Thursday, April 2, 2020

कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए पूर्व सैनिक अपनी सेवाएं देने को तैयार

राष्ट्र वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौतियों से लड़ रहा है। ऐसी स्थिति में रक्षा मंत्रालय के पूर्व-सैनिक कल्याण विभाग (ईएसडब्ल्यू) ने पूर्व सैनिकों को अपनी सेवाएं देने के लिए एकजुट किया है। इससे जहां भी जरूरत हो राज्य और जिला प्रशासन को बहुमूल्य मानव संसाधन प्राप्त होंगे।



राज्य सैनिक बोर्ड और जिला सैनिक बोर्ड राज्य और जिला प्रशासन की सहायता के लिए अधिकतम ईएसएम वॉलेंटियर को जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पूर्व सैनिक संपर्क का पता लगाने, समुदाय की निगरानी करने, क्वारंटाइन सुविधाओं का प्रबंधन करने जैसे कार्यों में सहायता प्रदान करेगें।


कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए राष्ट्र ने लोगों से स्पष्ट आह्वान किया है। यह स्वागतयोग्य है कि पूर्व सैनिक अपने आदर्श "स्वयं से पहले सेवा" का ध्यान में रखते हुए सेवा और सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं। पूर्व सैनिक अनुसासित, प्रेरणा से युक्त और विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित हैं। पूर्व सैनिकों की उपस्थिति पूरे देश के सभी जिलों और गांवों में है।


पंजाब राज्य में "गार्जियन ऑफ गवर्नेंस" संगठन में 4200 पूर्व सैनिक हैं, जो गांवों के डाटा संग्रह में प्रशासन की सहायता कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस की सहायता के लिए कुछ पूर्व सैनिकों की सेवाएं ली हैं। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में सभी जिला कलेक्टरों ने पूर्व सैनिकों की सेवाएं प्राप्त करने का प्रस्ताव दिया है। उत्तर प्रदेश में सभी जिला सैनिक कल्याण अधिकारी जिला नियंत्रण कक्षों के संपर्क में हैं तथा सेवानिवृत्त सेना चिकित्सा कर्मियों की पहचान की गई हैं तथा उन्हें तैयार रहने के लिए कहा गया है। इसके अलावा उत्तराखंड में सैनिक रेस्ट हाऊसों को अलग-अलग रहने/क्वारंटाइन सुविधाओं के लिए तैयार किया गया है। गोवा में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है और पूर्व सैनिकों को स्थानीय प्रशासन की सहायता हेतु तैयार रहने के लिए कहा गया है।




कोविड-19 से लड़ने में युद्ध स्तर पर जुटे सीएसआईआर के वैज्ञानिक

कोविड-19 महामारी के संकट को देखते हुए यह सवाल पूछा जा रहा है कि इस जिद्दी वायरस से लड़ने के लिए भारत के वैज्ञानिक आखिर क्या कर रहे हैं! लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद की स्थितियों से निपटने में देश के वैज्ञानिकों का योगदान क्या हो सकता है? उनके प्रयासों से कौन से उपचार उभर सकते हैं? कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, डीआरडीओ और जैव प्रौद्योगिकी विभाग समेत देश के विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी संस्थान कार्य कर रहे हैं। लेकिन, सार्वजनिक क्षेत्र के जिन संस्थानों से यह अपेक्षा सबसे अधिक की जा रही है, उनमें वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) अग्रिम पंक्ति में शामिल है।


विभिन्न क्षेत्रों की प्रौद्योगिकियों के विकास से जुड़ीं सीएसआईआर की 38  वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है, जो इस महामारी से लड़ने के लिए कार्य कर रही हैं। सीएसआईआर ने दो अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत कोविड-19 से निपटने के लिए शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। पहली योजना के तहत शोध प्रस्ताव उद्योगों या स्टार्टअप कंपनियों से मंगाए गए हैं। भारत में पंजीकृत 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय शेयरधारक कंपनियां इसके तहत शोध प्रस्ताव भेज सकती हैं। जिन कंपनियों के भारतीय शेयर 50 प्रतिशत से कम हैं और उनकी विनिर्माण इकाई भारत में है, वे भी इस योजना के अंतर्गत प्रस्ताव भेज सकती हैं। दूसरी योजना के अंतर्गत सीएसआईआर प्रयोगशालाओं से शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं, ताकि किफायती और त्वरित डायग्नोस्टिक किट विकसित की जा सकें। इन दोनों योजनाओं के तहत शोध प्रस्ताव 5 अप्रैल तक भेजे जा सकते हैं।


