Sunday, January 31, 2021

पूरे दिन जारी रहा वाहनों के निकलने का सिलसिला

हमीरपुर- सुमेरपुर कस्बे के बाँदा मार्ग पर बने हुए रेलवे क्रासिंग बन्द होने की वजह से रविवार को पूरे दिन पचखुरा खुर्द से चंद्रपुरवा बुजुर्ग लिंक रोड से होते हुए हाइवे तक वाहनों का आवागमन बना रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि शनिवार को सुमेरपुर थानाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया था कि रविवार को सुमेरपुर कस्बे के बांदा रोड स्थित रेलवे क्रॉसिंग पर मरम्मत का कार्य होना है। जिसके कारण कल पूरे दिन रेलवे फाटक बंद रहेगा। थानाध्यक्ष ने बताया था कि वाहनों को निकालने के लिए डायवर्जन मार्ग निर्धारित किया गया है। जिसमें पंधरी से होकर पचखुरा खुर्द के सामने से चन्द्रपुरवा बुजुर्ग होते हुए हाईवे पर निकलेंगे। थाना प्रभारी ने वाहन चालकों से डायवर्जन मार्ग से ही जाने की अपील भी की थी।

जिसके चलते रविवार के दिन सुबह से ही पचखुरा से चंद्रपुरवा बुजुर्ग होते हुए हाइवे तक वाहनों का आवागमन जारी रहा। 
लगभग सैकडों के तादाद में वाहन आते जाते दिखाई दिए।

संदिग्ध परिस्थितियों में वृद्ध ने लगाई फांसी मौत

मौदहा हमीरपुर । मौदहा कोतवाली क्षेत्र के करहिया गांव निवासी एक बुजुर्ग का शव फंदे पर लटकता देख गांव में हड़कंप मच गया। घटना की जानकारी होते ही परिवार जनों में कोहराम मच गया। करहिया गांव निवासी प्रमोद मिश्रा 60 वर्षीय का शव उसी के घर के आंगन में फांसी के फंदे से झूलता हुआ मिलने से पूरे गांव में हड़कंप मच गया। घटना की जानकारी पर पहुंची पुलिस ग्रामीणों की मानें तो हंसमुख स्वभाव के प्रमोद मिश्रा को फांसी लगा लेने की बात किसी भी ग्रामीण को हजम नहीं हो रही थी गांव वाले बताते हैं कि तीन दशक से गांव में प्रमोद मिश्रा क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन इन्हीं के नाम से होता आ रहा है इन्होंने ही गांव में इस खेल की शुरुआत की थी और अभी टूर्नामेंट चल रहा था आज टूर्नामेंट का सेमीफाइनल होना था किसी को प्रतीत ही नहीं हो रहा कि ऐसा हो जाएगा इनका पूरा परिवार कानपुर में रहता है और अभी 5 दिन पूर्व टूर्नामेंट के चलते गांव में आए थे उनके 3 पुत्र और तीनों की शादियां हो चुकी हैंऔर वे सभी बाहर रहकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं इस फांसी को लेकर गांव वालों में तरह-तरह की चर्चाएं सामने आ रहे हैं वहीं कोतवाली पुलिस मौके निरीक्षण कर मौके पर एक सुसाइड नोट मिला है। जिसकी जांच की जा रही वहीं पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।


मिले हुए अधिकार का सदुपयोग

दैनिक अयोध्या टाइम्स  

ब्यूरो चीफ धर्मेंद्र कुमार पोरवाल अहमदाबाद
एक हाथी था| वह मर गया तो धर्मराज के यहाँ पहुँचा| धर्मराज ने उससे पूछा- ‘अरे! तुझे इतना बड़ा शरीर दिया, फिर भी तू मनुष्य के वश में हो गया! तेरे एक पैर जितना था मनुष्य, उसके वश में तू हो गया!’ वह हाथी बोला-‘महाराज! यह मनुष्य ऐसा ही है|

