डाक विभाग देश के सभी हिस्सों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को सुनिश्चित करने की दिशा में पहले ही कई पहल कर चुका है जिसमें दवाओं, कोविड-19 परीक्षण किट, मास्क, सैनिटाइज़र, पीपीई और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति शामिल है। इस विभाग द्वारा आधार सक्षम भुगतान प्रणाली के माध्यम से घर तक नकदी भी पहुंचाई जा रही है, विशेष रूप से बुजुर्ग, दिव्यांगजन, पेंशनधारकों के लिए। राष्ट्रीय सड़क परिवहन नेटवर्क देश भर के लोगों तक पहुंचने के लिए विभाग द्वारा किया जाने वाला एक और पहल है।
Saturday, May 2, 2020
डाक विभाग 500 किमी से ज्यादा के 22 मार्गों के साथ राष्ट्रीय सड़क परिवहन नेटवर्क के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं का वितरण करने के लिए तैयार
आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनना कोरोना महामारी से मिला सबसे बड़ा सबक है: प्रधानमंत्री
‘ई-ग्राम स्वराज’ दरअसल ग्राम पंचायत विकास योजनाओं को तैयार करने और उनके कार्यान्वयन में मदद करता है। यह पोर्टल वास्तविक समय पर निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। इतना ही नहीं, यह पोर्टल ग्राम पंचायत स्तर तक डिजिटलीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
6 राज्यों में प्रायोगिक (पायलट) तौर पर शुरू की गई ‘स्वामित्व योजना’ ड्रोन और नवीनतम सर्वेक्षण विधियों का उपयोग करके गांवों में बसी हुई भूमि या आवासों का नक्शा बनाने में मदद करती है। यह योजना सुव्यवस्थित योजना बनाना एवं राजस्व संग्रह सुनिश्चित करेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के अधिकार पर स्पष्टता प्रदान करेगी। इससे संपत्ति (प्रॉपर्टी) के मालिकों द्वारा वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने के लिए आवेदन करने के रास्ते खुल जाएंगे। इस योजना के माध्यम से आवंटित मालिकाना प्रमाण पत्र (टाइटिल डीड) के जरिए संपत्ति से संबंधित विवादों को भी सुलझाया जाएगा।
देश भर के सरपंचों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी ने लोगों के काम करने के तरीके को बदल दिया है और इसके साथ ही एक अच्छा सबक सिखाया है। उन्होंने कहा कि महामारी ने हमें सिखाया है कि व्यक्ति को सदैव ही आत्मनिर्भर होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस महामारी से हमें ऐसी नई चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिनकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। हालांकि, इसने हमें एक मजबूत संदेश के साथ एक बहुत अच्छा सबक भी सिखाया है। इसने हमें सिखाया है कि हमें आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनना होगा। इसने हमें सिखाया है कि हमें समस्याओं का समाधान देश के बाहर नहीं तलाशना चाहिए। यही सबसे बड़ा सबक है जिसे हमने सीखा है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हर गांव को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त रूप से आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा। इसी तरह हर जिले को अपने स्तर पर आत्मनिर्भर बनना है, हर राज्य को अपने स्तर पर आत्मनिर्भर बनना है और पूरे देश को अपने स्तर पर आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा।’
श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार ने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने तथा ग्राम पंचायतों को और भी अधिक मजबूत बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है।
उन्होंने कहा, ‘पिछले पांच वर्षों में लगभग 1.25 लाख पंचायतों को ब्रॉडबैंड के माध्यम से जोड़ा गया है, जबकि पहले यह संख्या मात्र 100 ही थी। इसी तरह साझा सेवा केंद्रों (कॉमन सर्विस सेंटर) की संख्या 3 लाख का आंकड़ा पार कर गई है।
उन्होंने कहा कि जब से भारत में मोबाइल फोन का निर्माण किया जा रहा है, तभी से स्मार्टफोन की कीमतें काफी घट गई हैं और किफायती स्मार्टफोन हर गांव में पहुंच गए हैं। इससे ग्रामीण स्तर पर डिजिटल बुनियादी ढांचा और भी अधिक मजबूत होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पंचायतों की प्रगति से राष्ट्र और लोकतंत्र की तरक्की सुनिश्चित होगी।’
आज का यह आयोजन दरअसल प्रधानमंत्री और ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों के बीच सीधा संवाद स्थापित करने का अहम अवसर था।
सरपंचों के साथ संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने अत्यंत सरल शब्दों में सामाजिक दूरी बनाए रखने को परिभाषित करने के लिए दिए गए ‘दो गज दूरी’ के मंत्र के लिए गांवों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत द्वारा दिया गया ‘दो गज देह की दूरी’ का मंत्र लोगों की बुद्धिमत्ता को अभिव्यक्त करता है। उन्होंने इस मंत्र की सराहना करते हुए कहा कि यह लोगों को सामाजिक दूरी बनाए रखने का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद भारत ने निरंतर बड़ी सक्रियता के साथ इस चुनौती का सामना किया है और नई ऊर्जा एवं अभिनव तरीकों के साथ आगे बढ़ने का संकल्प दिखाया है।
उन्होंने कहा, ‘गांवों की सामूहिक शक्ति देश को आगे बढ़ने में मदद कर रही है।’
उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि इन प्रयासों के बीच हमें यह याद रखना होगा कि किसी भी एक व्यक्ति की लापरवाही पूरे गांव को भारी खतरे में डाल सकती है, इसलिए इसमें छूट या ढील देने की कोई गुंजाइश नहीं है।
प्रधानमंत्री ने सरपंचों से क्वारंटाइन, सामाजिक दूरी बनाए रखने और मास्क से चेहरे को कवर करना सुनिश्चित करते हुए गांवों में स्वच्छ्ता अभियान की दिशा में काम करने और गांवों में रहने वाले बुजु्र्गों, दिव्यांगजनों एवं अन्य जरूरतमंदों का विशेष ध्यान रखने का अनुरोध किया।
उन्होंने सरपंचों से कोविड-19 के विभिन्न पहलुओं पर हर परिवार को सही जानकारी देने का आग्रह किया।
उन्होंने गांवों में रहने वाले लोगों से ‘आरोग्य सेतु एप’ को डाउनलोड करने की भी अपील की और पंचायतों के प्रतिनिधियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनकी पंचायत का प्रत्येक व्यक्ति इस एप को अवश्य डाउनलोड करे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए गंभीरतापूर्वक प्रयास किए जा रहे हैं कि गांवों के गरीब लोगों को भी सबसे अच्छी स्वास्थ्य सेवा मिले। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना गांवों के गरीबों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में उभर कर सामने आई है और इस योजना के तहत लगभग 1 करोड़ गरीब मरीजों को अस्पताल में मुफ्त इलाज मिला है।
उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्मों जैसे कि ई-नाम और जेम पोर्टल का उपयोग करने का आग्रह किया, ताकि गांव की उपज की बेहतर कीमतें पाने के लिए बड़े बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और असम के सरपंचों के साथ संवाद किया।
उन्होंने ग्राम स्वराज पर आधारित महात्मा गांधी के स्वराज की अवधारणा को स्मरण किया। शास्त्रों को उद्धृत करते हुए उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि सभी शक्ति का स्रोत एकता ही है।
प्रधानमंत्री ने अपने सामूहिक प्रयासों, एकजुटता और दृढ़ संकल्प के साथ कोरोना को परास्त करने के लिए सरपंचों को पंचायती राज दिवस पर शुभकामनाएं दीं।
भारतीय वायुसेना द्वारा कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में मदद जारी
भारतीय वायुसेना का परिवहन विमान, 25 अप्रैल 20 को कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए मिजोरम के लेंगपुई हवाई अड्डे पर 22 टन चिकित्सा सामग्री के साथ पहुंचा। मिज़ोरम और मेघालय की सरकारों के लिए यह आपूर्ति की गई। भारतीय वायुसेना ने अब तक लगभग 600 टन चिकित्सा उपकरण और सहायक सामग्री पहुंचाई।
कुवैत द्वारा भारत सरकार से किए गए अनुरोध की प्रतिक्रिया के रूप में, 11 अप्रैल 2020 को सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) रैपिड रिस्पांस की 15 सदस्यीय टीम को कुवैत भेजा गया। काम खत्म होने के बाद इस टीम को 25 अप्रैल 2020 को भारतीय वायुसेना के सी-130 विमान के द्वारा कुवैत से वापस लाया गया। वापसी के दौरान कैंसर से पीड़ित एक छह वर्षीय लड़की, जिसे तत्काल आपातकालीन सर्जरी की आवश्यकता थी, को उसके पिता के साथ वहां से लेकर आया गया।
भारतीय वायुसेना कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए जारी किए गए सभी दिशा-निर्देशों का अपने कार्य स्थलों पर पालन करते हुए, अभियानों को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जैसा कि देश इस संक्रमण को रोकने और पराजित करने के लिए अपनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा है, भारतीय वायुसेना सभी उभरती जरूरतों को पेशेवर तरीके से पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
भारत का अनुसंधान और विकास तथा वैज्ञानिक प्रकाशनों पर व्यय बढ़ा है
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, “राष्ट्र के लिए अनुसंधान और विकास संकेतकों पर रिपोर्ट उच्च शिक्षा, अनुसंधान और विकास गतिविधियों और समर्थन, बौद्धिक संपदा और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में प्रमाण-आधारित नीति निर्धारण और नियोजन के लिए असाधारण रूप से महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जबकि अनुसंधान और विकास के बुनियादी संकेतकों में पर्याप्त प्रगति देखना खुशी की बात है, जिसके तहत वैज्ञानिक प्रकाशनों में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व शामिल है। कुछ ऐसे भी और क्षेत्र हैं जिन्हें मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।”
एनएसएफ डेटाबेस (आधारभूत आंकड़े) के अनुसार, रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रकाशन में वृद्धि के साथ, देश विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है तथा साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पी.एचडी. में भी तीसरे नंबर पर आ गया है। 2000 के बाद प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या दोगुनी हो गई है।
