Saturday, January 2, 2021

आम जनता के लिए 5 जनवरी से फिर खुलेगा राष्ट्रपति भवन संग्रहालय

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर, जो कोविड-19 के कारण आम जनता के भ्रमण के लिए 13 मार्च, 2020 से बंद था, 5 जनवरी, 2021 से पुनः खुलेगा। यह सभी दिन खुला रहेगा (सोमवार और सरकारी अवकाश को छोड़कर)। आगंतुक भ्रमण के लिए वेबसाइट्स- https://presidentofindia.nic.inया https://rashtrapatisachivalaya.gov.in/या https://rbmuseum.gov.in/पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। पहले की तरह, प्रति आगंतुक 50/- रुपये का मामूली पंजीकरण शुल्क लिया जाएगा। स्पॉट बुकिंग जो पहले उपलब्ध थी, उसे अस्थायी रूप से निलंबित रखा गया है।सामाजिक दूरी के मानदंडों को बनाए रखने के लिए, प्रात: 9:30 - 11:00, प्रात: 11:30 - 1:00 अपराह्न, 1:30 अपराह्न - 3:00 अपराह्न और 3:30 अपराह्न से शाम 5:00 बजे के बीच चार प्री-बुकिंग टाइम स्लॉटस तय किए गए हैं, साथ प्रति स्लॉट में 25 आगंतुकों की अधिकतम सीमा तय की गई है। भ्रमण के दौरान, आगंतुकों को मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने, आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल करने जैसे कोविड प्रोटोकॉल से जुड़े नियमों का पालन करना पड़ेगा। कोविड-19 के लिहाज से कमजोर व्यक्तियों को यात्राकरने से बचने को कहा जाता है।राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर इतिहास को कहानी के रूप में दर्शाने वाला एक संग्रहालय है जिसमें कला, संस्कृति, विरासत और इतिहास के उत्तम प्रतीकों और अमूल्य कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।

सभी सेवारत कर्मियों को सेवा के दौरान दिव्यांगता का शिकार होने की स्थिति में “दिव्यांगता क्षतिपूर्ति” दी जाएगी- डॉ जितेंद्र सिंह

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने नए वर्ष पर केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए दिव्यांगता क्षतिपूर्ति योजना की शुरुआत के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यदि कोई कर्मचारी सेवा के दौरान दिव्यांगता का शिकार होता है और उसकी सेवाएँ दिव्यांग होने के बाद भी बरकरार रखी जाती हैं तो उन्हें दिव्यांगता क्षतिपूर्ति का लाभ दिया जाएगा।

आज का यह आदेश केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल सीएपीएफ के युवा जवानों जैसे सीआरपीएफबीएसएफसीआईएसएफ इत्यादि के जवानों को बड़ी राहत उपलब्ध कराएगा,जिनकी सेवा की प्रकृति के चलते अपना दायित्व निभाते हुए दिव्यांगता का शिकार होने की संभावना बनी रहती है।

यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि नया आदेश सेवा नियमों की एक विसंगति को दूर करेगा जिसके चलते केंद्रीय कर्मचारियों को जटिलताओं का सामना करना पड़ता था। इस संबंध में 5 मई, 2009 को जारी किए गए आदेश के तहत 1 जनवरी, 2004 या उसके बाद सेवा में शामिल हुए सरकारी कर्मियों को केंद्रीय नागरिक सेवाओं (सीसीएस)ईओपी नियमों के अंतर्गत दिव्यांगता का लाभ नहीं मिलेगा और वह राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के अंतर्गत कवर होंगे। कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पेंशन विभाग द्वारा जारी नए आदेश के अंतर्गत अब उन कर्मचारियों को भी अतिरिक्त असाधारण पेंशन (ईओपी) के नियम 9 के तहत लाभ प्राप्त होगा जो एनपीएस के दायरे में आते हैं।

अन्य शब्दों में यदि एक सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी के दौरान दिव्यांगता का शिकार होता है और यह दिव्यांगता उसकी सरकारी सेवा को प्रभावित करती है और उसकी सेवा बरकरार रखी जाती है तो उसे एकमुश्त राहत राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसकी गणना समय-समय पर जारी की जाने वाली परिवर्तित सारणी के आधार पर की जाएगी।

