Sunday, June 28, 2020

आओ स्वदेशी भाव अपनाएं, भारत को आत्मनिर्भर बनाएं

जैसा कि हम सबको विदित है न सिर्फ हमारा देश अपितु समूचा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी (कोविड-19) की चपेट में आकर प्रगति की पटरी से बहुत नींचे उतर चुका है जो कि सोचनीय है। इस गम्भीर समस्या को ध्यान में रखते हुए हमें स्वदेशी योजनाएं बनाने होंगी। यह सोचना इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि भविष्य की योजनाओं पर आज की अर्थव्यवस्था में आई मंदी का गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए हमें स्वदेशी वस्तओं को महत्व देकर स्वदेशी भाव अपनाना चाहिए। जिससे हमारा देश आत्मनिर्भर भारत बने। हमारे देश को सुसंपन्न और सामर्थ्यवान भारत बनाने में स्वदेशी भाव का बहुत बड़ा योगदान है। 

आज पुरुषों के साथ महिलाएं भी भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं। संक्रमण काल में महिलाएं  आत्मविश्वास की नई उड़ान भरकर आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना से नारी शक्ति को प्रोत्साहित कर सम्पूर्ण मानव समाज में आत्मनिर्भरता की अलख जगा रही हैं। इस महासंकट के दौर में महिलाएं संक्रमण फैलने से रोकने और आर्थिक मंदी से निपटने के लिए नारी सशक्त मोर्चा संभाल रही हैं। देश-प्रदेश में महिलाएं मास्क , पीपीई किट व सैनिटाइजर का निर्माण कर रही हैं। जिससे महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है और आत्मनिर्भर बनने का सपना भी साकार हो रहा है। स्वदेशी रोजगार से जन-जन का आत्मविश्वास भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की ओर बढ़ रहा है। एक प्रण लेने की हम सभी को बेहद ज़रूरत है और यह स्वेच्छा से लेना भी चाहिए कि चीनी वस्तओं का सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाए और स्वदेशी को दिल से अपनाया जाए। स्वदेशी अपनाकर हम अपना पैसा अपने ही देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने में निवेश करेंगे जो कि एक बेहतर पहल है जिसमें हम सभी को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। यह पहल हर देशवासी के लिए प्रेरक सिद्ध होगी। अंत में यही प्रण लेना है स्वदेशी अपनाना है भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।

अतुल पाठक

 कर्त्तव्य परायणता से पकड़े, जियो और जीने दो की राह




कर्तव्य कई तरह के होते हैं लेकिन आज जिस कर्तव्य की बात हो रही वह है नागरिको के कर्तव्य की।देश के नागरिक होने के नाते आपके कर्तव्य क्या है ?क्या पालन हो रहे है? शायद नहीं और हो भी रहे दोनो ही स्थिति है। गलत कामो के प्रति आवाज उठाना, घूसखोरो से सावधान रहना,आपदा की स्थिति में मदद पहुँचाना,समस्याओ पर विचार करना,कुव्यवस्थाओ पर आवाज उठाना,आवरू की रक्षा करना, जागरूकता फैलाना आदि कई ऐसे कार्य है जो नागरिक कर्तव्य है पर पालन कितने होते है यह बात छिपी नही है।लेकिन कुछ लोग आज भी इन सभी  नियमों का पालन करते है जिससे हमारा देश और समाज सुरक्षित रहता है।चाहे वह पुलिस हो सेना हो नागरिक हो लेखक हो पत्रकार हो आम लोग हो डाक्टर हो वकील हो जज हो ड्राइवर हो सामाजिक कार्यअकर्ता हो इन्होने देश और नागरिक कर्तव्यो का पालन किया है। सही मायने में मानव सेवा ही नागरिक कर्तव्य है । मानव प्रेम ही प्रेम है ।मानव के पोति श्रद्धा ही भक्ति।लेकिन दुर्भाग्य उन लोगो का जो  मानव के शत्रु बनकर अपनी उपेक्षा करवाते हैं। कर्त्तव्य परायणता से ही वो मार्ग प्रशस्त हो सकते है जिसे हम "जियो और जीने दो" कहते हैं । यह बात तो सामाजिक परिवेश और दैनिक जीवन में होनी ही चाहिए और शायद होता भी यही है। लेकिन कुछ विलासिता पर सवार लोग इसे लुटो और लुटने दो की मानसिकता के साथ ही घरो से निकलते हैं जिनका सामना नित ही जियो और जीने दो से होती है। कहते है जीत हमेशा सत्य और सही रास्तो पर चलने वालों को ही मिली है। सत्य ही वो रास्ता है जो जीवन का आधार है। इसके राह कठिन है चकाचौंध से दूर एक सरल और सहज पगडंडी, जिसमें जीवन की सवारी गाड़ी से नहीं पैदल करनी होती है,जबकि लुटो और लुटने दो के रास्ते तेज दौड़ती है लेकिन हमेशा एक्सीडेंट हो जाती है ।वह मंजिल तक कभी पहुँचती ही नहीं। आज मानवता का दम घुट रहा है। सभी तेज सवारी करने को ललायित है, लेकिन बहुत से ऐसे लोग है जो आज के इस बदलते युग में भी जियो और जीने दो को अपना सौभाग्य मानते हैं ऐसे लोग ही मंजिल तक पहुँच पाते हैं। अर्थात हमारे धर्म भी यही कहते है शास्त्र, कुरान, बायबिल सभी का यह कथन है मानव सेवा ही सर्वोत्तम सेवा है ।मानव ही इस पृथ्वी पर बुद्धिजीवी है जो कठिन से कठिन कार्य कर सकता है।वह चाहे तो चंद लुटो और लुटने दो को भी सबक सिखाकर जियो और जीने दो जैसा बना सकता है। आज के इस वैज्ञानिक युग में किताबो, साहित्य संस्कृति और सभ्यता पीछे छुट रही जबकि पाश्चात प्रवृत्ति हावी होने लगी है। ऐसे में जियो और जीने दो को आर्दश बने रहना एक चुनौती है। एक सामाजिक उदघोष के साथ पूर्वजो के संकल्पो को याद रखना ही होगा जिन्होने हमें यह काया देकर सिखाया था कि बेटा खुद भी जियो और औरो को भी जीने दो।

