Saturday, May 2, 2020

डॉ. हर्षवर्धन वीडियो ने कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की

केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामलों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए बिहार सरकार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडे के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एईएस के लिए हुई समीक्षा बैठक के दौरान यह विचार व्यक्त किए और पदाधिकारियों से जमीनी स्तर पर स्थिति का जायजा भी लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी इस बैठक के दौरान उपस्थित थे।



बैठक के दौरान, एईएस से बच्चों की मृत्यु पर चिंता व्यक्त करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह जानना कष्टकर है कि गर्मियों के दौरान 15 मई से जून के महीने के बीच एक खास समय में बिहार में एईएस के कारण छोटे बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि कई स्तरों पर उचित हस्तक्षेप के साथ समय पर देखभाल के माध्यम से  इस मृत्यु दर को रोका जा सकता है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एईएस के खिलाफ लड़ाई पुरानी है और वह इससे परिचित हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या के निवारण के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण के माध्यम से समय से पूर्व रक्षात्मक, निवारक और व्यापक उपाय करने की आवश्यकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एईएस के प्रकोप के दौरान 2014 और 2019 की अपनी बिहार यात्रा स्मरण करते हुए कहा कि उस वक्त भी उन्होंने स्वयं स्थिति का जायजा लेते हुए बाल-रोगियों और उनके माता-पिता से मुलाकात करके उसके मूल कारणों की जानकारी ली थी।


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस बार भी हम स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे हैं और एईएस स्थिति के प्रबंधन हेतु राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं। उन्होंने राज्य के अधिकारियों से प्रभावित क्षेत्रों में चौबीस घंटे निगरानी रखने और समय से निवारक कार्रवाई का सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस तरह के दृष्टिकोण से हम आने वाले समय में एईएस मामलों में वृद्धि को रोकने में सक्षम हो पाएंगे।


उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से राज्य सरकार को पूर्ण समर्थन और सहायता प्रदान करेगा। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि महिला और बाल विकास मंत्रालय सहित केंद्र सरकार के अन्य मंत्रालयों से भी तत्काल और दीर्घकालिक उपायों के तहत सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया जाएगा।


बिहार राज्य को दी जा रही सहायता पर विस्तार से चर्चा करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि  स्थिति की दैनिक निगरानी के लिए विशेषज्ञों की समिति के गठन के अलावा, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), एम्स, पटना, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बाल स्वास्थ्य प्रभाग से विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय अंतर-अनुशासनात्मक विशेषज्ञ टीम के गठन की भी तत्काल आवश्यकता है ताकि एईएस और जापानी एन्सेफलाइटिस के मामलों में राज्य की सहायता के लिए नीतिगत हस्तक्षेपों में मार्गदर्शन लिया जा सके।


राज्य द्वारा तत्काल उठाए जाने वाले विशिष्ट कदमों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे रोग के लिए नए बाल चिकित्सा आईसीयू को शीघ्र क्रियाशील बनाया जाए; आसपास के जिलों में कम से कम 10 बिस्तर वाले बाल चिकित्सा आईसीयू के साथ पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान कराई जाऐं;  रात्रि 10 बजे से सुबह 8 बजे के बीच भी एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराई जाऐं जब अधिकांश बच्चों को बुखार, दौरे, सेंसरियम आदि जैसे एईएस के लक्षण देखने को मिलते हैं; पीक आर्वस में चिकित्सकों, पैरामेडिकल और स्वास्थ्य दलों को किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करें; नवीन स्वास्थ्य सुविधाओं से युक्त अस्पताल और अन्य प्रस्तावित बुनियादी ढांचे में सुधार के काम में तेजी लाई जाये।


डॉ. हर्षवर्धन ने सभी को यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि कोविड ​​प्रकोप के समय में एईएस के मामलों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।


इस बैठक में सुश्री प्रीति सूदन, सचिव (एचएफडब्ल्यू), श्री राजेश भूषण, ओएसडी (एचएफडब्ल्यू), श्री संजीव कुमार, विशेष सचिव (स्वास्थ्य), सुश्री वंदना गुरनानी, एएस एंड एमडी (एनएचएम) के अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, बिहार के प्रमुख सचिव, बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति के सचिव-सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बिहार के स्वास्थ्य सेवा निदेशक, एनसीडीसी दिल्ली के निदेशक, एम्स, पटना के निदेशक और बिहार के सभी जिलों के जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट भी शामिल हुए। बिहार सरकार के अधीन सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य, बिहार के सभी जिलों के राज्य निगरानी अधिकारी और बिहार के सभी जिलों के सीडीएमओ/ सीएमएचओ ने भी वेबलिंक के माध्यम से इस बैठक में भाग लिया।




