Thursday, April 2, 2020

लाइफलाइन उड़ान सेवाओं के तहत 70,000 किमी से अधिक की हवाई दूरी तय की गई

लाइफलाइन उड़ान कार्गो सेवाओं के तहत अब तक परिचालित74 उड़ानों में से 56 उड़ानों का संचालन एयर इंडिया समूह द्वारा किया गया है। छह दिनों (26 से 31 मार्च 2020) की अवधि में इन उड़ानों का परिचालन एयर इंडिया, अलायंस एयर, भारतीय वायु सेना, पवन हंस और निजी वाहकों द्वारा किया गया। लाइफलाइन उड़ान सेवा के तहत अब तक 70,000 किमी से अधिक की हवाई दूरी तय की गई है और इसके जरिये अब तक करीब 38 टन कार्गो की ढुलाई की गई है। हवाई अड्डों तक और वहां से कार्गो के सड़क परिवहन और विमानन कर्मियों की आवाजाही में लॉजिस्टिक संबंधी उल्‍लेखनीय चुनौतियों के बावजूद लाइफलाइन उड़ान सेवाओं का परिचालन किया जा रहा है।


 






















































































क्रम संख्‍या



तिथि



एयर इंडिया



अलायंस



भारतीय वायु सेना



इंडिगो



स्‍पाइसजेट



कुल परिचालित उड़ान



1



26.3.2020



02



-



-



-



02



04



2



27.3.2020



04



09



-



-



-



13



3



28.3.2020



04



08



-



06



-



18



4



29.3.2020



04



10



06



--



-



20



5



30.3.2020



04



-



03



--



-



07



6



31.3.2020



09



02



01



 



 



12



 



कुल उड़ान



27



29



10



06



02



74



 


कार्गो में अधिकतर वस्‍तुएं कम वजन और अधिक मात्रा वाले उत्पाद शामिल थे जैसे मास्क, दस्ताने एवं उपभोग की अन्‍य वस्‍तुएं जिनके लिए प्रति टन कार्गो अधिक स्थान की आवश्यकता होती है। इन वस्‍तुओं को सावधानीपूर्वक एवं उचित देखभाल के साथ यात्रियों के बैठने के स्‍थान पर रखने के लिए विशेष अनुमति दी गई है।


अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर, नागरिक उड्डयन मंत्रालयऔर एयर इंडिया 3 अप्रैल 2020 से महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति के लिए भारत और चीन के बीच कार्गो एयर-ब्रिज की स्थापना के लिए चीनी अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विमानन उद्योग भारत के दूरदराज के क्षेत्रों तककुशलता एवं कम लागत मेंचिकित्‍सा हवाई-कार्गो परिवहन के जरिये कोविड-19 के खिलाफ भारत की इस लड़ाई में मदद के लिए तैयार हैं।


 


लाइफलाइन उड़ान सेवाओं की तिथिवार विवरणइस प्रकार हैं:


* एयर इंडिया और भारतीय वायु सेना ने लद्दाख, दीमापुर, इंफाल, गुवाहाटी और पोर्ट ब्लेयर के लिए आपस में सहयोग किया।



एफसीआई ने कोविड-19 महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान देश भर में बढ़ाई खाद्यान्न की आपूर्ति

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) लॉकडाउन के दौरान देश भर में गेहूं और चावल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है। एफसीआई न सिर्फ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के अंतर्गत 5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रति महीने हरेक लाभार्थी की खाद्यान्न की जरूरत पूरी करने, बल्कि पीएम गरीब अन्न योजना के अंतर्गत 81.35 करोड़ लोगों को अगले तीन महीने तक 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की अतिरिक्त मांग की आपूर्ति करने के लिए भी तैयार है। 31.03.2020 तक एफसीआई के पास 56.75 मिलियन एमटी (एमएमटी) खाद्यान्न (30.7 एमएमटी चावल और 26.06 एमएमटी गेहूं) है।