बड़े-बड़े इसके वश में हो जाते हैं!’ धर्मराज ने कहा-‘हमारे यहाँ तो अनगिनत आदमी आते हैं!’ हाथी ने जवाब दिया-‘आपके यहाँ मुर्दे आते हैं, जो जीवित आदमी आये तो पता लगे! धर्मराज ने दूतो से कहा-‘अरे! एक जीवित आदमी ले आओ|’ दूतों ने कहा-‘ठीक है’|

दूत घूमते ही रहते थे| गर्मी के दिनों में उन्होंने देखा कि छत के ऊपर एक आदमी सोया हुआ है| दूतों ने उसकी खाट उठा ली और ले चले| उस आदमीं की नींद खुली तो देखा कि क्या बात है! वह कायस्थ था| ग्रन्थ लिखा करता था| ग्रंथो में धर्मराज के दूतों के लक्षण आते हैं| उसने जेब से कागज और कलम निकली| कागज पर कुछ लिखा और जेब में रख लिया| उसने सोचा कि हम कुछ चीं-चपड़ करेंगे तो गिर जायेंगें, हड्डियाँ बिखर जायँगी! वह बेचारा खाट पर पड़ा रहा कि जो होगा, देखा जायगा|

सुबह होते ही दूत पहुँच गये| धर्मराज की सभा लगी हुई थी| दूतों ने खाट नीचे रखी| उस कायस्थ ने तुरन्त जेब से कागज निकाला और दूतों को दे दिया कि धर्मराज को दे दो| उस पर विष्णु भगवान् का नाम लिखा था| दूतों ने यह कागज धर्मराज को दे दिया| धर्मराज ने पत्र पढ़ा| उसमें लिखा था- ‘धर्मराज जी से नारायण की यथायोग्य| यह हमारा मुनीम आपके पास आता है| इसके द्वारा ही सब काम कराना|  दस्तखत-

नारायण, वैकुण्ठपुरी|

पत्र पढ़कर धर्मराज ने अपनी गद्दी छोड़ दी और बोले- ‘आइये महाराज! गद्दी पर बैठो|’ धर्मराज ने कायस्थ को गद्दी पर बैठा दिया कि भगवान् का हुक्म है|

अब दूत दूसरे आदमी को लाये| कायस्थ बोला-‘यह कौन है?’ दूत-महाराज! यह डाका डालने वाला है| बहुतों को लूट लिया, बहुतों को मार दिया| इसको क्या दण्ड दिया जाय?’ कायस्थ-‘इसको वैकुण्ठ में भेजो|’

‘यह कौन है?’

‘महाराज! यह दूध बेचने वाली है| इसने पानी मिलाकर दूध बेचा जिससे बच्चों के पेट बढ़ गये, वे बीमार हो गये| इसका क्या करें?’

‘इसको भी वैकुण्ठ में भेजो|’ ‘यह कौन है?

‘इसने झूठी गवाही देकर बेचारे लोगों को फँसा दिया| इसका क्या किया जाय?’

‘अरे, पूछते क्या हो? वैकुण्ठ में भेजो|’

अब व्यभिचारी आये, पापी आये, हिंसा करनेवाला आये, कोई भी आये, उसके लिए एक ही आज्ञा कि ‘वैकुण्ठ में भेजो|’ अब धर्मराज क्या करें? गद्दी पर बैठा मालिक जो कह रहा है, वही ठीक! वहाँ वैकुण्ठ में जाने वालों की कतार लग गयी| भगवान् ने देखा कि अरे! इतने लोग यहाँ कैसे आ रहे हैं? कहीं मृत्युलोक में कोई महात्मा प्रकट हो गये? बात क्या है, जो सभी को बैकुण्ठ में भेज रहे हैं? कहाँ से आ रहे हैं? देखा कि ये तो धर्मराज के यहाँ से आ रहे हैं|

भगवान् धर्मराज के यहाँ पहुँचे|  भगवान् को देखकर सब खड़े हो गये| धर्मराज भी खड़े हो गये| वह कायस्थ भी खड़ा हो गया| भगवान् ने पूछा-‘धर्मराज! आपने सबको वैकुण्ठ भेज दिया, बात क्या है? क्या इतने लोग भक्त हो गये?’

