Thursday, June 25, 2020

"रूस किसका साथ देगा भारत और चीन में से

आप भी सोच रहे होंगे कि आज अगर हमारा बिवाद चीन के साथ बढ़ता है तो रूस भारत का साथ देगा या चीन का अभी हमारे रक्षा मंत्री जी रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर मास्को के रेड स्क्वायर पर होने वाली विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेने के लिए रूस पहुंचे हुए हैं। वैसे तो रक्षा मंत्री जी का इस दौरे का उद्देश्य रूस और भारत के बीच रक्षा खरीदारी को बढ़ाने के लिए कहा जा रहा है और साथ ही रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना भी है।

ध्यान से देखें तो भारत और रूस के बीच बहुत ही पुराना ऐतिहासिक संबंध है । देखा गया है कि अगर कभी भारत किसी भी दूसरे देश के साथ युद्ध में उलझा तो सबसे पहले रूस भारत का साथ देता है। वैसे भी रूस और भारत के लोग सांस्कृतिक रूप से भी एक दूसरे के बहुत ही करीब है और हिंदू धर्म रूस में सबसे तेजी से उभरते धर्मों में से वर्तमान में एक है । याद होगा आपको भी की जब 1971 के युद्ध हुआ था उसमें भी रूस ने भारत का भरपूर साथ दिया था और तो और भारत के लिए रूस ने अमेरिका से भी टकरा गया था । जानकर आपको हैरानी होगी कि कई मौकों पर रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी भारत के पक्ष में वीटो रूस ने किया है।

हमने देखा है कि जब भी दो ताकतवार देश आपस में कभी भी उलझते हैं तो पूरी दुनिया की नजर उन पर टिक जाती है , और सभी देश यह देखना चाहते हैं कि दुनिया के बाकी ताकतवर देश किसका साथ देंगे ? वैसे तो अभी समझौता दोनों देशों की तरफ से हुआ है कि हम एक दूसरे का सम्मान करते हुए अपने -अपने सेना को पीछे हटाना चाहते हैं ।लेकिन चीन अपना नापाक हरकत कभी भी दिखा सकता है इसलिए हमें चौकन्ना में रहने की जरूरत है । वैसे भी हम देख रहे हैं चीन का तो अमेरिका से भी टकराव बहुत पहले से चल रहा है कोरोना वायरस और डब्ल्यूएचओ को लेकर इसलिए हम सब जानते हैं कि चीन को लेकर अमेरिका का रूख लेकिन अब सवाल लोगों के मन में यह है कि इस विवाद में रूस का क्या पक्ष होगा  ? वैसे भी रूस यह जानता है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और चीन में करीब-करीब तानाशाही है । ध्यान से देखें तो भारत का लोकतंत्र ही भारत और रूस के पुराने  और घनिष्ठ संबंधों का आधार भी है ।

दूसरी तरफ समस्या यहां यह मुझे दिख रहा है कि अमेरिका के साथ रूस की भी दुश्मनी है और चीन की भी दुश्मनी है और अक्सर कहां जाता भी है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है और चीन और रूस की दोस्ती का भी एक बड़ा कारण है फिर कैसे इस पॉलिटिकल उठापटक से रूस अपने आपको निष्पक्ष रूप से एक तरफ कर पाएगा । आपको याद होगा कि 2017 में जब भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद हुआ था तब चीन ने सबसे पहले इसकी जानकारी जिन लोगों को दी थी उसमें चीन में रूस के राजपूत भी शामिल थे, लेकिन देखा गया इसके बावजूद रूस भारत के खिलाफ कुछ नहीं बोला लेकिन नपा -तुला भाषा का प्रयोग जरूर किया था । अब आपको क्या लगता है रूस किसके साथ है ?

मुझे लगता है कि आज की तारीख में रूस किसी के साथ नहीं है रूस मुझे लगता है अब चाह रहा है कि दुनिया मल्टीपोलर हो जाए यानी दुनिया में शक्तियों के कई ध्रुव हो। इसी कारण से मुझे लगता है कि रूस ने जो चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक युद्ध में भी खामोश ही बना रहा है ।

याद रखना बात को कि जब अगर भारत और चीन के बीच तनाव ज्यादा बढ़ा जाएगा या छोटी- मोटी लड़ाई हुई तो मुझे लगता है कि रूस की उपयोगिता बहुत ज्यादा होगी क्योंकि भारत के पास भारी संख्या में रूसी हथियार और मशीनें हैं जिनकी सर्विसिंग और रिपेयर में रूस की बहुत जरूरत होगी हमें इसलिए हमें रूस की बहुत जरूरत है । ।

