Thursday, April 30, 2020

""ध्यान से देखो  मैं भी मजदूर हूं""

देखो मैं मजदूर हूँ फटा पुराना लिबास है

किस्मत से मजबूर हूँ लोगों की जरूरत हूं

देखो सपनों के आसमान में जीता हूँ प्यारे

सभी के उम्मीदों के आँगन को सींचता हूँ

दो वक्त की रोटी के लिये मेहनत करता हूं

देखो मैं अपने स्वभिमान को नहीं बेचता हूँ

तन ढकने के लिये फटा पुराना लिबास है

कंधों पर जिम्मेदारी है जिसका मुझे एहसास हैं 

खुला आकाश है छत मेरा बिछौना मेरा धरती है

घास-फूस के झोपड़ी में सिमटी अपनी हस्ती है

गुजर रहा जीवन अभावों में जो दिख रहा  है

देखो आत्मसंतोष ही मेरे जीवन का लक्ष्य है

गरीब लाचारी से जूझ कर  हंसना भूल चुका हूं

अनगिनत तनावों से  आंसू पीकर मजबूत बना हूं

देखो मैं मजदूर हूं फटा पुराना लिबास है अपना ll

हाँ मैं मजदूर हूँ 

मजदूर हूँ मैं इन्कार नहीं 

मजबूर हूँ पर लाचार नहीं

व्यवस्था का शिल्पकार हूँ 

मैं सबसे बड़ा चित्रकार हूँ ।

 

उठाते हैं सभी फायदे  

मेरे बहते पसीने का

मैं बनाता हूँ वो महल

जो बंगला है अमीरो का।

 

सभी तो मजदूर ही हैं 

चाहे अमीर हो या गरीब 

मेहनत बिना कहाँ किसे

रोटी होता है नसीब।

 

कोई छोटा कोई  बड़ा 

मजदूर ही तो हैं

पढ़ा लिखा पेन चलाये

पर होता मजदूर ही तो है।

 

भारत माँ का असली सपूत

मिट्टी में सना जो शरीर

जिसने हर पल सीचे धरती

उगाये रोटी कहलाये मजदूर।।

 

वो सपना है उन आँखो का

जो देखती है हर आँख

उन सपनो को पूरा करती

मजदूर के ही दो हाथ।

 

उन हाथो को सहारा चाहिए 

वक्त पर निवाला चाहिए

शान शौकत की अभिलाषा नहीं 

इनके हक का माहौल चाहिए।

 

कर लेंगे ये मेहनत

बना डालेंगे आपका आशियाना

पहले भूख और बदहाली से

बचने का सहारा चाहिए।

 

बुलंदी का यह जीव

व्यवस्था की नींव है

इसे तुच्छ समझने की गलती न करो

यही हर कुर्सी की रीढ़ है।

 

                                  आशुतोष 

मजदूरों को काम और दाम चाहिए

 सरकारों द्वारा गरीब मजदूर की दशा सुधारने की बात होती रही है।विभिन्न मौकों पर इससे सम्बन्धि सेमिनार आयोजित किये जाते रहे है।लेकिन परिणाम किसी से छुपा नही? 

श्रमिक की हालत दिन प्रतिदिन खराब ही हुई है और तो और बाल श्रम /महिला मजदूर भी बढ़ी है ।  यह बात भी सच है कि इसी मुद्दे पर कई बार सरकारे बनी और गिरी, लेकिन मजदूर की हालत जस की तस है? ऐसे में मजदूर का अस्त्र अब जंग लगे शस्त्र के समान है जो वेरोजगार हैं।

अर्थशास्त्रियों का आकलन कहता है कि

मजदूरों की राहों में मशीनरी युग एक अभिशाप बनकर सामने आया है। जहाँ मजदूर की जगह मशीन काम करने लगे है लम्बे चलने वाले कामों को मशीन से जल्द हो जाने के बाद श्रमिकों की जरूरत प्रायः कम हो गये हैं  जो थोड़ा-बहुत काम उनके हिस्से आते भी है तो उसकी उन्हें प्रर्याप्त मजदूरी नहीं मिलती। विज्ञान के सुलभ सरल मशीनो ने जैसे स्टीम इंजन ने लोगों का रोजगार छीन लिया, उसी प्रकार फोटो कापी मशीन ने टाइपिस्टों का, उबर-ओला ने टैक्सी स्टैंड का, कम्प्यूटर ने सांख्यिकी गणित करने का और ई-मेल ने डाकिए का रोजगार हड़प लिया है।ऐसे कई उदाहरण है जो रोजगार की मात्रा को कम करने में  भूमिका निभा रही है

मौजूदा सरकार सभी क्षेत्रो में सराहणीय कार्य करते हुए लोगो को विश्वास दिलाया है कि यह गरीब मजदूरों की सरकार है।विभिन्न जन कल्याण कारी योजनाओं के माध्यम से लोगों के दिलों में जगह बनाकर लोकप्रिय साबित हो रही है। शायद इसी का कारण है गरीबी हटाओ योजना। सरकार ने आवास, सामाजिक सुरक्षा, गैस, बिजली और आयुष्मान भारत आदि योजनाओं के जरिए गरीबों का विश्वास जीता है।लोगो को बैंकों से जोडकर खातों में सीधे सब्सिडी जमा कराई है जिससे विचौलियो और भ्रष्टाचार पर मी लगाम लगा है।इन सभी कामो के अलावा किसान की कर्जमाफी और मनरेगा भी हैं। सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को जेब खर्च मुहैया करवाने का लक्ष्य तय किया गया है।