इस चुनौतीपूर्ण माहौल में भी एफसीआई रेल के माध्यम से देश भर में गेहूं और चावल की आपूर्ति बढ़ाकर खाद्यान्न की बढ़ती मांग पूरी करने में सक्षम है। आज 01.04.2020 को कुल 53 रैक्स के माध्यम से लगभग 1.48 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान्न का भंडार भेज दिया गया है। लॉकडाउन के दिन यानी 24.03.2020 से अब तक एफसीआई 352 रैक्स के माध्यम से लगभग 9.86 एलएमटी खाद्यान्न भेज चुका है।


एफसीआई बाजार में आपूर्ति की बाधाओं को दूर करने के लिए पैनलबद्ध रोलर फ्लोर मिलों/ राज्य सरकार को गेहूं उपलब्ध कराने के लिए मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के अंतर्गत ई-निविदा करा रहा है। 31.03.2020 को हुई ई-निविदा में 1.44 एलएमटी गेहूं के लिए निविदाएं हासिल हुई हैं।


कोविड 19 महामारी के मद्देनजर नियमित ई-निविदा के अलावा जिलाधिकारियों/ कलेक्टरों को रोलर फ्लोर मिलों और अन्य गेहूं उत्पाद विनिर्माताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए ओएमएसएस आरक्षित मूल्य पर एफसीआई डिपो से सीधे उठान के लिए अधिकृत कर दिया गया है। इसके माध्यम से अभी तक निम्नलिखित राज्यों को कुल 79027 एमटी गेहूं का आवंटन किया जा चुका है :


 



















































क्र. सं.



राज्य



मात्रा (एमटी में)



i



उत्तर प्रदेश



35675



ii



बिहार



22870



iii



हिमाचल प्रदेश



11500



iv



हरियाणा



4190



v



पंजाब



2975



vi



गोवा



1100



vii



उत्तराखंड



375



viii



राजस्थान



342



 


इसके अलावा गेहूं के लिए भी ई-निविदा कराई गई है। 31.03.2020 को हुई पिछली ई-निविदा में तेलंगाना, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों से 77,000 एमटी चावल के लिए निविदाएं हासिल हुईं हैं।


इसके अलावा, बदले हालात में राज्यों को किसी भी प्रकार की जरूरत को पूरे करने और एनएफएसए आवंटन और पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत किए गए अतिरिक्त आवंटन की भरपाई के लिए ई-निविदा में भाग लिए बिना ओएमएसएस के अंतर्गत 22.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल के उठान की अनुमति दे दी गई है। अभी तक निम्नलिखित 6 राज्यों को उनके अनुरोध पर 93387 मीट्रिक टन (एमटी) चावल का आवंटन किया जा चुका है :









































क्र. सं.



राज्य



मात्रा (एमटी में)



i



तेलंगाना



50000



ii



असम



16160



Iii



मेघालय



11727



Iv



मणिपुर



10000



V



गोवा



4500



Vi



अरुणाचल प्रदेश



1000



 



नौसेना के मुंबई स्थित डॉकयार्ड ने बनाई कोरोना जांच के लिए कम लागत वाली इन्फ्रारेड सेंसर गन

नौसेना के मुबंई स्थिति डॉकयार्ड ने अपने  प्रवेश द्वारों पर बड़ी संख्या में कर्मियों की स्क्रीनिंग के लिए इन्फ्रारेड तापमान सेंसर गन डिजाइन की है, ताकि सुरक्षा जांच गतिविधियों पर बोझ कम किया जा सके। डॉकयार्ड द्वारा खुद के उपलब्ध संसाधनों से विकसित इस गन की कीमत 1000 रूपए से भी कम है जो कि बाजार में उपलब्ध ऐसे अन्य गनों की कीमत का अंश भर है।



कोविड-19 महामारी ने हाल के दिनों में दुनिया की सबसे बड़ी चिकित्सा आपात स्थिति पैदा कर दी हैं। संक्रमित रोगियों की संख्या में भारी वृद्धि देखते हुए देश के चिकित्सा बुनियादी ढांचे की कडी परीक्षा हो रही है। 


