Tuesday, December 29, 2020

दिल्ली 130 करोड़ से अधिक लोगों की बड़ी आर्थिक और रणनीतिक शक्ति है, इसकी भव्यता प्रकट होनी चाहिएः प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश का प्रत्येक छोटे और बड़े शहर भारत की अर्थव्यवस्था के केन्द्र बनने जा रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के रूप में दिल्ली को विश्व में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती 21वीं सदी की भव्यता प्रकट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुराने शहर को आधुनिक बनाने के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री बिना ड्राइवर के प्रथम मेट्रो संचालन के उद्घाटन और दिल्ली मेट्रो के एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन तक नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड लॉन्च करने के अवसर पर आयोजित समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से संबोधित कर रहे थे।

श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने कर में छूट देकर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि राजधानी की पुरानी अवसंरचना को आधुनिक टेक्नोलॉजी आधारित अवसंरचना में बदला जा रहा है। यह सोच सैकड़ों कॉलोनियों को नियमित बनाकर झुग्गी-झोपड़ी वासियों की जीवन स्थिति बेहतर बनाने के प्रावधान तथा पुराने सरकारी भवनों को पर्यावरण अनुकूल आधुनिक ढांचे में बदलने में प्रकट होती है।

प्रधानमंत्री ने बल देते हुए कहा कि दिल्ली पुराना पर्यटक स्थल है और साथ-साथ दिल्ली में 21वीं सदी के आकर्षण विकसित करने का काम जारी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय पर्यटन का पसंदीदा स्थान बनती जा रही है। इसलिए राजधानी के द्वारका इलाके में देश का सबसे बड़ा सेंटर बनाया जा रहा है। इसी तरह विशाल भारत वंदना पार्क के साथ नए संसद भवन के लिए काम जारी है। इससे दिल्ली के न केवल हजारों लोगों को रोजगार मिलेंगे बल्कि दिल्ली की सूरत भी बदल जाएगी।

बिना ड्राइवर के प्रथम मेट्रो संचालन और दिल्ली मेट्रों के एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन तक नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड के विस्तार के लिए उन्होंने राजधानी के नागरिकों को बधाई देते हुए कहा कि दिल्ली 130 करोड़ से अधिक लोगों की बड़ी आर्थिक और रणनीतिक शक्ति है, इसलिए इसकी भव्यता प्रकट होनी चाहिए। 


उपराष्‍ट्रपति ने एकल उपयोग वाली प्लास्टिक के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर मीडिया अभियान चलाने का आह्वान किया

उपराष्‍ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने आज ऐसा मीडिया अभियान चलाने का आह्वान कियाजिससे प्‍लास्टिक उत्‍पादों के निपटान के संबंध में लोगों के व्‍यवहार में बदलाव लाया जा सके। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि समस्‍या प्‍लास्टिक के साथ नहीं हैबल्कि समस्‍या प्‍लास्टिक केउपयोग के बारे में हमारे दृष्टिकोण में है।

विजयवाड़ा स्थि‍त सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी)के छात्रोंसंकाय सदस्‍यों और कर्मचारियों को आज यहां संबोधित करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने प्‍लास्टिक के स्‍थायित्‍व और लंबे समय तक कायम रहने के चलते पैदा होने वाली पर्यावरण चुनौतियों पर चिंता जताई। उन्‍होंने प्‍लास्टिककचरे के प्रबंधन की प्रक्रिया को अपनाने और जनता को तीन आर-रिड्यूसरीयूज और रीसाइ‍कल (यानी प्‍लास्टिक का इस्‍तेमाल कम करनादोबारा इस्‍तेमाल करनाऔर दोबारा इस्‍तेमाल योग्‍य उत्‍पाद बनाना) के संबंध में जागरूक बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि इसका समाधान यह नहीं है कि प्‍लास्टिक का इस्‍तेमाल ही नहीं किया जाएबल्कि यह है कि इसे जिम्‍मेदारी पूर्ण तरीके से इस्‍तेमाल किया जाए और उचित रूप से दोबारा इस्‍तेमाल योग्‍य बनाया जाए।

