Friday, May 1, 2020

डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में चर्चा के लिए राज्योंl/संघशासित प्रदेशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता की

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के जरिए  राज्‍यों/संघशासित प्रदेशों के स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा शिक्षा मंत्रियों और वरिष्‍ठ अधि‍कारियों के साथ देश में कोविड-19 से निपटने की तैयारियों और सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य उपायों की समीक्षा के दौरान कहा, “कोविड-19 के खिलाफ जंग में अपने-अपने राज्‍यों और संघशासित प्रदेशों में आपके द्वारा उठाए जा रहे कदमों और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मैं आपको बधाई देता हूं।” इस बैठक के दौरान केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार राज्‍य कल्‍याण मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी मौजूद थे।


इस वीडियो कॉन्‍फ्रेंस में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और उत्तराखंड की ओर से भागीदारी की गई।


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, "महामारी के खिलाफ जंग अब साढ़े तीन महीने से अधिक पुरानी हो चुकी है और राज्यों के सहयोग से देश में कोविड-19 की रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन की उच्चतम स्तर पर निगरानी की जा रही है।" उन्होंने कहा कि देश में मृत्यु दर 3 प्रतिशत है और स्‍वस्‍थ होने की दर 20 प्रतिशत से अधिक है। सरकार द्वारा किए जा रहे निगरानी के प्रयासों का उल्‍लेख करते हुए उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्‍मन का ठौर-ठिकाना जानते हैं और उचित, श्रेणीबद्ध एवं निर्देशित जवाबी कार्रवाई के साथ हम उस पर काबू पाने की स्थिति में हैं।"


उन्होंने बताया, "हमने राज्यों की सहायता करने, स्थिति की समीक्षा करने और कोविड-19 के खिलाफ दिन-प्रतिदिन की लड़ाई में मदद करने के लिए तकनीकी अधिकारियों के दल भेजे हैं।" एंटी-बॉडी टेस्ट के मामले पर उन्होंने कहा, "अलग-अलग जगहों पर इन परीक्षणों के भिन्‍न-भिन्‍न परिणाम आ रहे हैं और इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ ने भी इनकी सटीकता पर कोई टिप्पणी नहीं की है। आईसीएमआर अपनी प्रयोगशालाओं में इस टेस्‍ट और किट्स की दक्षता की समीक्षा कर रहा है और वह जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी करेगा।”


महामारी के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा से स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा के लिए महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन के लिए भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा लागू अध्यादेश से राज्यों को अवगत कराते हुए उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के साथ किसी भी तरह की हिंसा और नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों की संपत्ति को हानि पहुंचाए जाने को कतई बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। संशोधन ऐसी हिंसक गतिविधियों को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाता है। हिंसा के ऐसे कृ‍त्‍यों को करने या उनके लिए उकसाने पर तीन महीने से लेकर पांच साल तक की कैद की सजा हो सकती है और 50,000 रुपये से  2,00,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है, जिसे गंभीर चोट लगने पर छह महीने से लेकर सात साल तक की कैद की सजा तक बढ़ाया जा सकता है और 1,00,000 रुपये से 5,00,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।” उन्होंने बताया, “भारत सरकार ने कोविड-19 के प्रकोप के प्रबंधन में शामिल फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मचारियों जिनमें सफाई कर्मचारी, डॉक्टर, आशा कार्यकर्ता, पैरामेडिक्स, नर्स और यहां तक ​​कि निजी डॉक्टर भी शामिल हैं, के निधन पर 50 लाख रुपये के बीमे की घोषणा की है।”


उन्‍होंने प्रत्‍येक राज्‍य के पास मौजूद पीपीई, एन-95 मास्‍क, टेस्टिंग किट्स, दवाइयों और वेंटिलेटर्स की जरूरत और पर्याप्‍तता की स्थिति की भी समीक्षा की और भरोसा दिलाया कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इन आवश्‍यक वस्‍तुओं की आपूर्ति में कोई कमी न होने पाए। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “पीपीई और एन-95 मास्‍क देश में आयात करने पड़ते थे लेकिन अब इनकी लगभग 100 विनिर्माण इकाइयां हैं, जो इनका भारत में ही निर्माण करने में सम‍र्थ हैं।” राज्‍यों के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि वे एक-दूसरे की अच्‍छी पद्धतियों का भी अनुसरण कर सकते हैं।


डॉ. हर्षवर्धन ने देश में समर्पित कोविड-19 अस्‍पतालों की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्‍होंने कहा, “जितनी जल्‍दी संभव हो सके देश के हर एक जिले में समर्पित कोविड-19 अस्‍पतालों की स्‍थापना किए जाने और उन्‍हें अधिसूचित किए जाने की जरूरत है, ताकि लोगों को उनकी जानकारी मिल सके।”


