बैठक के दौरान, एईएस से बच्चों की मृत्यु पर चिंता व्यक्त करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह जानना कष्टकर है कि गर्मियों के दौरान 15 मई से जून के महीने के बीच एक खास समय में बिहार में एईएस के कारण छोटे बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि कई स्तरों पर उचित हस्तक्षेप के साथ समय पर देखभाल के माध्यम से इस मृत्यु दर को रोका जा सकता है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एईएस के खिलाफ लड़ाई पुरानी है और वह इससे परिचित हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या के निवारण के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण के माध्यम से समय से पूर्व रक्षात्मक, निवारक और व्यापक उपाय करने की आवश्यकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एईएस के प्रकोप के दौरान 2014 और 2019 की अपनी बिहार यात्रा स्मरण करते हुए कहा कि उस वक्त भी उन्होंने स्वयं स्थिति का जायजा लेते हुए बाल-रोगियों और उनके माता-पिता से मुलाकात करके उसके मूल कारणों की जानकारी ली थी।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस बार भी हम स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे हैं और एईएस स्थिति के प्रबंधन हेतु राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं। उन्होंने राज्य के अधिकारियों से प्रभावित क्षेत्रों में चौबीस घंटे निगरानी रखने और समय से निवारक कार्रवाई का सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस तरह के दृष्टिकोण से हम आने वाले समय में एईएस मामलों में वृद्धि को रोकने में सक्षम हो पाएंगे।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से राज्य सरकार को पूर्ण समर्थन और सहायता प्रदान करेगा। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि महिला और बाल विकास मंत्रालय सहित केंद्र सरकार के अन्य मंत्रालयों से भी तत्काल और दीर्घकालिक उपायों के तहत सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया जाएगा।
बिहार राज्य को दी जा रही सहायता पर विस्तार से चर्चा करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्थिति की दैनिक निगरानी के लिए विशेषज्ञों की समिति के गठन के अलावा, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), एम्स, पटना, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बाल स्वास्थ्य प्रभाग से विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय अंतर-अनुशासनात्मक विशेषज्ञ टीम के गठन की भी तत्काल आवश्यकता है ताकि एईएस और जापानी एन्सेफलाइटिस के मामलों में राज्य की सहायता के लिए नीतिगत हस्तक्षेपों में मार्गदर्शन लिया जा सके।
राज्य द्वारा तत्काल उठाए जाने वाले विशिष्ट कदमों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे रोग के लिए नए बाल चिकित्सा आईसीयू को शीघ्र क्रियाशील बनाया जाए; आसपास के जिलों में कम से कम 10 बिस्तर वाले बाल चिकित्सा आईसीयू के साथ पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान कराई जाऐं; रात्रि 10 बजे से सुबह 8 बजे के बीच भी एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराई जाऐं जब अधिकांश बच्चों को बुखार, दौरे, सेंसरियम आदि जैसे एईएस के लक्षण देखने को मिलते हैं; पीक आर्वस में चिकित्सकों, पैरामेडिकल और स्वास्थ्य दलों को किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करें; नवीन स्वास्थ्य सुविधाओं से युक्त अस्पताल और अन्य प्रस्तावित बुनियादी ढांचे में सुधार के काम में तेजी लाई जाये।
डॉ. हर्षवर्धन ने सभी को यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि कोविड प्रकोप के समय में एईएस के मामलों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
इस बैठक में सुश्री प्रीति सूदन, सचिव (एचएफडब्ल्यू), श्री राजेश भूषण, ओएसडी (एचएफडब्ल्यू), श्री संजीव कुमार, विशेष सचिव (स्वास्थ्य), सुश्री वंदना गुरनानी, एएस एंड एमडी (एनएचएम) के अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, बिहार के प्रमुख सचिव, बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति के सचिव-सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बिहार के स्वास्थ्य सेवा निदेशक, एनसीडीसी दिल्ली के निदेशक, एम्स, पटना के निदेशक और बिहार के सभी जिलों के जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट भी शामिल हुए। बिहार सरकार के अधीन सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य, बिहार के सभी जिलों के राज्य निगरानी अधिकारी और बिहार के सभी जिलों के सीडीएमओ/ सीएमएचओ ने भी वेबलिंक के माध्यम से इस बैठक में भाग लिया।