Tuesday, December 29, 2020

नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच बकाया विवाद को पूर्णविराम लगा - एड किशन भावनानी

गोंदिया- भारत में सरकारी,अर्ध सरकारी व अन्य कर्मचारियों को उनके नियोक्ताओं द्वारा अनेक सुविधाएं दी जाती है, जो कि उनके सेवानिवृत्त होने पर भी बहुत काम आती है, और उनका भविष्य पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है, इसलिए ही नौकरी पेशा पसंद करने वाले अधिकतम लोगसरकारी,अर्ध सरकारी विभाग में सेवा करना अधिक पसंद करते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में भविष्य सुरक्षित करने की अनेक योजनाएं दी जाती है जैसे पेंशन स्कीम,लीव ट्रैवल कंसेशन स्कीम,ग्रेच्युटी स्कीम, पीपीएफ,सप्ताह के 5 दिन काम, महिलाओं को मातृत्व अवकाश, मेडिकल लीव, इत्यादि अनेक सुविधाएं मिलती है..... बात अगर हम ग्रेच्युटी की करें तो अगर कोई भी कर्मचारी 10 उससे से अधिक कर्मचारी वाले वाले स्थान पर काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी अधिनियम, १९७२ के तहत कवर किया जाएगा। ग्रेच्युटी वेतन का वह हिस्सा होता है,जो कर्मचारियों की सेवाओं के बदले एक निश्चित अवधि के बाद दिया जाता है। आय कर अधिनियम की धारा 10 (10) के मुताबिक, किसी भी निगम या कंपनी में कम से कम पांच वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वाला हर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार होता है ग्रेच्युटी अधिनियम संशोधन 2019 ग्रेच्युटी सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र में काम करने वाले या संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी को मिलती है। अभी हाल में ही श्रम मंत्रालय ने कर मुक्त ग्रेच्युटी की राशि को 10 लाख से बढाकर 20 लाख कर दिया है और इसे 1 जनवरी 2016 से सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए लागू भी कर दिया गया है। सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के तहत अब ग्रेच्युटी के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना होगा. अगर कर्मचारी नौकरी की शर्तों को पूरा करता है तो उसे निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर ग्रेच्‍युटी का भुगतान दिया जाएगा केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के ग्रेच्युटी भुगतान के नियमों में बड़ा बदलाव किया है. बदले हुए नियमों के मुताबिक, फिक्स्ड टर्म वाले कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान का प्रावधान किया गया है. इसके लिए न्यूनतम सेवा अवधि की कोई शर्त नहीं होगी. पहली बार, जो कर्मचारी एक निर्धारित अवधि के लिए काम कर रहा है, उसे एक नियमित कर्मचारी की तरह ही सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया गया है।  इसका एक तय फॉर्मूला है,कुल ग्रेच्युटी की रकम = (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया) यहां महीने में 26 दिन ही काउंट किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है. वहीं एक साल में 15 दिन के आधारपर ग्रेच्यु​टी काकैलकुलेशन होता है। संसद ने भी तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी. सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के तहत अब ग्रेच्युटी के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना होगाl अगर कर्मचारी नौकरी की शर्तों को पूरा करता है तो उसे निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर ग्रेच्‍युटी का भुगतान दिया जाएगा,ग्रेजुएटी से संबंधित एक मामला माननीय सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार दिनांक 15 दिसंबर 2020 को आइटम नंबर 6 कोर्ट क्रमांक 9 (वीडियो कांफ्रेंसिंग) के जरिए माननीय 3 जजों की बेंच जिसमें माननीय न्यायमूर्ति संजय किशन कौल माननीय न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी व माननीय न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की बेंच के सम्मुख एसएलपी अपील(सिविल)क्रमांक 11025/2020 जो कि एसएलपी क्रमांक 19/2020 माननीय झारखंड हाईकोर्ट रांची से उदय हुआ था, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया बनाम राघवेंद्र सिंह व अन्य, आया जिसमें माननीय बेंच ने अपने 2 पृष्ठों के आदेश में कहा ग्रेच्युटी को लेकर, बेंच ने कहा कि अगरकिसी कर्मचारी पर बकाया है तो उसकी ग्रेच्युटी का पैसा रोका या जब्त किया जा सकता है।बेंच ने शनिवार को यह फैसला सुनाया है। बेंच ने कहा कि किसी भी कर्मचारी की ग्रेच्युटी से दंडात्मक किराया- सरकारी आवास में रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए जुर्माना सहित किराया वसूलने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है.पीठ ने कहा, 'यदि कोई कर्मचारी निर्धारित किए गए समय से अधिक समय तक कब्जा करता है, तो उससे दंड के साथ किराया वसूला जा सकता है. अगर कर्मचारी पैसा नहीं देता है तो ग्रेच्युटी की राशि में से पैसे काटे जा सकते हैं। याचिकाकर्ता की एक कर्मचारी के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता द्वारा एक कर्मचारी से 1.95 लाख रुपये का जुर्माना वसूलने का प्रयास किया गया था. उसने अपना बकाया और ओवरस्टाईड क्लियर नहीं किया था. कर्मचारी 2016 में रिटायर होने के बाद भी बोकारो में सरकारी आवास में बना रहा। जारी की जानी चाहिए ग्रेच्यूटी