                                    आशुतोष

                                  पटना बिहार


 

 



 

सैनिक

राष्ट्र के वास्तविक नायक सैनिक ही होते हैं , जो निजी स्वार्थ को त्याग कर अपने देश की रक्षा के लिए हमेशा सर्वस्व निछावर करने के लिए  तत्पर रहते हैं। सैनिक का जीवन बलिदान का जीवन होता है , जो देशप्रेम में निजी जीवन का बलिदान करना और जीवन का वास्तविक दायित्व देश के लिए समर्पित होना सिखाता है। सैनिक राष्ट्र का गौरव होता है जिसमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी होती है।साहस और कर्तव्यनिष्ठा के साथ सैनिक जीवन में कई विपरीत परिस्थितियों अर्थात कई चुनौतियों का सामना करता है। सैनिक बनना इतना सहज नहीं होता जितना सभी को लगता है। सैनिक बनने से पहले निजी सुखों जैसे घर-परिवार , व्यक्तिगत जीवन और अपनी कई सुख सुविधाओं से भरी इच्छाओं को त्याग करने का प्रण लेना पड़ता है। देश की माटी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करना ही सैनिक की प्राथमिकता होती है जिसे वह पूरी आत्मनिष्ठा से पूरा करता है। सैनिक के लिए देशप्रेम ज्यादा मायने रखता है बाकी सब कुछ बाद में। सैनिक का सम्पूर्ण जीवन जब तक साँस न थम जाए हिन्द देश की रक्षा के लिए ही वास्तव में बना होता है । सैनिक को हम देश का असली हीरो इसलिए मानते हैं क्योंकि हीरो वो होता है खुद से पहले दूसरों की रक्षा करे । यही भावना एक सैनिक में होती है जो 24 घण्टे सरहद पर इसलिए तैनात रहते हैं ताकि हिन्द देश और हिन्दवासी  सुरक्षित रह सकें। इस देश की माटी पर सैनिक के कदमों के निशान कभी  नहीं मिटते । इस देश की माटी भी सैनिक के बलिदान को कभी नहीं भूलती ।सैनिक की कहानी वास्तव में वीरता की जुबानी होती है जिसे आज के छात्र/छात्राओं को सुनाकर उनमें जज़्बों और हौंसलों के साथ देश की रक्षा के लिए सैनिक का अनमोल योगदान की प्रेरक शिक्षा अवश्य  देनी चाहिए जिससे छात्र/छात्राओं में भी देशप्रेम की अलख जगाई जा सके। जीवन में कड़ी चुनौतियों जैसे भारी बारिश , बर्फबारी , गोलाबारी , अत्यधिक ठंड और चिलचिलाती आग सी धूप के बीच सैनिक खुद को ढालता है और इन सबके बीच सैनिक दुश्मनों का सामना करता है ।

सैनिक असल मायने में आदर्श सूचक, राष्ट्रभक्त और देश का महान नायक होता है। सैनिक ही देश की आन बान शान होता है। जिसकी शहादत में भारतीय तिरंगे से सम्मान होता है।

अतुल पाठक

""चीन की दादागिरी नहीं चलेगी सुपर पावर का खुला समर्थन""

वुहान से लेकर गलवान तक चीन के सभी  गुनाह का अब हिसाब करने का वक्त आ गया है। हमने देखा जैसा कि चीन ने कोरोना संक्रमण वुहान से फैलाकर पूरी दुनिया के लिए साजिश रची तो वही दूसरी तरफ गलवान में भारत के खिलाफ अतिक्रमण की साजिश रची और दूसरे पड़ोसी देशों को भी भड़का रहा है । लेकिन अब हमे लगता है कि चीन को भी यह महसूस होने लगा है कि भारत को  आंकने में बहुत बड़ी गलती कर दिया हू । क्योंकि अब भारत के साथ चीन विवाद में अमेरिका खुलकर साथ आ गया है । दोस्तों चीन को  इस बात की गलतफहमी हो गई थी कि वो भारत से पंगा लेगा और भारत डर जाएगा। लेकिन अब भारत अकेले नहीं हैं, सुपर पावर ने चीन के खिलाफ भारत का खुला समर्थन कर दिया ,वैसे भी आज के भारत खुद सक्षम है चीन से मुकाबला करने  में लेकिन जब सुपर पावर का साथ मिला तो और जबरदस्त तरीके से मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा ।