डॉ. हर्षवर्धन ने सभी मंत्रियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि किसी भी गैर-कोविड मरीज की अनदेखी न होने पाए। उन्‍होंने कहा, “जहां एक ओर हम कोविड-19 मरीजों को उपचार और देख-रेख उपलब्‍ध करा रहे हैं, वहीं हमें गैर-कोविड मरीजों, जो श्‍वसन रोग या हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, जिन्‍हें डायलिसिज की जरूरत है, जिन्‍हें खून चढ़ाने की जरूरत है और जो गर्भवर्ती माताएं हैं- का उपचार सुनिश्चित करने की भी आवश्‍यकता है। हम कोई भी छिछला बहाना बनाकर उन्‍हें लौटा नहीं सकते, क्‍योंकि ये गंभीर प्रक्रियाएं इंतजार नहीं कर सकतीं।” उन्‍होंने राज्‍यों/ संघशासित प्रदेशों से स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देने को कहा। साथ ही उनसे अन्य वेक्‍टर जनित बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू तथा टीबी, के लिए खुद को तैयार रखने का भी आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि इन बीमारियों को वर्तमान परिस्थितियों में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


उन्होंने सभी से आरोग्यसेतु ऐप को डाउनलोड करने और उसका उपयोग करने का आग्रह किया क्योंकि यह लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के उनके जोखिम का आकलन करने में सक्षम करेगा। उन्होंने कहा, “एक बार स्मार्ट फोन में इंस्टॉल होने के बाद, ऐप अत्‍याधुनिक मापदंडों के आधार पर संक्रमण के जोखिम का आकलन कर सकता है।” 


अंत में, डॉ. हर्षवर्धन ने सभी से सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने का आग्रह किया। उन्होंने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों को प्रक्रिया की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने को कहा। उन्होंने सलाह दी “हमें लॉकडाउन 2.0 का अक्षरश: पालन करना चाहिए जैसा कि पहले किया गया था। उन्होंने राज्यों को लॉकडाउन के दौरान अपने दृष्टिकोण में ज्‍यादा ढील न देने और मानकों को बनाए रखने की चेतावनी दी। उन्होंने कुशलतापूर्वक लॉकडाउन को लागू कर रहे उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया और अन्य राज्यों को उसका अनुकरण करने की सलाह दी।


डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यों/संघशासित प्रदेशों से अपना जोश बरकरार बनाए रखने का आह्वान किया ताकि देश इस महामारी से निपटने के दौरान महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में अधिक लचीला और आत्मनिर्भर बनकर उभरे। उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश है और राज्यों/संघशासित प्रदेशों की सहायता से हम कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को उसके वांछित अंजाम तक ले जाएंगे।


समीक्षा बैठक के दौरान सुश्री प्रीति सूदन, सचिव (एचएफडब्ल्यू), डॉ. बलराम भार्गव, सचिव डीएचआर एंड डीजी, आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और आईसीएमआर के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।



किसान रथ मोबाइल ऐप शुरू होने के एक हफ्ते के भीतर ही बेहद सफल

कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों और खेती के कार्यों को सरल बनाने के लिए अनेक उपाय कर रही है। इन कार्यों की अद्यतन स्थिति नीचे दी गई है:



  1. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 17.04.2020 को किसान रथ नाम का एक ऐप शुरू किया है जो किसानों और व्यापारियों की कृषि उत्‍पादों खाद्यान्‍न (अनाज, मोटा अनाज, दलहन आदि) से लेकर फल और सब्जियां, तिलहनों, मसाले, रेशे वाली फसलें, फूल, बांस, लठ्ठे और छोटे वनोत्‍पाद, नारियल आदि को पहुंचाने के लिए परिवहन की सही प्रणाली का पता लगाने में मदद करेगा। अब तक, कुल 80,474 किसान और 70,581 व्‍यापारी इस ऐप पर पंजीकृत हैं।

  2. पूर्ण लॉकडाउन के कारण, सभी थोक मंडियों को 25.03.2020 को बंद कर दिया गया था। भारत में 2587 प्रमुख/ मुख्य कृषि बाजार उपलब्ध हैं, जिनमें से 1091 बाजार 26.03.2020 को कार्य कर रहे थे। 23.04.2020 तक, 2067 बाजारों को काम करने लायक बनाया गया है।

  3. दलहन और तिलहन की न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर खरीद वर्तमान में बीस (20) राज्यों में चल रही है। नैफेड और एफसीआई 1,79,852.21 मीट्रिक टन दलहन और 1,64,195.14 मीट्रिक टन तिलहन खरीद चुके हैं जिसका मूल्‍य 1605.43 करोड़ रुपये आंका गया है, जिससे 2,05,869 किसान लाभान्वित हुए हैं।


ग्रीष्मकालीन फसलों का बुवाई वाला क्षेत्र:


चावल: पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 25.22 लाख हेक्टेयर की तुलना में ग्रीष्‍मकालीन चावल का बुवाई वाला क्षेत्र लगभग 34.73 लाख हेक्टेयर है।


दलहन: पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 3.82 लाख हेक्टेयर की तुलना में दालों की बुवाई वाला क्षेत्र लगभग 5.07 लाख हेक्टेयर है।


