Saturday, January 2, 2021

बीईएल ने भारतीय नौसेना के साथ स्वदेश में विकसित लेजर डैजलर्स की प्रारंभिक आपूर्ति के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने रेडिएशन डेजलर्स के तीव्र उत्सर्जन के माध्यम से 20 प्रकाश प्रवर्धन की प्रारंभिक आपूर्ति के लिए भारतीय नौसेना के साथ आज नई दिल्ली में एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। बीईएल ने इस माह के प्रारंभ में विक्रय वैश्विक श्रेणी में ग्लोबल इक्यूपमैंट मैनुफैक्चर्स (ओईएम) को पीछे छोड़ते हुए यह अनुबंध हासिल किया था। इनका निर्माण बीईएलपुणे संयंत्र द्वारा किया जाएगा।

लेजर डेजलर का उपयोग दिन और रात दोनों के दौरान सुरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश करने आने वाले संदिग्ध वाहनों/नावों/हवाई जहाजों/यूएवी/समुद्री डाकुओं आदि को चेताने और रोकने के लिए एक गैर-घातक प्रणाली के तौर पर किया जाता है। आदेशों का पालन न करने की स्थिति में यह अपनी तीव्र चमक के माध्यम से व्यक्ति के/ऑप्टिकल सेंसर गतिविधि को रोकने में सक्षम है। इसकी तीव्र चमक किसी भी व्यक्ति को थोड़ी देर के लिए भ्रमित/दिखाई देना बंद कर देती है। यह अपनी तीव्र चमक से विमान/यूएवी को भी विचलित कर देता है। यह आसानी से ले जाने में सक्षम है और सेना के द्वारा इसका इस्तेमाल खराब मौसम की स्थिति में सैनिक के कंधे पर रखकर भी किया जा सकता है। लेजर डैज़लर तकनीक को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है।

यह अनूठा उत्पाद पहली बार सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की आत्म-निर्भर भारत पहल को भी समर्थन करेगा।


2 जनवरी को प्रधानमंत्री आईआईएम संबलपुर के स्थायी परिसर की आधारशिला रखेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 2 जनवरी, 2021 को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ओडिशा के संबलपुर स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के स्थायी परिसर की आधारशिला रखेंगे। ओडिशा के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक, श्री धर्मेन्द्र प्रधान और श्री प्रताप चंद्र सारंगी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। इस समारोह में अधिकारियों, उद्योग जगत के अग्रणी लीडर्स, शिक्षाविदों, छात्रों, पूर्व छात्रों और आईआईएम संबलपुर के शिक्षकों सहित 5000 से अधिक आगंतुक डिजिटल माध्यम से जुड़ेंगे।

आईआईएम संबलपुर के बारे में

आईआईएम संबलपुर फ्लिप्ड क्लासरूम के आइडिया को लागू करने वाला पहला आईआईएम है, जहां मूलभूत अवधारणाओं को डिजिटिल तरीके से सिखाया जाता है और उद्योग से लाइव प्रोजेक्ट्स के माध्यम से कक्षा में प्रायोगिक शिक्षा दी जाती है। इस संस्थान ने उच्चतम लिंग विविधता के मामले में दूसरे आईआईएम को पीछे छोड़ दिया, यहां एमबीए (2019-21) बैच में 49 प्रतिशत और एमबीए (2020-22) बैच में 43 प्रतिशत छात्राएं हैं।


दिसंबर-2020 में जीएसटी राजस्व का रिकॉर्ड संग्रह हुआ, जो जीएसटी लागू होने के बाद अब तक का सबसे अधिक राजस्व संग्रह है

दिसंबर 2020 में 1,15,174 करोड़ रुपए के सकल जीएसटी राजस्व की वसूली हुईजिसमें सीजीएसटी 21,365 करोड़ रुपएएसजीएसटी 27,804 करोड़ रुपएआईजीएसटी 57,426 करोड़ रुपए (वस्तुओं के आयात पर वसूली गई 27,050 करोड़ रुपए की राशि सहित), 8,579 करोड़ रुपए की उपकर राशि (वस्तुओं के आयात पर वसूल की गई 971 करोड़ रुपए की राशि सहितशामिल है। 31 दिसंबर 2020 तक नवम्बर माह के लिए कुल 87 लाख जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल की गई।

सरकार ने नियमित निपटान के रूप में सीजीएसटी से 23,276 करोड़एसजीएसटी से 17,681 करोड़ रुपए का निपटान किया। दिसंबर 2020 में नियमित निपटान के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा अर्जित कुल राजस्व इस प्रकार हैसीजीएसटी के लिए 44,141 करोड़ रुपए और एसजीएसटी के लिए 45,485 करोड़ रुपए।

जीएसटी राजस्व में वसूली की वर्तमान प्रवृत्ति के अनुरूप दिसंबर 2020 में पिछले साल के इसी माह की तुलना में जीएसटी राजस्व 12 प्रतिशत अधिक रहा। पिछले साल दिसंबर माह की तुलना में इस माह के दौरान वस्तुओं के आयात से प्राप्त राजस्व 27 प्रतिशत अधिक रहा तथा घरेलू लेन-देन (सेवाओं के आयात सहितसे प्राप्त राजस्व आठ प्रतिशत ज्यादा रहा।