धर्मराज-‘प्रभो! मेरा काम नहीं है| आपने जो मुनीम भेजा है, उसका काम है|’

भगवान् ने कायस्थ से पूछा-‘तुम्हे किसने भेजा?’

कायस्थ-‘आपने महाराज!’

‘हमने कैसे भेजा?’

‘क्या मेरे बाप के हाथ की बात है, जो यहाँ आता? आपने ही तो भेजा है| आपकी मर्जी के बिना कोई काम होता है क्या? क्या यह मेरे बल से हुआ है?’

‘ठीक है, तूने यह क्या किया?’

‘मैंने क्या किया महाराज?’

‘तूने सबको वैकुण्ठ में भेज दिया!’

‘यदि वैकुण्ठ में भेजना खराब काम है तो जितने संत-महात्मा हैं, उनको दण्ड दिया जाय! यदि यह खराब काम नहीं है तो उलाहना किस बात की? इस पर भी आपको यह पसंद न हो तो सब को वापस भेज दो| परन्तु भगवद्गीता में लिखा यह श्लोक आपको निकालना पड़ेगा-‘यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परम मम’ ‘मेरे धाम में जाकर पीछे लौटकर कोई नहीं आता|

‘बात तो ठीक है| कितना ही बड़ा पापी हो, यदि वह वैकुण्ठ में चला जाय तो पीछे लौटकर थोड़े ही आयेगा! उसके पाप तो सब नष्ट हो गये| पर यह काम तूने क्यों किया?’

‘मैंने क्या किया महाराज? मेरे हाथ में जब बात आयेगी तो मै यही करूँगा, सबको वैकुण्ठ भेजूँगा| मैं किसी को दण्ड क्यों दूँ? मै जानता हूँ कि थोड़ी देर देने के लिए गद्दी मिली है, तो फिर अच्छा काम क्यों न करूँ? लोगों का उद्धार करना खराब काम है क्या?’

भगवान् ने धर्मराज से पूछा-‘धर्मराज! तुमने इसको गद्दी कैसे दे दी?

धर्मराज बोले-‘महाराज! देखिये, आपका कागज आया है| नीचे साफ-साफ आपके दस्तखत हैं|’

भगवान् ने कायस्थ से पूछा-‘क्यों रे, ये कागज मैंने कब दिया तेरे को?’

कायस्थ बोला-‘आपने गीता में कहा है-‘सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टः’ ‘ मै सबके हृदय में रहता हूँ’; अतः हृदय से आज्ञा आयी कि कागज लिख दे तो मैंने लिख दिया| हुक्म तो आपका ही हुआ! यदि आप इसको मेरा मानते हैं तो गीता में से उपर्युक्त बात निकाल दीजिये!’

भगवान् ने कहा-‘ठीक|’ धर्मराज से पूछा-‘अरे धर्मराज! बात क्या है? यह कैसे आया?’

धर्मराज बोले-‘महाराज! कैसे क्या आया, आपका पुत्र ले आया!’ दूतों से पूछा-‘यह बात कैसे हुई?’

दूत बोले-‘महाराज! आपने ही तो एक दिन कहा था कि एक जीवित आदमी लाना|’

धर्मराज-‘तो वह यही है क्या? अरे, परिचय तो कराते!’

दूत-‘हम क्या परिचय कराते महाराज! आपने तो कागज लिया और इसको गद्दी पर बैठा दिया| हमने सोचा कि परिचय होगा, फिर हमारी हिम्मत कैसे होती बोलने की?’

हाथी वहाँ खड़ा सब देख रहा था, बोला-‘जै रामजी की! आपने कहा था  कि तू कैसे आदमी के वश में हो गया? मैं क्या वश में हो गया, वश में तो धर्मराज हो गये और भगवान् हो गये! यह काले माथेवाला आदमी बड़ा विचित्र है महाराज! यह चाहे तो बड़ी उथल-पुथल कर दे! यह तो खुद ही संसार में फँस गया!’