इस आदेश के जारी होने पर संतोष व्यक्त करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार नियमों के सरलीकरण के लिए और विभेदकारी नियमों को खत्म करने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सभी प्रकार की नई पहल का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के जीवन को आसान बनाना है। इससे वह कर्मचारी भी लाभान्वित होंगे जो आज पेंशन भोगी हैं अथवा जिनके परिजन पेंशन प्राप्त कर रहे हैं।

सरकारी कर्मचारियों के हित में कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में एक और आदेश जारी किया था जिसके अंतर्गत पेंशन प्राप्त करने के लिए न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा शर्त में छूट दी थीयदि कोई सरकारी कर्मचारी शरीर से या चिकित्सकीय अक्षमता के कारण सरकारी सेवाओं से सेवानिवृत्त होता है तो। इस संदर्भ में सीसीएस (पेंशन) के नियम 38 में संशोधन कर आखिरी भुगतान के 50% पेंशन देने का नियम लागू किया गयाभले ही कर्मचारी 10 वर्ष की न्यूनतम आवश्यक सेवा शर्त को पूर्ण नहीं कर पाया हो।

इसके अतिरिक्त पेंशन से जुड़े नियमों में एक और महत्वपूर्ण सुधार किया गया और यह निर्णय किया गया कि सरकारी कर्मचारी के आश्रित को आखिरी भुगतान के 50% पेंशन का अधिकार प्राप्त करने के लिए वर्ष की न्यूनतम सेवा की आवश्यक शर्त को भी खत्म किया गया। इसके तहत यदि किसी सरकारी कर्मचारी की वर्ष की सेवा पूर्ण होने से पहले ही सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है तब भी कर्मचारी के परिवार को उसके आखिरी भुगतान के 50% राशि पेंशन के तौर पर निर्धारित की जाएगी।


प्रधानमंत्री ने छह राज्‍यों में लाइट हाउस परियोजनाओं (एलएचपी) की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज (जीएचटीसी) के अंतर्गत छह राज्यों में छह स्‍थानों पर, आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स (एलएचपी) की आधारशिला रखी। उन्होंने अफोर्डेबल सस्टेनेबल हाउसिंग एक्सेलरेटर्स- इंडिया (आशा- इंडिया) के तहत विजेताओं की घोषणा की और प्रधानमंत्री आवास योजना - शहरी (पीएमएवाई-यू) मिशन के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता के लिए वार्षिक पुरस्कार दिए। उन्होंने एनएवीएआरआईटीआईएच (भारतीय आवास के लिए नवीन, सस्ती, विधिमान्‍य, अनुसंधान नवाचार प्रौद्योगिकी) नाम के नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों पर एक प्रमाणीकरण पाठ्यक्रम भी जारी किया। इस अवसर पर केन्‍द्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, झारखंड, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री उपस्थित थे।

इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने, नए संकल्पों को साबित करने का दिन है और आज देश को गरीब, मध्यम वर्ग के लिए घर बनाने के लिए नई तकनीक मिल रही है। उन्होंने कहा कि इन घरों को तकनीकी भाषा में लाइट हाउस प्रोजेक्ट कहा जाता है लेकिन ये 6 परियोजनाएं वास्तव में लाइटहाउस की तरह हैं जो देश में आवास निर्माण के क्षेत्र को एक नई दिशा दिखा रही है।

