Sunday, May 31, 2020

बच्चों की सुरक्षा में कहीं हो ना जाएं चुक

बाल रक्षा दिवस एक जून को बनाया जाने वाला कोई त्यौहार या आम विश्व दिवस नहीं है। जिसकी हम एक दूसरे को शुभकामनाएं दे कर खुशी बनाएं। बाल रक्षा दिवस विचार करने का दिन है‌। क्या हम अपने देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को सुरक्षा दे पा रहे हैं। हमारे द्वारा हमारे बच्चों को वह जीवन प्रदान किया जा रहा है जिसकी उन्हें आवश्यकता है। 

भारत देश एक बहुत ही बड़ी आबादी वाला देश है। यहां पर गरीबी और बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्याएं हैं।  ऐसे में सभी को समान सुविधाएं प्राप्त होगी ऐसा सोचना गलत है। अमीर और गरीब का भेदभाव आपको प्राप्त होने वाली सुविधाओं को प्रभावित अवश्य ही करेगा। प्रत्येक बच्चे को विकास के समान अवसर या फिर वह सभी वस्तुएं प्राप्त होगी। जिन्हें कोई अमीर परिवार में पलने वाला बच्चा प्राप्त कर पा रहा है। ऐसा विचार मन में लाना गलत है। किंतु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि हम किसी बच्चे को वहां आवश्यक वस्तु भी उपलब्ध ना करवाएं जो किसी बच्चे के विकास के लिए जरूरी है। 

गरीब होना एक समस्या हो सकती है। अभिशाप नहीं हम किसी भी बच्चे को उसके हाल पर यह का कर नहीं छोड़ सकते, कि उसका जन्म गरीब परिवार में हुआ है। हमारा सविधान सभी को समानता का अधिकार प्रदान करता है। इस उम्मीद के साथ की सभी को अपने विकास के लिए समान अवसर मिल सकेंगे। फिर हम कैसे किसी बच्चे के साथ अमीरी और गरीबी के आधार पर भेदभाव कर सकते हैं। शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाएं और वह सभी आवश्यक वस्तु किसी बच्चे के लिए जरूरी है। प्रत्येक बच्चे को उपलब्ध होनी चाहिए। चाहे वह किसी भी वर्ग का हो, अमीर गरीब, जाति धर्म, किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।

सरकार को कार्य करने चाहिए और हमें सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि वह ऐसा करें। साथ ही हमें अपनी ओर से सहायता भी देनी चाहिए। अपने घर में काम करने वालों को खोने के डर से सच पर पर्दा डालकर चुप नहीं रहना चाहिए। ऐसा यदि हम करेंगे तो वह आज हमें लाभ दे सकता है। किंतु आने वाले समय में हमारे लिए ही गलत निर्णय साबित होगा।

किसी देश के बच्चों के विकास के लिए अवसरों के साथ ही सुरक्षा भी जरूरी है। बिना सुरक्षा कितनी भी सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाए वह किसी काम की नहीं है। भारत देश में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों का आंकड़ा बहुत अधिक है।  हमारे लिए शर्म के साथ दुख की बात है, कि यह आंकड़ा प्रतिवर्ष बढ़ता चला जा रहा है। हमारे देश में प्रत्येक दिन 350 बच्चे विभिन्न अपराधों के शिकार हो रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2015 से 2016 के मध्य बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में 11 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। भारत देश में सबसे अधिक बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में बलात्कार यौन शोषण जैसी घटनाएं शामिल होती हैं। बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण बलात्कार खरीद-फरोख्त ऐसे अपराधों में 99% लड़कियों को शिकार बनाया जाता है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि हम अपने यहां बच्चों को कितनी सुरक्षा प्रदान कर पा रहे हैं।

कोरोना वायरस के कारण लगे लॉक डाउन में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में और अधिक बढ़त आई है। हर एक मिनट में छह बच्चों का शोषण हो रहा है। यह खबर हम सभी के लिए बहुत ही निराशाजनक हैं। किंतु हमारे देश का एक कड़वा सच है जिससे हम खुद को छुपा नहीं सकते हैं।  

