वैशाली(हाजीपुर)ब्युरो चीफ,दैनिक अयोध्या टाइम्स
वैशाली जिले के अन्तर्गत विभिन्न प्रखंडों जैसे हाजीपुर सदर, लालगंज, वैशाली, पटेढ़ी बेलसर गोरौल विदुपुर सहदेई देसरी महनार राघोपुर जंदाहा राजापाकर महुआ पातेपुर समेत चेहराकलां प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के नीलगाय व घोड़प्रास की दिन प्रति दिन संख्या बढ़ रही है| इन जानवरों ने किसानों के साग सब्जी, गेहूं, दलहन, तम्बाकू, की फसल को काफी बर्वाद करती रहती हैं | नीलगाय व घोड़प्रास द्वारा फसलों की क्षति की भरपाई नहीं होने को लेकर किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है| नीलगाय व घोड़प्रास को मारने का आदेश सरकार से प्राप्त नहीं है | इससे निजात पाने के लिए तरह तरह की तरकीब कर के थाक चुके हैं|इसके बावजूद भी फसल की क्षति पहुंचाने से बाज नही आ रहा है| सबसे बड़ी चिंता का मुख्य विषय है कि नीलगाय एक साल में दो बार बच्चा देती है | वही दूसरी ओर बुध्दिजीवी कृषक आत्मा प्रखंड अध्यक्ष शिवचन्द्र भगत, चतुर्भुज पासवान, यदुनंदन राय, उमेश सिंह पटेल, दीपक कुमार पटेल, जदयू नेता सफदर रेयाज, अनिल सिंह पटेल, रमेश कुमार राय, नथुनी ठाकुर, लालदेव कुशवाहा, विमल कुमार वर्मा, विनोद कुमार ठाकुर, रामनिवास सिंह पटेल, महेश पासवान, नागेश्वर सहनी जीतु राम, विश्वनाथ भारती आदि ने कहा कि कोरौना वायरस से बचाव में नीलगाय व घोड़प्रास के श्वशन प्रक्रिया की अहम भूमिका निभा रही है| लोगों के कथनानुसार बिहार के जिन जिलों में नीलगाय व घोड़प्रास की संख्या अधिक होने के कारण उतना मानव जीवन की रक्षा हुई है| इसके प्रभाव से कोरौना वायरस का असर नहीं बराबर देखने को मिलता है| उन जिलों में कोरौना वायरस का असर पड़ा भी नहीं के बराबर| कोरौना वायरस के प्रभाव हुआ भी तो ठीक होने की संख्या काफी थी| पर बदलती हुई परिस्थितियों में नीलगाय व घोड़प्रास पर सरकार द्वारा नियंत्रण के लिए पहल नहीं किया गया| वैसी स्थिति में किसानों के फसल को बचा पा मुश्किल होगा| यही कारण है कि खासकर बिहार में कोरौना वायरस से मरने वाले व्यक्ति की संख्या काफी कम देखने को मिला है|