जीएसटी लागू होने के बाद से लेकर अब तक दिसंबर 2020 के दौरान जीएसटी राजस्व सर्वाधिक रहा और पहली बार इसने 1.15 लाख करोड़ के स्तर को पार किया। अब तक सबसे अधिक जीएसटी वसूली अप्रैल 2019 में 1,13,866 करोड़ रुपए की रही थी। अप्रैल में सामान्य रूप से अधिक राजस्व प्राप्त होता है क्योंकि वह अप्रैल की रिटर्न से संबंधित होता है और मार्च वित्तीय वर्ष का अंतिम मास होता है। दिसंबर 2020 में पिछले मास के 104.963 करोड़ रुपए के राजस्व की तुलना में अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। पिछले 21 महीनों में मासिक राजस्व में यह सबसे अधिक बढ़ोत्तरी है। ऐसा महामारी के बाद त्वरित आर्थिक रिकवरी और जीएसटी की चोरी करने वालों और नकली बिल बनाने वालों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान के साथ-साथ अभी हाल में शुरू किए गए व्यवस्थागत परिवर्तनों के कारण संभव हुआ हैजिसके कारण अनुपालन में सुधार को बढ़ावा मिला है।

अभी तक जीएसटी से 1.1 लाख करोड़ से अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है जो जीएसटी की शुरुआत से तीन गुणा अधिक है। चालू वित्त वर्ष में यह लगातार तीसरा महीना है जब अर्थव्यवस्था में महामारी के बाद रिकवरी के संकेत मिले हैं और जीएसटी राजस्व एक लाख करोड़ रुपए से अधिक हुआ है। पिछली तिमाही में जीएसटी राजस्व में औसत बढ़ोत्तरी 7.3 प्रतिशत रही है जबकि दूसरी तिमाही के दौरान यह -8.2 प्रतिशत तथा पहली तिमाही में    -41.0 प्रतिशत रही।

नीचे दिया गया चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्‍व में रूझानों को दर्शाता है। तालिका दिसंबर, 2019 की तुलना में दिसंबर 2020 के दौरान प्रत्‍येक राज्‍य में जीएसटी वसूली के राज्‍यवार आंकड़े दर्शाती है 


चार न्यायाधीशों को ओडिशा, तेलंगाना, मद्रास और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत किया गया

राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 217 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित न्यायाधीशों को उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त किया:

क्रमांक

 न्यायाधीश / न्यायमूर्ति

वर्तमान उच्च न्यायालय

उच्च न्यायालय का नाम जहां मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त

1

डा.एस मुरलीधर 

पंजाब और हरियाणा

ओडिशा

2

सुश्री हीमा कोहली

 

दिल्ली

तेलंगाना

 

3

संजीब बनर्जी

कलकत्ता

मद्रास

 

4

 

पंकज मित्तल

इलाहाबाद

 

जम्मू कश्मीर लद्दाख

 

 

न्याय विभाग द्वारा आज इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई है।

न्यायाधीशों का संक्षिप्त विवरण:

डॉ. न्यायमूर्ति एस.मुरलीधर,(बीएससी, एलएलएम, पीएचडी)का जन्म 08 अगस्त, 1961 को हुआ था। उन्होंने 12 सितंबर, 1984 को एक अधिवक्ता के रूप में कार्य करना शुरु किया और फिर चेन्नई में दीवानी अदालत में प्रैक्टिस करने लगे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, श्रम, चुनाव, पंचाट, जनहित याचिका, मानवाधिकार, कंपनी कराधान और सेवा मामलों से जुड़े मुकदमे लेने शुरु कर दिए। संवैधानिक, चुनाव, जनहित याचिका तथा आपराधिक और मानवाधिकार मामले उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र रहे हैं।

उन्होंने 2000-2004 तक निर्वाचन आयोग, राष्ट्रीय​ मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय सतर्कता आयोग और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अधिवक्ता और सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्हें 29 मई, 2006 को दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 29 अगस्त, 2007 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें 06 मार्च, 2020 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया।

न्यायमूर्ति कुमारी हिमाकोहली,(एमए एलएलबी) का जन्म 2 सितंबर 1959 को हुआ था। उन्होंने 20 सिंतबर 1984 को अधिवक्ता के रूप में काम करना शुरु किया। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में सिविल, संवैधानिक, श्रम, कंपनी और सेवा मामलों से जुड़े मुकदमे देखे। उन्हें सिविल कानूनों में विशेषज्ञता हासिल है। उन्हें 29 मई, 2006 को दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 29 अगस्त, 2007 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर दिया गया।

न्यायमूर्ति पंकज मित्तल (बी.कॉम एलएलबी)का जन्म 17 जून, 1961 को हुआ था। उन्होंने 22 सितंबर 1985 को एक अधिवक्ता के रूप में कार्य करना शुरु किया। उन्होंने सिविल, संवैधानिक, श्रम और सेवा से जुड़े मामलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 20 साल तक प्रैक्टिस की। उन्हें भूमि अधिग्रहण, किराया नियंत्रण और शिक्षा से जुड़े कानून में विशेषज्ञता प्राप्त है। उन्हें 07 जुलाई, 2006 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में और 2 जुलाई, 2008 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी, बी.एससी (ऑनर्स), एल.एल.बी.का जन्म 2 नवंबर, 1961 को हुआ था। उन्होंने 21 नवंबर, 1990 से एक अधिवक्ता के रूप में कार्य करना शुरु किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय और अन्य न्यायालयों में सिविल, कंपनी, मध्यस्थता और संवैधानिक मामलों में प्रैक्टिस की। उन्हें कंपनी, बौद्धिक संपदा और मध्यस्थता कानून में विशेषज्ञता प्राप्त है। उन्हें 22 जून, 2006 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।