जो भी हो दोस्तों मुझे लगता है कि मौजूदा सदी एशिया की है। इस धरातल पर लाने के लिए आवश्यकता होगा कि इस महाद्वीप की दो बड़ी शक्तियों चीन और भारत के बीच सब कुछ सही ही रहे। इसके लिए भारत ने प्रयास भी किए हैं, लेकिन चीन की हठधर्मिता और अड़ियल रवैया बनती बात को खराब कर दे रहा है। वैसे भी अब हमें जरूरी है कि चीन की चुनौती का आकलन कर उसके काट तैयार करें ।वैसे तो चीन ने समझौता किया कि हम एक दूसरे के सेना सीमा पर से हटा रहे हैं लेकिन वह कब अपने बातो से बदल जाए कहना मुश्किल है ।

दोस्तों जो अभी स्थिति भारत और चीन के बीच बनी हुई है वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और संपूर्ण विश्व व्यवस्था के लिए हानिकारक सिद्ध भविष्य में हो सकती है। क्योंकि शत्रु के साथ युद्ध केवल रणक्षेत्र में और हथियारों से ही नहीं लडा जाता है बल्कि मानस में उसकी मानसिकता को हथियार बनाकर भी लड़ा जाता है ।

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक)

दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता/मेंटर 9069821319

बिजली आफिस हैं कि फुटबाल कभी इधर कभी उधर एसडीओ सवालों के घेरे में




संवाददाता - प्रभाकर तिवारी "सर्वेश" की स्पेशल कवरेज*

बाराबंकी- इतनी जल्दी तों कोई ससुराल से भी वापस नहीं आता जितनी जल्दी विद्युत विभाग हैदरगढ़ के उप खंड अधिकारी  पीसी यादव (एसडीओ) अपना कार्यालय भवन बदल रहे हैं, 

जी हा हम बात कर रहे हैं मध्यांचल विद्युत वितरण खण्ड के बाराबंकी जनपद में स्थापित उपखंड कार्यालय प्रभारी पीसी यादव (एसडीओ) के बारे में जिनका कार्यालय पहले जनपद के ही असंन्द्रा बाजार  में स्थापित था, जो कि बांदा बहराइच मार्ग पर स्थित है, करीब दस दिन पहले उप खंड अधिकारी पीसी यादव (एसडीओ)ने बिना किसी को कोई कारण बताए अपना कार्यालय देवीगंज स्थापित कर लिया, जिसकी सूचना क्षेत्र में प्रसारित नहीं की जैसे तैसे उपभोक्ताओं को देवीगंज कार्यालय का पता चलता उससे पहले ही मंगलवार को देवीगंज के भवन से कार्यालय का सामान निकाला जाने लगा तों लोगों की आंखें खुली रह गई जब कुछ लोगों ने पूछा कि यह सब क्या है तों जिम्मेदार लोग सटीक जबाब नहीं दे सकें और सिर्फ इतना बताया कि यह कार्यालय पुनः असंन्द्रा पहुंच रहा है, जिससे लोगों के कान खड़े हुए कि कुछ न कुछ जरूर गड़बड़ी हैं, 

इस तरह से कार्यालय स्थान बदलना किसी बड़े कारनामे का इशारा है, 

लोग दबी जुबान चर्चा कर रहे हैं कि बिना एग्रीमेंट साइन किए ही भवन बदला गया था और शायद भवन मालिक और एसडीओ के बीच डील फाइनल नहीं हों पाई और उपखंड अधिकारी पीसी यादव को मन माफिक लाभ नहीं मिला इसलिए कार्यालय पुनः असंन्द्रा स्थापित किया गया है, 

यहां लाख टके का सवाल खड़ा होता है कि असंन्द्रा बाजार में जिस भवन में कार्यालय था क्या उसका एग्रीमेंट खत्म हो गया था, तो देवीगंज आफिस पहुंचा और देवीगंज के भवन मालिक से बिना एग्रीमेंट के ही कार्यालय शिफ्ट किया गया यदि देवीगंज भवन मालिक से अनुबंध हुआ तों इतनी जल्दी खत्म कैसे हों गया, 

कुछ भी हों इस कार्यालय भवन बदलने के खेल में आम उपभोक्ताओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा हैं, और सरकार के दो महत्वपूर्ण दिन बर्बाद हुए जिसके सीधे तौर पर उपखंड अधिकारी पीसी यादव जिम्मेदार है,

    विद्युत कनेक्शन से संबंधित आवश्यक कार्य हेतु देवीगंज उपखंड कार्यालय खोजते खोजते आशुतोष व शुभम निराश होकर लौट गए बात चीत के दौरान दोनों लोगों ने बताया कि एसडीओ साहब की वजह से हमारा दिन चौपट हो गया है पूछ्ते पूछते देवीगंज कार्यालय आएं और यहा पर पता चला कि कार्यालय फिर असंन्द्रा पहुंच गया है अब फिर असंन्द्रा जाना पड़ेगा,

