Monday, June 1, 2020

उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र नहीं हो रहा है विकास




पुष्पेन्द्र सिंह संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ

लखनऊ   :- उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र नहीं हो रहा है विकास लोग आज भी वहां त्राहि-त्राहि कर रहे हैं अवैध कॉलोनी कैम्पबल निषादराज मार्ग रोड पर यह एक वीआईपी कॉलोनियों में से एक मानी जाती है और यहां से महज  3 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम विधायक सुरेश श्रीवास्तव का घर है। जहां की विकास स्थिति बहुत ही खराब है।

भाजपा सरकार में तो कई योजनाएं आई और कई जगह विकास भी हुए लेकिन विकास वहां नहीं हुए जहां पर पश्चिम क्षेत्र लगता है। इस पश्चिम क्षेत्र के विधायक सुरेश श्रीवास्तव हैं । जहां की स्थिति क्या है । यह अवैध कॉलोनी है । जहां पर आप रोड की स्थिति क्या है । लोगों की आपबीती किस तरह बयां कर रही है । लोग किस तरह मजबूर है । वहां रहने पर बरसात के दिनों में लोग अपने बच्चों को कंधे पर उठाकर बस तक ले जाते हैं । जब इस कॉलोनी के लोग विधायक के निवास पहुंचे और इसकी सूचना दिया तो विधायक ने अपना पल्ला झाड़ते हुए लोगों को यह कहा कि यह अवैध कॉलोनी है । जिसके वजह से मैं यहां पर कोई काम नहीं करूंगा लोगों ने इसका प्रमाण भी दिया कि  वहाँ के कालोनीवाशी समाजसेवी नीरज गंभीर , हर्षित , राजेश , अर्पित, राजेंद्र गुप्ता  , शर्मा जी इन लोगो का कहना है । कि हम लोग हाउस टैक्स जमा करते हैं।  इसके बावजूद भी यह अवैध कैसे होगा इस पर विधायक जी ने चुप्पी साधा और अपना पल्ला झाड़ते हुए उन लोगों से मुंह मोड़ कर बात नहीं किया और नतीजा यह है कि पश्चिम क्षेत्र में नाम मात्र के लिए विकास हो रहा है जब ऐसी कालोनियों की यह स्थिति है । तो गांव में क्या हुआ है । विकास


 

 



 

बलात्कार का आरोपी अभियुक्त गिरफ्तार

दैनिक अयोध्या टाइम्स,रामपुर- अनुराग पुत्र कुन्दन निवासी ग्राम नवाबनगर थाना पटवाई रामपुर द्वारा थाना पटवाई क्षेत्र की रहने वाली एक लडकी के साथ बलात्कार किया गया था। इस संबंध में थाना पटवाई, रामपुर पर मु0अ0सं0-108/20 धारा 376 भादवि बनाम अनुराग पंजीकृत हुआ था। आज दिनांक 01-06-2020 को थाना पटवाई, रामपुर पुलिस द्वारा अभियुक्त अनुराग को गिरफ्तार कर कार्यवाही की जा रही है।

।।आज हैं निर्जला एकादशी व्रत ।।

 2 जून 2020 को ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता हैं।ऋषि वेदव्यास जी के अनुसार इस एकादशी को भीमसेन जी द्वारा किये जाने के कारण इसका नाम  भीमसेनी एकादशी भी हैं।इसे पाण्डवी एकादशी भी कहा जाता हैं। शास्त्रों में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व बताया गया हैं। उपवास तो बिना अन्न ग्रहण के ही किया  जाता हैं, पर इस व्रत को करने वाले व्रती इस दिन अन्न के साथ-साथ जल पीने का भी त्याग कर उपवास करते हैं।इस व्रत का प्रभाव इतना हैं कि इसे करने मात्रा  से 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है।ज्ञातव्य हो कि  प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष दोनों  में एकादशी का व्रत आता हैं।इस प्रकार प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशी व्रत होते हैं। वही वर्ष अगर अधिकमास या मलमास से युक्त हो तो दो एकादशी अधिक अर्थात इनकी संख्या 26 होती हैं। निर्जला होने के कारण यह व्रत काफी कठिन होता हैं। एक तो ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी होती हैं दूसरा बिना जल ग्रहण के व्रत को करना।पर ईश्वर के भक्तो के अटल इच्छाशक्ति के आगे इसका कोई प्रभाव नहीं होता।

  इस दिन नित्य कर्मो से निवृत होकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए। ध्यान रहे स्नान के जल में गंगा जल जरूर मिला लें। संकल्प करने के बाद विधि-विधान एवं श्रद्धा से श्रीहरि भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए।पूजन के बाद कथा सुनना चाहिए।कथा इस प्रकार हैं:-