प्रधानमंत्री ने इन लाइट हाउस परियोजनाओं को वर्तमान सरकार के दृष्टिकोण का एक उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि एक समय में आवास योजनाएं केन्‍द्र सरकार की प्राथमिकता नहीं हुआ करती थीं, गृह निर्माण की बारीकियां और गुणवत्ता भी नहीं थी। आज, देश ने परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए एक अलग मार्ग और बेहतर तकनीक को अपनाते हुए, अलग दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने सरकारी मंत्रालयों के लिए बड़े और निष्क्रिय ढांचे की नहीं, बल्कि स्टार्टअप की तरह फिट होने वाले ढांचे के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने दुनिया भर से 50 से अधिक उन्‍नतिशील निर्माण कंपनियों की सक्रिय भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक चुनौती ने हमें नई तकनीक के साथ नया करने और विकास को बढ़ावा देने का अवसर दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रक्रिया के अगले चरण में, विभिन्न स्थानों पर 6 लाइट हाउस परियोजनाओं का काम आज से शुरू हो रहा है। ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट आधुनिक तकनीक और नवीन प्रक्रियाओं से बने होंगे और निर्माण के समय को कम करेंगे और गरीबों के लिए अधिक लचीले, किफायती और आरामदायक घर बनाएंगे। उन्होंने बताया कि इन लाइट हाउसों में निर्माण प्रौद्योगिकी में नवाचार हैं। उदाहरण के लिए इंदौर में परियोजना में ईंट और मोर्टार दीवारें नहीं होंगी, इसके बजाय वे पूर्वनिर्मित सैंडविच पैनल प्रणाली का उपयोग करेंगे। राजकोट में लाइट हाउसों को फ्रेंच तकनीक का उपयोग करके बनाया जाएगा और सुरंग का उपयोग करके एक पत्‍थर की ठोस निर्माण तकनीक होगी। ये घर आपदाओं को झेलने में अधिक समर्थ होंगे। चेन्नई में, यूएस और फिनलैंड की प्रौद्योगिकियां प्रीकास्ट कंक्रीट प्रणाली का उपयोग करेंगी, जिससे घर का निर्माण तेजी से और सस्ता होगा। जर्मनी की 3 डी निर्माण प्रणाली का उपयोग करके रांची में मकान बनाए जाएंगे। प्रत्येक कमरे को अलग से बनाया जाएगा और फिर पूरी संरचना को उसी तरह से जोड़ा जाएगा जैसे लेगो ब्लॉक के खिलौनों को जोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि अगरतला में स्‍टील के फ्रेमों के साथ न्यूजीलैंड की तकनीक का उपयोग करते हुए मकान बनाए जा रहे हैं जो भूकंप के बड़े जोखिम को झेल सकते हैं। कनाडा की प्रौद्योगिकी का उपयोग लखनऊ में किया जा रहा है, जिसमें प्लास्टर और पेंट की आवश्यकता नहीं होगी और तेजी से मकान बनाने के लिए पहले से तैयार की गई पूरी दीवारों का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक स्थान पर 12 महीनों में हजारों घर बनाए जाएंगे जो इंक्यूबेशन केंद्रों के रूप में कार्य करेंगे, जिसके माध्यम से हमारे योजनाकार, वास्‍तुकार, इंजीनियर और छात्र नई तकनीक के साथ अध्‍ययन और प्रयोग कर सकेंगे। उन्होंने घोषणा की कि इसके साथ ही निर्माण क्षेत्र में नई तकनीक से संबंधित कौशल उन्नयन के लिए लोगों के लिए एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया जाएगा, ताकि लोगों को घर के निर्माण में दुनिया की सबसे अच्छी तकनीक और सामग्री मिल सके।

प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि देश के भीतर आधुनिक आवास प्रौद्योगिकी से संबंधित अनुसंधान और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए आशा-इंडिया कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से, 21वीं सदी के घरों के निर्माण की नई और सस्ती तकनीक भारत में ही विकसित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत पांच सर्वश्रेष्ठ तकनीकों का भी चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि शहर में रहने वाले गरीब या मध्यम वर्ग के लोगों का सबसे बड़ा सपना उनका अपना घर होना है। लेकिन वर्षों से, लोग अपना घर होने को लेकर विश्वास खो रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वास अर्जित करने के बावजूद भी, उच्च कीमतों के कारण मांग कम हो गई है। लोगों ने भरोसा खो दिया है कि क्या वे किसी भी मुद्दे के मामले में कानूनी रूप से खड़े हो सकते हैं। बैंक की उच्च ब्याज दर और ऋण प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों ने भी घर का मालिक बनने की दिलचस्‍पी कम कर दी है। उन्होंने एक आम आदमी का विश्वास बहाल करने के लिए पिछले 6 वर्षों में किए गए प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया कि उसके पास भी अपना घर हो सकता है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरों में बहुत कम समय में लाखों घर बनाए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण में घर-मालिकों की स्थानीय आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के अनुसार नवाचार और कार्यान्वयन दोनों पर ध्यान केन्‍द्रित किया गया है। यह एक पूर्ण पैकेज है क्योंकि प्रत्येक इकाई बिजली-पानी-गैस कनेक्शन से सुसज्जित है। लाभार्थियों के लिए जियो-टैगिंग और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है।

