Saturday, January 30, 2021

समस्तीपुर की क्रिकेट टीम ने वैशाली को छह रन से पराजित कर टूर्नामेंट के कप कब्जा जमाया

                                             राजापाकर(वैशाली)संवाद सूत्र ,दैनिक अयोध्या टाइम्स। पूर्व मुखिया स्वर्गीय नेवालाल राय स्मृति टेनिस बॉल क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल मैच में समस्तीपुर की टीम ने वैशाली को रोमांचक मुकाबले में 7 से हराकर कप पर कब्जा जमाया. भलुई कॉलेज के खेल मैदान में टूर्नामेंट का फाइनल मैच खेला गया. जिसमें समस्तीपुर की टीम ने पहले टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 167 रन सात विकेट पर बनाया. जवाब में खेलने उतरी वैशाली की टीम ने  20 ओवर में सभी विकेट होते हुए 161 रन ही बना सकी. इस प्रकार समस्तीपुर की टीम को विजेता घोषित किया गया. विजेता उपविजेता टीम को मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित राजापाकर विधायिका प्रतिमा कुमारी  महुआ विधायक मुकेश रोशन ,राष्ट्रीय युवा विकास परिषद के अध्यक्ष किसलय किशोर ,आर आर पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर राजेंद्र राय ने कप प्रदान किया. विजेता टीम को आर आर पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर राजेंद्र राय द्वारा ₹25000 इनाम दिया गया .वही विजेता टीम को ज्योति ज्योती ब्रिक्स के मालिक उपेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा ₹11000 पुरस्कार स्वरूप दिया गया. मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार समस्तीपुर टीम के सुशांत को 58 रन बनाने के लिए दिया गया. वह मैन ऑफ द सीरीज का पुरस्कार वैशाली टीम के नवीन कुमार को पूरे मैच में 110 रन और 5 विकेट लेने के लिए दिया गया. चौके छक्के पर विभिन्न जनप्रतिनिधियों गणमान्य लोगों द्वारा ₹51 दिए गए. कमेंटेटर के रूप में बेस्ट पुरस्कार मनोज कुमार, चंकी कुमार यादव एवं मनीष कुमार को दिया गया. रेफरी के रूप में चंचल कुमार, सद्दाम खान को दिया गया. मैच के व्यवस्थापको मे एसएन यादव ,बीएन कुमार ,बैजू राय, नरेश राय, मधुप रंजन वर्मा, मुकेश यादव, संजय पासवान ,सौरव यादव, सरवन यादव ,प्रवीण कुमार, अविनाश चंद्र, सुमंत कुमार, अनिल यादव सहित अनेक लोग शामिल हैं.

