हनार (संवाददाता)दैनिक अयोध्या टाइम्स।अम्रपाली की भूमि वैशाली के महनार विधानसभा से जदयू ने निवर्तमान विधायक उमेश सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। जिससे कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। आज सिंबल प्राप्त कर विधायक उमेश सिंह कुशवाहा पटना से महनार पहुंचे। महनार के अंबेडकर चौक पर बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। जहां नगर अध्यक्ष अंशु राज जायसवाल और शिक्षा प्रकोष्ठ के जिला उपाध्यक्ष चंदन कुमार सिंह के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने भव्य स्वागत किया। वही सूफी संत खाकी बाबा के दरबार में मन्नते मांगी। वहां से निकलकर विधायक जी ने बासुकीनाथ, केदारनाथ,बैजनाथ आदि नाथों के समूह बाबा गणिनाथ के दरबार में पहुंचे और आशीर्वाद लिया। जहां चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष इंद्रजीत राय,पथल राय,नगर निकाय के अध्यक्ष नागेश्वर चौधरी, अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कुलदीप साह, रामसेवक सिंह आदि लोगों ने स्वागत किया। वहीं स्टेशन रोड बजाज एजेंसी के पास भाजपा के युवा प्रखंड अध्यक्ष अमिष कुमार के नेतृत्व में दर्जनों युवा कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। वही पहाड़पुर बिशनपुर में अरविंद रजक, मिथिलेश गुप्ता, राजेश रंजन, गुड्डू जी, हरेंद्र पासवान, चंदन सिंह, पप्पू चौधरी आदि स्थानीय लोगों ने विधायक जी का भव्य स्वागत किया। वही चमराहरा नया टोला में सकलदीप पासवान, हरिंदर पासवान, मनोज कुमार पासवान, छठ्ठू पासवान, गणेश पासवान, महेश पासवान, आदि स्थानीय लोगों ने विधायक जी का भव्य स्वागत किया और जीत की अग्रिम बधाई दी। वहीं जदयू के महनार प्रखंड अध्यक्ष श्याम राय ने संवाददाता को बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए और आदर्श आचार संहिता का पालन करते हुए 12 अक्टूबर को विधायक जी अपना नामांकन पत्र निर्वाची पदाधिकारी सह अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में दाखिल करेंगे। विधायक जी महनार से कजरी स्थित अपने आवास पहुंचे।जैसे ही कार्यकर्ताओं को पता चला कि विधायक जी सिंबल प्राप्त कर घर आ गए हैं। वैसे ही बधाई देने वालों का तांता लग गया। वहीं विधायक जी ने कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि आप लोगों के सहयोग प्यार, स्नेह और आशीर्वाद का ही परिणाम है कि पार्टी के नेतृत्व ने मुझ पर भरोसा करके मुझे उम्मीदवार बनाया है। इसके लिए मैं महनार की तमाम जनता सहित एनडीए के शीर्ष नेताओं का आभारी हूं। विशेषकर आप कार्यकर्ताओं का जिन्होंने विषम से विषम परिस्थिति में भी हमारा साथ दिया हमेशा सहयोग किया हैं। मैं हमेशा से महनार की जनता का सेवा किया हूं और आगे भी करता रहूंगा। बस इसी तरह आप लोग अपना आशीर्वाद बनाए रखें। एक बार फिर से बिहार में सुशासन की सरकार बनाने के लिए आप लोग एकजुट होकर एनडीए के पक्ष में मतदान करें। वहीं क्षेत्र के लोगों ने हर्ष व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दी है। इस मौके पर जदयू जंदाहा के प्रखंड अध्यक्ष गजेंद्र राय, भाजपा के प्रखंड अध्यक्ष मनोज झा, मनोज सिंह, जदयू के जिला महासचिव सह महनार नगर प्रभारी मनोज पटेल, जिला सचिव अशोक चौधरी, विजय सिंह, मोहम्मद आकिब हुसैन, वसीम राजा, राकेश कुमार सिंह,विमल राय,अनूप लाल सिंह सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।
Friday, October 9, 2020
"पारंपरिक और पोषक भोजन से समृद्ध होगा हमारा संस्कृति
