमित रह जाता है, कुछ पाने की कामना रखता है तो समझना चाहिए कि यह मोह है। प्रेम वस्तुओं से जुड़कर सदुपयोग की, मनुष्यों से जुड़कर उनके कल्याण की और विश्व से जुड़कर परमार्थ की बात सोचता है। मोह में मनुष्य, पदार्थ, विश्व से किसी न किसी प्रकार के स्वार्थ सिद्धि की अभिलाषा रहती है। प्रेम की ज्योति सामान्य दीपक की ज्योति नहीं, जिसमें अनुताप हो, अपितु यह दिव्य चिंतामणि की शीतल स्निग्ध ज्योति है, जिससे शरीर, मन, बुद्धि, अंत:करण प्रकाशित होते व समस्त संताप शांत होते हैं।


प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
युवा लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार

बजट 2021 में अहम है कबाड़ नीति, पर्यावरण के लिए तीन चीजों पर फोकस: सीएसई

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की पर्यावरणविद अनुमिता राय चौधरी का कहना है कि अगर पर्यावरण के लिहाज से देखें तो यह वेस्‍ट (व्‍यर्थ), वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण पर फोकस करता हुआ बजट है.

नई दिल्‍ली. आम बजट 2021 (Budget 2021) में पर्यावरण को लेकर फोकस किया गया है. वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट में स्‍क्रैपिंग पॉलिसी (Scrapping Policy) लाने की बात कही गई है. भारत में पुराने वाहनों से लगातार बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरणविद लंबे समय से प्रदूषण (Pollution) फैलाने वाले पुराने वाहनों के स्‍क्रैपेज को लेकर मांग कर रहे थे. सीएसई ने खुद स्‍क्रैपेज पॉलिसी पर एक रिपोर्ट निकाली थी जिसपर पिछले पांच साल से चर्चा भी हो रही थी. अब अगर बजट 2021-22 में व्‍हीकल स्‍क्रैपेज पॉलिसी (Vehicle Scrappage Policy) लाने की बात कही गई है तो यह अच्‍छी बात है. यह कहना है सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर अनुमिता राय चौधरी का.

न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में अनुमिता राय चौधरी ने कहा कि बजट काफी ठीक है लेकिन असली मसला उसके उपयोग को लेकर है. यह पैसा किन जगहों पर खर्च किया जाना है. पिछले साल बजट 2020 में सरकार ने हवा को शुद्ध करने के लिए 4400 करोड़ रुपये दिए थे. इसके लिए 42 प्रमुख प्रदूषित शहरों पर यह पैसा खर्च होना था. हालांकि वह पैसा कैसे-कहां खर्च हुआ और उसका क्‍या परिणाम रहा यह तो स्‍टेटस रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जाएगा लेकिन इस मद में इस साल भी इसमें 2267 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है तो यह राहत की बात है.

कोरोना महामारी और इस दौरान प्रदूषण एक बड़ी समस्‍या रहा है. इस दौरान बस ट्रांसपोर्ट सेवा पर भी बड़ा खराब प्रभाव पड़ा था और हम लोगों की मांग भी थी जिस पर इस बजट में ध्‍यान दिया गया है बसों के लिए करीब 1800
न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में अनुमिता राय चौधरी ने कहा कि बजट काफी ठीक है लेकिन असली मसला उसके उपयोग को लेकर है. यह पैसा किन जगहों पर खर्च किया जाना है. पिछले साल बजट 2020 में सरकार ने हवा को शुद्ध करने के लिए 4400 करोड़ रुपये दिए थे. इसके लिए 42 प्रमुख प्रदूषित शहरों पर यह पैसा खर्च होना था. हालांकि वह पैसा कैसे-कहां खर्च हुआ और उसका क्‍या परिणाम रहा यह तो स्‍टेटस रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जाएगा लेकिन इस मद में इस साल भी इसमें 2267 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है तो यह राहत की बात है.

कोरोना महामारी और इस दौरान प्रदूषण एक बड़ी समस्‍या रहा है. इस दौरान बस ट्रांसपोर्ट सेवा पर भी बड़ा खराब प्रभाव पड़ा था और हम लोगों की मांग भी थी जिस पर इस बजट में ध्‍यान दिया गया है बसों के लिए करीब 1800
न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में अनुमिता राय चौधरी ने कहा कि बजट काफी ठीक है लेकिन असली मसला उसके उपयोग को लेकर है. यह पैसा किन जगहों पर खर्च किया जाना है. पिछले साल बजट 2020 में सरकार ने हवा को शुद्ध करने के लिए 4400 करोड़ रुपये दिए थे. इसके लिए 42 प्रमुख प्रदूषित शहरों पर यह पैसा खर्च होना था. हालांकि वह पैसा कैसे-कहां खर्च हुआ और उसका क्‍या परिणाम रहा यह तो स्‍टेटस रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जाएगा लेकिन इस मद में इस साल भी इसमें 2267 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है तो यह राहत की बात है.