भगवान् ने कहा-‘अच्छा, जो हुआ सो हुआ, अब तो नीचे चला जा|’

कायस्थ बोला-‘गीता में आपने कहा है- ‘मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते’ ‘मेरे को प्राप्त होकर पुनः जन्म नहीं लेता’ तो बतायें, मैं आपको प्राप्त हुआ कि नहीं?

भगवान्-‘अछ भाई, तू चल मेरे साथ|’

कायस्थ-‘महाराज! केवल मैं ही चलूँ? हाथी पीछे रहेगा बेचारा? इसकी कृपा से ही तो मैं यहाँ आया| इसको भी तो लो साथ में!’

हाथी बोला-‘मेरे बहुत-से भाई यहीं नरकों में बैठे हैं, सबको साथ ले लो|’

भगवान् बोले-‘चलो भाई, सबको ले लो!’ भगवान् के आने से हाथी का भी कल्याण हो गया, कायस्थ का भी कल्याण हो गया और अन्य जीवों का भी कल्याण हो गया!

यह कहानी तो कल्पित है, पर इसका सिद्धांत पक्का है कि अपने हाथ में कोई अधिकार आये तो सबका भला करो| जितना कर सको, उतना भला करो| अपनी तरफ से किसी का बुरा मत करो, किसी को दुःख मत दो| गीता का सिद्धांत है-‘सर्वभूतहिते रताः’ ‘प्राणिमात्र के हित में प्रीति हो’| अधिकार हो, पद हो, थोड़े ही दिन रहने वाला है| सदा रहने वाला नहीं है| इसलिये सबके साथ अच्छे-से-अच्छा बर्ताव करो|

सीतापुर में कार्यरत शिक्षिका को मनचलों द्वारा दुष्कर्म के प्रयास के संबंध में शिक्षक संघ ने महानिदेशक को सौंपा ज्ञापन

हमीरपुर। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने गोदला मऊ ब्लाक में तैनात शिक्षिका  के साथ स्कूल से लौटते समय दुष्कर्म के प्रयास की घटना को लेकर महा निदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश लखनऊ को ज्ञापन भेजा है। वही उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम प्रकाश साहू ने शिक्षिका के साथ हुई घटना पर गहरा रोष जताया व आरोपियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की है। विद्यालय बंद करके शिक्षिका घर जा रही थी कि पहले से घात लगाए बैठे दो मनचले उसे खींचते हुए गन्ने के खेत में ले गए और दुष्कर्म का प्रयास किया।  चीख-पुकार सुनकर सहयोगी शिक्षकों द्वारा शिक्षिका की जान बचाई गई।  एक आरोपी को मौके से फरार हो गया और एक मनचले को अध्यापकों ने पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। इस संबंध में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम प्रकाश साहू ने  महानिदेशक स्कूली शिक्षा लखनऊ को ज्ञापन भेजकर कठोर कार्यवाही करने की मांग की है।  शिक्षक संघ का कहना है  3 दिन बीत जाने के बाद कोई भी शिक्षा अधिकारी शिक्षिका का हाल-चाल लेने नहीं आया और ना ही फोन किया।  वर्तमान में शिक्षिका बहुत ही दुखद एवं भयभीत है पुनः उस विद्यालय में जाने मे असुरक्षित महसूस कर रही है। महानिदेशक से सिधौली ब्लाक के समीप उनके स्थानांतरण हेतु जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सीतापुर को सक्षम आदेश निर्गत करने का अनुरोध किया है। शिक्षक संघ ने बताया की सर्दी के मौसम में दिन छोटा होने के कारण जल्दी सूर्यास्त हो जाता है ।सर्दियों में विद्यालयों का समय 10:00 बजे से 2:00 बजे तक करने की मांग की है जिससे शिक्षिकाएं सुरक्षित घर लौट सकें।