बात महाभारत के समय की है। 

जब महर्षि वेदव्यास जी के पास भीमसेन जी पहुँचे।उनहोने गुरुदेव को प्रणाम किया।गुरुदेव से कुशल क्षेम होने के बाद भीम ने पूछा की हे आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग मेरी पूज्य माँ कुन्ती, भ्राता युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत करते हैं। वे मुझे भी अन्न त्याग कर इस व्रत को करने के लिए कहते हैं।साथ ही मुझे बताते हैं।इस व्रत को न करने से हमें नरक में जाना होगा।हे महात्मन!मुझे भूखा बिल्कुल भी नहीं रहा जाता।प्रत्येक 15 दिन बाद यह एकादशी व्रत आता हैं।आप मुझे बताएं की इस हाल में मुझे क्या करना चाहिए।मुझे नरक से कैसे छुटकारा मिले?मुझे भी मेरे संबंधियों के साथ स्वर्ग कैसे प्राप्त हो?अभीष्ट फलों की प्राप्ति एवं सौभाग्य का उदय कैसे हो? हे गुरुदेव!आप मेरा मार्गदर्शन करें। भीमसेन के अनुरोध पर महर्षि वेद व्यास जी ने कहा कि हे भीम! ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी का निर्जला हैं। आप इस निर्जला एकादशी का व्रत करें।यह व्रत अकाल मृत्यु का हरण करने वाला हैं।बाकी एकादशियों का व्रत आप नहीं कर पाए तो इसके करने से सम्पूर्ण एकादशी का फल आपको प्राप्त होगा।

पूजन दान के साथ-साथ चांदी या मिट्टी का घड़ा भी दान करें।मीठे जल का प्याऊ लगवाएं।अगर आप फलाहारी हैं तो ध्रुव के प्रथम मास की तपस्या के तुल्य उसके एक-एक दिन के समान आपको फल मिलेगा।यदि आप पवन आहारी रहते है तो ध्रुव के षटवें मास की तपस्या के समान फल प्राप्त होता हैं।

नास्तिक का संग, क्रोध,आदि करना वर्जित हैं।सबको वासुदेव का रूप समझकर नमस्कार करना चाहिए।सत्य बोलना चाहिए।द्वादशी को ब्राह्मण को दक्षिणा आदि देना चाहिए।भोजन कराना चाहिए।उनकी परिक्रमा करना चाहिए।

  कथा श्रवण के पश्चात यथाशक्ति दान करना चाहिए। दान के पश्चात श्रीहरि की आरती करना चाहिए एवं क्षमा प्रार्थना करना चाहिए।पूरे दिन भगवान का स्मरण जाप करना चाहिए।

"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र श्रीमद्भागवत पुराण का सार माना जाता हैं। इसके अलावा "ॐ विष्णवे नमः" मंत्र का भी जाप किया जा सकता हैं। इस दिन विष्णुसहस्रनाम, भगवान विष्णु का हजार नामों से अर्चन भी श्रद्धालु करते हैं। इस प्रकार ही एकादशी की रात को  भी शास्त्रों में सोना वर्जित किया गया हैं।रात्रि में जागरण करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। भजन-कीर्तन करते रात बिताकर द्वादशी तिथि को सुबह स्नान एवं श्री हरि के पूजन,दान के पश्चात पारण मुहूर्त में ही पारण करना उचित माना गया हैं।अन्यथा व्रत का फल क्षय माना जाता हैं।जो लोग बिना जल ग्रहण किये इस व्रत को कर पाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं वो फलाहार के साथ भी इस व्रत को करते हैं एवं पूजन करते हैं। जो व्रत कर ही न पाए वो  चावल एवं जौ से बने भोज्य पदार्थों का त्याग करें। साथ ही लहसुन,प्याज आदि तामसी भोजन का त्यागकर सच्चे मन से भगवान का पूजन करें।

बताया गया हैं इस व्रत महात्म्य को सुनने मात्र से दिव्य चक्षु खुल जाते हैं।इसलिए इस दिन कथा एवं माहत्म्य सुनना एवं सुनाना दोनों पुण्यप्रद हैं।

 

"अगर सिर्फ रोजी -रोटी के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़े तो यह चिंता का विषय है 

अगर किसी को रोजी -रोटी के लिए अपना घर ,राज्य और देश छोड़ना पड़े तो यह चिंता का विषय है l दोस्तों कोरोना वायरस से उपजी वैश्विक महामारी कोविड -19 के चलते लॉकडाउन की घोषणा 24 मार्च को हुई थी l तब देश में 600 के करीब करोना संक्रमित मरीज थे ,और 11 लोगों की मौत हुई थी l जैसे ही दोस्त लॉकडाउन घोषित हुआ पूरे देश में सन्नाटा छा गया इस महामारी के खौफ के चलते l अमीर हो या गरीब सबको  आशा थी कि स्थिति जल्द ठीक हो जाएगी , इस खौफ के बावजूद भी और सभी को आशा थी ,कि सरकार लोगों का और लोग एक- दूसरे का ख्याल रखेंगे, लेकिन दोस्तों जब लॉकडाउन की अवधि बढ़ती गई, तब देश के गरीब तबका विचलित हो उठा l दोस्तों यह तबका शहरों में रहने वाला दिहाड़ी मजदूर या किसी कारखाने का कामगार अथवा रेहड़ी लगाने वाला और ऑटो रिक्शा चालक और अन्य रोज कमाने खाने वाले थे l सरकार ने अगर वंचित तबकों को जहां रह रहे थे ,वही रोक कर उनको रहने -खाने और अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था किया होता तो शायद यह भायावह स्थिति सामने नहीं होती l आज हमारा ग्रामीण क्षेत्र भी  कोरोना का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है ,जोकि पहले यह वायरस शहरों में ही अधिकतर था l एक बात और जो पिछले दिनों सरकार ने किसानों ,बुजुर्गों ,दिव्यांगों ,जनधन खाता धारको महिलाओं के कल्याण के लिए जो अनेक घोषणाएं की उनसे इस तबके को कोई राहत नहीं मिली और यह तबका अपने गांव घर जाने के लिए बेचैन हो उठा हजारों किलोमीटर पैदल चलते -चलते मंजिल से पहले ही कोई सड़क हादसों में कोई भूखे -प्यासे दम तोड़ दिया  l दोस्तों इनके मौत का नैतिक जिम्मेदार कौन है? दोस्तों यह तबका शहरों की झुग्गी बस्तियों या शहरी सीमा के गांव में किराए पर रहता था l जब इनकी कमाई बंद हो गई जिससे इनका भविष्य अनिश्चित दिखने लगा इसलिए साधन नहीं मिलने के बावजूद पैदल साइकिल या फिर ट्रकों के जरिए असुरक्षित तरीके से गांव लौटने लगे l दोस्तों संविधान का अनुच्छेद 14 सभी की बराबरी की बात करता है l लेकिन हमारे देश में 90% संपत्ति पर 10% लोगों का कब्जा है ,वही 10% संपत्ति पर 90% किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं l आखिर इतना भेदभाव क्यों? आज आजादी के इतने वर्षों के  बाद भी देश का समावेशी रूप से विकास नहीं होने का मुझे नतीजा लगता है यह पलायन और गंदी राजनीति भाई -भतीजावाद धनबल बाहुबल का ही नतीजा है l दोस्तों सबसे अधिक बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से पलायन करते हैं ,लोग अगर यहां  निवेश होता खासकर कृषि पर आधारित उद्योग लगते तो किसानों की क्रय शक्ति बढ़ती और यहां के मजदूर भी पलायन नहीं करते और साथ ही कृषि पर आधारित उद्योग का जाल बिछाया गया होता तो आम किसानों की क्रय शक्ति बढ़ती और इससे उद्योग का भी विकास होता l साथ ही मजदूरों को अपने घर में ही काम मिल जाता l लेकिन घटिया राजनीति के कारण यह दिन हमें आज देखना पड़ रहा है l दोस्तों अगर कोई व्यक्ति बेहतर भविष्य और अच्छी आय के लिए किसी अन्य राज्य मे जाए तो बात समझ में आती है , लेकिन सिर्फ रोजी -रोटी के लिए अपना राज्य  छोड़कर कहीं और जाए तो यह चिंताजनक तो है ही, असमान विकास का सूचक भी है l साथ ही लोक कल्याणकारी राज्य पर प्रश्न चिन्ह है l जो भी हो देश कामगारों के महत्व को अब समझ रहा है, लेकिन बेहतर रहेगा कि सरकार ऐसे ठोस उपाय बनाएं जिससे फिर कभी इनकी उपेक्षा - अनदेखी ना हो और दोस्तों कामगारों के हित में बनने वाले नियम -कानून असरकारी तभी सिद्ध होंगे जब राज्य सरकारें उनके अमल को लेकर तत्परता दिखाएगी l दोस्तों इन कामगारों के मामलों में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी जरूरी सबक सीखने की जरूरत है l अब देर करने की जरूरत नहीं है पहले ही देर हो चुकी है और उसका परिणाम भी सामने दिख रहा है बदहाली के रूप में इन प्रवासी मजदूरों का आज l  दोस्तों कामगारों की बदहाली राष्ट्रीय शर्म का विषय बन गया है l शर्मिंदगी इस भाव का परिचय देने के साथ यह भी महसूस किया जाना चाहिए कि उनके बगैर देश का काम चलने वाला नहीं है l इसलिए दोस्तों राज्य और केंद्र सरकार को एक साथ मिलकर इन कामगारों के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है जिससे फिर कभी इनकी उपेक्षा -अनदेखी ना हो क्योंकि हमारे देश का रीढ़ की हड्डी यही किसान , गरीब , प्रवासी मजदूर हैं आज भी दोस्तों किसान खेतों में लगा हुआ है देखना आप यही अन्नदाता गिरती हुई अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाएगा l लेकिन दुख की बात है कि सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है l मेरे दोस्त आपसे मेरा अनुरोध है कि जो भी वंचित तबका आपके आंखों के सामने दिखे आपको देखकर लगे कि इसको आपकी मदद की जरूरत है और आप भी सामर्थ्य हैं तो जरूर प्रयास करें इनकी मदद के लिए क्योंकि हम सब एक दिन इसी मिट्टी में मिल जाएंगे सब मिट्टी- मिट्टी हो जाएगा यहां से कोई बचके नहीं जा पाएगा आगे या पीछे l