कोरोना महामारी और इस दौरान प्रदूषण एक बड़ी समस्‍या रहा है. इस दौरान बस ट्रांसपोर्ट सेवा पर भी बड़ा खराब प्रभाव पड़ा था और हम लोगों की मांग भी थी जिस पर इस बजट में ध्‍यान दिया गया है बसों के लिए    करीब1800 करोड़ रुपये के पैकेज की बात कही गई है तो इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी सुधार होगा. वहीं 15 साल पुराने सार्वजनिक और 20 साल पुराने निजी वाहनों की फिटनेस की जांच और स्‍क्रेपिंग से फायदा होगा.|

वरासत अभियान में लापरवाही बरतने पर लेखपाल व राजस्व निरीक्षक को चेतावनी जारी

डीएम मार्कण्डेय शाही ने सोमवार को वरासत अभियान की हकीकत देखने के लिए तहसील सदर अन्तर्गत ग्राम पंचायत महादेवा में औचक निरीक्षण किया। वहां पर डीएम ने लेखपाल व राजस्व निरीक्षक द्वारा वरासत एवं खतौनी सम्बन्धी कार्य संतोषजनक ढंग से न किए जाने पर चेतावनी जारी करते हुए चाौबीस घन्टे के अन्दर वरासत एवं खतौनी सम्बन्धित सभी मामलों का निस्तारण कराकर रिपोर्ट देने के आदेश एसडीएम सदर को दिए हैं।

     डीएम श्री शाही ने महादेवा प्राथमिक विद्यालय में लेखपाल द्वारा किए जा रहे वाचन कार्य का निरीक्षण किया। इसी दरम्यान शिकायतकर्ता सूर्यप्रकाश द्वारा जिलाधिकारी को बताया गया कि उसकी एक खतौनी में त्रुटिवश नाम सूर्य प्र्रसाद दर्ज हो गया, जिसे ठीक कराने के लिए उसके द्वारा कई बार प्रार्थनापत्र दिया गया परन्तु लेखपाल व राजस्व निरीक्षक द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। इससे नाराज डीएम ने वरासत अभियान में लापरवाही बरतने पर लेखपाल कपिलदेव तथा राजस्व निरीक्षक अशोक कुमार शुक्ल को चेतावनी जारी करते हुए चाौबीस घन्टे में प्रकरण का निस्तारण न हो जाने पर निलम्बन की चेतावनी दी है।
निरीक्षण के दौरान लेखपाल तथा राजस्व निरीक्षक द्वारा ग्राम पंचायत में अवस्थित 44 गाटों के तालाबों का पट्टा न किए जाने की शिकायत की गई। इस पर डीएम ने मौके पर मौजूद एसडीएम को  निर्देश दिए कि वे अभियान चलाकर ग्राम पंचायत के सभी गाटों का सर्वे करा लें तथा गाटावार उसकी नवइयत की रिपोर्ट देर शाम तक उन्हें उपलब्ध कराएं तथा तालाबों की नीलामी की प्रक्रिया तत्काल आगे बढ़ाएं।
जिलाधिकारी ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार बिना किसी विवाद उत्तराधिकार को खतौनियों में दर्ज करने तथा जमीन को लेकर होने वाले झगड़ों व इससे जुड़े अपराध को खत्म करने के लिए के लिए सभी ग्राम सभाओं में वरासत अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत जिले की सभी राजस्व गांवों में कई सालों से अटके हुए वरासत के मामलों का निस्तारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस अभियान में रूचि न लेने वाले राजस्व अधिकारियों-कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि सभी उपजिलिाधिकारियों, तहसीलदारों, राजस्व निरीक्षकों तथा लेखपालों से इस आशय का प्रमाणपत्र लिया जा रहा है कि उनकी तहसील अथवा राजस्व गांव में निर्विवाद वरासत का कोई भी प्रकरण लम्बित  नहीं है।
    निरीक्षण के दौरान एसडीएम सदर कुलदीप सिंह, परिवीक्षाधीन एसडीएम शत्रुघ्न पाठक, नायब तहसीलदार शिवदयाल तिवारी, राजस्व निरीक्षक, लेखपाल तथा ग्रामवासी उपस्थित रहे।