देश में इतनी योजनाओं के बावजूद आज तक मजदूर गरीब क्यों  है? गरीबी का उन्मूलन क्यों नहीं किया जा सका? गरीब और गरीबी की बुनियादी और सर्वसम्मत परिभाषा तक तय क्यों नहीं की जा सकी है? दर्जनों कमेटियों की रिर्पोटें आ चुकी हैं, लेकिन गरीब की परिभाषा तय नहीं हो पाई, देश की सरकारो ने योजनाओं के जरिए गरीबों की स्थिति सुधारने की कोशिश लगातार की  है। कमेटियों ने गरीब की आय का जो आंकड़ा दिया है, वह सात दशकों के दौरान चलाई गई गरीबी हटाओ मुहिम के बावजूद है।काम का न होना उनकी काम करने की क्षमता को प्रभावित करेगी । बेहतर होगा कि रोजगार के अवसर पैदा की जाए काम दिए जाए, उत्पादन बढाये जाए, प्रोत्साहित किये जाए और लोगो को हुनरमंद बनाए जाए।

 

                     "आशुतोष"

                     पटना बिहार

 

लॉकडाउन का पालन कराने गई पुलिस और प्रशासन की टीम पर हमला, छावनी बना गाँव

दैनिक अयोध्या टाइम्स ब्यूरो रामपुर-कोरोना वायरल से संक्रमण की दर लगातार बढ़ती जा रही है जिसको लेकर शासन प्रशासन पूरी मुस्तैदी से अपना काम कर रहा है।ऐसे में संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा पूरे देश में लॉक डाउन किया गया है। जिसका पालन कराने के लिए निरंतर शासन प्रशासन लगा हुआ है।बावजूद इसके कुछ लोग लॉक डाउन उल्लंघन करने में अभी भी पीछे नहीं हट रहे हैं।एडिशनल एसपी अरुण कुमार बोले, एडीएम राजस्व समेत ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गौरव कुमार भारी पुलिस फोर्स के साथ कस्बा दंडियाल में लॉकडाउन का पालन कराने के लिए निकले थे। बाइक सवार दो लोग उन्हें लॉकडाउन का उल्लंघन करते मिले। इसको लेकर पुलिस ने उनको रोक लिया। इस पर वहां हंगामा हो गया। महिलाओं समेत कई लोगों ने पुलिस कर्मियों से हाथपाई कर दी। हाथापाई में भीड़ के लोग लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले दोनों लोगों को छुड़ाकर ले गए।ऐसे में कई बार ऐसे लोगों की झड़प प्रशासनिक टीम से भी हो रही है और अब तो कोरोना से फाइट  कर रहे इन कर्म योद्धाओं से लोगों की झड़प आम होती जा रही है।ऐसे ही मामला रामपुर के टांडा थाना क्षेत्र के दढियाल  से सामने आया है जहां बे-वजह घूम रहे दो लोगों को रोकने को लेकर हुए विवाद में क्षेत्र के कुछ लोग इकट्ठे हो गए और महिला-पुरुषों ने मिलकर प्रशासनिक टीम पर हमला बोल दिया और दोनों को भगा दिया।इस संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया,ज्वाइंट मजिस्ट्रेट टांडा, एसएचओ टांडा, चौकी इंचार्ज दड़ियाल मय फोर्स के लॉक डाउन का पालन कराने के लिए दढ़ियाल कस्बे की गलियों में जो मैन हाइवे से अन्दर को जाती है, पैदल भ्रमण पर थे।मोटरसाइकिल पर निकले जो आगे पुलिस पार्टी के चार सदस्य थे उन्होंने उन्हें रोका और यह बताया के आप लॉक डाउन का उल्लंघन कर रहे हैं।पीछे मजिस्ट्रेट साहब और थाना प्रभारी आ रहे हैं, उसके बाद आप उनको स्पस्टीकरण देकर जाएंगे। लेकिन इसी बीच कुछ पुरुष और कुछ महिलाएं आए और उन्होंने उनसे हंगामा कर उन्हें छुड़ा लिया और जब इन्होंने उन्हें पकड़ने का प्रयास किया पीछे से पुलिस की पूरी टीम मजिस्ट्रेट सब आ गए तो इन्होंने हाथापाई कर उन्हें भगा दिया। उन्होंने पुलिस के सरकारी काम में मजिस्ट्रेट के सरकारी काम में बाधा डाली बाद में महिलाएं अनावश्यक सड़क पर अवरोध कर रही थीं जिसके संदर्भ में अभियोग पंजीकृत कर लिया है।

उन्होने आगे कहा,”जहां तक सामान्य जानकारी मेरी है उसमें स्त्री पुरुष मिला करके लगभग 8 से10 लोग नामज़द हैं और कुछ अज्ञात हैं, इनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही होंगी क्यूंकि किसी भी दशा में लॉक डाउन का उल्लंघन नहीं करने दिया जाएगा। देर रात तक कस्बे में एडिशनल एसपी अरुण कुमार मोर्चा संभाले हुए थे। उनके साथ राजस्व प्रशासन अपर जिलाधिकारी राम भरत तिवारी मौजूद थे। उनके अलावा एसडीएम गौरव कुमार भी वहां डेरा जमाए हुए थे। बता दें कि मुजफ्फरनगर और रामपुर में पहले भी लॉकडाउन का पालन कराने गई पुलिस टीम पर हमला हो चुका है।इस मामले में कोई घायल नहीं हुआ है और न ही अभी कोई गिरफ्तारी हुई है और न ही कोई फायरिंग हुई है।