Tuesday, March 24, 2020

दिल्‍ली–एनसीआर में संचित आईटीसी पर गलत ढंग से रिफंड का दावा करने वाली अनेक साझेदारी फर्मों के फर्जीवाड़े का खुलासा

दिल्‍ली-एनसीआर के गौतम बुद्ध नगर और अन्य आयुक्तालयों में पंजीकृत अनेक ऐसी प्रोप्राइटरशिप/साझेदारी फर्मों की पहचान की गई थी जो स्पष्ट रूप से आपस में जुड़ी हुई थीं और जिन्‍होंने प्रतिलोमित कर (इन्‍वर्टेड ड्यूटी) संरचना एवं वस्‍तुओं की शून्‍य–रेटिंग वाली आपूर्ति के मद में संचित इनपुट टैक्‍स क्रेडिट (आईटीसी) पर भारी-भरकम रिफंड का दावा किया था। सीजीएसटी गौतम बुद्ध नगर के साथ-साथ अन्‍य आयुक्तालयों के अधिकारियों ने 13 मार्च, 2020 को उन विभिन्‍न स्‍थानों की तलाशियां ली थीं जिन्‍हें इनके कारोबार के मुख्‍य स्‍थलों के रूप में घोषित किया गया था। इसके अलावा दिल्‍ली, फरीदाबाद, गुड़गांव, नोएडा और ग्रेटर नोएडा स्थित आवासीय परिसरों में भी तलाशियां ली गई थीं।


तलाशियों के दौरान इन फर्मों द्वारा घोषित परिसरों में इनमें से किसी भी फर्म की मौजूदगी या अस्तित्‍व/उनमें परिचालन का अता-पता नहीं चल पाया। इस दिशा में आगे जांच करने पर ऐसे दो व्‍यक्तियों के बारे में पता चला जो स्‍पष्‍ट रूप से इस गोरखधंधे का मास्‍टरमाइंड (सरगना) थे। इन दोनों व्‍यक्तियों ने कुछ धनराशि के बदले इन फर्मों के मालिकों/साझेदारों से केवाईसी दस्‍तावेज हासिल कर लिए थे। इन फर्मों का जो भी कारोबार था वह वस्‍तुओं की वास्‍तविक आवाजाही/आपूर्ति के बिना केवल कागजों पर ही था। इन वस्‍तुओं में निर्मित/गैर-निर्मित तम्‍बाकू, धागा, बुने हुए कपड़े एवं सूती धागे, अन्‍य तैयार (मेड-अप) कपड़े, इत्‍यादि शामिल थे। इन फर्मों ने इनपुट टैक्‍स क्रेडिट किसी के खाते में डालने के लिए अब तक 1892 करोड़ रुपये के चालान (इन्‍वॉयस) सृजित किए थे। इन फर्मों को 264 करोड़ रुपये के रिफंड दावों का भुगतान किया गया है जिनमें से अब तक 60 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है। वहीं, दूसरी ओर लगभग 131 करोड़ रुपये के लंबित रिफंड दावों पर रोक लगा दी गई है।


15 मार्च, 2020 को संदिग्‍ध सरगना यानी मास्‍टरमाइंड के आवासीय परिसरों की तलाशियां ली गई थीं और उनके बयान दर्ज किए गए थे। उनके इकबालिया बयानों के आधार पर इन संदिग्‍ध मास्‍टरमाइंड को सीजीएसटी अधिनियम की धारा 69 के तहत 16 मार्च, 2020 को गिरफ्तार किया गया है।



टैरिफ अधिसूचना संख्‍या 26/2020 सीमा शुल्‍क (एन.टी.)

सीमा शुल्‍क अधिनियम, 1962 (1962 की 52) की धारा 14 की उप-धारा (2) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए केन्‍द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड (सीबीआईसी) ने आवश्‍यक समझते हुए वित्‍त मंत्रालय (राजस्‍व विभाग) में भारत सरकार की अधिसूचना संख्‍या 36/2001-सीमा शुल्‍क (एन.टी.), दिनांक 3 अगस्त 2001, जिसे भारत के राजपत्र, असाधारण भाग-।।, अनुभाग-3, उप-अनुभाग (ii) में निम्‍नलिखित संशोधन किये हैं। इसके लिए संख्‍या एस.ओ. 748 (ई), दिनांक 3 अगस्‍त, 2001 देखें।


उपर्युक्‍त अधिसूचना में, तालिका-1, तालिका-और तालिका-3 के लिए निम्‍नलिखित तालिकाओं को प्रतिस्थापित किया जाएगा : -


तालिका – 1








































































क्र.सं.



अध्याय / शीर्षक / उप-शीर्षक / टैरिफ आइटम



वस्‍तुओं का विवरण



टैरिफ मूल्य


(अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन)



(1)



(2)



(3)



(4)



1



1511 10 00



कच्चा पाम तेल



670 (कोई परिवर्तन नहीं)



2



1511 90 10



आरबीडी पाम तेल



695 (कोई परिवर्तन नहीं)



3



1511 90 90



अन्य - पाम तेल



683 (कोई परिवर्तन नहीं)



4



1511 10 00



कच्चा पामोलिन



698 (कोई परिवर्तन नहीं)



5



1511 90 20



आरबीडी पामोलिन



701 (कोई परिवर्तन नहीं)



6



1511 90 90



अन्य - पामोलिन



700 (कोई परिवर्तन नहीं)



7



1507 10 00



कच्चा सोयाबीन तेल



733 (कोई परिवर्तन नहीं)



8



7404 00 22



पीतल कतरन


(सभी श्रेणियां)



3283 (कोई परिवर्तन नहीं)



9



1207 91 00



पोस्ता दाना



3623 (कोई परिवर्तन नहीं)



तालिका -2










































क्र.सं.



अध्याय / शीर्षक / उप-शीर्षक / टैरिफ आइटम



वस्‍तुओं का विवरण



टैरिफ मूल्य


(अमेरिकी डॉलर)



(1)



(2)



(3)



(4)



1.



71 या 98



किसी भी रूप में सोना, जिसके संदर्भ में अधिसूचना संख्‍या 50/2017- सीमा शुल्‍क दिनांक 30.06.2017 की क्रम संख्‍या 356 में दर्ज प्रवि‍ष्टियों का लाभ उठाया जाता है



505  प्रति 10 ग्राम (कोई परिवर्तन नहीं)



2.



71  या  98



किसी भी रूप में चांदी, जिसके संदर्भ में अधिसूचना संख्‍या 50/2017- सीमा शुल्‍क दिनांक 30.06.2017 की क्रम संख्‍या 357 में दर्ज प्रवि‍ष्टियों का लाभ उठाया जाता है



402 प्रति किलोग्राम  



3.



71



(i) पदकों एवं चांदी के सिक्‍कों को छोड़ किसी भी रूप में चांदी, जिसमें चांदी सामग्री 99.9 प्रतिशत से कम न हो, अथवा चांदी के ऐसे अर्द्ध-निर्मित स्‍वरूप जो उप-शीर्षक 7106 92 के अंतर्गत आते हों


(ii) पदक एवं चांदी के सिक्‍के, जिनमें चांदी सामग्री 99.9 प्रतिशत से कम न हो, अथवा चांदी के ऐसे अर्द्ध-निर्मित स्‍वरूप जो 7106 92 के अंतर्गत आते हों, डाक या कुरियर अथवा यात्री सामान के जरिए इस तरह की वस्‍तुओं के आयात के अतिरिक्‍त


व्‍याख्‍या – इस प्रविष्टि के प्रयोजन के लिए किसी भी रूप में चांदी में विदेशी मुद्रा वाले सिक्‍के, चांदी के बने जेवरात अथवा चांदी की बनी सामग्री शामिल नहीं होगी।



402  प्रति किलोग्राम  



4.



71



(i) तोला बार को छोड़ सोने की छड़ (गोल्‍ड बार) जिनमें निर्माता अथवा परिष्‍कृत करने वाले की अंकित क्रम संख्‍या और मीट्रिक यूनिट में दर्शाया गया वजन दर्ज हो


(ii) सोने के सिक्‍के जिनमें स्‍वर्ण सामग्री 99.5 प्रतिशत से कम न हो और गोल्‍ड फाइंडिंग्‍स, डाक या कुरियर अथवा यात्री सामान के जरिए इस तरह की वस्‍तुओं के आयात के अतिरिक्‍त


व्‍याख्‍या – इस प्रविष्टि के प्रयोजन के लिए ‘गोल्‍ड फाइंडिंग्‍स’ से आशय एक ऐसे छोटे उपकरण जैसे हुक, बकल, क्लैंप, पिन, कैच, स्क्रू बैक से है जिसका उपयोग पूरे गहने अथवा उसके एक हिस्‍से को आपस में जोड़े रखने के लिए किया जाता है।



505  प्रति 10 ग्राम  (कोई परिवर्तन नहीं)



 


तालिका -3
























क्र.सं.



अध्याय/ शीर्षक/उप-शीर्षक/टैरिफ आइटम



वस्‍तुओं का विवरण



टैरिफ मूल्य


(अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन)



(1)



(2)



(3)



(4)



1



080280



सुपारी



3782” (कोई परिवर्तन नहीं)



नोट : मुख्‍य अधिसूचना भारत के राजपत्र, असाधारण, भाग- II, खंड -3, उप-खंड (ii) में प्रकाशित की गई थी, जिसके लिए अधिसूचना संख्या 36/2001-सीमा शुल्क (एन.टी.), दिनांक 3 अगस्त, 2001 देखें और संख्‍या एस.ओ. 748 (ई), दिनांक 3 अगस्त, 2001 देखें। इसे पिछली बार जो संशोधित किया गया था उसके लिए अधिसूचना संख्‍या 24/2020 – सीमा शुल्‍क (एन.टी.), दिनांक 13 मार्च, 2020 देखें। इसका ई-प्रकाशन भारत के राजपत्र, असाधारण, भाग- II, खंड -3, उप-खंड (ii) में किया गया था, जिसके लिए संख्‍या एस.ओ. 1059(ई), दिनांक 13 मार्च, 2020 देखें।



केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय आयुष मिशन में आयुष्मान भारत के एक हिस्से के रूप में आयुष स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्र को शामिल करने को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय आयुष मिशन में आयुष्मान भारत के एक हिस्से के रूप में आयुष स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्र (आयुष एचडब्ल्यूसी) को शामिल करने को मंजूरी दी।


आयुष स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्र के संचालन के प्रस्ताव पर वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2023-24 की पांच साल की अवधि के दौरान कुल 3399.35 करोड़ रुपये (केन्द्र सरकार 2209.58 करोड़ और राज्य सरकार 1189.77 करोड़ रुपये वहन करेगी) का खर्च आएगा।


राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत आयुष स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्रों के संचालन से निम्नलिखित उद्देश्य हासिल करने होंगे:-



  • मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था के साथ मिलकर निवारक, आरोग्यकर, पुनर्सुधारक और उपशामक स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित करते हुए आयुष सिद्धांतों और अभ्यासों पर आधारित एक संपूर्ण वेलनेस मॉडल बनाना।

  • आयुष सेवाएं उपलब्ध कराकर जरूरतमंद लोगों को उपचार का नया विकल्प मुहैया कराना।

  • आयुष सेवाओं में रहन-सहन, योग, औषधीय पौधों को लेकर सामुदायिक जागरूकता को शामिल करना और आयुष व्यवस्था के सामर्थ्य के अनुसार चयनित स्वास्थ्य स्थिति के लिए दवाइयों का प्रावधान करना।


आयुष मंत्रालय ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से देश भर में 12,500 आयुष स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्रों के संचालन के लिए निम्नलिखित दो मॉडल प्रस्तावित किए हैं:



  1. मौजूदा आयुष औषधालयों (लगभग 10,000) को अपग्रेड करना

  2. मौजूदा उप स्वास्थ्य केंद्रों (लगभग 2500) को अपग्रेड करना


     लाभ



  • कम खर्च पर सामान्य स्वास्थ्य कवर हासिल करने के लिए पहुंच में वृद्धि।

  • द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर बोझ में कमी।

  • ‘स्वयं-देखभाल’ मॉडल की वजह से अतिरिक्त खर्च में कटौती।

  • एसडीजी-3 को लागू करने में आयुष का एकीकरण जैसा कि नीति आयोग ने आज्ञापित किया है।

  • लक्षित क्षेत्रों में वैध संपूर्ण वेलनेस मॉडल।


पृष्ठभूमि:


राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में आयुष उपचार व्यवस्था (आयुर्वेद, योगा एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी) की संभावनाओं को संपूर्ण देखभाल की बहुवादी व्यवस्था की मुख्यधारा में लाने की वकालत की गई है।


भारत सरकार ने फरवरी 2018 में समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं मुहैया कराने के लिए मौजूदा उप स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को बदलकर 1.5 लाख स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्र खोलने का फैसला लिया था।


इसके बाद यह भी फैसला लिया गया कि आयुष मंत्रालय कुल स्वास्थ्य उपकेंद्रों के 10 फीसदी केंद्रों को आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्र के रुप में संचालित करेगा जिसकी संख्या 12,500 होगी।


इस प्रस्ताव का विज़न लोगों को स्वत: देखभाल के जरिए बीमारियों से बचने और अतिरिक्त खर्च बचाने में सक्षम बनाना और जरूरतमंद लोगों को उपचार का एक नया विकल्प मुहैया कराना है।



मंत्रिमंडल ने देश में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रारंभिक सामग्री/ औषधी मध्य सामग्री और सक्रिय दवा सामग्री के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निम्न योजनाओं की मंजूरी दी हैः


1) अगले 5 वर्षों के दौरान 3,000 करोड़ की धनराशि से 3 बल्क ड्रग पार्कों में साझा अवसंरचना को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने हेतु योजना।


2) अगले 8 वर्षों के दौरान के 6,940 करोड़ रु. की धनराशि से देश में अति महत्वपूर्ण केएसएम/औषधि मध्य सामग्री और एपीआई के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित छूट (पीएलआई) योजना को प्रोत्साहन।


विस्तृत ब्यौरा


A. बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा


1. राज्यों के सहयोग से भारत में 3 बल्क ड्रग पार्कों को विकसित करने का निर्णय।


2. प्रत्येक बल्क ड्रग पार्क के लिए भारत सरकार राज्यों को अधिकतम 1,000 करोड़ रु. की धनराशि वित्तीय सहायता के रूप में प्रदान करेगी।


3. पार्कों में विभिन्न साझा सुविधाएं होंगी जैसेः- घोलक संयंत्र, आसवन संयंत्र, बिजली और भाप संयंत्र, साझा उत्सर्जन शोधन संयंत्र आदि।


4. इस योजना के लिए अगले 5 वर्षों के दौरान 3,000 करोड़ रु. की धनराशि को मंजूरी।


उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना



  1. चिह्नित 53 अति महत्वपूर्ण बल्क ड्रग के योग्य निर्माताओं को अगले 6 वर्षों के दौरान सहायता दी जाएगी जो उत्पादन वृद्धि पर आधारित होगी और इसके लिए 2019 -20 को आधार वर्ष माना जाएगा।

  2. 53 चिह्नित बल्क ड्रग में से 26 खमीर आधारित बल्क ड्रग हैं और 27 रसायन संश्लेषण पर आधारित बल्क ड्रग हैं।

  3. खमीर आधारित बल्क ड्रग के लिए छूट की दर 20% ( विक्रय में वृद्धि के आधार पर) तथा रसायन संश्लेषण पर आधारित बल्क ड्रग के लिए 10% होगी।

  4. अगले 8 वर्षों के लिए 6,940 करोड़ रु. की धनराशि को मंजूरी दी गई है।


प्रभाव


बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा इस योजना से देश में बल्क ड्रग के उत्पादन लागत तथा बल्क ड्रग के लिए अन्य देशों पर निर्भरता में कमी आएगी।


उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना



  1. योजना का उद्देश्य अति महत्वपूर्ण केएसएम/औषधि मध्य सामग्री और एजीआई में बड़े निवेश को आकर्षित करने के माध्यम से घरेलू निर्माण/उत्पादन को बढ़ावा देना है। इससे केएसएम/औषधि मध्य सामग्री और एपीआई उत्पादन में अन्य देशों पर भारत की निर्भरता में कमी आएगी।

  2. इससे अगले 8 वर्षों के दौरान 46,400 करोड़ रु. मूल्य की विक्रय वृद्धि तथा अतिरिक्त रोजगार सृजन की आशा है।


कार्यान्वयन


बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा


राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए) इस योजना को लागू करगी जिसका गठन संबंधित राज्य सरकार करेगी। 3 मेगा बल्क ड्रग पार्कों की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।


उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना इस योजना को परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) के माध्यम से लागू किया जाएगा। फार्मास्यूटिकल विभाग इस एजेंसी को नामांकित करेगा। यह योजना केवल 53 चिह्नित अति महत्वपूर्ण बल्क ड्रग (केएसएम/औषधि मध्य सामग्री और एपीआई) के निर्माण/उत्पादन पर ही मान्य होगी।


लाभ



  1. 3 बल्क ड्रग पार्क की इस योजना के अंतर्गत प्राप्त वित्तीय सहायता से साझा अवसंरचना सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा।

  2. इससे देश में उत्पादन लागत में कमी आएगी और बल्क ड्रग के लिए अन्य देशों पर निर्भरता भी कम होगी।


मात्रा के आधार पर भारतीय दवा उद्योग विश्व की तीसरी सबसे बड़ा उद्योग है। इस उपलब्धि के बावजूद भारत मौलिक कच्ची सामग्री (जैसे दवाओं के उत्पादन में उपयोग किये जानेवाले बल्क ड्रग) के लिए आयात पर निर्भर है। कुछ विशेष बल्क ड्रग के मामले में आयात पर निर्भरता 80 से 100 प्रतिशत तक है।


नागरिकों को किफायती स्वास्थ्य देखभाल सुविधा सुनिश्चित करने के लिए दवाओं की निरंतर आपूर्ति आवश्यक है। आपूर्ति में अवरोध से दवा सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है जो देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। बल्क ड्रग के निर्माण में आत्म-निर्भर होना बहुत आवश्यक है।