मोटा अनाज: मोटे अनाज के तहत पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान लगभग 5.47 लाख हेक्टेयर की तुलना में बुवाई वाला क्षेत्र 8.55 लाख हेक्टेयर है।


तिलहन: तिलहन के तहत पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 6.80 लाख हेक्टेयर की तुलना में बुवाई वाला क्षेत्र लगभग 8.73 लाख हेक्टेयर है।


24.04.2020 को कटाई की स्थिति


गेहूं: जैसा कि राज्यों ने बताया है कि मध्य प्रदेश में लगभग 98-99% गेहूं की फसल काटी जा चुकी है, राजस्थान में 90-92%, उत्तर प्रदेश में 82-85%, हरियाणा में 50-55%, पंजाब में 45-50% और अन्य राज्यों में 86-88% फसल काटी जा चुकी है।



एनएलसी इंडिया लिमिटेड, कोयला मंत्रालय के अंतर्गत एक नवरत्न सार्वजनिक उद्यम, ने पहली बार कोयले का उत्पादन शुरू किया

एनएलसी इंडिया लिमिटेड, कोयला मंत्रालय के अंतर्गत आनेवाला एक नवरत्न सार्वजनिक उद्यम, ने पहली बार कोयले का उत्पादन शुरू किया है। ओडिशा राज्य में तालाबिरा II और III खानों से कोयले का उत्पादन शुरू किया गया है, इसकी उत्पादन क्षमता 20 मिलियन टन प्रति वर्ष है और इसे 2016 में एनएलसीआईएल को आवंटित किया गया था। इसका उपयोग मौजूदा और भविष्य में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा।


इस गतिविधि पर टिप्पणी करते हुए, एनएलसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, श्री राकेश कुमार ने कहा, “कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के कठिन समय में इस परियोजना पर सफलता प्राप्त करके, हमारी टीम ने न केवल कंपनी को इसके विकास के मार्ग पर बढ़ने में मदद की है, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टिकोण से भी योगदान दिया है, विशेष रूप से तब जब कोयले के आयात से बचना सर्वोच्च प्राथमिकता बना हुआ है।”


इस कोल ब्लॉक को एमडीओ मॉडल के माध्यम से विकसित किया गया है, जिसे एनएलसी टीम द्वारा अभिनव रूप से विकसित और सफलतापूर्वक लागू किया गया है और इसने पूरे उद्योग जगत में सराहना अर्जित किया है। इस खदान का स्ट्रिपिंग अनुपात 1.09 से कम है और कोयला जी 12 ग्रेड का है, जो कि आने वाले समय में कंपनी को प्रतिस्पर्धात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम बनाएगा। कोयले का उत्पादन 26 अप्रैल 2020 से शुरू किया गया है।


हाल के दिनों में, प्रमुख रूप से ऊर्जा, एनएलसी इंडिया लिमिटेड ने देश में अपनी तरह का पहला लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट की दो इकाइयों में से एक में (1000 मेगावाट- 2 इकाइयों से प्रत्येक में 500 मेगावाट) सफलतापूर्वक चालू कर दिया है। 2019-2020 के दौरान, एनएलसीआईएल ने 1404 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को भी सफलतापूर्वक प्राप्त किया है, जिसमें 1353 मेगावाट सौर और 51 मेगावाट पवन ऊर्जा शामिल है।



निर्धन परिवार का हूँ

मैं गरीब घर का मजदूर हूँ, 

मैं अपनी रोजी रोटी की तलाश में, 

इधर - उधर भटकता हूँ। 

 

मैं अनेक शहरों में जाकर खून पसीने बहाता हूँ,

जो भी मिलता है उसी से गुजर बसर करता हूँ। 

 

मेरे पैरों में से खून निकलते हैं, 

मैं परवाह नहीं करता हूँ। 

 

मैं अपने परिवार का सहारा हूँ, 

मैं निर्धन घर का मजदूर हूँ। 

 

मैं अपनी मजबूरी की खातिर, 

नहीं पढ़ पाया हूँ। 

 

इसलिए आज दर दर की ठोकरें खाता हूँ, 

मुझे कोई देखने वाले नहीं हैं। 

 

कभी कभी ऐसी नौबत आ जाती है, 

कहीं काम नहीं मिल पाता है। 

 

भूखे रहने पर मजबूर होना पड़ता है, 

मैं भूखे तो रह जाता हूँ, 

मैं अपनी नन्ही परी को भूखे नहीं देख पाता हूँ। 

 

लोग तो हमें खूब मजाक उड़ाते हैं, 

कोई मदद तो नहीं करते हैं। 

 

मैं अपनी मजबूरी को सरकार, 

के पास कहने जाता हूँ, 

सरकार भी सुनकर आनाकानी कर देती। 

 

मैं अपने वोट से सरकार को जिताता हूँ, 

वही सरकार सुनकर नजर अंदाज कर देती है। 

 

मैं अपनी जिंदगी को मजदूरी, 

करते करते काट तो लेता हूँ, 

मैं निर्धन परिवार का मजदूर हूँ। 

मो. जमील