अमेरिका अब चीन के खिलाफ एशिया में अपनी सेना भेज रहा है जैसे ही अमेरिका के विदेश मंत्री का यह बयान आया हमने देखा कि पूरी दुनिया में खलबली मच गई। दोस्तों मुझे अब लगता है कि चीन के अतिक्रमण की दीवार गिरने वाली है ।

जैसा कि हम जानते हैं कि सेना के मामले में अमेरिका पूरे विश्व में पहले स्थान पर है ,वही अपना भारत भी चौथे स्थान पर है । ध्यान से देखें तो अगर हम अमेरिका की रक्षा बजट की बात करें तो 55 .27 लाख करोड़ रुपए अपने रक्षा बजट पर खर्च करता है अमेरिका, वही हमारा भारत भी अपने कुल बजट का 4.71 लाख करोड़ रुपए रक्षा पर खर्च करता है। अगर  हम पूरे आर्थिक स्थिति पर नजर डालें तो, अमेरिका की जीडीपी 1551.8 लाख करोड़ है जबकि भारत की जीडीपी 222.6 लाख करोड़ रुपए हैं अब आप सोच सकते हैं कि जब दो शक्तियां एक साथ मिलेगी तो चीन का हालात क्या होगा ? वैसे भी आज विश्व के लगभग अधिकतर देश अमेरिका के खिलाफ है कोरोना वायरस को लेकर बहुत कम सच्चा दोस्त है चीन का आज के वक्त में । आज हम देखे तो चमगादड़ चीन का विवाद‌ का कतार बहुत लंबी है । ध्यान से देखें तो चमगादड़ चीन का विवाद आज अमेरिका, भारत ,नेपाल ,उत्तर कोरिया ,दक्षिण कोरिया, जापान ,ताइवान, इंडोनेशिया ,मलेशिया, फिलीपींस ,भूटान ब्रूनेई के साथ भी कोई ना कोई विवाद है। जैसा कि अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए चीन बड़ा खतरा है, साथ ही चीन से वियतनाम ,इंडोनेशिया, मलेशिया ,फिलीपींस को भी  खतरा है इसलिए जहां भी चीन से खतरा नजर होगा वहां तैनात होगी अमेरिकी सेना ,यह भी कहा कि चीन से निपटने के लिए अमेरिकी सेना तैयार है । अब हम देख रहे हैं कि दुनिया में चीनी कंपनियों की लहर धीरे-धीरे खत्म हो रही है । हम देख रहे हैं कि अमेरिका यह कदम ऐसे समय उठा रहा है,जब चीन ने भारत में पूर्वी लद्दाख वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दिया है, इसलिए भारत के साथ-साथ वियतनाम, इंडोनेशिया ,मलेशिया फिलीपींस ,और साउथ चाइना सी में खतरा बनाता दिखाई दे रहा है इसीलिए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने चीन को भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए खतरा बता रहे हैं । इसी मद्देनजर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि इसी चीन के बढ़ते खतरे के लिए हम दुनिया भर में अपने सैनिकों की तैनाती कर रहे हैं। जैसा कि अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि हम तय करेंगे कि हमारी तैनाती ऐसी हो कि पीएलए का मुकाबला किया जा सके यह हमारे समय की चुनौती है और हम सुनिश्चित करें कि हमारे पास इससे निपटने के लिए सभी संसाधन उचित जगह पर उपलब्ध हो इसीलिए हम जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52000 से घटाकर 25 हजार  कर रहे हैं । आपको बताना जरूरी मुझे लग रहा है कि कैसे भारत और अमेरिका के रिश्तों में बदलाव आया है। वहीं अमेरिका है जिसने 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर पाबंदी लगाई थी. लेकिन हम देख रहे है कि 22 साल बाद अमेरिका भारत के साथ खड़ा आज है और साथ में साथ कदम मिलाकर चलने को तैयार है । जैसा कि हम जानते हैं दोस्तों की पिछले दिनों गलवान में हुए झड़प के बाद अमेरिका चीन के खिलाफ एशिया में अपनी सेना भेजेगा और चीन को सबक सिखाएगा ।अब देखना दोस्तों भारत की सीमा पर गुस्ताखी करने का क्या हश्र होता है, इस बात का अब चीन को बखूबी जवाब मिलेगा 

जब अब अपने हिंदुस्तान को सुपर पावर का खुला समर्थन मिल ही गया है तो अब डरने का क्या बात जब अमेरिका ने चीन के खिलाफ सेना भेजी रहा है तो अब कहीं ना कहीं चीन का गर्दन अब टूटेगा जरूर ।।

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया -अंतर्राष्ट्रीय चिंतक)