किसानों को आपूर्ति श्रृंखला और माल परिवहन प्रबंधन प्रणाली से जोड़ने के लिए सीएसआईआर ने किसान सभा ऐप शुरू किया

कोविड-19 के मौजूदा हालात में किसान अपनी उपज को बाजार तक पहुंचाने, बीज/ उर्वरक की खरीद आदि के लिए मदद की राह देख रहे हैं। उचित मूल्य पर उपज के समय पर वितरण की सुविधा के लिए एक सर्वोत्तम और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता है।



देश के दूरदराज के इलाकों में आपूर्ति श्रृंखला और माल परिवहन प्रबंधन प्रणाली से किसानों को जोड़ने के लिए नई दिल्ली स्थित केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान,  (सीएसआईआर-सीआरआरआई) ने किसान सभा ऐप विकसित किया है। जिसका शुभारंभ सीएसआईआर के प्रबंध निदेशक और डीएआरई के सचिव डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने किया। डॉ. महापात्र ने किसानों, ट्रांसपोर्टरों और कृषि उद्योग में लगे अन्य संस्थाओं के लिए एक समाधान के रूप में पोर्टल विकसित करने के लिए सीएसआईआर को की सराहना की। साथ ही उन्होंने प्रस्ताव दिया कि आईसीएआर सीएसआईआर के साथ मिलकर काम कर सकता है और कार्यान्वयन के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) नेटवर्क का उपयोग कर सकता है।


इस अवसर पर उपस्थित सीएसआईआर और डीएसआईआर के प्रबंध निदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने कहा, " ऐसे कठिन समय में ऐप का विकसित किया जाना और उसे लॉन्च करना किसानों के साथ खड़े होने की सीएसआईआर की प्रतिबद्धता को दोहराता है। हम इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए आईसीएआर, उद्योग, एमएसएमई, ट्रक चालक और कृषक समुदाय और सभी हितधारकों के साथ साझेदारी करने की आशा करते हैं।"


एप्लिकेशन के लॉन्च के कार्यक्रम में उद्योग, किसानों, सीएसआईआर-सीआरआरआई और सीएसआईआर के अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों के प्रतिनिधि दूरदारज से सहभागी बने।


सीएसआईआर-सीआरआरआई के निदेशक डॉ. सतीश चंद्रा ने कहा कि चूंकि समग्र कृषि बाजार अच्छी तरह से व्यवस्थित नहीं है और बहुत सारी उपज बर्बाद हो जाती है या बहुत कम दरों पर बेची जा रही हैं। एक विस्तृत प्राथमिक अध्ययन किया गया जिसमें 500+ किसानों का साक्षात्कार लिया गया। वर्तमान परिवेश में विभिन्न मुद्दों और अंतराल को समझने के लिए एशिया की सबसे बड़ी आजादपुर मंडी में डीलरों, ट्रांसपोर्टरों और किसानों के साथ 6-दिवसीय सर्वेक्षण किया गया।


Ø  पोर्टल किसानों, ट्रांसपोर्टरों, सेवा प्रदाताओं (जैसे कीटनाशकों / उर्वरक / डीलरों, कोल्ड स्टोर और गोदाम मालिक), मंडी डीलरों, ग्राहकों (जैसे बड़े खुदरा दुकानों, ऑनलाइन स्टोर, संस्थागत खरीदारों) और अन्य संबंधित संस्थाओं को समय पर और प्रभावी समाधान के लिए जोड़ता है।


Ø  यह पोर्टल कृषि से संबंधित प्रत्येक इकाई के लिए एकल स्टॉप के रूप में कार्य करता है, क्योंकि वे किसान हैं जिन्हें फसलों की बेहतर कीमत की आवश्यकता है, मंडी डीलर से जो अधिक किसानों या ट्रक ड्राइवरों से जुड़ना चाहते हैं, उन सबके लिए मददगार साबित होगा।


Ø  कृषि सेवा क्षेत्र से जुड़े लोग मसलन उर्वरक/कीटनाशक के डीलर, जो अपनी सेवाओं के लिए अधिक किसानों तक पहुंचना चाहते हैं उनके लिए किसान सभा ऐप मददगार साबित होगा।