मध्यम वर्ग के लिए लाभ के बारे में बात करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि उन्हें होम लोन के ब्याज पर छूट मिल रही है। अधूरी आवास परियोजनाओं के लिए सृजित 25 हजार करोड़ रुपये के विशेष फंड से मध्यम वर्ग को भी मदद मिलेगी। रेरा जैसे उपायों ने घर के मालिकों का विश्वास वापस ला दिया है और उन्हें विश्वास दिलाया है कि उनकी गाढ़ी कमाई के साथ कोई धोखा नहीं होगा। रेरा के तहत 60 हजार परियोजनाएं पंजीकृत हैं और हजारों शिकायतों का निवारण कानून के तहत किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक घर की चाबी प्राप्त करना न केवल एक आवास इकाई का कब्जा लेना है, बल्कि यह गरिमा, आत्मविश्वास, सुरक्षित भविष्य, नई पहचान और विस्तार की संभावनाओं के द्वार खोलता है। ‘सभी के लिए आवास’ (हाउसिंग फॉर ऑल) के लिए किए जा रहे चौतरफा कार्य करोड़ों गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी यानि अफोर्डेबल रेंटिंग हाउसिंग कॉम्प्लेक्स स्कीमों के दौरान शुरू की गई नई योजना का भी उल्लेख किया। सरकार एक राज्‍य से दूसरे राज्‍य में काम करने के लिए आने वाले श्रमिकों को उचित किराए के साथ आवास प्रदान करने के लिए उद्योग और अन्य निवेशकों के साथ काम कर रही है। उनके आवास की स्थिति अक्सर गंदी और गरिमारहित होती है। श्री मोदी ने कहा कि प्रयास किया जा रहा है कि उन्हें उनके कार्यस्थल के आसपास के क्षेत्र में उचित किराए पर आवास प्रदान किए जाए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हमारे कामकाजी मित्र सम्मान के साथ रहें।

प्रधानमंत्री ने रियल एस्टेट क्षेत्र की मदद के लिए हाल ही में किए गए उपायों को भी याद किया। सस्ते मकानों पर कर में 8 से 1 प्रतिशत की कटौती, जीएसटी में 12 से 5 प्रतिशत की कटौती जैसे उपाय, सस्ते ऋण के लिए इस क्षेत्र को बुनियादी ढांचे के रूप में मान्यता देने से निर्माण की अनुमति से हमारी रैंकिंग 185 से 27 हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2000 से अधिक शहरों में निर्माण प्रक्रिया की अनुमति ऑनलाइन ली गई है।

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि ग्रामीण भारत में 2 करोड़ से अधिक आवास इकाइयों का निर्माण किया गया है। इस वर्ष ग्रामीण आवास की गति में तेजी लाने का प्रयास किया जाएगा।


निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट योजना (आरओडीटीईपी) लागू हुई

निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट योजना (आरओडीटीईपीको एक जनवरी 2021 से लागू करने के संबंध में 31 दिसंबर 2020 को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति की कड़ी मेंयोजना को जल्द ही अधिसूचित और सार्वजनिक किया जाएगा।

1.      आरओडीटीपी योजना के तहत कौन से उत्पाद (शुल्क के आधार पर) पात्र होंगेउसके विस्तृत जानकारी होगी।

2.      पात्र वस्तुओंशुल्क व्यवस्था के तहत आरओडीटीईपी की दरें और वैल्यू कैप (जहां पर लागू होगा) की जानकारी होगी।

3.     ऐसे निर्यात उत्पाद जो योजना के दायरे से बाहर होंगे

4.     अन्य शर्तें और प्रतिबंध

5.     आरओडीटीईपी की प्रक्रिया के तहत ड्यूटी क्रेडिट और उनके इस्तेमाल की विस्तृत जानृकारी

आरओडीटीईपी का फायदा पाने के लिए जरूरी विभिन्न शर्तेंप्रतिबंधअपात्रतादायरे से बाहर रहने वाले उत्पादप्रक्रिया को पूरी करने की शर्तों को अधिसूचित किया जाएगा। निर्यात के लिए आरओडीटीईपी की शर्तों के आधार पर योजना का फायदा एक जनवरी 2021 से लिया जा सकेगा साथ ही अगर इस संबंध में दरें और दूसरी जरूरी जानकारी बाद में जारी की जाती हैंतो भी एक जनवरी से ही स्कीम का लाभ लिया जा सकेगा। इस संबंध में दरें और दूसरी जानकारी कुछ दिनों में जारी की जाएंगी।