नौसेना के पश्चिमी कमान के 285 वर्ष पुराने डॉकयार्ड में प्रतिदिन औसतन लगभग 20,000 कर्मी आते हैं। कोरोना संक्रमण के फैलाव के मद्देनजर, इन कर्मियों की डॉकयार्ड में प्रवेश करने के समय प्रारंभिक जांच जरूरी हो गई है। संभावित रोगी की बिना संपर्क के प्रारंभिक स्क्रीनिंग करने के लिए उसके शरीर के तापमान की जांच करना सबसे बेहतर तरीका है।


कोविड के प्रकोप के बाद से, गैर-संपर्क वाले थर्मामीटर या इन्फ्रारेड तापमान सेंसर गन बाजार में दुर्लभ हो गई हैं, और बहुत अधिक कीमत पर बेची जा रही हैं। इनकी कमी को दूर करने और मांग के अनुरूप इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए  मुंबई के नौसेनिक डॉकयार्ड ने 0.02 डिग्री सेल्सियस तक के शारीरिक तापमान को सटीकता के साथ नापने में सक्षम गन डिजाइन और विकसित किया है। यह एक तरह का थर्मामीटर है जो किसी के शारीरिक संपर्क में आए बिना ही उसके शरीर का तापमान जांच लेता है। इसमें एक इन्फ्रारेड सेंसर और एक एलईडी डिस्प्ले लगा हुआ है जो एक माइक्रोकंट्रोलर के साथ जुड़ा हुआ है। यह 9  वोल्टेज की क्षमता वाली बैटरी पर चलता है ।


इस गन की विनिर्माण लागत 1000 रुपये से कम होने की वजह से , आवश्यकता पडने पर डॉकयार्ड में इन्हे बडी संख्या में बनाया जा सकता है। इसके लिए जरुरी संसाधनों को जुटाने का कार्य प्रगति पर है।




कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए पूर्व सैनिक अपनी सेवाएं देने को तैयार

राष्ट्र वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौतियों से लड़ रहा है। ऐसी स्थिति में रक्षा मंत्रालय के पूर्व-सैनिक कल्याण विभाग (ईएसडब्ल्यू) ने पूर्व सैनिकों को अपनी सेवाएं देने के लिए एकजुट किया है। इससे जहां भी जरूरत हो राज्य और जिला प्रशासन को बहुमूल्य मानव संसाधन प्राप्त होंगे।



राज्य सैनिक बोर्ड और जिला सैनिक बोर्ड राज्य और जिला प्रशासन की सहायता के लिए अधिकतम ईएसएम वॉलेंटियर को जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पूर्व सैनिक संपर्क का पता लगाने, समुदाय की निगरानी करने, क्वारंटाइन सुविधाओं का प्रबंधन करने जैसे कार्यों में सहायता प्रदान करेगें।


कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए राष्ट्र ने लोगों से स्पष्ट आह्वान किया है। यह स्वागतयोग्य है कि पूर्व सैनिक अपने आदर्श "स्वयं से पहले सेवा" का ध्यान में रखते हुए सेवा और सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं। पूर्व सैनिक अनुसासित, प्रेरणा से युक्त और विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित हैं। पूर्व सैनिकों की उपस्थिति पूरे देश के सभी जिलों और गांवों में है।


पंजाब राज्य में "गार्जियन ऑफ गवर्नेंस" संगठन में 4200 पूर्व सैनिक हैं, जो गांवों के डाटा संग्रह में प्रशासन की सहायता कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस की सहायता के लिए कुछ पूर्व सैनिकों की सेवाएं ली हैं। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में सभी जिला कलेक्टरों ने पूर्व सैनिकों की सेवाएं प्राप्त करने का प्रस्ताव दिया है। उत्तर प्रदेश में सभी जिला सैनिक कल्याण अधिकारी जिला नियंत्रण कक्षों के संपर्क में हैं तथा सेवानिवृत्त सेना चिकित्सा कर्मियों की पहचान की गई हैं तथा उन्हें तैयार रहने के लिए कहा गया है। इसके अलावा उत्तराखंड में सैनिक रेस्ट हाऊसों को अलग-अलग रहने/क्वारंटाइन सुविधाओं के लिए तैयार किया गया है। गोवा में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है और पूर्व सैनिकों को स्थानीय प्रशासन की सहायता हेतु तैयार रहने के लिए कहा गया है।