स्‍वच्‍छ भारत अभियान का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि लोगों को एकल उपयोग वालीप्‍लास्टिक के बारे में जागरूक करने का राष्‍ट्रव्‍यापी अभियान चलाया जाना चाहिए। उन्‍होंने मीडियानागरिक समाज के संगठनोंछात्रों और सक्रिय कार्यकर्ताओं से इस जागरूकता अभियान में शामिल होने का आग्रह किया। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि एकल उपयोग वाली प्‍लास्टिक का हमारे पर्यावरण पर कितना हानिकारक प्रभाव पड़ता है। उन्‍हें मानवता मात्र के भविष्‍य के बारे में सोचना होगा। उन्‍होंने कहा कि हमारा दायित्‍व है कि हम अपने बच्‍चों के लिए एक स्‍वच्‍छ और हरित ग्रह को कायम रखें। उन्‍होंने सभी से अपील की कि वे एकल उपयोग वालेप्‍लास्टिक उत्‍पादों का जिम्‍मेदार ढंग से उपयोग करें।

उन्‍होंने बताया कि भारत में प्‍लास्टिक को दोबारा इस्‍तेमाल योग्‍य बनाने का बाजार 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़कर 2023 के अंत तक 53.72 अरब डॉलर हो जाएगा। श्री नायडू ने इस बात को रेखांकित किया कि कचरा प्रबंधन हमारे उद्यमियों को एक सुनहरा अवसर उपलब्‍ध करा सकता है।

उन्‍होंने गुवाहाटी में एक मॉडल प्‍लास्टिक कचरा प्रबंधन केन्‍द्र स्‍थापित करने के लिए  सीआईपीईटी की प्रशंसा की। यह केन्‍द्र प्‍लास्टिक को रीसाइकल करने और कचरा प्रबंधन के क्षेत्रों में कुशलता विकास संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्‍ध कराता है।

पॉलीमर को एक अदभुत तत्‍व बताते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि इसने जीवन की गुणवत्‍ता को काफी बढ़ा दिया है और वह अपने कम वजनस्‍थायित्‍व और संसाधन सम्‍पन्‍नता के चलते वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था का एक महत्‍वपूर्ण अंग बन गया है। उन्‍होंने कहा कि विविधता और कम लागत पर निर्माण तकनीकों के विकास की क्षमता की वजह से प्‍लास्टिक ने जीवन के विविध क्षेत्रों में पारम्‍परिक तौर से इस्‍तेमाल होने वाली सामग्रियों की जगह ले ली है।

श्री नायडू ने देश में जारी कोविड-19 महामारी के दौरान प्‍लास्टिक की महत्‍ता की खासतौर से प्रशंसा कीक्‍योंकि इस महामारी के प्रसार को रोकने और इससे निपटने के लिए चिकित्‍सा सुरक्षा उपकरण और पीपीई किट के निर्माण में इसका बड़े पैमाने पर इस्‍तेमाल किया गया। प्‍लास्टिक के अलावा पॉलीमर सामग्री का इस्‍तेमाल भी चिकित्‍सकीय उपकरण और इन्‍सुलिन पेन्‍स, आईवी ट्यूब्‍स, इम्‍प्‍लांट्स और टिश्‍यू इंजीनियरिंग में किया गया।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में पॉलीमर्स के महत्‍व को बताते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि 30,000 से ज्‍यादा प्‍लास्टिक प्रसंस्‍करण इकाइयां देशभर में 40 लाख से ज्‍यादा लोगों को रोजगार मुहैया करा रही हैं। उन्‍होंने बताया कि प्रतिवर्ष प्रति व्‍यक्ति करीब 12 किलोग्राम की औसत राष्‍ट्रीय खपत के साथ भारत का स्‍थान विश्‍व के पांच सबसे बड़े पॉलीमर उपभोक्‍ताओं में है।