हाईकोर्ट ने शीर्ष अदालत के 2017 के आदेश पर भरोसा किया और कहा कि सेल को कर्मचारी की ग्रेच्युटी तुरंत जारी करनी चाहिए. हालांकि, इसने सेल को सामान्य किराए की मांग को बढ़ाने की इजाजत दी.क्या हुआ फैसला?आपको बता दें कि पीठ ने कहा है कि अगर कोई कर्मचारी तय समय से ज्‍यादा समय तक सरकारी संपत्ति पर कब्जा बनाए रखता है, तो उससे दंड के साथ किराया वसूला जा सकता है और अगर कर्मचारी पैसा नहीं देता है तो ग्रेच्युटी की रकम में से पैसा काटा जा सकता है. हालांकि, न्यायमूर्ति कौल की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों वाली बेंच ने अब यह माना है कि 2017 के आदेश पर कोई भी निर्भरता गलत है क्योंकि यह एक निर्णय भी नहीं है, बल्कि उस मामले के दिए गए तथ्यों पर एक आदेश है। यह स्पष्ट किया कि 2017 के आदेश को एक मिसाल के रूप में नहीं माना जा सकता है। सुनवाई करने वाली पीठ ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी निर्धारित समय से अधिक समय तक कंपनी द्वारा आवंटित आवास में रहता है या कब्जा करता है, तो उससे जुर्माने के साथ किराया की राशि वसूली जा सकती है. अगर कर्मचारी पैसा नहीं देता है तो ग्रेच्युटी की राशि में से पैसे काटे जा सकते हैं, इस फैसले के बाद स्पष्ट है कि किसी कर्मचारी पर अगर कंपनी का बकाया है तो उसकी ग्रेच्युटी का पैसा रोका या जब्त किया जा सकता।बड़ी बेंच ने शीर्ष अदालत के 2005 के फैसले का भी हवाला दिया जब उसने नियोक्ता द्वारा उसे प्रदान किए गए आवास के अनधिकृत कब्जे के लिए एक कर्मचारी से दंडात्मक किराया की वसूली को बरकरार रखा था. इस फैसले में, हालांकि अदालत ने स्वीकार किया कि ग्रेच्युटी जैसे पेंशन लाभ एक इनाम नहीं है. यह माना गया था कि बकाया की वसूली संबंधित कर्मचारी की सहमति के बिना ग्रेच्युटी से की जा सकती है। -  *संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एड किशनभावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र)*

कैसे हम नूतन वर्ष मनाएं..?

नूतन वर्ष की आहट भी

सहमी-सहमी सी लगती है
हर चेहरे मुरझाए से हैं
खुशियां भी सहमी लगती हैं..।।

बीते वर्ष का ज़ख्म अभी
हम सब कब तक भर पाएंगे
रोजी-रोटी है छिनी हुई
बोलो कैसे मुस्काएँगे..।।

उम्मीदों का दामन भी तो
हैं सिमट चुके हालातों से
अपने अपनों से दूर हुए
किसके संग खुशी मनाएंगे..।।

बच्चों का तो बचपना छिना
हाथों से सबके हाथ छुटे
माँ की लोरी में दर्द छुपा
बच्चे कैसे सो पाएंगे..।।

है नए वर्ष में दुआ यही
खुशियां सबको फिर मिल जाएं
हर चेहरे पर हों मुस्काने
पहले जैसा सब हो जाए..।।
पहले जैसा सब हो जाए..।।

तन्हाई

सजनी तुम बिन तड़प रहा हूं,

पास मेरे तुम आ जाओ।
मेरी इन प्यासी आंखों का,
आकर प्यास बुझा जाओ।

मेरी जीवन सखा तुम्ही हो,
अर्द्ध अंगिनि हो मेरी।
मेरे दिल में तुम्हीं बसी हो,
मेरी जान पत्नी मेरी।