 

कुछ भी हो लेकिन एसडीओ पीसी यादव के इस कारनामे से उपभोक्ताओं में रोष है, और आएं दिन एसडीओ के तुगलकी फरमान से जन मानस पीड़ित रहता है, अब देखना है कि उपखंड कार्यालय असंन्द्रा में कितने दिन टिकता है या एसडीओ पीसी यादव के बादशाही रवैए का शिकार होकर कोई और हवेली की सैर करता है,


 

 



 

कोयला चोरी समेत कई ज्वलंत मुद्दो पर भाजपा ने ईसीएल सीएमडी को ज्ञापन सौपा

साँकतोड़ीया : ईसीएल के विभिन्न क्षेत्रो में अवैध कोयला खनन, भू-धँसान सहित कई ज्वलंत मुद्दो को लेकर भाजपा जिला अध्यक्ष लखन घुरई के नेतृत्व में साँकतोड़िया स्थित ईसीएल मुख्यालय में अध्यक्ष सह चेयरमेन को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष लखन घुरई ने कहा कि क्षेत्र में अवैध कोयला खनन और चोरी को अविलंब बन्द कर कोल माफियाओं के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाये। साथ ही अवैध तरीके से ईसीएल क्वाटरों को अवैध कब्जामुक्त किया जाये। धँसान से प्रभावित परिवार को अविलंब मुआवजा राशि प्रदान किया जाए। धँसान प्रभावित लोगों का अविलंब पुनर्वास किया जाये इत्यादि मुद्दो पर आज सीएमडी कार्यालय मे ज्ञापन दिया गया है। लखन घुरई ने कहा कि विगत 20 जून को ईसीएल के कजोड़ा एरिया अंतर्गत जामबाद ओसीपी क्षेत्र में भू-धँसान की घटना हुई थी, जिसमे एक महिला समेत अनेकों क्वाटर जमीनदोज़ हो गए थे। इस घटना के आज तीसरे दिन भी उक्त महिला की लाश बरामद नहीं हो पाई है, किन्तु सत्ता दल के स्थानीय नेता ढिंग हाँकते देखे जा रहे है। उन्होने कहा आज जो नेतागण लंबी-लंबी बाते कर रहे है, उन्हे आजतक कभी भी अवैध कोयले को लेकर आंदोलन करते नहीं देखा गया है। लेकिन भाजपा हमेशा ऐसे असंवैधानिक कार्यो का विरोध करती रही है। इसलिए हमलोग क्षेत्र में अवैध कोयला के बिरुद्ध लगातार आंदोलन और ज्ञापन देते आये है। इस दौरान शिवराम बर्मन, दिलीप दे, सुजीत पाल, सुब्रतो मिश्रा, अमित गोराई, मिथलेश सिंग मुख्य रूप से शामिल थे।


परिषदीय स्कूलों के अनुपस्थित बच्चों को भी मिलेंगे रुपये व राशन






*जिला संवाददाता अर्जुन कुमार गुप्ता*

लॉकडाउन के दौरान मिड-डे-मील की कन्वर्जन कास्ट और राशन परिषदीय स्कूलों में नामांकित सभी बच्चों को दिया जाएगा। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निदेशक विजय किरन आनंद ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को 19 जून को भेजे पत्र में यह बात साफ की है। कुछ बीएसए ने सवाल पूछा था कि स्कूलों में उपस्थिति के अनुसार परिवर्तन लागत एवं खाद्यान्न भेजा जाता रहा है जबकि लॉकडाउन के दौरान 24 मार्च से 30 जून तक शत-प्रतिशत बच्चों को दिया जाना है। परिवर्तन लागत की राशि माता-पिता, अभिभावक या छात्र के खाते में ट्रांसफर की

जाएगी। शासन के आदेश के मुताबिक प्राथमिक स्कूल के प्रत्येक बच्चे को 24 मार्च से 30 जून तक 76 दिन की परिवर्तन लागत 374.29 रुपये जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलों के प्रत्येक बच्चे को 561.02 रुपये खाते में भेजे जाने हैं। जिन बच्चों या उनके माता- पिता/अभिभावक के खाते नहीं हैं उनके बैंक खाते तत्काल खुलवाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रयागराज में तकरीबन 5 लाख बच्चों को इसका लाभ मिलना है। मिड-डे-मील के मंडल समन्वयक सुनीत कुमार पांडेय का कहना है कि निदेशक के आदेश के अनुसार बच्चों को भुगतान करने की तैयारी की जा रही है।