Ø  यह ऐप कोल्ड स्टोर या गोदाम कारोबार से जुड़े लोगों के लिए भी उपयोगी साबित होगा। किसान सभा उन लोगों के लिए एक मंच भी प्रदान करता है जो सीधे किसानों से खरीदना चाहते हैं।


Ø  किसान सभा में किसानों / मंडी डीलरों / ट्रांसपोर्टरों / मंडी बोर्ड के सदस्यों / सेवा प्रदाताओं / उपभोक्ताओं के लिए 6 प्रमुख मॉड्यूल हैं।


किसान सभा ऐप्प का लक्ष्य किसानों को सबसे किफायती और समय पर लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करना और बिचौलियों के हस्तक्षेप को कम करके और सीधे संस्थागत खरीदारों के साथ जुड़कर उनके लाभ को बढ़ाना है। यह निकटतम मंडियों की उपज मूल्यों की तुलना करके, सस्ती कीमत पर मालवाहक वाहन की बुकिंग करके फसलों का सर्वोत्तम बाजार दर प्रदान करने में मदद करेगा, जिससे किसानों को अधिकतम लाभ मिलेगा।




ईपीएफओ ने व्यापार के लिए ईसीआर दायर करना सुगम बनाया

कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन और अन्‍य बाधाओं के मौजूदा परिदृश्‍य में व्‍यापार और उद्यमों में सामान्‍य रूप से कामकाज नहीं हो पा रहा है और अपने संवैधानिक करों का भुगतान करने के लिए तरलता/नकदी की कमी से जूझ रहे हैं, हालांकि वे कर्मचारियों को अपने साथ जोड़े रखे हुए हैं।


उपरोक्‍त स्थिति के मद्देनजर और ईपीएफ एवं एमपी अधिनियम, 1952 के अंतर्गत अनुपालन प्रक्रिया को सुगम बनाने हेतु मासिक इलेक्‍ट्रॉनिक-चालान कम रिटर्न (ईसीआर) दाखिल करने को ईसीआर में दर्ज संवैधानिक योगदानों के भुगतान से अलग किया गया है।


अब से नियोक्‍ता द्वारा उसी समय योगदान का भुगतान किए बिना ईसीआर दर्ज की जा सकती है और योगदान का भुगतान नियोक्‍ता द्वारा ईसीआर दाखिल करने के बाद किया जा सकता है।


उपरोक्‍त परिवर्तन अधिनियम और योजनाओं के अंतर्गत कवर होने वाले नियोक्‍ताओं को और साथ ही कर्मचारियों को सहूलियत प्रदान करेगा।


नियोक्ता द्वारा समय पर ईसीआर दाखिल करना इस बात का संकेत है कि नियोक्ता अनुपालन की मंशा रखता है, इसलिए यदि सरकार द्वारा घोषित समय के अनुसार बकाया राशि का भुगतान किया जाता है, तो उसके दंडात्मक परिणाम नहीं होंगे।


समय पर ईसीआर दाखिल करने से नियोक्ता के ऋण और कर्मचारी के अंशदान संबंधी योगदान में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के तहत पात्र प्रतिष्ठानों में केंद्र सरकार द्वारा कम वेतन पाने वालों के ईपीएफ खातों में कुल वेतन का 24% तक मदद मिलेगी।


वर्तमान ईसीआर आंकड़े नीतिगत नियोजन और महामारी का प्रतिकूल प्रभाव झेल रहे व्यवसायों को आगे राहत देने संबंधी निर्णय लेने में मददगार होंगे।



ग्राम प्रधान के नेतृत्व में बायफ के तरफ से दो दर्जन गरीबों को वितरण किया गया राशन






प्रतापगढ़ 

दुर्गागंज।रानीगंज के विशंभरपुर ग्राम सभा में शनिवार को ग्राम प्रधान हरिश्चंद्र पटेल(एडवोकेट) के नेतृत्व में बायफ की तरफ से गरीबों को चावल,आटा, चीनी,दाल,सरसो का तेल, चाय पत्ती,नमक,साबुन, आदि का दो दर्जन गरीब परिवार को शोसल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए वितरण किया गया।साथ ही ग्राम प्रधान ने सभी को कोरोना वायरल से बचने के लिए सभी से अपने अपने घरों में सुरक्षित रहने के लिए अपील की।