Monday, May 4, 2020

दवाओं की हो होम डिलीविरी को लेकर औषधि निरीक्षक द्वारा सघन अभियान चलाया 

दैनिक अयोध्या टाइम्स,रामपुर- जनपद में दवाओं की होम डिलीविरी को लेकर औषधि निरीक्षक द्वारा अपना सघन अभियान चलाया उन्होंने ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में दवाओं की होम डिलीविरी व उनकी उपलब्धता को लेकर आज अपना अभियान जारी रखा इसी क्रम में उनके द्वारा बिलासपुर नगर व अन्य तहशीलों में जाकर बारीकी से निरीक्षण किया इसी क्रम ने उन्होंने उत्तराखंड बार्डर से लगे मेडिकल स्टोरों का भी निरीक्षण किया उन्होंने दवा विक्रेताओं से आह्वान किया वह इस महामारी व मुश्किल समय में सेवा भाव से असहाय व गरीब मरीजों की मदद को आगे आये साथ ही जिला अधिकारी महोदय के आदेशों का अनुपालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें साथ सभी मेडिकल शॉप पर सैनिटाइजर रखें व मरीज के हाथ सेनिटाइज कराने के बाद ही उसे प्रिस्क्रिप्शन पर दवा दें व खादय सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन लखनऊ के आदेश के क्रम में ऐसे मरीजों का रिकॉर्ड का एक अलग रजिस्टर बना लिया जाये जो खांसी, बुखार,कोल्ड व जुकाम से पीड़ित हैं उनकी समस्त जानकारी पोर्टल पर जरूर डालें साथ ही औषधि निरीक्षक को भी उपलब्ध कराए रामपुर केमिस्ट एसोसिएशन(रजि.) के जिला अध्यक्ष जयदीप गुप्ता द्वारा भी जिले के समस्त केमिस्टों से अपील की है कि वह अपने यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए शतप्रतिशत ही होम डिलीविरी दें साथ ही अपने डिलीविरी/ वोलियंटर्स को मास्क लगाकर ही डिलीविरी हेतू भेजें व डिलीविरी करते समय कोशिश करें कि उनके स्मार्ट फोन में *आरोग्य सेतू* ऐप डाउनलोड जरूर करें।

 


हर हर महादेव गोल्डन सेवा समिति वितरित कर रही है जरूरतमंदों को भोजन




*विजय कुमार* 

कानपुर - इसमें जहां करोना जैसी महामारी फैली हुई है और देश में जरूरतमंदों की हालत बहुत ही खराब चल रही है वही गोविंद नगर क्षेत्र में हर हर महादेव गोल्डन सेवा समिति 1000 जरूरतमंदों को कई दिनों से भोजन की व्यवस्था करा रहे हैं और उन लोगों के नाम चिन्हित करके घरों में भोजन पहुंचा रहे हैं एसीएम फर्स्ट आरसी वर्मा ने पहुंच कर जायजा लिया और उन्होंने बताया कि इस संस्था के द्वारा बहुत ही अच्छी व्यवस्था की गई है साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जा रहा है यह लोग बहुत ही समाजसेवी कार्य कर रहे हैं इनके सचिव दीपक अरोड़ा ने बताया कि हमारी 35 लोगों को टीम हर हर महादेव गोल्डन सेवा समिति है जो की निरंतर सेवा भाव से कार्य कर रही है और सभी लोग मिल जुल कर सहयोग करते हैं समय से पहुंचकर और भोजन बनाने से लेकर वितरित करने तक अपना पूरा समय समिति में दे रहे हैं कार्यक्रम में उपस्थित रहे दीपक अरोड़ा सचिव योगेश रोहित संतोष गगन विक्की राहुल दीपक मदन सुधीर अमित सुनील जग विजय हरजीत आदि लोग उपस्थित रहे कानपुर से विजय कुमार की रिपोर्ट


 

 



 

 अन्नदाता बनाम वैश्विक महामारी व प्राकृतिक प्रकोप 

वर्तमान हालात यह है कि चारों तरफ त्राहि-त्राहि का उठता हुआ वीभत्स शोर और इस वैश्विक महामारी का पीड़ादायक दंश अब झेलना अपने आप में एक चुनौती पूर्ण कार्य हो गया है। सम्पूर्ण जन-जीवन कोरोना अर्थात कोविड - 19 रूपी महामारी से अस्त-व्यस्त हो गया है। ऊपर से हमारी प्रकृति का यह रौद्र रूप तो जन-मानस पर पूर्णतः आघात करने को अमादा है। बिन मौसम के यह बरसात और दिल दहला देने वाले भारी-भरकम ओले भी अब अन्नदाताओ से रही गई कसर निकाल रहे हैं। 