यदि आप यह सोच रहे हैं कि यह अपराध केवल गरीब परिवारों में होते हैं और अमीर परिवार इन से अछूते हैं तो यह विचार गलत है। चाहे गरीब हो या अमीर हर परिवार में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों का आंकड़ा बराबर ही हैं। यह जरूर हो सकता है कि कुछ अपराध गरीब तबके में ज्यादा होते हो और कुछ अमीर तबके में‌। किंतु हमारे देश में ना गरीब परिवार के बच्चे सुरक्षित हैं और ना ही अमीर परिवार के बच्चे सुरक्षित हैं। 

दुख की बात यह है कि जितने हमारे सामने आंकड़े हैं। बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या उससे कई अधिक है।  हमारे देश मैं बच्चों के साथ बड़ी संख्या में अपराध हो रहे हैं। किंतु ना ही हम और ना ही हमारी सरकार इन अपराधों को कम करने के लिए कोई सख्त कदम उठा रही है। हम सभी बस खानापूर्ति में लगे हुए हैं। हम इस तरह से व्यक्त करते हैं। जैसे यह अपराध हमारे समाज में नहीं बल्कि किसी अन्य समाज में हो रहे हैं। हमारे सामने यदि किसी छोटी बच्ची के साथ बलात्कार की खबर आती है। हम उस खबर को सुनकर आक्रोशित होकर गुस्सा व्यक्त करते हैं। सरकार को सख्त कानून लाने के लिए बोलते हैं।  फिर शांत होकर बैठ जाते हैं। कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाते, कि इस प्रकार का अपराध दोबारा से किसी बच्चे के साथ ना हो। 

बच्चों के साथ होने वाले अपराध बहुत से हैं। किंतु सवाल एक ही है। क्यों हम आने वाले भविष्य को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं‌। हमें जरूरत है शर्म और लाज के पर्दों से बाहर आकर बच्चों से बात करने की। उन्हें सही और गलत समझाने के साथ परिवार में होने वाले अपराधों पर चुप्पी तोड़ने की। मानसिक रूप से बीमार लोगों को इलाज दिलवाने के लिए तैयार करने की। ताकि आपका बच्चा उनकी मानसिक परेशानी का शिकार ना बने। बच्चे मासूम होते हैं। उनके बचपन पर हैवानियत को अपना खौफ फैलाने से रोकने के लिए हर जगह पर बदलाव की जरूरत है। लालच और स्वार्थ की सोच से बाहर आकर बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर खुले तौर पर बात होनी चाहिए। ताकि अधिक से अधिक लोग जागरूक हो सके ओर अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास कर सकें। भविष्य को सवारने के लिए हमें आज से ही प्रयास करने होंगे, तभी भविष्य सुंदर बनेगा। बाल सुरक्षा दिवस को बस तारीख ना समझे। इसे एक उम्मीद बनाकर अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के प्रयास करें।

       धन्यवाद 

    राखी सरोज

 

 अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस बनाम वैश्विक महामारी : कोविड-19