लगता है ना चित्त कहीं पर,
बस तुम ही तुम दिखती हो।
बिना तुम्हारे चैन नहीं है,
क्यों ना बात समझती हो।

एक डाल के पक्षी हैं हम,
तन्हा ना रह पाएंगे।
आकर दूर करो तन्हाई,
प्यार सुधा बरसाएंगे।

Monday, December 28, 2020

जरुरतमन्दों को बांटे गए कम्बल, कम्बल पाकर खुश हुए लोग

दैनिक अयोध्या टाइम्स 


सगरासुन्दरपुर, प्रतापगढ़ । क्षेत्र के राजातारा मे उज्ज्वल लोक कल्याण चेतना के तत्वावधान मे गांव के आठ सौ से अधिक जरुरतमन्द लोगों को ठन्ड से बचने के लिए बाटें गए कम्बल । कम्बल पाकर खिले लोगों के चेहरे । आयोजक समिति को लोगों ने दिया ऐसे ही सदैव जनहित मे कार्य करते रहने के लिए आशिर्वाद और कहा धन्यवाद । बता दें कि राजातारा गांव के निवासी एंव उज्ज्वल लोक कल्याण चेतना के उपाध्यक्ष रजनीश ओझा ने पिता एंव संस्थान के संरक्षक सुरेश चन्द्र ओझा के मार्गदर्शन मे कार्यक्रम आयोजित कर गांव के जरुरतमन्द लोगों को निशुल्क कम्बल वितरण कर उनके सुख - दुख मे सदैव तत्पर रहने का भरोसा दिलाया ।कार्यक्रम मे बतौर मुख्य अतिथि के रुप मे पहुचे अरुण कुमार सिंह जिला युवा कल्याण अधिकारी प्रतापगढ़ व विशिष्ट अतिथि के रुप मे पहुचे राजेश कटारिया एडीओ लालगंज व पर्यावरण संरक्षक ग्रीनमैन अजय क्रान्तिकारी ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर एंव चित्र के समीप दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम की शुरुआत किया । कार्यक्रम के दौरान अरुण कुमार सिंह जिला युवा कल्याण अधिकारी ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए सरकार के द्वारा जनहित मे संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे मे जानकारी देते हुए विभाग द्वारा खेल आदि के उपकरण युवाओं को कैसे प्राप्त हों इस पर प्रकाश डाला । इसके पश्चात विशिष्ट अतिथि के रुप मे पहुचे राजेश  एडीओ लालगंज ने जरुरतमन्द पात्र लोगों को पेंशन योजना का लाभ कैसे मिले एंव लाभार्थी कैसे योजना के लाभ का लाभ प्राप्त करे इस पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित लोगों को यह भरोसा दिलाया कि वे उनकी सेवा के लिए सदैव ब्लाक मे तत्पर मिलेगें ।कार्यक्रम के दौरान ग्रीनमैन के नाम से ख्याति प्राप्त अजय क्रान्तिकारी ने कार्यक्रम के आयोजक के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए जरुरुतमन्दों की समयानुसार यथासंभव मदद को बेहतर कार्य बताते हुए कहा गया कि हम सबको प्रकृति के साथ - साथ अपने गांव समाज के जरुरतमन्द लोगों की सेवा करने से भी जो पुण्य व सुकून मिलता वह किसी अन्य चीज मे नही, अतएव हम सबको सदैव जनहित मे समयानुसार कार्य करते रहना चाहिए जिससे हमारा गांव एंव समाज बेहतर बना रहे ।‌इसके पश्चात संयुक्त अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष विकास मिश्र ने भी कार्यक्रम की सराहना करते हुए कम्बल वितरण को जनहित बताते हुए सभी गणमान्य अतिथियों से गुजारिश किया कि वे भी यथासंभव ऐसे ही किसी न किसी प्रकार से जनहित मे कार्य करते रहें जिससे जरुरतमन्दों की सेवा भी होती रहे और  उनकी जरुरतें भी कुछ हद तक पूरी होती रहें ।इस दौरान संस्थान के अध्यक्ष रमेश ओझा, अश्वनी शुक्ला, राहुल ओझा, धर्मराज सरोज, इंद्र देव यादव,सूर्यकान्त शुक्ल निराला, नितिन ओझा आदि बहुत से गणमान्य लोग मौजूद रहे ।