ऐसे में सबसे ज्यादा अगर किसी के मन-मस्तिष्क पर आघात लगा है तो वह हमारे अन्नदाता ही हैं, जो एक तरफ कोरोना से उपजे लॉकडाउन की वजह से त्रस्त तो हैं ही मगर दूसरी तरफ खराब मौसम के चलते फसलों की बर्बादी से यह भूखे मरने के कगार पर खड़े हो गए हैं। बरसात के साथ-साथ एक-एक किलोग्राम के ओले जहां भी गिरेंगे सोचिए वहां का मंजर क्या होगा।

ऐसे में हम हमारे अन्नदाताओ से उम्मीद कैसे लगा सकते हैं कि इस विकट घड़ी में वह अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करें जबकि परिस्थितियां एक अच्छी उपज के बिल्कुल विरूद्ध हैं। 

भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ की लगभग 53-55% जनसंख्या कृषि से ही जीवनयापन करती है और कृषि का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान 15% का है। अन्नदाताओ की सम्पूर्ण जीवन रेखा उनकी फसलों पर ही निर्भर रहती है। यही इनके भरण-पोषण का आधार है जब यही नहीं होगा तो फिर अन्नदाता कहाँ जाएगा किससे गुहार लगाएगा। 

आज परिस्थितियां बद से बद्तर होती जा रही हैं "कोरोना के कहर और प्रकृति की मार" से आखिर अन्नदाताओ को कौन बचाएगा। अन्य मुद्दों पर राजनीति काफी चर्चे में है पर भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली "कृषि क्षेत्र" के पालक अन्नदाताओ पर न कोई विशेष मुद्दे हैं ना ही कोई विशेष व्यवस्थाएं। मजदूर दिवस का भूखा नहीं साहेब मजदूर को खाने की भूख है! 

 

समाचार पत्रों के पीडीएफ का आदान-प्रदान अवैधानिक क्यों?

समाचार पत्रों के पीडीएफ को लेकर यह खबर फैल रही है कि जो व्हाट्सएप समूह समाचार पत्रों के पीडीएफ का आदान-प्रदान करेगा उस पर कार्यवाई की जाएगी आखिर यह किस कानून के तहत और किस कोर्ट के आदेश पर है इसका कुछ भी पता नहीं पता तो बस इतना है कि अपनी सत्ता को बचाने के लिए दूसरे का पर कतरना आखिर कहां का न्याय है। जैसा कल था क्या वैसा आज भी है? नहीं! परिवर्तन ही इस नश्वर संसार का नियम है। आगे बढ़ने का अधिकार सभी को बराबर का है एक नन्हा अंकुर ही भविष्य का पौधा होता है। ऐसे में नवीन और छोटे स्तर के समाचार पत्र का भी अधिकार है कि वह भी अपने उत्कृष्ट कार्य संपादन के आधार पर अपनी स्थिति मजबूत करें। आज के नामी-गिरामी समाचार पत्र बीते हुए दिनों में एक नवीन व निम्न पहुंच वाले ही रहे होंगे जो आज राष्ट्रीय स्तर और अन्तरराष्ट्रीय स्तर के खबरों की मेजबानी कर रहे हैं।

ऐसे में सभी व्हाट्सएप समूहों को चेतावनी देना कहाँ का न्याय है कि वह अपने समूह में समाचार पत्रों के पीडीएफ का आदान-प्रदान ना करें इससे स्तरीय समाचार पत्रों की प्रतिष्ठा घट रही है और समाचार पत्र की हार्ड कॉपी की बिक्री में गिरावट आ रही है। जबकि विरोधात्मक आवाज उठाने वाले यह स्तरीय समाचार पत्र खुद अपने समाचार पत्र का पीडीएफ फ्री में डाउनलोड करने की अनुमति देते हैं। 

उनका कहना है कि निम्न स्तरीय समाचार पत्र अपने फ्री पीडीएफ फाइल के द्वारा लोगों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं जिससे इन समाचार पत्रों के फॉलोअर्स में तीव्र वृद्धि देखी जा रही है और  स्तरीय समाचार पत्रों के पाठकों की संख्या घट रही है। 

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर समाचार पत्रों का पीडीएफ पाठकों तक पहुँचना ही समस्या की जड़ है तो यह पीडीएफ समाचार एजेंसियां बना ही क्यों रही हैं। आज जब पाठक डिजिटल हो रहा है तो इसमें बुराई क्या है जबकि सरकार खुद चाहती है कि देश डिजिटल बने। और इस समय जबकि कोरोना रूपी वैश्विक महामारी के चलते आज लॉकडाउन का यह माहौल पाठक को समाचार पत्र के पीडीएफ की तरफ खुद खींच रहा है तो ऐसे में यह कहाँ का न्याय है कि समाचार पत्रों के पीडीएफ का निःशुल्क आदान-प्रदान अवैधानिक करार दिया जाए।