Friday, June 26, 2020

ऑनलाइन शिक्षा बन कर ना रह जाए बस खाना फुर्ती

कोरोनावायरस ने हमें हमारे जीवन में बहुत से बदलाव लाने के लिए मजबूर भी किया। साथ ही साथ नई-नई चीजें सीखने के लिए तैयार भी किया। उनमें से एक है ऑनलाइन होने वाली क्लास। अध्यापक और छात्रों के साथ ही साथ आज के समय में यह उनके घर वालों का भी हिस्सा बन गई है। निजी जीवन की बातें अध्यापकों की छात्रों के घर में बातचीत करने का विषय बन चुका है।  

ऑनलाइन क्लास तो हर रोज हो रही है। चार से पांच घंटे छोटे हो या बड़े सभी छात्रों को लेपटॉप, कम्प्यूटर या फोन के सामने बैठा दिया जाता है। शिक्षा जरूरी है हम सभी जानते हैं, किसी भी हाल में उसमें रुकावट नहीं आनी चाहिए। किन्तु सवाल यह भी है कि ऑनलाइन क्लास का शिक्षा के लिए उपयोगी है या नहीं। भारत में 40 करोड़ के आसपास ही लोग इंटरनेट का प्रयोग कर पाते हैं। 29 करोड़ लोगों के पास ही स्मार्ट फोन है।  ऐसे में हम हर छात्र तक ऑनलाइन क्लास के माध्यम से शिक्षा को नहीं पहुंचा सकते हैं। यह एक सत्य है जिससे हम सभी आंखें चुरा रहें हैं। 

ऑनलाइन क्लासेस बस एक खाना फुर्ती सी लग रही है।  छात्राओं और अध्यापकों के पास अच्छा इंटरनेट और फोन, लेपटॉप या कम्प्यूटर की सुविधा होने के साथ ही साथ प्रयोग करने का अनुभव भी होना आवश्यक है। ऑनलाइन क्लास में छात्रों को कनेक्ट करना और ऑनलाइन सभी कुछ समझा ना प्रत्येक अध्यापक के लिए सरल नहीं है। सभी छात्र ऑनलाइन क्लास लेने में सक्षम नहीं है। जिसके कारण उनकी पढ़ाई भी पिछड़ जा रही है।  

हम सभी बातें जानते हुए भी ऑनलाइन शिक्षा का खेल, खेल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि यह सब केवल माता-पिता की जेब से पैसे निकलवाने की कोशिश है। यदि ऐसा नहीं है तो 50 बच्चों की क्लास में केवल 10-12 ही बच्चे क्यों ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। बच्चों के भविष्य की इतनी ही चिंता है स्कूलों को तो उन्हें बच्चों और अध्यापकों को वह सारी सुविधाएं उपलब्ध करवानी चाहिए। जिसके प्रयोग से वह आसानी से ऑनलाइन शिक्षा को जारी रख सकें। 

छात्रों की शिक्षा जरूरी है। किन्तु कुछ गिने चुने बच्चों की नहीं। प्रत्येक उस बच्चे की शिक्षा जरूरी है। जिसका इस देश में जन्म हुआ है। हम उच्च वर्ग से जुड़े बच्चों की सुविधा के अनुसार फैसले नहीं लें सकतें हैं। शिक्षा सभी का अधिकार है और जरूरत भी, हमें सभी के बारे में सोचना होगा। सरकार, स्कूलों के साथ ही साथ हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम अपने आस पास रहने वाले बच्चों और अध्यापकों की मदद करें। उनकी समस्याओं को सुलझाने में उनका सहयोग दें। साथ ही साथ सरकार और स्कूलों पर दबाव बनाएं कि वह सभी बच्चों की शिक्षा का इस्तेमाल करें। 

       राखी सरोज

 