कोरोना संक्रमण के संदिग्ध व्यक्तियों के नमूनों का परीक्षण प्रभावित लोगों की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन, परीक्षण उपकरण बहुत महंगे हैं, जिसके कारण इनकी पहुँच सीमित है। उदाहरण के लिए, आरटी-पीसीआर मशीन की कीमत सुविधाओं के आधार पर 10 से 20 लाख रुपये के बीच होती है। कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर के वैज्ञानिक कोराना के परीक्षण के लिए किफायती पेपर किट विकसित कर रहे हैं, जो क्षणों में ही वायरस की पहचान कर सकता है।


सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने बताया कि नई दिल्ली स्थित “जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) के वैज्ञानिक जल्दी ही कोराना के परीक्षण के लिए यह किट विकसित कर लेंगे। इस किट के उपयोग से जाँच की लागत सिर्फ 100 रुपये आएगी और इसकी मदद से कहीं पर भी कोरोना का परीक्षण किया जा सकेगा।” इसके साथ ही, सीएसआईआर सीरो-डायग्नोस्टिक्स (रक्त सीरम के अध्ययन पर आधारित निदान) भी ला रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, कोलकाता और आईजीआईबी, नई दिल्ली के वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं।


कोविड-19 से निपटने के लिए सीएसआईआर पाँच सूत्रीय एजेंडा पर काम कर रहा है। इनमें बीमारी के खतरे और उसकी प्रकृति को समझने के लिए आणविक स्तर पर निगरानी, किफायती जाँच किट बनाना, दवा का विकसित करना, अस्पतालों व निजी सुरक्षा उपकरणों का विकास और चिकित्सकीय उपकरणों की आपूर्ति शामिल है। सीएसआईआर की कोर टीम, जिसमें इसकी प्रयोगशालाओं के आठ निदेशक शामिल हैं, महानिदेशक, डॉ शेखर मांडे के नेतृत्व में कोविड-19 से लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।


कोविड-19 से जुड़े विभिन्न आयामों पर केंद्रित होकर कार्य करने के लिए सीएसआईआर ने कुछ कंपनियों के साथ करार भी किया है। इन कंपनियों में बीएचईएल और सिप्ला के अलावा टीसीएस शामिल है। किसी बीमारी के उभरने पर दूसरे रोगों में उपयोग होने वाली दवाओं का उपयोग उस बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है। कोविड-19 से लड़ने के लिए भी इसी तरह की रणनीति अपनायी जा रही है। कम समय में दवाओं के उत्पादन के लिए सीएसआईआर नई प्रक्रियाएं विकसित कर रहा है। इसके लिए, सिप्ला जैसी दवा कंपनी और सॉफ्टवेयर जगत की दिग्गज कंपनी टीसीएस की लाइफ-साइंस विंग से करार किया गया है।


सीएसआईआर की तीन प्रयोगशालाओं – राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल), पुणे, केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ और भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी), हैदराबाद के वैज्ञानिक दवा के विकास पर काम कर रहे हैं। इसके लिए दवा कंपनी सिप्ला और कैडिला जायडस से एमओयू किया गया है। दूसरी ओर, अस्पताल व निजी सुरक्षा उपकरण बनाने के लिए बीएचईएल के साथ मिलकर कार्य शुरू किया गया है। सीएसआईआर बीएचईएल के साथ मिलकर इलेक्ट्रोस्टेटिक-स्प्रेयर और 10 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक के वेंटिलेटर विकसित कर रहा है। ये किफायती वेंटिलेटर हैं, जिनको विकसित करने का उद्देश्य देश के हर अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इसकी पहुँच को आसान बनाना है।


कोरोना वायरस के उपचार के लिए सीएसआईआर के सहयोग से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके टीसीएस नई रासायनिक संरचनाओं को डिजाइन कर रहा है। टीसीएस इनोवेशन लैब्स के एक ताजा शोध के अनुसार, उन्होंने "3CL प्रोटीज को रोकने में सक्षम नए छोटे अणुओं के डिजाइन के लिए "डीप न्यूरल नेटवर्क आधारित जेनरेटिव तथा प्रिडिक्टिव मॉडल का उपयोग किया है। इस तरह, उत्पन्न अणुओं का परीक्षण SARS-CoV-2 की 3CLप्रोटीज संरचना की बाइंडिंग साइट के खिलाफ किया गया है। शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 के खिलाफ संश्लेषण और परीक्षण के लिए 31 संभावित यौगिकों की पहचान की है।


हैदराबाद स्थित कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) कोविड-19 वायरस से संक्रमित लोगों से लिए गए नमूनों का संपूर्ण जीन अनुक्रमण कर रहा है। सीसीएमबी के निदेशक डॉ राकेश के मिश्रा ने कहा है कि "बड़े पैमाने पर जीनोम अनुक्रमण से हमें इस वायरस की प्रकृति, रूपांतरण की दर और प्रसार के संभावित मार्गों के बारे में समझने में मदद मिल सकती है।" जीनोम जीवों की आनुवंशिक सामग्री है और जीनोम अनुक्रमण जीवों के जीनोम की पहचान करने का विज्ञान है।


 


सीएसआईआर से संबद्ध कोलकाता स्थित एक अन्य प्रयोगशाला भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान (आईआईसीबी) के वैज्ञानिकों ने कोरोना प्रोटीन्स के खिलाफ "अवरोधक" खोजने के लिए एक शोध प्रस्ताव तैयार किया है। वैज्ञानिक ऐसे बायोकेमिकल का पता लगाना चाहते हैं, जो नये कोरोना वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक सके। आईआईसीबी स्थानीय अस्पतालों को तकनीकी सहयोग और आरटी-पीसीआर मशीनें भी उपलब्ध करा रहा है। इन मशीनों का उपयोग जीन अभिव्यक्ति का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, जो आनुवंशिक रोगों के निदान और ड्रग थेरेपी की निगरानी के लिए आवश्यक है।


 


मास्क और सैनेटाइजर का उपयोग कोविड-19 वायरस से सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। कम कीमत में इसकी उपलब्धता को बनाए रखने के लिए सीएसआईआर गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) से संपर्क कर रहा है। सीएसआईआर ने कई ऐसी तकनीकें विकसित की हैं, जो बाजार में बिकने योग्य उत्पाद बनाने में ग्रामीणों के लिए मददगार हो सकती हैं। लॉकडाउन के बाद अपने घरों को लौट रहे प्रवासी कामगारों को स्थानीय स्तर पर इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग से नये उत्पाद बनाकर आमदनी का अवसर मिल सकता है। कुछ स्थानों पर ग्रामीणों को मास्क और सैनेटाइजर जैसे उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, जिसमें एनजीओ की भूमिका अहम हो सकती है। इस बीच सीएसआईआर की कई प्रयोगशालाएं सैनेटाइजर बनाकर वितरित कर रही हैं।


देश के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा कोविड-19 को हराने के लिए किए जा रहे सैकड़ों प्रयासों की यह एक छोटी-सी झलक है, जो फलीभूत होती है, तो कोविड-19 को परास्त करना कठिन नहीं होगा।



भारत में कोविड-19 और लोगों के बीच फर्जी खबरों को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाएं राज्य/संघ शासित क्षेत्र : गृह मंत्रालय

एक याचिका की सुनवाई के दौरान माननीय उच्चतम न्यायालय ने फर्जी खबरों के चलते बढ़ी परेशानियां और इस क्रम में प्रवासी कामगारों के व्यापक स्तर पर पलायन को गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने माना कि इससे लोगों को  बेवजह मुसीबतों का सामना करना पड़ा है।



न्यायालय की टिप्पणियों के क्रम में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) सचिव श्री अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को पत्र लिखकर फर्जी खबरों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है। इसमें कहा गया कि भारत सरकार लोगों को तथ्यों और असत्यापित खबरों की पुष्टि की खबरों की सुविधा देने के लिए एक वेब पोर्टल तैयार कर रही है। राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों से इससे संबंधित समस्याओं के लिए अपने स्तर पर ऐसा ही एक तंत्र विकसित करने का अनुरोध भी किया गया है।


उच्चतम न्यायालय ने एनडीएमए/ एमएचए के निर्देशों के क्रम में खाना, दवाएं आदि बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान सुनिश्चित करने और प्रवासी कामगारों के लिए बने आश्रय स्थलों में अन्य कल्याणकारी गतिविधियां उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार ने देश में कोविड 19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को दिशा-निर्देश/ परामर्श/ आदेश जारी किए हैं।




प्रधानमंत्री ने लोगों को रामनवमी की शुभकामनाएं दीं

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रामनवमी के शुभ अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'रामनवमी के पावन अवसर पर समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। जय श्रीराम!'