यह रिपोर्ट तालिका और ग्राफ़ के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकेतकों के विभिन्न इनपुट-आउटपुट के आधार पर देश के अनुसंधान और विकास परिदृश्य को दिखाता है। ये सरकारी और निजी क्षेत्र द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास में निवेश, अनुसंधान और विकास के निवेशों से संबंधित है; अर्थव्यवस्था के साथ अनुसंधान और विकास का संबंध (जीडीपी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नामांकन, अनुसंधान और विकास में लगा मानव श्रम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी कर्मियों की संख्या, कागजात प्रकाशित, पेटेंट और उनकी अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तुलनाओं से जुड़ा हुआ है।
इस सर्वेक्षण में देशभर में फैले केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, उच्च शिक्षा, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग और निजी क्षेत्र के उद्योग से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के 6800 से अधिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं को शामिल किया गया और 90 प्रतिशत से अधिक प्रतिक्रिया दर प्राप्त कर लिया गया था।
रिपोर्ट के कुछ मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:
अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में भारत का सकल व्यय वर्ष 2008 से 2018 के दौरान बढ़कर तीन गुना हो गया है
- देश में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) (जीईआरडी) पर सकल व्यय पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रहा है और यह वित्तीय वर्ष 2007-08 के 39,437.77 करोड़ रूपए से करीब तीन गुना बढ़कर वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1,13,825.03 करोड़ रूपए हो गया है।
- भारत का प्रति व्यक्ति अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़कर 47.2 डॉलर हो गया है जबकि यह वित्तीय वर्ष 2007-08 में 29.2 डॉलर पीपीपी ही था।
- वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7 प्रतिशत ही अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) पर व्यय किया, जबकि अन्य विकासशील ब्रिक्स देशों में शामिल ब्राजील ने 1.3 प्रतिशत, रूसी संघ ने 1.1 प्रतिशत, चीन ने 2.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका ने 0.8 प्रतिशत किया।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं द्वारा बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) का समर्थन काफी बढ़ गया है
- वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान डीएसटी और डीबीटी जैसे दो प्रमुख विभागों ने देश में कुल बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के समर्थन में क्रमश: 63 प्रतिशत और 14 प्रतिशत का योगदान दिया।
- सरकार द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लिए गए कई पहल के कारण बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी वित्तीय वर्ष 2000-01 के 13 प्रतिशत से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2016-17 में 24 प्रतिशत हो गया।
- 1 अप्रैल 2018 तक देश में फैले अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) प्रतिष्ठानों में लगभग 5.52 लाख कर्मचारी कार्यरत थे।
वर्ष 2000 से प्रति मिलियन आबादी में शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है
- भारत में प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर वर्ष 2017 में 255 हो गया जबकि यही वर्ष 2015 में 218 और 2000 में 110 था।
- वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान प्रति शोधकर्ता भारत का अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय 185 (‘000 पीपीपी डॉलर) $) था और यह रूसी संघ, इज़राइल, हंगरी, स्पेन और यूके (ब्रिटेन) से कहीं ज्यादा था।
- भारत विज्ञान और अभियांत्रिकी (एस एंड ई) में पीएचडी प्राप्त करने वाले देशों में अमेरिका (2016 में 39,710) और चीन (2015 में 34,440) के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है।
एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार भारत वैज्ञानिक प्रकाशन वाले देशों की सूची में तीसरे स्थान पर आ गया है
- वर्ष 2018 के दौरान, भारत को वैज्ञानिक प्रकाशन के क्षेत्र में एनएसएफ, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार क्रमश: तीसरा, पांचवें और नौवें स्थान पर रखा गया था।
- वर्ष 2011-2016 के दौरान, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार भारत में वैज्ञानिक प्रकाशन की वृद्धि दर क्रमशः 8.4 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत थी, जबकि विश्व का औसत क्रमशः 1.9 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत था।
- वैश्विक शोध प्रकाशन आउटपुट में भारत की हिस्सेदारी प्रकाशन डेटाबेस में भी दिखाई हे रही है।
विश्व में रेजिडेंट पेटेंट फाइलिंग गतिविधि के मामले में भारत 9 वें स्थान पर है
- वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान भारत में कुल 47,854 पेटेंट दर्ज किए गए थे। जिसमें से, 15,550 (32 प्रतिशत) पेटेंट भारतीय द्वारा दायर किए गए थे।
- भारत में दायर किए गए पेटेंट आवेदनों में मैकेनिकल (यांत्रिकी), केमिकल (रसायनिक), कंप्यूटर / इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन (संचार) जैसे विषयों का वर्चस्व रहा।
- डब्ल्यूआईपीओ के अनुसार, भारत का पेटेंट कार्यालय विश्व के शीर्ष 10 पेटेंट दाखिल करने वाले कार्यालयों में 7 वें स्थान पर है