उन्‍होंने कहा कि पॉलीमर की मांग 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और अनुमान है कि वैश्विक पेट्रो-केमिकल उद्योग 2025 तक 958.8 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच जाएगा। उन्‍होंने बताया कि मेक इन इंडिया और स्‍टार्टअप्‍स इंडिया जैसे सरकार के विभिन्‍न कार्यक्रम पेट्रो-कैमिकल क्षेत्र में अगली पीढ़ी के अनुसंधान और स्‍वदेशी प्रौद्योगिकी विकास के अनुकूल इको-सिस्‍टम बनाने में महत्‍वपूर्ण योगदान देंगे।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि पॉलीमर उद्योग की एक बड़ी ताकत घरेलू तौर पर निर्मित कच्‍चे माल की उपलब्‍धता है, जो‍ इसकी तरक्‍की में मददगार होगी। भारत के प्‍लास्टिक निर्यात के मौजूदा रूख को काफी उत्‍साहवर्धक बताते हुए उन्‍होंने कहा कि भारतीय प्‍लास्टिक निर्यात उद्योग ने हमेशा क्षमतासंरचना और कुशल मानव शक्ति के तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

उन्‍होंने सीआईपीईटी की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उसने कुशलता विकास कार्यक्रमोंतकनीकी सहायता सेवाओंअकादमिक और अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्रों में अपनी विविध गतिविधियों से राष्‍ट्र के विकास में योगदान किया है। उपराष्‍ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्‍नता व्यक्त कि सीआईपीईटी ने 50 से ज्‍यादा बड़ी अनुसंधान परियोजनाओं को पूरा किया है और 12 पेटेंट्स के लिए आवेदन किया है। उन्‍होंने इच्‍छा जताई कि संस्थान पर्यावरण और विकास को संतुलित करने के लिए बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक जैसे पर्यावरण अनुकूल उत्पाद विकसित करे।

श्री नायडू ने कहा कि 30 वर्ष से कम की औसत आयु के साथभारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। उन्‍होंने इच्‍छा जाहिर की कि इस युवा ऊर्जा को उचित कौशल और सही प्रेरणा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए रचनात्मक रूप से जोड़ा जाए। श्री नायडू ने इस उद्देश्य के लिए एक अलग कौशल विकास मंत्रालय बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि 'फ्यूचर इज स्किलिंग'

उन्होंने इस बात के लिए सीआईपीईटी की सराहना की कि वह कौशल विकास के क्षेत्र में अच्छा काम कररहा है और पिछले पांच वर्षों में उसनेअपने कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से तीन लाख से अधिक बेरोजगार/कम-रोजगार प्राप्त युवाओं को प्रशिक्षित कियाहै।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि 2015-16 से 16 नए सीआईपीईटीकेन्द्र स्थापित किए गए हैंजो पेट्रोकेमिकल उद्योग की कुशल कर्मचारियों की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए काम करेंगे। इस क्षेत्र में सीआईपीईटीहमारे देश के तकनीकी वर्चस्व की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

इस अवसर परश्री नायडू ने सीआईपीईटीविजयवाड़ा के साथ अपने जुड़ाव को याद कियाजब उन्होंने 2016 में तत्कालीन रसायन और उर्वरक मंत्री और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ इसकीआधारशिला रखी थी। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि सीआईपीईटीविजयवाड़ा आंध्र प्रदेश में उद्योगों के साथ अपने गठजोड़ के माध्यम से उत्कृष्टता की ओर बढ़ रहा है।

इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के धर्मादा मंत्रीश्री एम. श्रीनिवास रावरसायन और उर्वरक मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री काशीनाथ झा,सीआईपीईटी के महानिदेशकप्रो. (डॉ) एस. के. नाइक,सीआईपीईटी,विजयवाड़ा केकेंद्र प्रमुखश्री चिन्ता शेखर,सीआईपीईटी के प्रमुख निदेशकश्री आर. राजेंद्रन और अन्‍य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।


गृह मंत्रालय ने निगरानी, रोकथाम और सतर्कता के दिशा-निर्देशों को आगे जारी रखने का निर्णय किया

