हाथ जोड़कर खड़े हम
दीन दुखीयों के कष्ट हरों
तुमरे बिन कौन हमारा
सब साथ छोड़ चले है
कष्टों को हर लो हमारे
नई राह बतलाओं,हमकों बचाओं
तेरे दरबार में आये
हम खाली न जाएंगे
हमारी पीड़ा समझो भगवन
हम दीन दुखियों पर कृपा करों
अब हर ओर अंधियारा छाया है
हमारी जिंदगी भी रोशन कर दो
सब दरवाजे बंद पड़े है
बस तेरा द्वार ही खुला है
हमको बचालो भगवन
आज ये काल बनकर खड़ा है
महाकाल बनकर हमकों पार लगा दो
फिर हिमालय उठालो
हमको भी संजीवनी चका दो
इस मुश्किल से पार लगा दो
हमकों बचा लो,प्राथना सुन लो।।
प्रीतम गिरधारी राठौड़