सैनिक

राष्ट्र के वास्तविक नायक सैनिक ही होते हैं , जो निजी स्वार्थ को त्याग कर अपने देश की रक्षा के लिए हमेशा सर्वस्व निछावर करने के लिए  तत्पर रहते हैं। सैनिक का जीवन बलिदान का जीवन होता है , जो देशप्रेम में निजी जीवन का बलिदान करना और जीवन का वास्तविक दायित्व देश के लिए समर्पित होना सिखाता है। सैनिक राष्ट्र का गौरव होता है जिसमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी होती है।साहस और कर्तव्यनिष्ठा के साथ सैनिक जीवन में कई विपरीत परिस्थितियों अर्थात कई चुनौतियों का सामना करता है। सैनिक बनना इतना सहज नहीं होता जितना सभी को लगता है। सैनिक बनने से पहले निजी सुखों जैसे घर-परिवार , व्यक्तिगत जीवन और अपनी कई सुख सुविधाओं से भरी इच्छाओं को त्याग करने का प्रण लेना पड़ता है। देश की माटी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करना ही सैनिक की प्राथमिकता होती है जिसे वह पूरी आत्मनिष्ठा से पूरा करता है। सैनिक के लिए देशप्रेम ज्यादा मायने रखता है बाकी सब कुछ बाद में। सैनिक का सम्पूर्ण जीवन जब तक साँस न थम जाए हिन्द देश की रक्षा के लिए ही वास्तव में बना होता है । सैनिक को हम देश का असली हीरो इसलिए मानते हैं क्योंकि हीरो वो होता है खुद से पहले दूसरों की रक्षा करे । यही भावना एक सैनिक में होती है जो 24 घण्टे सरहद पर इसलिए तैनात रहते हैं ताकि हिन्द देश और हिन्दवासी  सुरक्षित रह सकें। इस देश की माटी पर सैनिक के कदमों के निशान कभी  नहीं मिटते । इस देश की माटी भी सैनिक के बलिदान को कभी नहीं भूलती ।सैनिक की कहानी वास्तव में वीरता की जुबानी होती है जिसे आज के छात्र/छात्राओं को सुनाकर उनमें जज़्बों और हौंसलों के साथ देश की रक्षा के लिए सैनिक का अनमोल योगदान की प्रेरक शिक्षा अवश्य  देनी चाहिए जिससे छात्र/छात्राओं में भी देशप्रेम की अलख जगाई जा सके। जीवन में कड़ी चुनौतियों जैसे भारी बारिश , बर्फबारी , गोलाबारी , अत्यधिक ठंड और चिलचिलाती आग सी धूप के बीच सैनिक खुद को ढालता है और इन सबके बीच सैनिक दुश्मनों का सामना करता है ।

सैनिक असल मायने में आदर्श सूचक, राष्ट्रभक्त और देश का महान नायक होता है। सैनिक ही देश की आन बान शान होता है। जिसकी शहादत में भारतीय तिरंगे से सम्मान होता है।

जय हिन्द , जय हिन्द के सैनिक 🇮🇳🇮🇳

@अतुल पाठक

जनपद हाथरस

जीवन का अंतिम सत्य

कभी किसी ने बैठकर सोचा ,नहीं सोचा होगा, क्योंकि हम अपने जीवन में इतने व्यस्त हैं, कि हमारे पास इस मानव जीवन के अंतिम सत्य के बारे में सोचने का समय नहीं है, हमारे पास केवल अपनी तृष्णाओं की पूर्ति का समय है ,हमें केवल धन एकत्रित करना है, हमें केवल भोग भोगने हैं, हमें केवल अपनी सत्य स्थापित करनी है, हमें केवल दूसरों को नीचा दिखाना है, पर कभी किसी ने सोचा ,यह सब भोग क्षण भर के हैं ,हमारे से पहले इस पृथ्वी पर कितने राजा, महाराजा आए, जो कितने शक्तिशाली थे, उन्होंने अपनी भक्ति से देवो को प्रसन्न करके कई वरदान हासिल किए,पर  वो भी एक दिन काल के ग्रास बन गए, तो क्यों आज इस पृथ्वी का तुछ्च सा मानव यह भूल गया है, उसे भी एक दिन काल का ग्रास बनना है,अगर भूल गए हैं , तो एक दिन शमशान भूमि में जाकर किसी जलते मुर्दे को देख आए ,क्योंकि यही जीवन का अंतिम सत्य है।।                                          