अच्छा भोजन ही हमारा प्राथमिक भोजन है, जो कि हमारे समृद्ध परंपरा से ही प्राप्त होता है। हमें वही भोजन करना चाहिए जो प्रकृति और पोषण को आजीविकाओं के साथ जोड़ता है। ऐसा भोजन करने से दोस्त स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा है, जैसा कि आप जानते ही हैं कि ऐसा भोजन हमें हमारी समृद्ध जैव विविधता से प्राप्त होता है जोकि लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है। जैसा कि हम सब देख रहे हैं दोस्त की कोविड 19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण जहां आज पूरा विश्व के इंसान अपने स्वास्थ्य को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक और सचेत हो चुके हैं। जहां भी देखे हम लोग हर तरफ चर्चा हो रही है कि अपनी इम्यूनिटी हम कैसे बढ़ाए , जिसके लिए लोग गिलोय, तुलसी और अदरक के साथ ही और भी विभिन्न प्रकार के औषधियों से अपने इम्यूनिटी को बढ़ा रहे हैं साथ ही हरी सब्जियों का अधिक से अधिक अब अपने घरों में जहां प्रयोग कर रहे हैं वही हम देख रहे हैं दूसरी तरफ की जैसे ही देश में लॉकडाउन में ढील दी गई फिर से लोग लापरवाही करना शुरू कर दिए हैं, देखने में आता है कि लोग मास्क तो लगाते है, ज्यादातर लोग इसलिए कि कहीं पुलिस चलाना ना कर दें, वही अब फिर लोग स्वस्थ को लेकर उतना अपने सचेत नहीं दिख रहे हैं फास्ट फूड के तरफ फिर लोगो के जीभ से लार टपकने लगा है। दोस्त हमारे भोजन का ही संबंध हमारे संस्कृति और सबसे अधिक जैव विविधता के साथ ही हम सभी के मन मस्तिष्क पर भी होता है। आज से जंक फूड नहीं, वैसे भी मेरे अनुसार जंक फूड का मतलब होता है कूड़ा भोजन, अब आप सोच लो क्या आप कूड़ा वाला भोजन करना पसंद करोगे? नहीं बल्कि हमें अच्छा भोजन को ही प्राथमिक भोजन, यानी कि हमारा फास्ट फूड होना चाहिए जिससे हमारा आने वाला भविष्य उज्जवल हो जैसा कि आप जानते हैं कि हमारा देश युवाओं का देश है और आज सबसे अधिक हमारा युवा पीढ़ी ही जंक फूड और नशे के गिरफ्त में है। हमें हमेशा वही भोजन करना चाहिए जो प्रकृति और पोषण को हमारे आजीविकाओं के साथ भी जोड़ें जिससे कि हमारा पर्यावरण संतुलन भी बना रहे।
आज आंकड़ों के अनुसार देखा जाए तो हर दूसरा व्यक्ति मोटापे का शिकार है तो वही हर तीसरा व्यक्ति कुपोषण का भी शिकार है कहीं ना कहीं हमारा समाज का संतुलन बिगड़ता जा रहा है , कोई ओवरन्यूट्रिशन से परेशान है तो वही कोई मालनूट्रिशन से परेशान है। इसका मतलब है कि देश में संसाधनों में बहुत ही भेदभाव है, आज देखें तो लगभग 90 प्रतिशत संसाधनों पर 10 प्रतिशत लोगों का वर्चस्व है वहीं दूसरी तरफ 10 प्रतिशत संसाधनों पर देश के लगभग 90 प्रतिशत लोग किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं, जबकि संविधान के अनुच्छेद 14 में सभी की बराबरी की बात कही गई है लेकिन हालात क्या है यह आपके सामने है।
मेरा सवाल है कि हम खराब भोजन की इस संस्कृति में बदलाव कैसे लाएं ? देखे तो दोस्त हमारा प्रसंस्कृत खाद्य उद्योग बहुत ही ताकतवर है, युवाओं को अपने साथ इसको जोड़ने की क्षमता भी है। देखा जाए तो खानपान के रंग ,गंध और खुशबू के सहारे लोगो को लुभाते भी हैं, उन्हें सब पता है कि कैसे लोगों को लुभाना है। यह जानते हुए भी कि यह देश के लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बुरा है, फिर भी यह लोग लुभाते रहते हैं ताकि उनकी जेब भरा रहे।
सबसे अहम बात तो यह है कि प्रंसकृत खाद्य उद्योग ने आज हमारी अस्त-व्यस्त जीवन शैली का फायदा उठाना भी शुरू कर दिया है। दोस्त जो भी हो यह खानपान की उनकी दुनिया उनका कारोबार है, इसीलिए चलता है क्योंकि लोगों को यह लुभाते है और उनको मुनाफा कमाना होता है। यही वजह है है कि कंपनियां भोजन को हम तक पहुंचाने की आपूर्ति श्रृंखला तैयार करती । ऐसे में सवाल यह है कि अच्छे भोजन की आपूर्ति कैसे सुनिश्चित की जाए? दोस्त हम सभी ने देखा कि जब देश में वैश्विक महामारी का कहर बढ़ने लगा तो देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया तब से लोगों ने अपने घरों में खुद से खाना बनाकर अधिकतर लोग खाने लगे जिसके कारण बहुतों का स्वास्थ्य बहुत अच्छा हुआ, इसमें सबसे पहले अपना नाम इसमें शामिल करना चाहूंगा कि जब से मैं खुद से घर का बना हुआ खाना शुरू किया हूं पहले से कहीं बहुत ही ज्यादा ऊर्जावान और ताकतवार हमेशा महसूस करता हूं इसलिए आप सभी से भी विनम्र निवेदन है कि अपने व्यस्त जीवनशैली ने भी कम से कम दिन में एक बार अपने घर का खाना बना हुआ जरूर खाने का कोशिश करें, साथी हमेशा प्रयास कीजिए कि आप हमेशा जंग फूड जैसे कूड़ा वाले भोजन से बचेंगे।
Thursday, October 8, 2020
कोरोना का भय
चारों ओर मचा है देखो कोरोना का रोना ,
नहीं समझ में आता इसका अंत कहां है होना ,
चीन में इसने जन्म लिया और पहुंचा जाके इटली ,
सारे देश बने हैं अब इसके हाथों की तितली ,
मुश्किल किया सभी का इसने अब तो जगना सोना ,
चारों और मचा है देखो कोरोना का रोना ,
नहीं ढूंढ पाया अब तक उपचार कोई भी इसका ,
कैसे काबू करें इसे है अक्स न दिखता जिसका ,
इसके सम्मुख लगता है अब मानव बिल्कुल बौना ,
चारों ओर मचा है देखो कोरोना का रोना ,
इसके भय से छुप कर बैठे आज सभी हैं घर में ,
जान बचानी है अपनी तो रहना इसके डर में ,
पता नहीं कब धावा बोले हमको समझ खिलौना ,
चारों ओर मचा है देखो कोरोना का रोना
आधुनिक समाज बनाम शार्टकट की बुनियाद
जैसे-जैसे हम और हमारा समाज आधुनिकीकरण से रूबरू हो रहा है, वैसे-वैसे उसके जीने की कला और सोच में भी भारी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। आज के दौर का हमारा आधुनिक समाज दौड़ कर जीतने के बजाय, तोड़ कर हराने में ज्यादा विश्वास करने लगा है। आम आदमी हो या विशिष्ट, सबकी निगाहों में सफलता का यह शार्टकट सबसे आसान और कारगर लगता दिख रहा है। जीवन जीने की कला का दौड़ हो या कैरियर बनाने की होड़ सब पर यह शार्टकट लगभग हावी नजर आ रहा है। राजनैतिक क्षेत्रों में तो यह शार्टकट 'तोड़ कर हराना' बहुत ही पुराना व कारगर पैतरा माना जाता रहा है, परंतु पहले के समय में इसके भी कुछ अपने कायदे-कानून हुआ करते थे। आज के आधुनिक दौर में इस शार्टकट का ना तो कोई नियम है और ना ही कोई कानून! मगर अपनाए खूब जा रहे हैं। इस आधुनिक समाज में कोई यह सोचने को तैयार नहीं है कि यह तोड़ कर जीतने का शार्टकट मानवता के लिए कितना बड़ा खतरा हो सकता है।
आधुनिक युग हो या आदिकाल, जीतने, पाने व छीनने की चाह, सबकी प्रवृत्ति एक जैसी ही रही है, मगर यह प्रवृत्ति दौड़ कर जीतने की ज्यादा रहती थी, ना कि तोड़ कर हराने में! आधुनिकीकरण ने हमें और हमारे समाज को इतना सुख प्रदान कर दिया है कि हम स्वतः ही आलसी हो गए, यही कारण है कि हमारे अंदर आराम पसंद भावना तोड़ कर हराने का भाव ज्यादा तीव्रगति से विकसित होता जा रहा है। आराम पसंद शार्टकट के रहते, दौड़ कर जीतने की जहमत आखिर कौन उठाए? यही भावना आज हमारे आधुनिक समाज में तीव्रता से फल-फूल रही है। आज आधुनिक समाज की यह पहली प्राथमिकता रही है कि फूट डालो राज करो! दौड़ कर जीतने की होड़ में समय का नुकसान आखिर कौन करे? जबकि यह शार्टकट मानवता के लिए कितना खतरनाक है, इस विचार कोई नहीं कर रहा, बस सब अपने धुन में मस्त शार्टकट की आधुनिकता का चोला धारण करने में लगे हैं। धरती पर मानव जीवन की उत्पत्ति एक लम्बी प्रक्रिया के अंतर्गत शुरू हुई और आज तक जारी है, परंतु सोच में इतना परिवर्तन हो गया कि मानव, आद्य प्राक् मानव, आदिमानव व आधुनिक मानव में बदल गया। इसने स्वयं अपनी सोच को आधुनिकीकरण से लैस कर, शार्टकट को अपनाना शुरू किया और आज हालत यह है कि सुख-सुविधाओं का वशीभूत यह आधुनिक समाज, हर क्षेत्र में शार्टकट चाहता है तथा वह प्राथमिक रूप से शार्टकट को ही वरीयता देता है। जबकि वह यह भूल जाता है कि यही शार्टकट सामने से भी तो अपनाया जा सकता है, क्योंकि वह भी तो इसी आधुनिक समाज का ही हिस्सा है! अक्सर यही भूल बड़ी हार का कारण भी बनता है, अतः तोड़ कर हराने से ज्यादा दौड़ कर जीतने को तवज्जो देना ही बेहतर होता है, हर जगह शार्टकट आपको सफल बना दे यह जरूरी नहीं, मगर दौड़ में आपको सफलता निश्चित ही प्राप्त होती है।