दरअसल हम मूलभूत समस्याओं से अक्सर मुँह मोड़ते रहे हैं।कारण चाहे कुछ भी रहे हों लेकिन ऐसा रहा है।ये भी सच है कि वर्षोंवर्ष से हम सिर्फ तात्कालिक रूप से ही किसी चीज का इलाज करते है सार्वकालिक रूप से नहीं और परिणाम हम भुगतते ही हैं।भारत देश में अनेकानक जटिल से जटिल समस्याएँ हैं जो देश की उन्नति और प्रगति में बाधा पैदा करती हैं।जैसे गरीबी,बेरोजगारी,बेकारी,भुखमरी,शिक्षा का लगातार गिरता स्तर,महिला सुरक्षा,कानून की पालना,राजनीति में घुसता धर्म और गुंडागर्दी,स्वास्थ्य सेवाओं का गिरना आदि-आदि।इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या ऐसी भी है जो इन्हीं में कई समस्याओं की जड़ है।यदि उस समस्या का निपटारा कर दिया जाए तो सम्भवतः कई समस्याएं खुद-ब-खुद दूर हो जाएगी।वह समस्या है निरन्तर सुरसा राक्षसी की तरह मुँह फैलाती जनसंख्या की बढ़ोतरी।यह भी जटिल समस्याओं में से एक है।आज की तारीख में समस्त विश्व में चीन के बाद भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है।यदि यही हाल रहा तो लगभग दो हजार तीस तक हम इस मामले में चीन को पछाड़ कर विश्व में पहले स्थान पर होंगे।
हमारी जनसंख्या वृदधि की दर का इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि 1947 के बाद के पश्चात् मात्र पाँच दशकों में यह लगभग पैंतीस करोड़ से एक सौ चालीस करोड़ के आँकड़े को पार कर गई है।जहाँ तक कारणों की बात है तो हमारे देश में जनसंख्या की बढोतरी के अनेक कारण हैं जैसे यहाँ की जलवायु प्रजनन के लिए अधिक अनुकूल है। इसके अलावा निर्धनता,अनपढ़ता रूढ़िवादिता तथा संकीर्ण मानसिकता जनसंख्या वृदधि के अन्य कारण हैं।देश में बाल-विवाह की परंपरा प्राचीन काल से थी जो आज भी गाँवों में थोड़ी ही सही पर विद्यमान है और कहीं-कहीं तो यह प्रथा के रूप में अब भी प्रचलित है जिसके कारण भी अधिक बच्चे पैदा हो जाते हैं ।
शिक्षा की कमी,लोगों की सोच का वैज्ञानिक न होना भी जनसंख्या की लगातार बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण है।आपको शायद होगा कि एक बार 1977 में इंदिरा सरकार ने जबरन ऐसा कुछ किया था जिससे जनसंख्या पर नियंत्रण लगता लेकिन उस वक्त उसी निर्णय पर उनकी काफी फजीहत भी हुई थी।परिवार नियोजन के महत्व को अज्ञानतावश लोग समझ नहीं पाते हैं । इसके अतिरिक्त पुरुष समाज की प्रधानता होने के कारण लोग लड़के की चाह में कई संतानें उत्पन्न कर लेते हैं।परन्तु इसके पश्चात् उनका उचित भरण-पोषण करने की सामर्थ्य न होने पर निर्धनता में कष्टमय जीवन व्यतीत करते हैं।जन्मदर की अपेक्षा मृत्यु दर कम होना भी जनसंख्या वृद्धि का ही एक कारण है क्योंकि समय के हिसाब से वैज्ञानिक प्रगति हुई जिससे चिकित्सा विज्ञान ने मृत्यु दर को कम कर दिया।ऐसी कुछ बीमारियां जो आसाध्य थी,उनका इलाज भी हमने ढूंढ लिया और परिणाम बढ़ोतरी हुई।गरीबी भी जनसंख्या के बढ़ने का एक प्रमुख कारणों में एक है।इस तरह के आंकड़े हैं कि जहां गरीबी कम है,वहां जनसंख्या की बढ़ोतरी उनकी अपेक्षा कम हुई जहां गरीबी थी।
अब सवाल यह है कि यदि जनसंख्या बढ़ती है तो फिर देश में रोजी-रोटी और रोजगार की समस्या तो बढ़ेगी ही।साथ ही गरीबी और भुखमरी भी पैदा होगी।जल,जंगल और जमीन की कमी रहेगी।कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी कहीं न कहीं परेशानी तो जरूर आएगी।अभी बहुत पहले की बात न करें तो इस महामारी के दौरान हमने इस बात को भली-भांति देखा ही है।जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ेगी तो निश्चित रूप से गरीबी बढ़ेगी।हाल में हम देख सकते हैं कि देश में अस्सी करोड़ लोगों को तो सरकार को फ्री अनाज देना पड़ रहा है और हरियाणा जैसे प्रदेश में बेरोजगारी का आंकड़ा उच्चतम स्तर पर है।हम दो-हमारे दो का नारा भी हमने लगाकर देखा है लेकिन वो सार्थक परिणाम नहीं आए जिसकी हम अपेक्षा करते थे।
बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगाना देश के विकास के लिए बेहद आवश्यक है। यदि इस दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब स्थिति हमारे नियत्रंण से दूर हो जाएगी।इस संदर्भ में सबसे पहले यह जरुरी है कि हम परिवार-नियोजन के कार्यक्रमों को विस्तृत रूप देकर इसे जन-जन तक पहुंचाने का काम तीव्रता से करें।जनसंख्या वृदधि की रोकथाम के लिए न केवल प्रशासनिक स्तर बल्कि सामाजिक,धार्मिक और व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास किए जाने की तत्काल और सख्त जरूरत है।हरेक स्तर पर इसकी रोकथाम के लिए जनमानस के प्रति जन जागरण अभियान छेड़ा जाना चाहिए।जनसंख्या को काबू करने के लिए यदि सरकार को कोई कठोर कदम भी उठाना पड़े तो उठाने से नहीं हिचकना चाहिए।कोई न कोई सख्त कानून बनाकर भी जनसंख्या को काबू किया जा सकता है।इसी संदर्भ में कुछ ऐसे निर्णय भी लिए जा सकते हैं कि जैसे दो से अधिक बच्चों वालों को नौकरी नहीं दी जायेगी,चुनाव नहीं लड़ने दिया जाएगा।दो से अधिक बच्चे होने पर किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधाएं नहीं दी जाएगी।शिक्षा का प्रचार-प्रसार करके भी इसे रोका जा सकता है।अतः में हम यही कहना चाहेंगे कि यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो फिर बहुत देर हो जाएगी।हम और हमारा देश बहुत पीछे की और चले जाएंगे।आमीन।
कृष्ण कुमार निर्माण
करनाल,हरियाणा।