कहानी

ब्यूरो चीफ धर्मेंद्र कुमार पोरवाल अहमदाबाद


एक पुरानी कहानी है। ऐसा हुआ कि एक चरवाहा अपनी भेड़ों को एक पहाड़ के किनारे पर चरा रहा था। दोपहर हो गई। राह देखते-देखते थक गया, उसकी पत्नी भोजन ले कर न आयी। ऐसा तो कभी न हुआ था। भूख उसे जोर से लगी थी। फिर उसे चिंता भी पकड़ी कि कहीं पत्नी बीमार तो नहीं हो गई। कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई। ऐसा कभी हुआ ही न था। लेकिन वह था बिलकुल वज्र बधिर। सुन नहीं सकता था। उसने आसपास देखा कि कोई आदमी हो। देखा कि एक लकड़हारा लकड़ी काट रहा है। वह झाड़ पर चढ़ा था। वह उसके नीचे पहुंचा। उसने कहा, मेरे भाई! जरा मेरी भेड़ों का ध्यान रखना। मैं जरा घर हो आऊं। पत्नी भोजन नहीं लायी है। दौड़ कर अभी ले आऊंगा।
वह आदमी भी बहरा था, जो लकड़ी काट रहा था। उसने कहा, जा-जा! हमारे पास बातचीत का कोई वक्त नहीं है। मैं अपने काम में लगा हूं, तुझे बातचीत की सूझी।
तो जब उसने कहा, जा-जा! तो यह समझा कि वह कह रहा है कि जा, तू अपनी रोटी ले आ। मैं तेरी भेड़-बकरी की फिक्र कर लूंगा।
यह भागा हुआ घर गया। रोटी ले कर आया। लौट कर उसने अपनी भेड़ों की गिनती की, बराबर थी। धन्यवाद देने गया कि आदमी बड़ा प्यारा है, अच्छा है, ईमानदार है, फिक्र रखी, एक भी भेड़ न भटकी। फिर उसको खयाल आया, धन्यवाद कोरा क्या देना? एक लंगड़ी भेड़ थी उसके पास, उसे आज नहीं कल काटना ही था। सोचा, यह इसे भेंट कर दें।
वह लंगड़ी भेड़ ले कर आया। उसने कहा, मेरे भाई, बड़े-बड़े धन्यवाद। तुम्हारी बड़ी कृपा। यह भेड़ स्वीकार कर लो। ऐसे भी इसे काटना ही था।
दूसरे बहरे ने कहा, तेरा क्या मतलब? मैंने तेरी भेड़ लंगड़ी की?
विवाद बढ़ गया। क्योंकि वह एक चिल्ला रहा था, मैंने तेरी भेड़ देखी नहीं। मुझे मतलब क्या? और दूसरा कह रहा था, मेरे भाई, इसको स्वीकार कर लो। पर दोनों बहरे थे और बड़ी कठिनाई थी।
एक राहगीर एक घोड़े पर, एक चोर जो घोड़े को चुरा कर जा रहा था, वह रास्ता भटक गया था। वह इन दो आदमियों से पूछने आया था। इन दोनों ने उसको पकड़ लिया। वह भी बहरा था। वह समझा कि पकड़े गए! ये ही घोड़े के मालिक हैं। ये दोनों उससे कहने लगे कि भाई, जरा उसको समझा दो कि मैं भेड़ दे रहा हूं और यह नाहक नाराज हो रहा है, चिल्ला रहा है।
और वह दूसरा बोला कि मैंने इसकी भेड़ों को छुआ भी नहीं। लंगड़े होने का कोई सवाल नहीं। उस तीसरे ने कहा, भाई, घोड़ा जिसका भी हो ले लो। मुझसे जो भूल हो गई, मुझे माफ करो।
यह विवाद चल ही रहा था और कोई रास्ता नहीं दिखाई पड़ता था। क्योंकि कोई किसी की सुन ही नहीं रहा था। तब एक साधू वहां से गुजर रहा है, उसे तीनों ने पकड़ लिया और कहा कि हमारा मामला सुलझा दो। उसने मौन की कसम ले रखी थी। जीवन भर के लिए चुप हो गया था। समझ लिया उसने तीनों का मामला। लेकिन अब करे क्या? तो पहले उसने जो घोड़े पर सवार चोर था उसकी आंखों में गौर से देखा। उसने इतनी गौर से देखा कि थोड़ी ही देर में घोड़े का चोर बेचैन होने लगा कि यह आदमी या तो सम्मोहित कर रहा है, या क्या इरादे हैं? वह इतना घबड़ा गया कि छलांग लगा कर अपने घोड़े पर चढ़ा और भाग गया।
तब उस सूफी फकीर ने दूसरे आदमी की आंखों में देखा, जो भेड़ों का मालिक था। उसको भी लगा कि यह आदमी तो बेहोश कर देगा। देखे ही जाता है अपलक। वह जल्दी से सिर झुका कर अपनी भेड़ों को खदेड़ कर अपने घर की तरफ चल पड़ा।
तब उसने तीसरे की तरफ देखा। वह तीसरा भी डरा। उसकी आंख बड़ी तेजस्वी थी। जो लोग चुप रहते हैं बहुत देर तक उनकी आंखों में एक अलग तेज आ जाता है। क्योंकि सारी ऊर्जा इकट्ठी होती है और आंख ही अभिव्यक्ति का माध्यम रह जाती है। जब उसने गौर से देखा उस तीसरे की तरफ, वह भी डरा। उसने अपनी लकड़ी का बंडल बांधा और भागा। सूफी हंसता हुआ अपने रास्ते पर चला गया। सूफी ने मामला हल कर लिया तीन बहरों का बिना बोले।
यही संतों की तकलीफ है हमारे साथ। तीन बहरे नहीं हैं यहां, तीन अरब बहरे हैं। और जो भी हम कह रहे हैं वह सब संगत-असंगत, उसमें कुछ भी नहीं है। कोई किसी की नहीं समझ रहा है। जिंदगी में संवाद तो हो ही नहीं रहा है, विवाद चल रहे हैं। संत क्या करें? जिन्होंने मौन रहना सीख लिया है, वे क्या करें? बोलने का कोई उपाय नहीं है। वे कितना ही बोलें। वह साधू कितना ही बोलता तो भी वे तीन बहरे कुछ समझ न पाते। तीन की जगह चार उपद्रव वहां हो जाते। उसने सिर्फ आंख से गौर से उन्हें देखा।
संतों ने सिर्फ तुम्हारी तरफ गौर से देखा है और हल करने की कोशिश की है। और जो उनके भीतर समाया है, वह तुम्हारी आंखों में उंडेलना चाहा है। संगति करो, सत्संग करो। सुनने-कहने से बहुत न होगा। कुछ कहा जाएगा, कुछ तुम समझोगे; लोग बहरे हैं। कुछ बताया जाएगा, कुछ तुम देखोगे; लोग अंधे हैं।