जैसा कि हम जानते हैं कि १ जून अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस के रूप में लगभग पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिवस को पहली बार १ जून १९५० में ५१ देशों के द्वारा मनाया गया था। तब से लेकर आज तक यह दिवस बच्चों के प्रोत्साहन हेतु खासकर करके अनाथ, गरीब और दिव्यांग बालकों की प्रोन्नति हेतु एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि बच्चे किसी भी देश के भविष्य होते हैं इनकी सुरक्षा करना हर देश का मुख्य कर्म है। अगर हमारे बच्चे सुरक्षित होंगे तो हमारे देश का भविष्य भी उज्ज्वल होगा। बच्चों की सुरक्षा और उनके मूल अधिकारों को बचाने के लिए इस दिवस की शुरुआत हुई थी।
बाल सुरक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने वाले कार्यक्रमों को लागू करना और बाल मजदूरी से बच्चों को बचाना है। आज के दिन बच्चों के लिए कार्यक्रम आयोजन के माध्यम से बच्चों की समस्याओं का निराकरण करते हुए और उनको उपहार व सम्मान भेंट किया जाता है। गरीब, अनाथ और दिव्यांग बालकों की मदद हेतु आश्वासन दिया जाता है। नृत्य संगीत कार्यक्रम के साथ विभिन्न प्रकार की शिक्षाप्रद प्रदर्शनियां आयोजित की जाती है।
पर आज की यह विपरीत परिस्थितियां जो कोविड-19 की वजह से उभरी हैं यह इस बाल सुरक्षा दिवस को फीका कर सकता है। एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी २०२० के अंत तक ८.६ करोड़ बच्चों को गरीबी में धकेल सकती है जिससे इस अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस के उद्देश्य पर विपरीत प्रभाव पड़ने की पूरी संभावना है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि कोरोना महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट के कारण २०२० के अंत तक कम और मध्यम आय वाले देशों के गरीब घरों में रहने वाले बच्चों की संख्या में ८.६ करोड़ तक बढ़ सकती है। आज कोविड-19 वायरस के कारण अब तक लगभग पूरी दुनिया में ५६९५२९० लोग संक्रमित और ३५५६९२ लोगों की मौत हो चुकी है। इन आंकड़ों में बच्चों की भी अधिकता है जिसमें डब्ल्यू एच ओ के रिपोर्टों में साफ तौर पर कहा गया है कि यह कोविड-19 वायरस बुजुर्गों और बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है और यह बात साबित भी हुई है अब तक करोड़ों बच्चों की जान जा चुकी है इस वैश्विक महामारी में, ऐसे में बच्चों का यह त्यौहार कैसा रहेगा हम सब समझ सकते हैं।
आज की इस वैश्विक महामारी का पूरा असर इस अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस पर देखा जा सकता है। इस महामारी के चलते जब कम व मध्यम आय वर्गीय परिवार आज रास्ते पर आ चुका है ऐसे में उन परिवारों का हिस्सा बना बच्चा अपने तमाम अधिकारों से वंचित हो चुका है। आखिर ऐसे में देश के भविष्य का निर्माण करने वाले इन गरीब, बेसहारा और दिव्यांग बच्चों का क्या होगा? इस वर्ष इस अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस को एक अलग तरीके से मनाने की बारी है। घर से बेघर हुए इन बच्चों को सहारे के अहम जरूरत है उनकी शिक्षा जो इस वैश्विक महामारी के चलते पूर्णतः प्रभावित हो चुकी है फिर से पटरी पर लाना होगा। उनके भरण-पोषण का उचित प्रबंधन करना जरूरी है तभी एक सुंदरतम भविष्य का निर्माण संभव है। यदि ऐसा करने में कोई भी देश चूक गया तो वहाँ बाल मजदूरों में इजाफा जरूर देखा जाएगा। भूख-प्यास से मरने वाले बच्चों का ग्राफ ऊपर उठेगा जो किसी भी देश के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जरूरत है इस अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस को कुछ अलग करने की ताकि देश के भविष्य निर्माणक इन बेसहारा, गरीब और दिव्यांग बालकों के मूल अधिकारों की रक्षा की जा सके तभी एक सुदृढ़ समाज की कल्पना संभव है और इससे हमारा आगे आने वाला कल भी सशक्त होगा।


रचनाकार :- मिथलेश सिंह 'मिलिंद'


केसरिया हिन्दू वाहिनी युवा मोर्चा जनपद बाराबंकी कमेटी हुई पूर्ण




*उत्तर प्रदेश विशेष संवाददाता:-जितेंद्र सिंह अन्नू*

उत्तर प्रदेश लखनऊ केसरिया हिन्दू वाहिनी राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी वैभव मिश्र व संस्थापक हिन्दूरत्न माननीय श्रीमान अतुल मिश्र लकी जी के मार्गदर्शन पर केसरिया परिवार लगातार हो रहा मजबूत जैसा कि आप सभी को पता है कि, प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश हिन्दू सम्राट युवा दिल की धड़कन विशाल मिश्रा जी के नेतृत्व प्रदेश के सभी पदाधिकारी निरंतर कार्यरत हैं जिनकी जितनी सराहना की जाये कम हैं |