अंतरराष्ट्रीय मधुमेह जागृति दिवस पर जागरूकता जरूरी

प्रतिवर्ष २७ जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुमेह जागृति दिवस मनाने की जरूरत इसलिए महत्वपूर्ण हुई क्योंकि इस बीमारी के कारण और बचाव के विषय में लोगों के बीच काफी मतभेद और अनभिज्ञता देखी जा रही है । यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट के मुताबिक पूरे विश्व की लगभग ६-७ % आबादी मधुमेह नामक बीमारी से ग्रसित है । मधुमेह से पीडि़तों की संख्या में इतनी तेजी से वृद्धि लोगों में मधुमेह के प्रति अनभिज्ञता की उपज है । भारत के परिपेक्ष में यह बीमारी आम बात है , इस बीमारी से ग्रसित लोगों की बड़ी जनसंख्या भारत में निवास करती है । इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार लगभग ७.७ करोड़ पीड़ितों के साथ मधुमेह की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है । इसीलिए भारत को विश्व मधुमेह की राजधानी का दर्जा प्राप्त है । इन आंकड़ों के मद्देनजर वैश्विक स्तर पर हर पांचवां मधुमेह रोगी भारतीय है । मधुमेह के यह आंकड़ें इतने चिंतनशील हैं कि पूरी दुनिया में इसके निवारण व उपचार में प्रतिवर्ष करीब २५० से ४०० मिलियन डॉलर का खर्च वहन किया जाता है । इस बीमारी के कारण वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष करीब ५० लाख लोग अपनी नेत्र ज्योति खो देते हैं और करीब १० लाख लोग अपने पैर गवां बैठते हैं । मधुमेह के कारण विश्व भर में लगभग प्रति मिनट ६ लोग अपनी जान गंवा देते हैं और किडनी के निष्काम होने में इसकी मुख्य भूमिका होती है ।
मधुमेह शोध के अनुसार भारत में इस रोग का आनुवांशिक लक्षणों में पाया जाना बेहद चिंतनशील मुद्दा है । आज विश्व के लगभग ९५ % रोगी टाइप - २ मधुमेह से पीडि़त हैं , इसका मुख्य कारण लोगों का आवश्यकता से अधिक कैलोरी युक्त भोजन कर मोटापे का शिकार होना जबकि उनकी दिनचर्या में व्यायाम व योग का अभाव का होना है ।
यही कारण है कि कम उम्र के लोगों में भी इस बीमारी का अतिक्रमण बहुत तेजी से देखा जा रहा है । रक्त ग्लूकोज शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है और कार्बोहाइड्रेट आंतों में पहुँचकर ग्लूकोज में परिवर्तित हो अवशोषित होकर रक्त में पहुँचता है फिर इंसुलिन के माध्यम से रक्त द्वारा कोशिकाओं के भीतर प्रवेश करता है , इसी इंसुलिन की अनिवार्यता में कमी मधुमेह को जन्म देती है ।
टाइप - १ मधुमेह बच्चों व युवाओं में अग्नाशय से इंसुलिन का स्राव न होना । टाइप - २ मधुमेह अधिक आयु के लोगों में अग्नाशय से कम इंसुलिन का उत्पन होना । इन दोनों ही परिस्थितियों में रोगी को जीवन पर्यन्त इंसुलिन के इंजेक्शन की आवश्यकता होती है । इन जटिलताओं के कारण मधुमेह रोगियों में हृदयाघात , मूत्राशय व किडनी में संक्रमण व खराबी , आँखों की खराबी , कटे-जले घाव का ठीक न होना आदि बीमारियों का प्रभाव देखा जाता है ।
इस बीमारी से बचाव के लिए हमें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है और जो इससे संक्रमित हैं उन्हें अपने खान-पान पर नियंत्रण तथा दैनिक जीवनचर्या में व्यायाम व योग को स्थान देने की परम आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक लगभग लाइलाज बीमारी है जिसे दवाओं व समझदारी से केवल नियंत्रित किया जा सकता है । खान-पान में गरिष्ठ व वसायुक्त भोजन तथा तली-भूनी चीजों व शक्कर से परहेज करना चाहिए । स्वास्थ्यवर्धक चीजों का सेवन तथा शारिरिक व मानसिक परिश्रम करना चाहिए । आज के इस प्रदूषित वातावरण को देखते हुए यह सभी स्वास्थ्यवर्धक उपाय अपनाने की महती आवश्यकता हर रोगी व निरोगी दोनों प्रकार के व्यक्तियों हेतु अत्यंत आवश्यक है । इस गंभीर चिंतनशील बीमारी से बचने के लिए हमें स्वस्थ जीवनशैली , स्वास्थ्यवर्धक आहार , व्यायाम व योग को अपनाना होगा और वर्ष में एक बार रक्त परीक्षण भी जरुर करवाना चाहिए जिससे इस बीमारी से बचा जा सके ।