सूरत में व्यापारी पुत्र का अपहरण तीन करोड़ की मांगी फिरौती

दैनिक अयोध्या टाइम्स 


धर्मेंद्र कुमार पोरवाल अहमदाबाद 

सूरत गुजरात के सूरत में भटार रोड पर स्थित करीमाबाद सोसाइटी में रहते युवक का अपहरण होने से सनसनी मच गई है युवक सुबह जिम जाने के लिए घर से निकला था इसी दौरान कृष्ण कुंज सोसायटी के सामने से उसका अपहरण कर लिया गया युवक के पिता बड़े बिजनेसमैन है अपहरणकर्ताओं ने 3 करोड़ की फिरौती मांगी है उधर घटना की सूचना पाते ही उच्च पुलिस अधिकारियों का काफिला आ पहुंचा है जानकारी के मुताबिक करीमाबाद सोसाइटी में रहते खोजा समाज के व्यापारी के पुत्र का अपहरण करने की सूचना मिली मिलने के बाद भटार पुलिस का काफिला आ पहुंचा युवक घर से जिम जाने के लिए बाइक पर निकला था इस दौरान कृष्ण कुंज सोसायटी के पास आरोपियों ने युवक को घेर कर उसका अपहरण कर लिया पुलिस ने बताया कि अपहरणकर्ताओं ने 3 करोड़ की फिरौती की मांग की है पुलिस ने बताया की कृष्ण कुंज सोसायटी के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंखाले जा रहे हैं आरोपी कार लेकर आए थे पुलिस ने बताया की पुलिस की अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है पुलिस का मानना है कि वह आरोपी के निकट पहुंच चुकी है फिलहाल इस बारे में अभी कोई भी जानकारी नहीं दी जा सकती

सड़क के किनारे खड़ी कार में लगी आग

 बोनट खोला तो मिली अंग्रेजी शराब की बोतलें दैनिक 

अयोध्या टाइम्स 
ब्यूरो चीफ धर्मेंद्र कुमार पोरवाल अहमदाबाद 
अहमदाबाद बदलते समय के साथ अपराधी भी अलग-अलग तरीके से अपराध को अंजाम देने लगे हैं चाहे वह किसी भी तरह का अपराध हो अब तस्करी को ही ले लीजिए ताजा मामला शहर की वराछा इलाके का है जहां सड़क किनारे खड़ी एक गाड़ी में अचानक आग लग गई है जिसके कारण हड़कंप मच गया घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम ने आग पर काबू पाया पुलिस के अनुसार  घटना वराछा इलाके की है जहां पर ईश्वर कृपा सोसाइटी के पास सड़क के किनारे खड़ी कार में अचानक से आग लग गई