प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश से हिन्दू सम्राट युवा दिल की धड़कन विशाल मिश्रा जी ने आज प्रदेश उपाध्यक्ष युवा दिल की धड़कन जितेंद्र सिंह अन्नू जी के अनुमोदन से बाराबंकी जनपद से सम्पूर्ण युवा मोर्चा कमेटी को मनोनित किया गया

प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश हिन्दू सम्राट विशाल मिश्रा जी ने सभी को निर्देशित करते हुए कहा कि, आप सम्पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी के साथ सभी क़ानूनी नियम का पालन करते हुए एवं तन, मन व् धन से केसरिया हिन्दू वाहिनी परिवार की सेवा करते रहेंगे और हिदुत्व के लिए महिला सम्मान, गऊ सेवा के लिए तत्पर तैयार रहेंगे और केसरिया परिवार को आगे बढ़ाने में सहयोग करते रहेंगे| सभी नव नियुक्त पदाधिकारियों ने हिन्दू सम्राट युवा दिल की धड़कन विशाल मिश्रा जी प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश को विश्वास दिलाया और सपथ ली कि आज से निरंतर पूरी निष्ठा के साथ कार्य करते रहेंगे और ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे केसरिया हिन्दू वाहिनी परिवार का अहित हो | 

प्रदेश उपाध्यक्ष युवा दिल धड़कन जितेन्द्र सिंह अन्नू जी ने बताया कि, जनपद बाराबंकी से जनपद कमेटी पूर्ण की जा चुकी हैं जनपद में आज उत्तम सिंह, हिमांशु वर्मा, दिग्विजय सिंह, गौरव मिश्रा, सुरजीत कुमार, अखिलेश सिंह चौहान, अमित वर्मा, अभिषेक तिवारी, पवन कुमार, सौरभ कुमार, वीरेंद्र शुक्ला, अतुल दीक्षित  को मनोनित किया गया हैं एवं जनपद बाराबंकी से तहसील रामसनेहीघाट से गुरुमीत पाल, आनन्द यादव, दीपक वर्मा, मुकेश यादव व् राहुल तिवारी को मनोनित किया गया हैं 

समस्त केसरिया परिवार ने नवनियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामनायें दी एवं सभी के उज्जवल भविष्य कामना की ||


 

 



 

सीएम योगी आदित्यनाथ का अभियान, सभी निराश्रितों को आर्थिक सहायता

*संदीप दूबे दैनिक अयोध्या टाइम्स न्यूज सुलतानपुर*-कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण काल में भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर नियंत्रण लगाने के लिए अपना मोर्चा खोल रखा है। उनका प्रयास है कि लॉकडाउन में सभी प्रवासी तथा उत्तर प्रदेश में निवास कर रहे दूसरे राज्यों के लोग अपने-अपने घर पहुंचे। इसके साथ ही कहीं पर भी कोई भी भूखा न रहे।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को टीम-11 के साथ बैठक में प्रदेश के सभी निराश्रित लोगों को आर्थिक  सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिस निराश्रित व्यक्ति के पास राशन कार्ड न हो, उसे खाद्यान्न के लिए एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही ऐसे लोगों के राशन कार्ड भी बनाए जाएं, जिससे उन्हेंं नियमित तौर पर खाद्यान्न मिलता रहे। हर हाल में यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश में कोई भूखा न रहे।मुख्यमंत्री अपने सरकारी आवास पर लॉकडाउन व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी निराश्रित व्यक्ति के गंभीर रूप से बीमार होने की दशा में, यदि उसके पास आयुष्मान भारत योजना अथवा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का कार्ड नहीं है, तो उसे तात्कालिक मदद के तौर पर दो हजार रुपये दिए जाएं। ऐसे निराश्रितों के समुचित उपचार की व्यवस्था भी की जाए। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने निर्देश दिए कि किसी निराश्रित व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिवार को अन्तिम संस्कार के लिए पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाए।