सरकारों द्वारा गरीब मजदूर की दशा सुधारने की बात होती रही है।विभिन्न मौकों पर इससे सम्बन्धि सेमिनार आयोजित किये जाते रहे है।लेकिन परिणाम किसी से छुपा नही?
श्रमिक की हालत दिन प्रतिदिन खराब ही हुई है और तो और बाल श्रम /महिला मजदूर भी बढ़ी है । यह बात भी सच है कि इसी मुद्दे पर कई बार सरकारे बनी और गिरी, लेकिन मजदूर की हालत जस की तस है? ऐसे में मजदूर का अस्त्र अब जंग लगे शस्त्र के समान है जो वेरोजगार हैं।
अर्थशास्त्रियों का आकलन कहता है कि
मजदूरों की राहों में मशीनरी युग एक अभिशाप बनकर सामने आया है। जहाँ मजदूर की जगह मशीन काम करने लगे है लम्बे चलने वाले कामों को मशीन से जल्द हो जाने के बाद श्रमिकों की जरूरत प्रायः कम हो गये हैं जो थोड़ा-बहुत काम उनके हिस्से आते भी है तो उसकी उन्हें प्रर्याप्त मजदूरी नहीं मिलती। विज्ञान के सुलभ सरल मशीनो ने जैसे स्टीम इंजन ने लोगों का रोजगार छीन लिया, उसी प्रकार फोटो कापी मशीन ने टाइपिस्टों का, उबर-ओला ने टैक्सी स्टैंड का, कम्प्यूटर ने सांख्यिकी गणित करने का और ई-मेल ने डाकिए का रोजगार हड़प लिया है।ऐसे कई उदाहरण है जो रोजगार की मात्रा को कम करने में भूमिका निभा रही है
मौजूदा सरकार सभी क्षेत्रो में सराहणीय कार्य करते हुए लोगो को विश्वास दिलाया है कि यह गरीब मजदूरों की सरकार है।विभिन्न जन कल्याण कारी योजनाओं के माध्यम से लोगों के दिलों में जगह बनाकर लोकप्रिय साबित हो रही है। शायद इसी का कारण है गरीबी हटाओ योजना। सरकार ने आवास, सामाजिक सुरक्षा, गैस, बिजली और आयुष्मान भारत आदि योजनाओं के जरिए गरीबों का विश्वास जीता है।लोगो को बैंकों से जोडकर खातों में सीधे सब्सिडी जमा कराई है जिससे विचौलियो और भ्रष्टाचार पर मी लगाम लगा है।इन सभी कामो के अलावा किसान की कर्जमाफी और मनरेगा भी हैं। सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को जेब खर्च मुहैया करवाने का लक्ष्य तय किया गया है।
देश में इतनी योजनाओं के बावजूद आज तक मजदूर गरीब क्यों है? गरीबी का उन्मूलन क्यों नहीं किया जा सका? गरीब और गरीबी की बुनियादी और सर्वसम्मत परिभाषा तक तय क्यों नहीं की जा सकी है? दर्जनों कमेटियों की रिर्पोटें आ चुकी हैं, लेकिन गरीब की परिभाषा तय नहीं हो पाई, देश की सरकारो ने योजनाओं के जरिए गरीबों की स्थिति सुधारने की कोशिश लगातार की है। कमेटियों ने गरीब की आय का जो आंकड़ा दिया है, वह सात दशकों के दौरान चलाई गई गरीबी हटाओ मुहिम के बावजूद है।काम का न होना उनकी काम करने की क्षमता को प्रभावित करेगी । बेहतर होगा कि रोजगार के अवसर पैदा की जाए काम दिए जाए, उत्पादन बढाये जाए, प्रोत्साहित किये जाए और लोगो को हुनरमंद बनाए जाए।
"आशुतोष"
पटना बिहार