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पूर्व में जारी निगरानी से संबंधित दिशा-निर्देशों को 31 जनवरी 2021 तक लागू रखने के लिए आज एक आदेश जारी कर दिया है।

भले ही कोविड-19 के नए और सक्रिय मामलों की संख्या में लगातार कमी आ रही है, लेकिन वैश्विक स्तर पर मामलों में बढ़ोतरी और यूनाइटेड किंगडम (यूके) में वायरस के नए संस्करण के सामने आने के बाद निगरानी, रोकथाम और सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता है।

इस क्रम में, नियंत्रण (कंटेनमेंट) क्षेत्रों का सावधानी से सीमांकनइन क्षेत्रों में सुझाए गए रोकथाम के सख्त उपायों के पालनकोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार को प्रोत्साहन और सख्ती से अनुपालनऔर विभिन्न स्वीकृत गतिविधियों के संबंध में मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का ईमानदारी से पालन जारी रखा गया है।

इस प्रकार 25 नवंबर 2020 को जारी दिशा-निर्देशों में उल्लिखित गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/एसओपी की निगरानी, रोकथाम और सख्ती से पालन पर केंद्रित दृष्टिकोण को सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों द्वारा लागू किए जाने की जरूरत है।


जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए कर्ज के रूप में राज्यों को जारी की गई 6,000 करोड़ रुपये की 9वीं किस्त

वित्त मंत्रालय ने जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए राज्यों को 6,000 करोड़ रुपये की 9वीं साप्ताहिक किस्त जारी की है। इसमें से 5,516.60 करोड़ रुपये की धनराशि 23 राज्यों को जारी की गई है और 483.40 करोड़ रुपये की धनराशि विधानसभा वाले (दिल्ली, जम्मू व कश्मीर और पुडुचेरी) 3 संघ शासित प्रदेशों (यूटी) को जारी की गई, जो जीएसटी परिषद के सदस्य हैं। शेष 5 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम में जीएसटी कार्यान्वयन के चलते राजस्व में कोई कमी नहीं आई है।

भारत सरकार ने जीएसटी कार्यान्वयन के चलते राजस्व में 1.10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित कमी की भरपाई के लिए एक विशेष उधार खिड़की की स्थापना की थी। भारत सरकार द्वारा इस खिड़की के माध्यम से राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों की तरफ से उधारी ली जा रही है। अभी तक 9 चरणों में उधार लिया जा चुका है। अभी तक उधार ली गई धनराशि राज्यों को 23 अक्टूबर 2020, 2 नवंबर 2020, 9 नवंबर 2020, 23 नवंबर 2020, 1 दिसंबर 2020, 7 दिसंबर 2020, 14 दिसंबर 2020, 21 दिसंबर 2020 और 28 दिसंबर 2020 को जारी की गई थी।

इस हफ्ते जारी धनराशि राज्यों को दी गई निधि की 9वीं किस्त है। इस सप्ताह 5.1508 प्रतिशत की ब्याज दर धनराशि उधार ली गई है। अब तक, केन्द्र सरकार विशेष उधार खिड़की के माध्यम से 4.7488 प्रतिशत की औसत ब्याज दर पर 54,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है।

भारत सरकार ने जीएसटी लागू होने के एवज में राजस्व में कमी की भरपाई के लिए विशेष उधार खिड़की के माध्यम से निधि उपलब्ध कराने के अलावा राज्यों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 0.50 फीसदी अतिरिक्त राशि के रूप में उधार लेने का विकल्प भी उपलब्ध कराया है। इससे राज्यों को अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। सभी राज्यों ने विकल्प-1 को प्राथमिकता दी है। प्रावधान के तहत 28 राज्यों को 1,06,830 लाख करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 0.50 प्रतिशत) की अतिरिक्त उधारी की अनुमति दे दी गई है।

28 राज्यों को अतिरिक्त उधारी के रूप में दी गई अनुमति और उसके तहत अभी तक विशेष खिड़की से जुटाई गई धनराशि तथा राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों को जारी की गई धनराशि की विस्तृत जानकारी परिशिष्ट में दी गई है।